scorecardresearch
Friday, 15 November, 2024
होमहेल्थUS कंपनी का दावा- 'री-इंजीनियर्ड टी-सेल्स' से रिलैप्स्ड मल्टिपल मायलोमा की थेरेपी में सफलता मिली

US कंपनी का दावा- ‘री-इंजीनियर्ड टी-सेल्स’ से रिलैप्स्ड मल्टिपल मायलोमा की थेरेपी में सफलता मिली

फार्मा दिग्गज ब्रिस्टल मायर्स स्क्विब और पार्टनर 2सेवेंटी बायो का कहना है कि उन्होंने इलाज का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. इसका मकसद मरीज के इम्यून सिस्टम को बेहतर तरीके से काम करने के लिए प्रोत्साहित करना है.

Text Size:

नई दिल्ली: अमेरिकी फार्मा दिग्गज ब्रिस्टल मायर्स स्क्विब ने अपने पार्टनर 2सेवेंटी बायो के साथ घोषणा की है कि उसने मल्टीपल मायलोमा के इलाज को लेकर इंसानों में एक प्रकार की थेरेपी का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है जो बोन मैरो में स्टेम सेल से विकसित मानव टी कोशिकाओं को रि-इंजीनियर्ड करने पर आधारित है.

मल्टीपल मायलोमा बोन मैरो में पाई जाने वाली कोशिकाओं का एक ब्लड कैंसर है.

कंपनी ने दावा किया है कि थेरेपी – जिसे ‘एबेक्मा’ (idecabtagene vicleucel) कहा जाता है – रिलैप्स्ड मल्टीपल मायलोमा के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मानक उपचारों की तुलना में काफी बेहतर परिणाम दिखाती है. यह निष्कर्ष KarMMA-3 के परिणाम थे, जो कि एक स्टेज 3, ग्लोबल, ओपन-लेबल अध्ययन, और मल्टीपल मायलोमा में ‘CAR T सेल थेरेपी’ का मूल्यांकन करने वाला पहला रेंडेमाइज्ड क्लीनिकल ट्रायल है.

ब्रिस्टल मायर्स स्क्विब और 2सेवेंटी बायो के अनुसार, अध्ययन ने मल्टी मायलोमा वाले वयस्कों के इलाज के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले स्टैंडर्ड कॉम्बिनेशन रेजिमन तरीके से इलाज की तुलना में एबेक्मा का मूल्यांकन किया तो इसे ज्यादा प्रभावी पाया गया. स्टैंडर्ड कॉम्बिनेशन रेजिमन के बाद दो से चार चरण बाद ही ये मरीज पर बेअसर होने लगता था. जबकि एबेक्मा के साथ ऐसा नहीं है.

CAR T या काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर टी सेल एक रिइंजीनियर्ड मानव टी सेल है जिसे कैंसर के मरीज के शरीर से निकाल दिया जाता है और लैब में संशोधित किया जाता है ताकि उस विशिष्ट प्रकार के कैंसर को पहचाना जा सके और उसका इलाज किया जा सके. इसका मकसद मरीज की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को अधिक कुशलता से कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना है और यह कैंसर इम्यूनोथेरेपी का अंतिम रूप है, जिसे मरीज को दिया जाता है.

2018 में इम्यूनोलॉजिस्ट जिम एलिसन को मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार दिया गया था. उन्होंने ट्यूमर की बजाय अधिक कुशलता से काम करने के लिए इम्यून सिस्टम पर ध्यान देकर कैंसर के इलाज का एक तरीका तैयार किया था.

इस सप्ताह की शुरुआत में जारी एक बयान में, ब्रिस्टल मायर्स स्क्विब और 2सेवेंटी बायो ने कहा कि एक स्वतंत्र समीक्षा समिति के जरिए किए गए ‘ प्री-स्पेसिफाइड अंतरिम विश्लेषण’ से पता चला है कि KarMMA-3 के अंतिम चरण में मरीज में महत्वपूर्ण सुधार देखे गए- कैंसर के उपचार के दौरान और उसके बाद भी मरीजों पर इसका दुष्प्रभाव नहीं दिखा था.

बयान में आगे कहा गया है कि एबेक्मा के साथ किए गए इलाज में ‘स्टैंडर्ड कॉंबिनेशन रेजिमन की तुलना में दूसरे चरण में रिस्पांस रेट में सुधार नजर आया.’


यह भी पढ़ें: येल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने सूअरों के मरने के कुछ घंटे बाद फिर से धड़काया उनका दिल


एबेक्मा को अमेरिका में मिली मंजूरी

प्रेस बयान के अनुसार, एबेक्मा ‘प्रथम श्रेणी में बी-सेल मैचुरेशन एंटीजन (बीसीएमए) -निर्देशित सीएआर टी सेल इम्यूनोथेरेपी’ है जिसे अमेरिका में उन वयस्क रोगियों के इलाज के लिए अनुमोदित किया गया है. जो रिलेप्सड या रिफ्रेक्टरी मल्टीपल मायलोमा के इलाज के लिए चार या उससे ज्यादा थैरेपी से गुजर चुके हैं, जिसमें ‘एक इम्यूनोमॉड्यूलेटरी एजेंट, एक प्रोटीसम इनहिबिटर और एक एंटी-सीडी 38 मोनोक्लोनल एंटीबॉडी शामिल है.

परंपरागत रूप से, कैंसर इम्यून थेरेपी में ट्रायल के अंत में सुधार की बजाय विकसित होने की प्रक्रिया और जीवन की गुणवत्ता जैसे मानदंडों से निपटते हैं.

परीक्षण में एबेक्मा लेने वाले मरीजों में कुछ सामान्य साइड इफेक्ट पाए गए, जिसमें साइटोकाइन रिलीज सिंड्रोम (सीआरएस) – एक एक्यूट सिस्टेमिक इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम – 85 प्रतिशत मरीजों में नजर आया था. जबकि 70 प्रतिशत मामलों में अन्य संक्रमण नजर आए थे.

ब्रिस्टल मायर्स स्क्विब के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और सेल थेरेपी विकास के प्रमुख ऐनी केर्बर ने कहा, KarMMA-3 अध्ययन के परिणाम साफ तौर पर मल्टीपल माइलोमा के इलाज के पहले चरण में CAR T सैल थेरेपी के इस्तेमाल से क्लीनिकल लाभ को दिखाते हैं.

केर्बर ने कहा, ‘यह डेटा सेल थेरेपी की पूरी क्षमता को अनलॉक करने के लिए हमारी कमिटमेंट को मजबूत बनाता है क्योंकि हम विज्ञान के जरिए ब्लड कैंसर के नए इलाज और मरीजों के जीवन को बदलने का प्रयास करते हैं.’

स्टीव बर्नस्टीन, एम.डी., मुख्य चिकित्सा अधिकारी, 2सेवेंटी बायो, ने कहा कि ये नतीजे मरीजों के लिए पहले के इलाज के लिए एबेक्मा का इस्तेमाल करने के कंपनी के प्रयासों को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे.

उन्होंने कहा कि कंपनी नियामक अधिकारियों के साथ इन परिणामों पर चर्चा करने की उम्मीद कर रही है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: विश्व रैंकिंग में IITs, IIMs को पीछे छोड़ते हुए IISc शीर्ष पर कैसे बना रहता है


 

share & View comments