नई दिल्ली: दिल्ली में शनिवार सुबह तीन जगह किए गए ड्राई रन के मुताबिक एक व्यक्ति को कोविड-19 टीका लगवाने में औसतन 40 मिनट का समय लगेगा.
कम से कम 15 प्रशिक्षित टीका अधिकारियों ने केंद्रीय, दक्षिणी-पश्चिमी और शाहदरा ज़िलों में ड्राई रन को अंजाम दिया, जिसकी प्रक्रिया में स्वास्थ्य सेवा से जुड़े 75 वर्कर्स भी शामिल थे. दिल्ली में ये तीन जगहें थीं- दक्षिण पश्चिम ज़िले में वेंकटेश्वर अस्पताल, शाहदरा में गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल और केंद्रीय ज़िले के दरियागंज में शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा केंद्र.
टीमें अपनी जगहों पर सुबह 8.15 बजे पहुंच गईं थीं लेकिन प्रक्रिया 9 बजे शुरू हुई और शनिवार दोपहर तक चलती रही.
ड्राई रन देशभर के तमाम राज्यों व केंद्र-शासित क्षेत्रों में किया गया, बुनियादी रूप से को-विन पोर्टल को टेस्ट करने के लिए जिसका इस्तेमाल असली मुहिम के दौरान लाभार्थियों के पंजीकरण में किया जाएगा.
ये इस तरह का दूसरा अभ्यास था- एक ड्राई रन 28 व 29 दिसंबर को असम, आंध्र प्रदेश, पंजाब और गुजरात में किया गया था.
हर बूथ पर तीन टीका कक्ष
हर ड्राई वैक्सीन रन के टेस्ट लाभार्थियों में 25 स्वास्थ्य सेवा कर्मी भी शामिल थे. प्रक्रिया को लागू करने के लिए पांच-पांच टीका अधिकारियों की टीमें गठित की गईं थीं.
टीम में दो अधिकारी, एक सहायक नर्स दाई (एएनएम) जिसने टीका लगाया, एक सिविल डिफेंस वॉलंटियर (सीडीवी), और पंजीकरण के लिए एक डेटा एंट्री ऑपरेटर शामिल था.
जीटीबी अस्पताल में ड्राई रन के दौरे पर पता चला कि हर जगह पर तीन कमरे होंगे- प्रतीक्षा कक्ष, टीका कक्ष और पर्यवेक्षक कक्ष.
शुरू में सिविल डिफेंस वॉलंटियर प्रवेश द्वार पर थर्मल स्कैनिंग करते हैं जिसके बाद लाभार्थी अपनी डिटेल्स साझा करते हैं और टीका लगने वाले लोगों की लिस्ट में नाम होने पर ही उन्हें अंदर आने दिया जाता है. अंदर आ जाने के बाद, टेस्ट लाभार्थियों को एक वेटिंग रूम में बिठाया जाता है.
उसके फौरन बाद, लाभार्थी पंजीकरण के लिए डेटा एंट्री ऑपरेटर के पास जाता है, जो को-विन एप्लिकेशन में उसकी डिटेल्स डालता है. पोर्टल के अंदर सभी लाभार्थियों की डिटेल्स रहती हैं.
इसके बाद, लाभार्थी मुख्य टीका कक्ष में दाखिल होता है, जहां एक प्रशिक्षित अधिकारी उसे टीका लगाता है, जिसे कोल्ड चेन बक्सों में एक निश्चित तापमान पर रखा जाता है.
ये काम हो जाने के बाद लाभार्थी को, एक ऑब्ज़रवेशन रूम में रखा जाता है, जहां उन्हें 30 मिनट बिठाकर देखा जाता है कि कहीं कोई दुष्प्रभाव तो सामने नहीं आता. अगर कोई परेशानी नहीं है तो उसे फौरन छुट्टी देकर, उस जगह को खाली करा लिया जाता है. किसी स्वास्थ्य इमरजेंसी या टीका लगाए जाने के बाद दुष्प्रभाव (एईएफआई) की सूरत में, ज़िला स्तर पर इस काम के लिए गठित टीमें बुलाई जाती हैं. इन टीमों में चिकित्सा अधिकारी और एंबुलेंस ड्राईवर्स होते हैं, जिनसे तुरंत संपर्क किया जाता है. संकेतकों और निशानात के ज़रिए लाभार्थियों से, एक कमरे से दूसरे कमरे में जाते समय, सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने का अनुरोध किया जाता है.
