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Friday, 22 November, 2024
होमहेल्थभारत का Covid कैलेंडर- देश में 2020 में महामारी की प्रगति पर महीने दर महीने नज़र

भारत का Covid कैलेंडर- देश में 2020 में महामारी की प्रगति पर महीने दर महीने नज़र

राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से लेकर कोरोनावायरस हॉटस्पॉट्स, और वैक्सीन की होड़ तक- दिप्रिंट एक नज़र डालता है 2020 में केविड-19 के खिलाफ भारत के सफर पर.

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नई दिल्ली: भारत में कोविड-19 का पहला केस जनवरी में दर्ज हुआ, और उसके बाद से महामारी के खिलाफ लड़ाई में, देश ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. ‘जनता कर्फ्यू’, और स्वास्थ्यकर्मियों के देशभर में फैल रहे संक्रमण को रोकने की कोशिशों से लेकर, वैक्सीन की मौजूदा होड़ तक- साल 2020 को नॉवल कोरोनावायरस ने ही परिभाषित किया.

इस साल के ख़त्म होने के साथ ही, दिप्रिंट महीना-दर महीना ब्यौरा दे रहा है कि भारत में कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई के क्या क्या मुख्य बिंदु थे.

जनवरी

भारत का पहला कोविड केस केरल के त्रिशूर में 30 जनवरी को दर्ज किया गया था. अगले दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोनावायरस को, एक ‘अंतर्राष्ट्रीय स्तर की वैश्विक इमर्जेंसी घोषित कर दिया’.

31 जनवरी को, सरकार ने अपने नागरिकों को हवाई मार्ग से चीन के वुहान से निकालने का फैसला किया, जहां ये प्रकोप शुरू हुआ था. एयर इंडिया का एक विमान शाम 8 बजे वुहान पहुंचा, और 1 फरवरी को सुबह 4 बजे 324 यात्रियों के साथ वहां से वापस हो गया. भारत पहुंचने के बाद, उस फ्लाइट पर मौजूद एक भारतीय ने दिप्रिंट से कहा था, ‘हमें बचा लिया गया’.

फरवरी

तीन छात्रों के पॉज़िटिव रूप से संक्रमित होने के बाद 3 फरवरी को केरल सरकार ने, कोरोनावायरस को एक प्रदेश महामारी घोषित कर दिया.

दुनिया भर के अधिकतर देशों में हर रोज़ नए इन्फेक्शंस सामने आ रहे थे, इसलिए 11 फरवरी को डब्लूएचओ ने बीमारी को एक अधिकारिक नाम दे दिया– कोविड-19. नए कोरोनावायरस को सार्स-सीओवी-2 नाम दिया गया.

20 फरवरी तक, भारत का पहला कोविड मरीज़ वायरस से ठीक हो चुका था.

मार्च

भारत में इन मामलों की संख्या मार्च में बढ़नी शुरू हुई. 2 मार्च को दो और केस सामने आए- एक 45 वर्षीय आदमी दिल्ली में और एक अन्य 24 वर्षीय व्यक्ति, और दोनों सफर करके आए थे. महीने के अंत, मार्च 28 तक मामलों की संख्या 1,000 के पार हो गई.

23 मामलों से जुड़ा एक क्लस्टर, जयपुर में भी सामने आने लगा, जब वहां एक इटैलियन पर्यटक का टेस्ट पॉज़िटिव आ गया. संभावित रूप से देश का ये पहला क्लस्टर था, जिसका पता चला था.

11 मार्च को, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 को एक वैश्विक महामारी घोषित कर दिया. उसके अगले दिन, भारत में इससे पहली मौत हुई- कर्नाटक से एक 76 वर्षीय व्यक्ति की.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च को, 14 घंटे के एक स्वैच्छिक जनता कर्फ्यू का आह्वान किया, जिसके दो दिन बाद देशव्यापी लॉकडाउन घोषित कर दिया गया.

30 मार्च को, तब्लीग़ी जमात का मुख्यालय, निज़ामुद्दीन मरकज़, एक कोविड-19 हॉटस्पॉट बनकर सामने आया– जो देश में अभी तक का सबसे विवादास्पद हॉटस्पॉट था.

