नई दिल्ली: नाश्ते को अक्सर दिन का सबसे महत्वपूर्ण भोजन माना जाता है, जो शरीर को आवश्यक ऊर्जा और पोषक तत्व देता है. लेकिन क्या होगा, जब आप नियमित रूप नाश्ता करना छोड़ देते हैं?
जर्नल ऑफ जनरल इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित चीनी शोधकर्ताओं की एक स्टडी के अनुसार, लगातार नाश्ता न करने से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, जिसमें एसोफैगल, गैस्ट्रिक, कोलोरेक्टल, लीवर, पित्ताशय और एक्स्ट्राहेपेटिक पित्त नली के कैंसर शामिल हैं.
स्टडी मार्च में प्रकाशित हुआ था और इसमें 62,746 प्रतिभागी शामिल थे. सभी प्रतिभागी चीनी नागरिक थे, जो एक बड़े पैमाने की प्रोजेक्ट का हिस्सा थे. इस स्टडी का नाम कैलुआन कोहॉर्ट स्टडी था, जिसका नाम चीन में कोयला खनन समुदाय के नाम पर रखा गया था. प्रतिभागियों ने औसतन 5.6 साल तक इसे फॉलो किया था.
स्टडी के अंत में, प्रतिभागियों में जीआई कैंसर के 369 मामलों की पहचान की गई, जो नाश्ता छोड़ने वाले लोगों में थे.
स्टडी के लेखकों ने कहा, “आदतन नाश्ता न करने से एसोफैगल, गैस्ट्रिक, कोलोरेक्टल, लीवर, पित्ताशय और एक्स्ट्राहेपेटिक पित्त नली के कैंसर सहित जीआई कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.”
दिप्रिंट से बात करने वाले भारत के पोषण विशेषज्ञों और डॉक्टरों ने कहा कि नियमित आधार पर नाश्ता छोड़ना छोटी और लंबी अवधि में कई स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा हुआ है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि स्टडी के निष्कर्षों को एक संदर्भ के रूप में देखा जाना चाहिए.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (आईसीएमआर-एनआईएन) के एक वैज्ञानिक ने कहा, “अब यह एक विरोधाभासी विचार है कि क्या नाश्ता बिल्कुल जरूरी है, खासकर वयस्कों के लिए. लेकिन हमारे पिछले रिसर्च में यह साबित हो चुका है कि यह बच्चों के लिए तो बहुत जरूरी है.” वैज्ञानिक ने अपना नाम नहीं बताने का आग्रह किया था.
उन्होंने आगे कहा, “चीन के स्टडी के निष्कर्ष काफी स्पष्ट हैं और यह समझने के लिए कि नाश्ता छोड़ना कितना हानिकारक हो सकता है, भारत में भी इसी तरह का रिसर्च करना उपयोगी हो सकता है.”
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स्टडी का निष्कर्ष
स्टडी में भाग लेने वाले 62,746 प्रतिभागियों में से 53,796 या 86 प्रतिशत ने प्रतिदिन नाश्ता करने की सूचना दी, जबकि 5,037 या 8 प्रतिशत ने सप्ताह में केवल एक या दो बार नाश्ता करने या नाश्ता न करने की सूचना दी. अंत में 369 लोगों में जीआई कैंसर के मामलों की पहचान की गई. प्रतिभागियों की औसत आयु लगभग 51 वर्ष थी.
नियमित रूप से नाश्ता करने वाले प्रतिभागियों की तुलना में, प्रति सप्ताह 1 से 2 बार नाश्ता करने वाले ग्रुप और नाश्ता न करने वाले ग्रुप में जीआई कैंसर का जोखिम 2.35 गुना और 2.06 गुना बढ़ गया था.
पित्ताशय और एक्स्ट्राहेपेटिक पित्त नली के कैंसर का जोखिम विशेष रूप से अधिक था.
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि प्रति सप्ताह छोड़े गए नाश्ते की संख्या से जीआई कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. जो प्रतिभागी प्रति सप्ताह केवल 1 या 2 बार नाश्ता करते थे, उनमें जीआई कैंसर का खतरा उन लोगों की तुलना में अधिक था, जो हर दिन नाश्ता करते थे.
दिल्ली में मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल और बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी के वरिष्ठ निदेशक डॉ. सज्जन राजपुरोहित के अनुसार नाश्ता न करने से जीआई कैंसर का खतरा बढ़ने की सटीक प्रक्रिया पूरी तरह से समझ में नहीं आती है.
उन्होंने कहा, “हालांकि, शोधकर्ताओं का मानना है कि इसमें कई कारक शामिल हो सकते हैं जैसे कि पुरानी सूजन आदि.”
