नई दिल्ली: निजी क्षेत्र के मजबूत भागीदारों के दम पर कोविड-19 के टीके के एक बड़े हिस्से का विनिर्माण भारत में होने की संभावना है. बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मार्क सुजमैन ने यह टिप्पणी की है.
सुजमैन ने एक साक्षात्कार में कहा कि भारत उपलब्ध संसाधनों के साथ हर वह कदम उठा रहा है, जो वह कोरोनावायरस महामारी की रोकथाम के लिये उठा सकता है.
उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि भारत उपलब्ध संसाधनों के साथ अभी हर वह उपाय कर रहा है, जो किए जाने की जरूरत है. हम सभी उम्मीद कर रहे हैं कि अगले साल तक कुछ टीके तैयार हो जाने चाहिये. हमारी उम्मीद यह भी है कि मजबूत निजी साझेदारों के दम पर इन टीकों के बड़े हिस्से का विनिर्माण भारत में हो सकता है.’
उन्होंने कोविड-19 टीकों के समान वैश्विक वितरण की आवश्यकता को रेखांकित किया.
उन्होंने कहा, ‘हम यह मानते हैं कि टीकों के समान वैश्विक वितरण की आवश्यकता है, इसलिये हम जो कुछ भी कर रहे हैं, वह यह सुनिश्चित करने के लिये है कि विकासशील देशों को अमीर देशों के साथ ही और समान मात्रा में टीके उपलब्ध हो सकें, क्योंकि यह एक वैश्विक महामारी के लिये आवश्यक है.’
उन्होंने कहा कि बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन कोविड-19 का मुकाबला करने के लिये कई स्तरों पर काम कर रहा है.
सुजमैन ने कहा, ‘हम शोध व विकास के लिये समर्थन मुहैया करा रहे हैं. हम कोलिशन फोर एपिडेमिक प्रीपेयर्डनेस इनोवेशन (सीईपीआई) के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जो संभावित टीके में निवेश करने की दिशा में अग्रणी भागीदार है. हमने थेराप्यूटिक एक्सेलेरेटर विकसित किया है, जिसने कोविड-19 के खिलाफ प्रभावी हो सकने वाले उपचारों की खोज में मदद करने के लिये 12.5 करोड़ डॉलर की पूंजी जमा की है.’
फाउंडेशन कोविड-19 के संक्रमण की जांच की दिशा में भी काफी काम कर रहा है. हम कोवैक्स नाम की उस बहुपक्षीय मुहिम का हिस्सा भी हैं, जिसमें भारत भी शामिल है और जिसे वृहद स्तर पर टीके के विकास व वितरण के लिये मिलकर बनाया गया है.