अप्रैल

देशभर में राज्य सरकारों ने 21,000 कैंप स्थापित किए, जहां 6,60,000 प्रवासियों को रखा जा सकता था, जो इस अभूतपूर्व लॉकडाउन में फंसे रह गए थे. देश में प्रवासी मज़दूरों का भारी पलायन देखा गया, जो शहरों में काम बंद होने की वजह से पैदल चलकर अपने गांवों को लौटने लगे.

भारत में लागू 21 दिन के लॉकडाउन के बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरिकों से आग्रह किया कि 5 अप्रैल को रात 9 बजे, 9 मिनट के लिए अपनी बत्तियां बुझा लें. मोदी ने लोगों से अनुरोध किया कि महामारी के खिलाफ देश की इस लड़ाई के समर्थन में मोमबत्ती या दीया जलाएं.

6 अप्रैल को, देश में कोरोनावायरस मामलों की संख्या 4,000 और मरने वालों की तादात 100 के पार हो गई. कुछ दिन के बाद पीएम मोदी ने बीमारी को फैलने से रोकने के प्रयास में 21 दिन के लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ा दिया.

अप्रैल के महीने में, निज़ामुद्दीन मकरज़ भारत में कोरोनावायरस का सबसे बड़ा हॉटस्पॉट बन कर उभरा. 18 अप्रैल को, स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देश में दर्ज कुल मामलों के, 29.8 प्रतिशत को जमात क्लस्टर से जोड़ा जा सकता है.

23 अप्रैल तक, मुम्बई में एशिया के सबसे बड़े स्लम धारावी में कोविड-19 के 214 मामले दर्ज हो चुके थे, जिससे वहां एक संभावित हॉटस्पॉट बनने का डर होने लगा था.

28 अप्रैल को प्रकाशित एक स्टडी में, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों ने, देश में चल रहीं सार्स-सीओवी-2 सीक्वेंसेज़ की पहचान की. उन्हें दो सीक्वेंस मिलीं, एक वुहान से जुड़ी पाई गई, जबकि दूसरी यूरोप से थी.

मई

गृह मंत्रालय ने इस महीने में, दो बार लॉकडाउन को आगे बढ़ाया- पहली बार 4 मई से 17 मई तक और दूसरी बार 18 मई से 31 मई तक. इस बीच, 1 मई से फंसे हुए प्रवासी मज़दूरों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें शुरू की गईं. 5 मई को देशभर में शराब की दुकानें खोल दी गईं. इसके नतीजे में व्यापक अव्यवस्था फैल गई, क्योंकि शराब की दुकानों पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी.

12 मई को पीएम मोदी ने 20 लाख करोड़ के एक आत्मनिर्भर पैकेज का ऐलान किया.

19 मई तक, कुल मामलों की संख्या एक लाख के पार हो गई. 25 मई को घरेलू उड़ान सेवाएं फिर से शुरू हो गईं, जो 30 प्रतिशत क्षमता पर चल रहीं थीं.

जून

4 जून को, एस्ट्रज़ेनेका और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने एक लाइसेंस समझौते पर दस्तख़त किए, जिसके तहत ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी वैक्सीन कैंडिडेट के एक अरब डोज़, भारत जैसे कम आय वाले देशों को सप्लाई किए जाएंगे.

इस महीने में भारत में कोरोनासायरस से जुड़ी पाबंदियों का ‘अनलॉक’ फेज़ देखा गया. 8 जून को, अनलाक 1.0 में मॉल्स, होटल्स, रेस्टोरेंट और इबादतगाहों को खोलने की अनुमति दे दी गयी.

11 जून तक, यूके को पीछे छोड़ते हुए, भारत कोविड-19 मामलों में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश बन गया.

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी के आंकड़ों के अनुसार, जून में बेरोज़गारी दर गिरकर कोविड से पहले के स्तर 8.5 प्रतिशत पर आ गई जो लॉकडाउन के दौरान अप्रैल और मई में 23.5 प्रतिशत थी.

इस महीने में मुम्बई भी कोविड-19 से सबसे बुरी तरह प्रभावित शहर बनकर उभरा. जून में वहां महाराष्ट्र में दर्ज कुल मामलों के, 57 प्रतिशत केस दर्ज किए गए.

जून 27 तक, भारत में कुल मामलों की संख्या 5 लाख और कुल मौतों का आंकड़ा 15,000 को पार कर चुका था. देश की मृत्यु दर 3 प्रतिशत और रिकवरी दर 60 प्रतिशत थी.