उन्होंने बताया कि नाश्ता छोड़ने से बल्ड शुगर के स्तर और हार्मोन के स्तर में बदलाव हो सकता है, जो पुरानी सूजन को ट्रिगर कर सकता है और सूजन कैंसर का कारण हो सकता है, क्योंकि रिसर्च के माध्यम से यह पता चल चुका है.
उनके अनुसार, नाश्ता छोड़ने से चयापचय में बदलाव भी हो सकता है, जैसे इंसुलिन प्रतिरोध में वृद्धि और रक्त में लिपिड का स्तर बढ़ जाना, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ सकता है.
इसके अलावा, राजपुरोहित ने कहा, नाश्ता छोड़ने से आंत के माइक्रोबायोम में बदलाव आ सकता है, जो पाचन तंत्र में रहने वाले बैक्टीरिया का समुदाय है. एक स्वस्थ आंत माइक्रोबायोम समग्र स्वास्थ्य और कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है और एक बाधित माइक्रोबायोम को कैंसर के बढ़ते जोखिम से जोड़ा गया है.
ऑन्कोलॉजिस्ट ने कहा कि चीनी स्टडी के निष्कर्ष बताते हैं कि नियमित रूप से नाश्ता करना जीआई कैंसर के खतरे को कम करने का एक महत्वपूर्ण तरीका हो सकता है.
हालांकि, उन्होंने कहा कि इन निष्कर्षों की पुष्टि करने और इसके भीतर के बाकी पहलुओं के बेहतर ढंग से समझने के लिए और अधिक रिसर्च की जरूरत है.
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‘संबंध होना ही एक कारण नहीं है’
केरल के गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और मेडिकल रिसर्चर डॉ. राजीव जयदेवन के अनुसार, हालांकि स्टडी शुरू में चिंताजनक लग सकता है, लेकिन विज्ञान में संबंध होने का मतलब जरूरी नहीं है कि यहीं कारण हो.
उन्होंने कहा, “उदाहरण के लिए, अग्निशामकों को अक्सर आग लगने वाली जगह पर देखा जाता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वहां आग लगती ही हो.”
जयदेवन कहते हैं कि इसी तरह, जिन लोगों को कैंसर हुआ, जरूरी नहीं कि उन्हें नाश्ता छोड़ने के कारण ही कैंसर हुआ हो. इसे मेडिकल आंकड़ों में भ्रमित करना कहा जाता है.
उन्होंने कहा “एक कन्फ़ाउंडर एक छिपा हुआ चर है जो अप्रत्यक्ष रूप से एक अवलोकन से जुड़ा होता है. दूसरे शब्दों में, जो लोग नाश्ता नहीं करते, उन्हें कई अन्य बीमारियां हो सकती है, जो उन्हें कैंसर के खतरे में डालती है.
उन्होंने इसपर भी बात की कि उदाहरण के लिए, अज्ञात कैंसर से पीड़ित व्यक्ति को भूख कम लग सकती है और वह भोजन नहीं करता हो. इस प्रकार उस व्यक्ति को “नाश्ता नहीं करने वाले” के रूप में वर्गीकृत किया गया हो.
इसके अलावा, जो लोग नाश्ता नहीं करते हैं उनमें अन्य स्वास्थ्य संबंधी खतरे भी हो सकते हैं जो उन्हें कैंसर से अधिक खतरे में डालते हैं. उन्होंने कहा, ऐसा हो सकता है कि वे कोयला खदान में रात की शिफ्ट में काम करते हो और लगातार धुएं के संपर्क में रहते हो.
डॉक्टर ने कहा, “हालांकि जापान से पहले भी इसी तरह के निष्कर्ष सामने आए हैं, लेकिन उपलब्ध सबूतों के आधार पर हम किसी भी तरह से यह निष्कर्ष नहीं निकाल सकते कि नाश्ता छोड़ने से सीधे तौर पर कैंसर होगा.”
जयदेवन ने कहा, “ऐसा कहा जा रहा है, यह आम तौर पर स्वीकार किया जाता है कि संतुलित स्वस्थ नाश्ता करना किसी के दिन की शुरुआत करने का सबसे अच्छा तरीका है.”
उन्होंने कहा, “ऐसा इसलिए है क्योंकि रात के खाने के बाद लगभग 8 से 10 घंटे तक कुछ भी नहीं खाया जाता है. नाश्ता दिन की शुरुआत के लिए ऊर्जा और पोषण का तत्काल स्रोत है. यदि कोई लगातार नाश्ता छोड़ना शुरू कर देता है, तो ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि उनमें कोई चिकित्सीय स्थिति विकसित हो गई है जिसके कारण वे ऐसा कर रहे हैं, और इसके लिए जांच की आवश्यकता है.”
(संपादन: ऋषभ राज)
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