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Saturday, 27 April, 2024
होमहेल्थलैंसेट स्टडी ने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को बच्चों के लिए भी बताया सुरक्षित, WHO ने कहा- सिर्फ एडल्ट्स को देना ठीक

लैंसेट स्टडी ने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को बच्चों के लिए भी बताया सुरक्षित, WHO ने कहा- सिर्फ एडल्ट्स को देना ठीक

यूके के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में कहा गया है कि भारत में कोविशील्ड के रूप में मार्केटिंग की जा रही वैक्सीन, जिस तरह से एडल्ट्स में प्रभावी है वैसे ही ब्चचों में भी एंटीबॉडी बनाती है.

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नई दिल्ली: पिछले हफ्ते द लैंसेट मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि एस्ट्राजेनेका द्वारा निर्मित कोविड वैक्सीन, जिसे भारत में कोविशील्ड के रूप में बेचा जाता है, ‘6-17 वर्ष की आयु के बच्चों में अच्छी प्रतिरक्षात्मक क्षमता को डेवेल्प करता है.’ स्टडी के एक सेक्शन में बताया गया है कि इसमें भी एंटीबॉडी कनसेनट्रेशन को बढ़ावा दिया और यह ठीक वैसा था जैसा वयस्कों के चरण 3 के अध्ययन में पाया गया था. ट्रायल में सेफ्टी को लेकर कोई चिंता का मुद्दा नहीं उठाया गया.

सोमवार को वैक्सीन पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मार्गदर्शन दस्तावेज को अपडेट किया गया, जिसमें इस बात की सिफारिश की गई है कि वैक्सीन का उपयोग फिलहाल व्यस्कों में ही किया जाए. डब्ल्यूएचओ वेबसाइट कहती है: ‘यह वैक्सीन 18 साल से कम उम्र के बच्चों को लगाए जाने की सिफारिश नहीं करती है, अभी इसके कुछ परिणाम और आने हैं ‘

मूल रूप से यूके में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित एस्ट्राजेनेका वैक्सीन, भारत में पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा कोविशील्ड के रूप में बनाई जाती है और इसकी मार्केटिंग की जाती है. देश के अधिकांश देशवासियों को यही वैक्सीन दी गई है.

15 फरवरी और 2 अप्रैल, 2021 के बीच की गई इस लैंसेट स्टडी में, छह से 17 वर्ष की आयु के 262 बच्चों में एस्ट्राजेनेका के ChAdOx1 nCoV-19 वैक्सीन की यह पहली पिडियाट्रिक क्लीनिकल स्टडी की रिपोर्ट है.

इसअध्ययन के लिए एस्ट्राजेनेका और यूके के स्वास्थ्य और सामाजिक देखभाल विभाग द्वारा यूके नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर रिसर्च ने फंड किया था.
‘यह अलग-अलग अंतराल पर ChAdOx1 nCoV-19 के साथ बच्चों और किशोरों के वैक्सीनेशन की पहली स्टडी है जो यह बताती है कि 6 से 17 वर्ष के बच्चों और किशोरों के लिए इम्यूनोजेनिक है. शोधकर्ताओं ने बताया कि जैसा कि एडल्ट्स में पाया गया था ठीक वैसे ही पहली खुराक के बाद दूसरी खुराक के बाद बच्चों में भी रिएक्टोजेनेसिटी कम पाई गई.

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उन्होंने कहा, ‘पहले डोज के बाद कुछ में स्पाइक स्पेसिफिक सेलुलर इम्यून रिस्पांस दिखा. 12-17 वर्ष की आयु के पार्टीसिपेंट्स में 28-दिन के इंटरवल की तुलना में 112-दिन के ह्यूमोरल इम्यूनिटी अच्छी थी.’


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कुछ हल्के और प्रतिकूल प्रभाव

अध्ययन में बताया गया कि इंजेक्शन लगाई गई जगह पर दर्द महसूस किया. थकान और सिरदर्द भी आम थे, लेकिन ज्यादातर वैक्सीनेशन के 48 घंटों के भीतर ही ठीक हो गए.

’12-17 वर्ष की आयु के 120 पार्टीसिपेंट्स में से उन्नीस (16 प्रतिशत) और 6-11 वर्ष की आयु के 90 पार्टीसिपेंट्स में से 42 (47 प्रतिशत) ने पहली डोज लेने के बाद बुखार (तापमान 38 डिग्री सेल्सियस) की सूचना दी. इसमें बताया गया है कि जब इसी वर्ग को दूसरी डोज दी गई तो 12-17 वर्ष के 113 किशोरों में महज 1 (1%) ने बुखार या किसी तरह के दर्द की शिकायत की जबकि यंगर ग्रुप के 80 में से 12 बच्चों ने यानी 15 फीसदी में एडवर्स इफेक्ट देखने को मिले.

‘ChAdOx1 nCoV-19 प्राप्त करने वाले 6-11 वर्ष की आयु के एक पार्टिसिपेंट ने पहले डोज के बाद पहले दिन 40 · 2 डिग्री सेल्सियस के 4 डिग्री बुखार की सूचना दी, जो 24 घंटों के भीतर ही ठीक कर लिया गया .’

अध्ययन के अनुसार, पहली खुराक के बाद दूसरी खुराक लेने वालों में कम एडवर्स इफेक्ट देखने को मिले.

28 अक्टूबर, 2021 तक, विशेष रुचि की चार एडवर्स घटनाओं (SARS-CoV-2 संक्रमण के अलावा) की सूचना दी गई थी, केवल एक घटना – हल्के लिम्फैडेनोपैथी – को संभवतः वैक्सीन की स्टडी (यानी एस्ट्राजेनेका की ChAdOx1 nCoV-19) से संबंधित माना जाता है. चार गंभीर एडवर्स घटना की सूचना दी गई थी लेकिन इनमें से किसी को भी अध्ययन के टीके से संबंधित नहीं माना गया था.


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