29 जून को भारत बायोटेक ने ऐलान किया कि उसने आईसीएमआर और पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरॉलजी के सहयोग से, भारत की पहली देसी वैक्सीन ‘कोवैक्सिन’ तैयार करने में सफलता हासिल कर ली है.

जुलाई

एक जुलाई को, अनलॉक 2.0 प्रभावी हो गया, जिसमें और अधिक देसी उड़ान तथा रेल सेवाएं फिर से शुरू हो गईं, तथा रात के कर्फ्यू में ढील दे दी गई.

भारत दुनिया में तीसरा सबसे अधिक कोविड प्रभावित देश बन गया, और यहां कुल मामलों की संख्या 6 लाख से अधिक हो गई. 15 जुलाई को कोवैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल शुरू हो गए.

इसी महीने, फ्रांस और अमेरिका से ‘द्विपक्षीय एयर बबल्स’ स्थापित होने के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें फिर से शुरू हो गईं.

अगस्त

अगस्त तक, भारत ‘अनलॉक’ के अपने तीसरे दौर से गुज़र रहा था. जिमों और योगा केंद्रों को फिर से खोलने की अनुमति मिल गई, और रात का कर्फ्यू वापस ले लिया गया.

8 अगस्त को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने मांग उठाई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन 196 डॉक्टरों का ध्यान करें जो कोरोनावायरस का शिकार हो गए थे.

भारतीय दवा कंपनी ज़ाइडस कैडिला ने 12 अगस्त को बताया कि वैक्सीन कैंडिडेट के पहले दौर के क्लीनिकल ट्रायल पूरे कर लिए गए हैं.

21 अगस्त को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने ख़बर दी कि कोविड-19 के दस लाख से अधिक नैदानिक परीक्षण जमा किए गए थे. चीन और अमेरिका के बाद, भारत ने दुनिया में सबसे अधिक कोविड-19 टेस्ट किए थे.

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भी 26 अगस्त को, ‘कोविशील्ड’ के लिए क्लीनिकल ट्रायल्स का ऐलान कर दिया.

लेकिन, आर्थिक मोर्चे पर बुरी ख़बरें जारी रहीं. 31 अगस्त को राष्ट्रीय सांख्यिकी ऑफिस से जारी डेटा से पता चला कि भारत की जीडीपी विकास दर, अप्रैल-जून तिमाही में सिकुड़कर, 23-9 प्रतिशत रह गई थी.

सितंबर

सितंबर में भारत अमेरिका के बाद सबसे अधिक प्रभावित देश बन गया. ‘अनलॉक 4’ गाइडलाइन्स प्रभावी हो गईं, और देशभर में छह महीने के अंतराल के बाद मेट्रो सेवाएं फिर से शुरू हो गईं.

14 सितंबर को, सोशल डिस्टेंसिंग उपायों के साथ संसद का मॉनसून सत्र शुरू हो गया. लेकिन, सत्र शुरू होने से पहले ही, 29 सांसद कोविड पॉज़िटिव निकल चुके थे.

सत्र को 18 दिन पहले बीच में ही स्थगित कर दिया गया, क्योंकि लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों के बीच कोविड मामले बढ़ रहे थे. इस तरह ये 20 वर्षों में सबसे छोटा सत्र बन गया.

16 सितंबर को, डॉ रेड्डीज़ लैबोरेटरीज़ ने रशन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) के साथ, भारत में स्पुतनिक वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल्स का एक समझौता किया. 21 सितंबर को बहुत से राज्यों में, स्कूल भी आंशिक रूप से खोल दिए गए.

भारत ने अपना चरम भी देखा, जब देश में क़रीब 10.17 एक्टिव मामले दर्ज थे, और हर रोज़ संक्रमण के 90,000 से अधिक मामले दर्ज हो रहे थे.

अक्टूबर

5 अक्टूबर को, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने ऐलान किया कि केंद्र सरकार जुलाई 2021 तक 20-25 करोड़ लोगों को टीका लगाने की योजना पर काम कर रही है.

हालांकि दुनिया में कोरोनावायरस संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़ रहे थे और एक दूसरी लहर आने का ख़तरा संभावित था, लेकिन अक्टूबर में मामलों की संख्या में कमी आ गई.