ज़िला मजिस्ट्रेट शाहदरा संजीव कुमार, जो उस जगह मौजूद थे, ने दिप्रिंट से कहा, ‘मेरी टीम भी यहां सुनिश्चित करने आई है कि सुरक्षा के बंदोबस्त पर्याप्त रहें’. उन्होंने आगे कहा कि कोल्ड चेन प्वॉइंट्स और वैक्सीन ट्रांसपोर्टेशन, पूरी प्रक्रिया के लिए ज़रूरी हैं.
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रन का लक्ष्य संभावित चुनौतियों को जांचना
ड्राई रन का इस्तेमाल फील्ड वातावरण में, को-विन एप्लिकेशन की परिचालन व्यवहार्यता की जांच करने और ये देखने के लिए किया गया कि योजना और उसके कार्यान्वयन में कोई अंतर तो नहीं है.
को-विन वो एप्लीकेशन है जिसमें दिल्ली की तीनों जगहों के डेटा ऑपरेटर्स, उस व्यक्ति का डेटा दाखिल करेंगे, जिसे मॉक-ड्रिल के दौरान टीका लगाया जाएगा.
दक्षिण-पश्चिम दिल्ली ज़िले में, जहां वेंकटेश्वर अस्पताल में टीका अभियान चलाया जाएगा, ज़िला टीकाकरण अधिकारी डॉ मोनिका ने कहा: ‘विचार ये है कि ज़िला स्तर, राज्य स्तर और केंद्र सरकार की टीमों के बीच, ड्राई रन के लिए स्पष्ट तालमेल सुनिश्चित किया जा सके’.
कोडाली के सब-डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट अरविंद राणा, जो दरियागंज डिस्पेंसरी पर प्रक्रिया की निगरानी कर रहे थे, ने बताया कि उन्होंने शनिवार को कुछ टीचर्स को बतौर वॉलंटियर्स लिया था ताकि उपयुक्त सोशल डिस्टेंसिंग रखी जा सके.
राणा ने आगे कहा, ‘लेकिन मीडिया की भारी मौजूदगी के चलते यहां भीड़ जमा हो गई, इसलिए हम सुनिश्चित करेंगे कि असली टीकाकरण के दिन ऐसा न हो.
सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट में एक आंगनवाड़ी वर्कर रानी, जो दरियागंज डिस्पेंसरी पर एक टेस्ट लाभार्थी थीं, ने कहा कि शुरू में थोड़ी घबराहट महसूस करना स्वाभाविक है.
रानी ने दिप्रिंट से कहा, ‘लेकिन ईमानदारी से कहूं तो मैं टीका लगवाने के लिए बहुत बेकरार हूं, चूंकि मैं पहले दिन से ही ड्यूटी पर हूं और मुझसे ज़्यादा ये मेरे परिवार की सुरक्षा के लिए है’.
दरियागंज क्लीनिक इंचार्ज डॉ शीतल ने कहा, ‘हमें लाभार्थियों को सलाह मश्विरा भी देना पड़ता है, चूंकि उनमें बहुत से घबरा जाते हैं’.
मेडिकल इमरजेंसी से निपटने के लिए डेमो
स्वास्थ्य अधिकारियों ने क्लीनिक पर एक प्रदर्शन भी आयोजित किया, जिसमें एक टेस्ट लाभार्थी को टीका लगने के कुछ मिनट बाद, ‘बेहोश’ होने के लिए कहा गया. ऐसा एईएफआई प्रक्रिया को परखने और इमर्जेंसी टीम तथा एंबुलेंस का, रेस्पॉन्स टाइम देखने के लिए किया गया.
