scorecardresearch
Friday, 3 May, 2024
होमहेल्थभारत में ब्रेकथ्रू कोविड इंफेक्शन्स के लिए मुख्य दोषी है डेल्टा वेरिएंट : स्टडी

भारत में ब्रेकथ्रू कोविड इंफेक्शन्स के लिए मुख्य दोषी है डेल्टा वेरिएंट : स्टडी

ICMR स्टडी 354 टीका लगा हुए मरीज़ों पर की गई, जिनमें से 241 ने एक ख़ुराक ली थी, और 113 को दोनों डोज़ मिल चुके थे. स्टडी में 185 बिना टीका लगाए हुए मरीज़ भी शामिल किए गए.

Text Size:

नई दिल्ली: इसी महीने प्रकाशित एक स्टडी में पता चला है कि भारत में दूसरी लहर के दौरान सार्स-सीओवी-2 वायरस का डेल्टा वेरिएंट, ब्रेकथ्रू कोविड इंफेक्शन्स के पीछे सबसे बड़ी वजह थी.

ब्रेकथ्रू कोविड इंफेक्शन्स वो होते हैं जिनमें टीके की पूरी ख़ुराक मिलने के बाद भी लोग संक्रमित हो जाते हैं.

ये स्टडी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की एक टीम द्वारा, चेन्नई में कोविड मरीज़ों के बीच की गई, जिसमें पता चला कि डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित होने वाले लोगों का प्रतिशत, टीका लगे हुए और बिना टीका लगे दोनों लोगों के बीच एक समान था. लेकिन, टीका लगे हुए मरीज़ों में कोविड से गंभीर संक्रमण या मौतों के मामले कहीं कम थे.

आईसीएमआर के पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरॉलजी, और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियॉलजी के शोधकर्त्ताओं के निष्कर्ष, 5 अगस्त को जर्नल ऑफ इनफेक्शन में प्रकाशित हुए. ये आंकड़े मई में ग्रेटर चेन्नई निगम द्वारा स्थापित केंद्रों पर मरीज़ों को स्क्रीन करके एकत्र किए गए.

स्टडी के लिए तीन ट्राएजिंग केंद्र चुने गए, जो चेन्नई के उत्तरी, केंद्रीय और दक्षिणी हिस्सों से थे और ये स्टडी उस समय की गई, जब भारत कोविड की दूसरी विनाशकारी लहर से गुज़र रहा था.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

जो 3,790 मरीज़ 3 मई से 7 मई के बीच ट्राएज केंद्रों पर आए, उनमें से 373 ने कोविड संक्रमण का पता लगने से 14 दिन पहले, वैक्सीन का कम से कम एक डोज़ लिया हुआ था, जबकि बाक़ी 3,417 को टीके नहीं लगे थे.

स्टडी में टीका लगे हुए 373 में से 354 मरीज़ों को पंजीकृत किया गया. इनमें से, 241 ने वैक्सीन का एक डोज़ लिया हुआ था, जबकि 113 दोनों डोज़ ले चुके थे. स्टडी में बिना टीके वाले 3,417 मरीज़ों में से 185 को भी शामिल किया गया.

स्टडी में हिस्सा लेने वाले अधिकांश प्रतिभागी पुरुष थे, और इन तीन समूहों में अन्य बीमारियों वाले मरीज़ों का अनुपात अलग नहीं था.

घूम रहे स्ट्रेन्स में डेल्टा वेरिएंट सबसे प्रमुख

शोधकर्त्ता 539 नमूनों में से 414 की जिनॉमिक सीक्वेंस निकालने में कामयाब हो गए. टीम को पता चला कि बी.1.617.2 (डेल्टा वेरिएंट) सबसे प्रमुख चिंताजनक वेरिएंट था. बिना टीका लगे हुए मरीज़ों में 72.4 प्रतिशत, आंशिक रूप से टीका लगे मरीज़ों में 68.1 प्रतिशत, और पूरी तरह टीका लगे हुए मरीज़ों में 74.3 प्रतिशत इस वेरिएंट से संक्रमित थे.


यह भी पढ़ें : थकावट, सूंघने की क्षमता में कमी, फेफड़ों की दिक्कत- नई स्टडी में कोविड से लंबे समय तक रहने वाले 55 प्रभावों की हुई पहचान


शोधकर्त्ता स्टडी के पांच प्रतिभागियों में से एवाई.1 (डेल्टा प्लस वेरिएंट) को अलग करने में भी कामयाब हो गए. रिसर्चर्स ने बताया कि एवाई.1 संक्रमण वाले पांच मरीज़ों में से एक को, ऑक्सीजन सपोर्ट के लिए अस्पताल में भर्ती करना पड़ा, और बाक़ी में बीमारी का हल्का रूप देखने में आया.

निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि वैक्सीन और बिना वैक्सीन वाले समूहों में, बी.1.617.2 के प्रसार में कोई अंतर नहीं था.

लेकिन ये कोई आश्चर्य नहीं है, क्योंकि रिसर्चर्स के मताबिक़ डेल्टा वेरिएंट प्रमुख प्रचलित स्ट्रेन था, और भारत में कोविड की दूसरी लहर का एक प्रमुख संचालक था.

इसके अलावा, पिछली स्टडीज़ का अनुमान है कि डेल्टा वेरिएंट, टीका लगे हुए लोगों में एंटीबॉडीज़ के स्तर को घटा सकता है.

शोधकर्त्ताओं ने कहा, ‘पूरी तरह टीका लगे हुए लोगों में जो ब्रेकथ्रू इनफेक्शन्स देखे गए हैं, उनके पीछे यही कारण हो सकता है. लेकिन, गंभीर बीमारी और मौत तक पहुंचने वाले मरीज़ों का अनुपात, टीका लगे हुए समूह में कम था’.

टीम की सिफारिश है कि वैक्सीन्स के साथ, बिना दवाओं वाले हस्तक्षेप जैसे मास्किंग, सामाजिक दूरी और वेंटिलेशंस जारी रहने चाहिएं, ताकि संक्रमण के प्रसार को धीमा किया जा सके.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

share & View comments