नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के नए स्वास्थ्य मंत्री पंकज कुमार सिंह ने दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली सरकार की सफलता की कहानी के रूप में प्रचारित मोहल्ला क्लीनिकों को न तो रीब्रांड किया जाएगा और न ही जारी रखा जाएगा.
हालांकि, मंत्री ने यह स्पष्ट नहीं किया कि मोहल्ला क्लीनिकों को पूरी तरह से खत्म किया जाएगा या नहीं.
उन्होंने कहा कि नई सरकार का मोहल्ला क्लीनिकों से कोई लेना-देना नहीं होगा.
उन्होंने सोमवार को कहा, “मोहल्ला क्लीनिक प्रोजेक्ट में बुनियादी रूप से खामियां हैं. ये क्लीनिक सिर्फ टिन के डिब्बे हैं — इनमें सरकार का निवेश कहां है? क्या हमें इस तरह की सुविधा प्रदान करनी चाहिए, ताकि करोड़ों के बिलों का औचित्य सिद्ध हो सके?”
सिंह ने कहा कि करीब 240 मोहल्ला क्लीनिक अब काम नहीं कर रहे हैं. “वह किराए की ज़मीन पर हैं और उन्हें काफी वित्तीय घाटा हुआ है.” यह पूछे जाने पर कि क्या कोई क्लीनिक चालू रहेगा, उन्होंने कहा कि इसका फैसला दिल्ली कैबिनेट करेगी.
स्वास्थ्य मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि AAP के मोहल्ला क्लीनिक और दिल्ली सरकार के आयुष्मान आरोग्य मंदिर पूरी तरह से अलग-अलग संस्थाएं हैं. उन्होंने कहा, “यह दो अलग-अलग चीज़ें हैं और हम जो शुरू करने की योजना बना रहे हैं, वह पूरी तरह से अलग होगी. हम अपनी सरकारी ज़मीनों पर आयुष्मान मंदिर बनाएंगे.”
पिछले महीने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में केजरीवाल सरकार के स्वास्थ्य मॉडल में बड़ी खामियों और बुनियादी ढांचे की विफलताओं का उल्लेख किया गया था. रिपोर्ट में पाया गया कि 70 प्रतिशत रोगियों को एक मिनट से भी कम समय में परामर्श मिला, जबकि 18 प्रतिशत मोहल्ला क्लीनिक बंद थे. ऑडिट के दौरान, डॉक्टरों की भारी कमी और प्रशासनिक चुनौतियों के कारण 218 में से 41 क्लीनिक बंद पाए गए.
AAP सरकार ने मार्च 2017 तक 1,000 मोहल्ला क्लीनिक खोलने का टारगेट रखा था, लेकिन मार्च 2023 तक केवल 523 ही खुले, जो लक्ष्य का मात्र 53 प्रतिशत है.
कई क्लीनिकों में पीने के पानी, शौचालय और अग्निशामक यंत्र जैसी बुनियादी सुविधाएं मौजूद नहीं थे, जबकि कुछ में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए रैंप नहीं थे. रिपोर्ट के अनुसार, कई क्लीनिकों में दवाओं की स्टोरेज के लिए जगह कम थी और कई में पल्स ऑक्सीमीटर, ग्लूकोमीटर और थर्मामीटर जैसे ज़रूरी मेडिकल टूल मौजूद नहीं थे.
सिंह ने जनता से एक नए पायलट प्रोजेक्ट के लॉन्च के लिए 100 दिन तक इंतज़ार करने का भी आग्रह किया, जो उनके अनुसार, दिल्ली की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में परिवर्तनकारी बदलाव लाएगा. उन्होंने कहा, “आप 100 दिनों में दिल्ली को बदलते हुए देखेंगे.”
दिल्ली में अब भाजपा के सत्ता में आने के साथ ही, राजधानी में जल्द ही आयुष्मान भारत योजना शुरू होने वाली है. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने दिप्रिंट को बताया कि समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर हो चुके हैं और इसे केंद्र सरकार को भेज दिया गया है.
दिप्रिंट ने पहले रिपोर्ट की थी कि कई बड़े प्राइवेट अस्पताल इस योजना में शामिल होने के लिए अनिच्छुक थे क्योंकि उन्हें कम प्रतिपूर्ति दरों और भुगतान में देरी की चिंता थी और उन्होंने इसे “अस्थायी मॉडल” कहा था.
इन चिंताओं को देखते हुए मंत्री ने कहा कि इलाज की दरें तय करना और सख्त नीतियां लागू करना शायद सभी को पसंद न आए. उन्होंने कहा, “आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटे की तरह, मैंने ज़रूरतमंदों तक लाभ पहुंचाने के लिए सख्त उपाय लागू किए हैं (अस्पतालों में अपने दो कर्मचारियों को नियुक्त किया है). कुछ लोग बदलाव का विरोध कर सकते हैं, लेकिन यह मानव स्वभाव है. आयुष्मान भारत एक 100 प्रतिशत टिकाऊ मॉडल है जो पूरे भारत में सफलतापूर्वक चल रहा है और लाखों लोगों को लाभ पहुंचा रहा है.”
सिंह ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करने पर फोकस करने की ज़रूरत पर बल दिया.
उन्होंने कहा, “मेरी जानकारी के अनुसार, अभी तक कोई डेटा मौजूद नहीं है, लेकिन हमें जच्चा-बच्चा जीवन अस्पताल (प्रसूति/बाल चिकित्सा अस्पताल) शुरू करना चाहिए, जिन्हें पिछली सरकार ने नज़रअंदाज़ कर दिया था. इससे बच्चों के लिए उचित टीकाकरण और गर्भवती महिलाओं के लिए बेहतर सुविधाएं सुनिश्चित होंगी, जिनके लिए कई घोषणाएं की गई हैं.”
अपने व्यापक स्वास्थ्य सेवा दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए सिंह ने ज़रूरी दवाएं, क्वालिटी ट्रीटमेंट और डे-केयर सर्विस देने के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, “मरीजों को डॉक्टरों और कर्मचारियों दोनों से उचित देखभाल मिलनी चाहिए. इसके अलावा, एक डेंटल सर्जन के रूप में, मेरा दीर्घकालिक लक्ष्य दिल्ली के सरकारी अस्पतालों की प्रतिष्ठा को 2000 के दशक की शुरुआत में बहाल करना है.”
दिल्ली सरकार के अस्पतालों और डिस्पेंसरियों के लिए दवाइयों की खरीद के लिए जन औषधि योजना शुरू करने के लिए केंद्र के साथ एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए जाएंगे. इस योजना का उद्देश्य जन औषधि केंद्रों के रूप में जाने जाने वाले समर्पित आउटलेट के माध्यम से सस्ती कीमतों पर उच्च गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराना है.
मंत्री ने टिप्पणी की, “हम सरकार-से-सरकार समझौते के माध्यम से कम दरों पर दवाएं खरीद रहे हैं, जिससे भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश नहीं है. क्या AAP ऐसा कर सकती है?”
इसके अलावा, डेंटल केयर तक पहुंच में सुधार के लिए दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में 10 मोबाइल डेंटल हेल्थ वैन शुरू की जाएंगी. सिंह ने कहा, “यह वैन चार दिनों में काम करना शुरू कर देंगी.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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