नई दिल्ली: भारत में गुरुवार तक कोविड-19 वैक्सीन की कुल 30,79,48,744 खुराक दी जा चुकी है, हालांकि, बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्य अपनी आबादी के टीकाकरण में काफी पीछे चल रहे हैं.
दिप्रिंट की तरफ से सूचीबद्ध किए गए डाटा के मुताबिक, यदि आबादी के प्रतिशत के लिहाज से टीकाकरण की बात की जाए तो तीन तीन राज्यों का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है. आंकड़े 2011 की जनगणना के मुताबिक जनसंख्या पर आधारित हैं.
बिहार इस तालिका में सबसे नीचे है, जहां गुरुवार तक केवल 1,31,27,210 लोगों को पहली खुराक मिली है. यह आंकड़ा राज्य की कुल आबादी का महज 10.7 फीसदी है. यहां टीके की दोनों खुराक ले चुकी आबादी भी सबसे कम है—21,37,362 यानी कुल आबादी का मात्र 1.74 फीसदी.
करीब 22,96,72,000 लोगों के साथ देश का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य उत्तर प्रदेश भी ऐसी ही चिंताजनक तस्वीर सामने रखता है. राज्य में 2,47,82,239 लोगों को वैक्सीन की पहली खुराक मिली है, जो राज्य की आबादी का करीब 10.7 फीसदी ही है. केवल 1.82 प्रतिशत (41,94,231 लोगों) को ही दूसरी खुराक मिल पाई है.
वहीं, झारखंड में 9,79,456 लोगों या राज्य की आबादी के 2.5 प्रतिशत लोगों का ही पूर्ण टीकाकरण हुआ है जबकि 13.7 प्रतिशत यानी 52,75,892 लोगों को पहली खुराक मिली है.
टीकाकरण में तमिलनाडु और असम का प्रदर्शन भी खराब ही रहा है, उनकी आबादी के करीब 15 प्रतिशत लोगों को पहली खुराक मिली है. इसके अलावा, तमिलनाडु और असम में क्रमशः 3.13 प्रतिशत (23,89,511 लोगों) और 3.25 प्रतिशत (11,36,046 लोगों) को दोनों खुराक मिल चुकी हैं.
गैर-सरकारी संगठन केयर इंडिया में सलाहकार महामारी विशेषज्ञ अरित्रा दास के अनुसार, इन राज्यों में टीकाकरण की कम कवरेज आने वाले समय में वहां कोविड की लहर फैलने का खतरा बढ़ाती है.
हालांकि, उन्होंने कहा कि यह बात जरूर थोड़ी राहत दे सकती है कि इन राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में कवरेज अधिक है.
अरित्रा दास ने दिप्रिंट को बताया, ‘चूंकि घनी आबादी वाले शहरों में बीमारी तेजी से फैलने का खतरा अधिक होता है, इसलिए इन क्षेत्रों में वैक्सीन कवरेज अधिक होना शहरी आबादी से ग्रामीण क्षेत्रों के बीच बीमारी फैलने से रोकने में सहायक बनेगा.’
उन्होंने आगे जोड़ा, फिर भी बेहतर वैक्सीन कवरेज वाले राज्यों को आने वाले महीनों में फायदा होगा.
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सबसे ज्यादा वैक्सीन कवरेज वाले राज्य
लद्दाख, सिक्किम, त्रिपुरा, गोवा और मिजोरम देश में अधिकतम वैक्सीन कवरेज वाले राज्य बनने में कामयाब रहे हैं.
लद्दाख और सिक्किम केवल दो ऐसे क्षेत्र हैं जहां 50 फीसदी से अधिक आबादी को टीके की कम से कम एक खुराक मिल चुकी है. कुल 2,96,000 आबादी वाले लद्दाख में 1,67,571 लोगों को वैक्सीन की पहली खुराक मिली है, जबकि सिक्किम की 6,73,000 की कुल आबादी में यह संख्या 3,49,190 है.
गोवा में 45.8 फीसदी (7,13,714 लोगों) से अधिक आबादी को अब तक कम से कम एक खुराक दी जा चुकी है, जबकि त्रिपुरा ने अपनी कुल आबादी के 45.2 प्रतिशत (18,34,177) को कम से कम एक खुराक के साथ कवर कर लिया है.
मिजोरम में 38.4 फीसदी आबादी यानी 4,65,500 लोगों को पहली खुराक मिल चुकी है.
हालांकि, इन राज्यों में पूर्ण टीकाकरण, यानी दोनों खुराक पाने वाली आबादी का आंकड़ा कम बना हुआ है.
उदाहरण के तौर पर लद्दाख में केवल 13 प्रतिशत से अधिक आबादी को टीके की दोनों खुराकें मिली हैं.
सिक्किम और गोवा में पूर्ण से टीकाकरण वाले लोगों का आंकड़ा कुल आबादी का क्रमशः 9 प्रतिशत और 6.7 प्रतिशत है.
एम्स सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन में प्रोफेसर डॉ. आनंद कृष्णन ने कहा कि दूसरी खुराक लेने में यह अंतर सार्स-कोव-2 वायरस के नए वैरिएंट को उभरने का मौका देता है.
कृष्णन ने दिप्रिंट को बताया, ‘हालांकि, अगर आपको टीकों का सही तरह से उपयोग करना है, तो कुछ मॉडल यह सुझाव देते हैं कि पूरी आबादी के पूर्ण टीकाकरण की तुलना में बड़ी आबादी को पहली खुराक मिलना अधिक महत्वपूर्ण है, खासकर जब आपूर्ति सीमित हो.’
उन्होंने यह भी कहा कि भारत को एक दिन में कोई रिकॉर्ड बनाने की कोशिश करने के बजाये लगातार और स्थिर ढंग से टीकाकरण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
सोमवार को रिकॉर्ड तोड़ 16.9 लाख वैक्सीन खुराक देने वाले राज्य मध्य प्रदेश, जहां अगले महज 4,563 यानी सबसे कम खुराक देने का रिकॉर्ड बना, का उल्लेख करते हुए कृष्णन ने कहा कि राज्यों को अपने संसाधनों के बेहतर प्रबंधन की जरूरत है.
उन्होंने कहा, ‘यह सौ मीटर की दौड़ नहीं है, जहां आपको एक ही दिन में सारी मशक्कत कर डालनी है. यह एक मैराथन है, जिसमें अभी कुछ महीनों आपको लगातार दौड़ना है.’
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