केंद्र सरकार ने राज्यों तथा केंद्र-शासित क्षेत्रों को भी लिखा कि कोविड-19 टीकाकरण अभियान के लिए, स्वास्थ्य देखभाल करने वाले कर्मियों का डेटाबेस तैयार करना शुरू कर दें.

26 अक्टूबर को लिखे एक पत्र में, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने, राज्यों और केंद्र-शासित क्षेत्रों से कहा कि कोविड-19 वैक्सीन्स लाए जाने की निगरानी के लिए एक तीन-स्तरीय प्रणाली क़ायम करें.

अक्टूबर में, भारत में कोविड घोषित किए जाने के बाद से पहली बाहर किसी प्रमुख राज्य, बिहार में चुनाव कराए गए. 28 अक्टूबर को वोटिंग शुरू हुई, और राज्य में 57.05 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ– जो 2015 के चुनावों से थोड़ा अधिक था.

नवंबर

9 नवंबर को, फाइज़र और बायोएनटेक ने ऐलान किया, कि तीसरे दौर के ट्रायल्स के नतीजों के मुताबिक़, उनकी वैक्सीन कोविड-19 के खिलाफ 90 प्रतिशत से अधिक कारगर है.

दिल्ली में कोविड की तीसरी लहर देखी गई और राष्ट्रीय राजधानी में सकारात्मकता दर बढ़कर 15 प्रतिशत से अधिक हो गई. शहर को आईसीयू बेड्स की कमी से भी जूझना पड़ा, चूंकि अस्पतालों में भर्तियां बढ़ गईं, जिसकी वजह से केंद्र सरकार को दख़ल देना पड़ा. संकट से निपटने के लिए, गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 15 नवंबर को एक 12 सूत्री योजना लेकर आए.

17 नवंबर तक, भारत के एक्टिव मामले घटकर 4.94 लाख रह गए जो सितंबर में 10.17 लाख थे. ऐसा इसलिए हुआ कि रोज़ाना के नए मामले, ठीक हो रहे मरीज़ों की रोज़ाना की संख्या से कम थे.

23 नवंबर को केंद्र सरकार ने टीकाकरण अभियान के जल्द शुरू किए जाने की अपेक्षा के मद्देनज़र, राज्यों और केंद्र-शासित क्षेत्रों से, कोविड वैक्सीन के दुष्प्रभावों की ख़बर देने की प्रणाली को मज़बूत करने के लिए कहा.

गंभीर दुष्प्रभावों का आरोप लगाते हुए 28 नवंबर को वैक्सीन ट्रायल के एक प्रतिभागी ने, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से 5 करोड़ रुपए की मांग कर दी. लेकिन, नियामक ने ये कहते हुए प्रतिभागी के दावे को ख़ारिज कर दिया कि बीमारी का वैक्सीन से कोई संबंध नहीं था.

दिसंबर

केंद्र सरकार के कृषि क़ानूनों के खिलाफ किसानों के विशाल प्रदर्शनों ने, संभावित कोरोनावायरस प्रकोप की चिंता पैदा कर दी. प्रदर्शन स्थल पर किसानों का एक बड़ा जमावड़ा है, जिनमें से अधिकतर 60 से ऊपर के हैं, और मास्क नहीं पहनते.

फाइज़र, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक के आपात इस्तेमाल की स्वीकृति के आवेदन के बाद, भारत ने इस महीने वैक्सीन रोलआउट की योजना और प्राथमिकता समूहों का ऐलान कर दिया.

यूके में एक नए और अधिक आक्रामक कोविड-19 वैरिएंट का पता चला, जिसके नतीजे में बीमारी को फैलने से रोकने के लिए, 21 दिसंबर को भारत ने वहां से आने वाली उड़ानों पर रोक लगा दी.

24 दिसंबर को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में पहले फेज़ में 51 लाख लोगों को टीके लगाए जाएंगे.

कई राज्यों और केंद्र-शासित क्षेत्रों ने क्रिसमस और नए साल के जश्न को देखते हुए, रात का कर्फ्यू लगा दिया.

29 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि छह यात्री जो हाल ही में यूके से भारत लौटे हैं, नए कोरोनावायरस वैरिएंट के पॉज़िटिव पाए गए हैं.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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