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Friday, 19 April, 2024
होमहेल्थअस्पताल में कोविड से 30 दिन बाद हुई मौत पर भी अब मिलेगा मुआवजा: नई गाइडलाइंस

अस्पताल में कोविड से 30 दिन बाद हुई मौत पर भी अब मिलेगा मुआवजा: नई गाइडलाइंस

सुप्रीम कोर्ट ने 30 जून को ये गाइडलाइन्स मांगी थीं और कहा था कि आपदा प्रबंधन कानून के तहत मुआवज़ा देना अनिवार्य है. साथ ही पिछले हफ्ते कोर्ट ने उनमें देरी के लिए केंद्र की खिंचाई की थी.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तीन महीने बाद केंद्र सरकार ने ‘सरल की गईं’ गाइडलाइंस पेश की हैं, जिनके आधार पर कोविड-19 मौतें एक आधिकारिक दस्तावेज़ जारी किए जाने की पात्र होंगी. इस आधिकारिक दस्तावेज़ का इस्तेमाल आपदा प्रबंधन कानून के तहत मुआवज़ा लेने के लिए किया जा सकता है.

8 सितंबर को ये गाइडलाइंस, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की ओर से साझा रूप से जारी की गईं.

गाइडलाइंस के मुताबिक, आरटी-पीसीआर, रैपिड एंटिजन टेस्ट और अन्य मॉलिक्युलर जांचों (जैसे ट्रूनेट और सीबीनाट) के ज़रिए निदान किए गए कोविड-19 मामले, जो ‘किसी अस्पताल/रोगी सुविधा में चिकित्सकीय रूप से निर्धारित किए गए हों’, इसमें शामिल किए जाएंगे.

वो कोविड-19 मौतें जो टेस्टिंग, ‘या चिकित्सकीय रूप से कोविड-19 केस घोषित होने की तिथि से 30 दिन के भीतर होंगी, उन्हें कोविड-19 से हुई मौत माना जाएगा, भले ही मौत अस्पताल या रोगी सुविधा के बाहर हुई हो’. ऐसा ज़्यादा ‘समावेशी’ होने के लिए किया जा रहा है, हालांकि आईसीएमआर की एक स्टडी में कहा गया है कि ज़्यादातर कोविड-19 मौतें पता चलने के 25 दिन के भीतर होती हैं.

जो कोविड-19 मौतें 30 दिन के बाद भी होती हैं, उन्हें भी शुमार किया जाएगा, यदि पीड़ित व्यक्ति को किसी अस्पताल, या रोगी सुविधा में भर्ती कराया जाता है.

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दिशानिर्देशों में कहा गया है, ‘कोविड-19 का कोई मामला, जो अस्पताल की रोगी सुविधा में रहते हुए 30 दिन की अवधि से आगे भर्ती रह गया और बाद में उसकी मौत हो गई, तो उसे कोविड-19 से हुई मौत माना जाएगा’.

लेकिन ज़हर खाने, खुदकुशी, हत्या और दुर्घटना से हुई मौत को ‘कोविड-19 मौत नहीं माना जाएगा, भले ही मरीज़ को साथ में कोविड-19 रहा हो’.

यदि परिवार के सदस्य मृत्यु के कारण से संतुष्ट नहीं हैं, तो गाइडलाइंस में राज्यों और केंद्रशासित क्षेत्रों को एक कमेटी गठित करने के लिए कहा गया है, ‘जिसमें अतिरिक्त ज़िला कलेक्टर, स्वास्थ्य के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओएच), अतिरिक्त सीएमओएच, किसी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल या एचओडी और एक विषय विशेषज्ञ शामिल होंगे’. ऐसे सभी आवेदनों का प्राप्ति के 30 दिन के भीतर निपटारा करना होगा.

परिवार की शिकायतों का निपटारा करने के अलावा, कमेटी को ये भी निर्देश दिया गया है कि वो ‘आवश्यक उपचारी उपाय सुझाएगी, जिनमें दिशानिर्देशों के मुताबिक तथ्यों का सत्यापन करने के बाद कोविड-19 मौत के लिए संशोधित आधिकारिक दस्तावेज़ जारी करना भी शामिल होगा’.


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सुप्रीम कोर्ट की फटकार

पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की खिंचाई की थी और न्यायमूर्ति एमआर शाह और अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने कहा था, ‘जब तक आप आगे के कदम उठाएंगे, तब तक तीसरी लहर भी खत्म हो जाएगी. मृत्यु प्रमाणपत्र, मुआवज़ा आदि पर हमारा आदेश, काफी समय पहले जारी हुआ था’.

30 जून को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से कोविड-19 मौतों के पंजीकरण के लिए दिशानिर्देश तैयार करने को कहा था और साथ में ये भी कहा था कि आपदा प्रबंधन कानून के तहत मुआवज़ा देना ‘अनिवार्य’ है.

फिर 16 अगस्त को अदालत ने मुआवज़े तथा कोविड-19 मौतों के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के उसके आदेश के अनुपालन के लिए केंद्र को चार हफ्तों की और मोहलत दी थी.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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