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Friday, 26 April, 2024
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केरल में निपाह की वापसी, 2018 में राज्य में 17 लोगों की जान लेने वाला यह वायरस आखिर क्यों घातक है

निपाह वायरस के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, खांसी, गले में खराश, सांस लेने में कठिनाई और उल्टियां आदि शामिल हैं. निपाह के 40 से 75 प्रतिशत मामलों में मौत हो सकती है.

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नई दिल्ली: केरल के कोझिकोड जिले में रविवार को निपाह वायरस से 12 वर्षीय एक लड़के की मौत ने फिर संक्रमण फैलने के खतरे की घंटी बजा दी है, राज्य में 2018 में इस वायरस के प्रकोप के दौरान 17 लोगों की जान चली गई थी.

बच्चे की मौत की घटना सामने आने के तुरंत बाद केंद्र सरकार के स्वास्थ्य अधिकारी कोझिकोड के चथमंगलम गांव पहुंचे और मृतक के परिवार से मिले. उन्होंने निपाह के टेस्ट के लिए पशुओं और फलों के नमूने भी जुटाए.

तीन साल पहले कोझिकोड और मलप्पुरम जिलों में वायरस का प्रकोप हुआ था और एक समय में लगभग 3,000 लोग क्वारेंटाइन में थे.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दक्षिण भारत में निपाह वायरस के कहर का यह पहला मौका था. इससे पहले पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी (2001) और नादिया (2007) जिलों में इसका संक्रमण फैला था.

2019 में केरल के एर्नाकुलम जिले में भी एक मामला सामने आया था लेकिन इसके बाद न कोई और मामला सामने आया और न ही कोई मौत हुई.

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निपाह क्या है

निपाह एक जूनोटिक वायरस है जो जानवरों से मनुष्यों में फैलता है और तीव्र फेब्राइल इंसेफेलाइटिस का कारण बनता है, एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें कोई व्यक्ति गंभीर रूप से मानसिक अस्थिरता से पीड़ित हो सकता है.

वायरस आमतौर पर जीनस टेरोपस या फ्रूट बैट कहे जाने वाले चमगादड़ों या सूअरों में पाया जाता है. करेंट इंफेक्शियस डिजीज रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित 2006 के एक पेपर में कहा गया है कि निपाह के 40 से 75 प्रतिशत मामलों में मौत हो सकती है.

निपाह वायरस: प्रभाव, उत्पत्ति और उभरने के कारण ’ शीर्षक वाले इस पेपर के मुताबिक, ‘यह जीनस पहली बार 1994 में ऑस्ट्रेलिया में हेंड्रा वायरस के तौर पर उभरा था.’

इसके बाद 1998 और 1999 में मलेशिया में इस वायरस का प्रकोप फैला. 2001 और 2005 के बीच बांग्लादेश में कम से कम पांच बार प्रकोप फैलने के लिए भी निपाह वायरस ही जिम्मेदार था.

मलेशिया में संक्रमण मुख्यत: सूअरों के संपर्क में आने के कारण हुआ, जबकि बांग्लादेश और भारत में इसका प्रकोप फलों या फलों के उत्पादों के कारण हुआ जो फ्रूट बैट के कारण दूषित हो गए थे.


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लक्षण, ट्रांसमिशन और उपचार

निपाह वायरस के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, खांसी, गले में खराश, सांस लेने में कठिनाई और उल्टियां आदि शामिल हैं. अधिक गंभीर मामलों में रोगी को मानसिक भ्रम, दौरे, कोमा और मस्तिष्क में सूजन आदि की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है.

यह वायरस सीधे तौर पर संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने, संक्रमित जानवरों द्वारा दूषित किए गए खाद्य उत्पादों के सेवन के साथ-साथ संक्रमित व्यक्ति या उनके शरीर के तरल पदार्थ- जिसमें सांस लेने के दौरान निकली बूंदें या मूत्र अथवा रक्त शामिल हैं- के निकट संपर्क में आने से भी फैल सकता है.

संक्रमण का इलाज एक चुनौती बना हुआ है क्योंकि लक्षण बहुत ज्यादा अलग किस्म के नहीं होते हैं. आमतौर पर संक्रमण का पता लगाने के लिए रीयल टाइम पॉलीमरेज चेन रिएक्शन या आरटी-पीसीआर टेस्ट, जो कोविड-19 का पता लगाने के लिए गोल्ड स्टैंडर्ड है, का इस्तेमाल किया जाता है.

मौजूदा समय में निपाह वायरस के लिए कोई उपचार या टीके उपलब्ध नहीं हैं, इलाज के लिए केवल लक्षणों के आधार पर गहन चिकित्सकीय देखभाल की सिफारिश की जाती है.


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केरल में मौजूदा स्थिति

12 वर्षीय लड़के की मौत के बाद वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए पशुपालन विभाग के अधिकारियों को तत्काल कोझिकोड जिले के छठमंगलम गांव में तैनात कर दिया गया. पशुओं के साथ-साथ फलों के भी नमूने लिए गए हैं.

मातृभूमि में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, लड़के के घर में एक बकरी में भी पाचन संबंधी समस्या पाई गई है, जो संभवत: निपाह वायरस के कारण हो सकती है. यह संदेह भी है कि दूषित रामबूटन फल भी प्रकोप की वजह हो सकता है.

बच्चे से संपर्क में आने वाले लोगों की संख्या निर्धारित करने के लिए संक्रमण की टाइमलाइन और रूट मैप का भी पता लगाया गया है.

तमिलनाडु में भी प्रशासन अलर्ट है और सभी सीमावर्ती जिलों में स्क्रीनिंग बढ़ा दी गई है.

तमिलनाडु के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मा. सुब्रमण्यम ने कहा, ‘हम केरल की सीमा से लगे नौ जिलों की निगरानी पहले से ही कर रहे हैं. हम जीका वायरस के प्रसार पर जिलों में घर-घर जागरूकता अभियान चला रहे हैं…निपाह वायरस के मद्देनजर जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को हमने फीवर कैंप आयोजित करने जैसे उपायों में तेजी लाने की सलाह जारी की है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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