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Saturday, 16 November, 2024
होमहेल्थकहीं आप भी भूल तो नहीं रहे हर बात, परेशान न हों कोविड का असर है

कहीं आप भी भूल तो नहीं रहे हर बात, परेशान न हों कोविड का असर है

कोविड संक्रमण का शिकार बन चुके कई लोगो को आमतौर पर 'ब्रेन फॉग' हो रहा है, जिसकी वजह से उन्हें याद रखने, फोकस करने और रोज़मर्रा के कार्यों को करने में दिक्कतें आ सकती हैं.

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नई दिल्ली: यह जग जाहिर है कि कोविड की वजह से फेफड़ों में और सांस लेने में दिक्कतें होती हैं, लेकिन शायद यह कम ही लोगों को पता होगा कि कोरोना वायरस मानसिक गतिविधयों को भी प्रभावित कर सकता है.

कोविड संक्रमण का शिकार बन चुके कई लोगों को आमतौर पर ‘ब्रेन फॉग’ की समस्या होती है, जिसमें याद रखने, फोकस करने और रोजाना के कामों को करने समस्याएं आती हैं.

ब्रेन फॉग कोविड का ऐसा लक्षण है जो कि लंबे समय तक चल सकता है. इसमें लोग संक्रमण के बाद महीनों, या वर्षों तक लगातार कोविड लक्षणों से पीड़ित रहते हैं.

हाल ही के एक अध्ययन में, पाया गया कि कोविड काम करने के लिए जरूरी मेमरी को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है, लेकिन ये लक्षण केवल 25 वर्ष और उससे अधिक आयु के वयस्कों में देखा गया है.

परिणाम बताते हैं कि कोविड संक्रमण के बाद मेमरी प्रोसेस समय के साथ ठीक हो सकती है, लेकिन जिन लोगों को कोविड के लक्षण बने हुए हैं उनके साथ रोज़मर्रा के काम करने के लिए जरूरी मेमरी यानी वर्किंग मेमोरी को लेकर कठिनाई जारी रह सकती है.

वर्किंग मेमोरी, शॉर्ट-टर्म मेमोरी का एक रूप है, जो हमें समस्याओं को हल करने, पढ़ने या बातचीत करने जैसे कार्यों को करते समय जानकारी को स्टोर करने और फिर से प्राप्त करने में मदद करता है. इसलिए बिगड़ी हुई वर्किंग मेमोरी किसी व्यक्ति के रोजाना की जिंदगी पर खासा प्रभाव डाल सकता है.

कुछ अध्ययनों में कोविड और कॉगनिटिव कार्यो के बीच एक संबंध को लेकर बात हुई है, लेकिन उन अध्ययनों में आम तौर पर कई कार्यों के साथ लंबे सर्वेक्षणों को शामिल किया गया और अक्सर केवल उन लोगों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो कोविड संक्रमण से सबसे गंभीर रूप से प्रभावित हुए.

इसलिए इस बार एक गुमनाम ऑनलाइन सर्वेक्षण और मेमोरी क्विज़ तैयार किया जिसे स्मार्टफोन, टैबलेट और पीसी सहित विभिन्न प्लेटफार्मों के माध्यम से जल्दी से पूरा किया जा सकता है.

सर्वेक्षण में प्रतिभागियों की कोविड की स्थिति और यदि उन्हें बीमारी के किसी भी तरह के लक्षण हो तो उनके बारे में पूछे गए प्रश्नों का जवाब देने को कहा गया.

उन्हें किसी भी कॉगनिटिव समस्या का मूल्यांकन करने के लिए भी कहा गया था, उदाहरण के लिए चीजों को याद रखने या कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने की उनकी क्षमता के बारे में.

यह एक क्विज़नुमा विज़ुअल वर्किंग मेमोरी गेम था जहां प्रतिभागियों को फलों, जानवरों, संख्याओं या वस्तुओं के चित्रों को याद रखना था.

सर्वेक्षण और मेमोरी क्विज़ को जल्दी से पूरा किया जा सकता है, वे संभावित रूप से उन रोगियों में मूल्यांकन उपकरण के रूप में भी उपयोग किए जा सकते हैं जिनके पास ध्यान देने की अवधि सीमित है या ममोरी को प्रभावित करने वाली अन्य स्थितियां हैं, जैसे डिमेंशिया.

सबसे कम उम्र के समूह, 18 से 24 वर्ष के लोगों को छोड़कर हर आयु वर्ग में गैर-कोविड समूह की तुलना में कोविड समूह के लिए मेमोरी स्कोर काफी कम था. जिन लोगों को कोविड हो चुका था उन्हें यह बीमारी हुए कितना समय हुआ था, इसका भी मेमोरी स्कोर पर असर हुआ. कोविड (एक से कम 17 तक) होने के बाद के महीनों की संख्या और मेमोरी स्कोर के बीच एक सकारात्मक सहसंबंध हैं. इससे पता चलता है कि कोविड संक्रमण के बाद होने वाली मेमोरी कम होने की समस्या समय के साथ ठीक हो सकती है.

अध्ययन में शामिल जिन लोगों को कोविड हुआ था उस समूह के 50 प्रतिशत लोगों ने बीमारी के लक्षण होने की सूचना दी, और इन प्रतिभागियों की मेमोरी स्कोर कम होने की संभावना अधिक थी, उन लोगों की तुलना में जिन्हें कोविड नहीं हुआ था या जिन्हें कोविड तो हुआ था, लेकिन उनमें बीमारी के कोई लक्षण नहीं थे.

रोजमर्रा के कामकाज के लिए जरूरी ममोरी पर ओमिक्रॉन वेरिएंट के प्रभाव को निर्धारित करने के लिए और साथ ही टीकाकरण एक सुरक्षात्मक भूमिका निभा सकता है या नहीं, इसके लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है.

सर्वेक्षण के अनुसार समय के साथ कामकाजी याददाश्त में सुधार होता है, लेकिन जिन लोगों में कोविड के लक्षण बने हुए हैं उनमें वर्किंग मेमोरी ख़राब हो सकती है, इसलिए लंबे समय तक कोविड का सामना करने वाले रोगियों के इलाज के दौरान मेमोरी के कम होने के पहलू पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए.


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