ये पूछने पर कि क्या वो टीका लगवाएंगी, वेंकटेश्वर अस्पताल की एक नर्स किरना कुमारी ने कहा: ‘हर दवा का एक साइड इफेक्ट होता है. हो सकता है इसका भी हो, हो सकता है ना भी हो. अभी हम कुछ नहीं कह सकते. मैं उसे लगवाउंगी’.
वेंकटेश्वर अस्पताल में जो एक निजी सुविधा है, ड्राई रन तीन दिन की प्रक्रिया थी. मुख्य ज़िला चिकित्सा अधिकारी (दक्षिण पश्चिम) डॉ अंजना कौशल ने कहा, ‘पहले दिन, जो 31 दिसंबर था, हमें एक यूज़र आईडी मिली, जिसके ज़रिए हमें लाभार्थियों की जानकारियां अपलोड करनी थीं. उस दिन एक बजे हमने वैक्सीन को ज़िले के कोल्ड चेन प्वॉइंट में भेज दिया. अगले दिन तक, जो आज है, हमने को-विन एप्लीकेशन पर अपने 25 लाभार्थी पंजीकृत कर दिए थे. चूंकि ये एक निजी अस्पताल है, इसलिए कोल्ड चेन प्वॉइंट से सुबह 8 बजे तक हमारे यहां वैक्सीन पहुंच गई’.
दक्षिण पश्चिम दिल्ली के ज़िला मजिस्ट्रेट नवीन अग्रवाल, जो वेंकटेश्वर अस्पताल में प्रक्रिया की निगरानी कर रहे थे, ने कहा, ‘हम लोगों को छोटे समूहों में बुलाएंगे. जैसे आज हमने छह छह लोगों को बुलाया, जिनकी टीका अधिकारी ने जांच की’.
उन्होंने आगे कहा, ‘मुख्य चुनौती ये है कि हमने पहले ही सरकार और निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य सेवा कर्मियों का ब्यौरा, टीके के लिए को-विन पोर्टल पर अपलोड कर दिया था’. उन्होंने ये भी कहा, ‘लाभार्थियों की संख्या काफी है. हमारे ज़िले में ही, 17,000 से अधिक लाभार्थियों की डिटेल्स अपलोड की गई हैं’.
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अफवाहों पर कान न धरें: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने वैक्सीन की तैयारियों का जायज़ा लेने के लिए पहले जीटीबी अस्पताल और उसके बाद, दरियागंज डिस्पेंसरी का दौरा किया.
वो सुबह 9.30 बजे जीटीबी अस्पताल पहुंचे, जहां उन्होंने करीब दस मिनट तक सुविधा का मुआयना किया, उसके बाद थोड़ी देर के लिए मीडिया से बातचीत हुई और बाद में उन्होंने दरियागंज के क्लीनिक का भी दौरा किया.
मीडिया से बात करते हुए डॉ हर्षवर्धन ने कहा: ‘मैं लोगों से अपील करता हूं कि अफवाहों पर कान न धरें. वैक्सीन की सुरक्षा और असर को सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है. पोलियो टीकाकरण के दौरान भी अलग तरह की अफवाहें फैलाई गईं थीं लेकिन लोगों ने टीके लगवाए और भारत आज पोलियो-मुक्त है’.
उन्होंने ये भी कहा कि पिछले महीने, चार राज्यों में कराए गए ड्राई रन का फीडबैक भी, शनिवार को हुए टीका अभियान की गाइडलाइन्स में शामिल किया गया. मंत्री ने कहा, ‘असली वैक्सीन को छोड़कर ड्रिल के दौरान हर प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है’.
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने भी बंदोबस्त का जायज़ा लेने के लिए सुबह 10 बजे सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट डिस्पेंसरी का दौरा किया.
ड्राई रन के नतीजों पर चर्चा के लिए, ज़िला स्तर पर समीक्षा बैठकें की जाएंगी जिसके बाद दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी ज़िला अधिकारियों के साथ वीडियो कॉनफ्रेंस करेंगे, ताकि सामने आई किसी भी खामी को दूर किया जा सके. अंत में उसी दिन बाद में वीडियो कांफ्रेंस के ज़रिए केंद्र सरकार के पदाधिकारियों को भी इसके नतीजों से अवगत करा दिया जाएगा.
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