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Thursday, 14 November, 2024
होमहेल्थकर्नाटक के स्कूल-कॉलेजों में बने 4 COVID क्लस्टर, SDM कॉलेज में 281 मामले, CM ने दिए समीक्षा के आदेश

कर्नाटक के स्कूल-कॉलेजों में बने 4 COVID क्लस्टर, SDM कॉलेज में 281 मामले, CM ने दिए समीक्षा के आदेश

पॉज़िटिव पाए गए अधिकतर लोग बिना लक्षण वाले हैं, लेकिन राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ के सुधाकर का कहना है, कि ओमिक्रॉन वेरिएंट की चिंता के मद्देनज़र नमूनों को जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा गया है.

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बेंगलुरू: पिछले एक सप्ताह में कर्नाटक में कोविड-19 के चार नए क्लस्टर मिलने से ख़तरे की घंटी बजनी शुरू हो गई है. इन क्लस्टर्स की ख़बरें धारवाड़, बेंगलुरू ग्रामीण, बेंगलुरू शहरी तथा मैसुरू ज़िलों के स्कूल व कॉलेजों से आई हैं.

क्लस्टर्स को लेकर चिंता जताए जाने के बाद मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने शनिवार शाम को राज्य में कोविड की स्थिति पर एक समीक्षा बैठक बुलाई है.

अकेले धारवाड़ के एसडीएम कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज़ में शुक्रवार रात तक कोविड-19 मामलों की संख्या 281 पहुंच गई थी और अधिक टेस्ट कराए जा रहे हैं.

उपायुक्त नितीश पाटिल ने शनिवार को धारवाड़ में पत्रकारों को बताया, ‘शुक्रवार को क़रीब 99 लोग पॉज़िटिव पाए गए, जिससे ये संख्या 281 पहुंच गई. केवल छह मामले लक्षण वाले हैं’.

14 नवंबर को कॉलेज के एक हॉल में एक सामूहिक जमावड़ा आयोजित किया गया था, जिसके बाद संस्थान के छात्रों तथा स्टाफ में कोविड-19 संक्रमण फैल गया, जिनमें डॉक्टर और पैरा-मेडिकल कर्मी भी शामिल है.

उसी हॉल में दो और आयोजन किए गए और उनमें शिरकत करने वाले सभी लोगों को टेस्ट कराने के लिए नोटिस भेज दिए गए हैं. धारवाड़ में 2,000 से अधिक प्राइमरी और सेकंडरी संपर्कों का पता लगाकर उनके टेस्ट किए जा रहे हैं. संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए 500 मीटर के दायरे में स्थित सभी स्कूल-कॉलेजों को सोमवार तक बंद करने के आदेश दे दिए गए.

धारवाड़ में पहले बैच के 180 संक्रमण पाए जाने के एक दिन बाद, मैसूरू के दो नर्सिंग कॉलेजों में 50 से अधिक छात्र पॉज़िटिव पाए गए. इन 50 में से ज़्यादातर छात्र बिना लक्षण वाले थे, लेकिन उन्हें पूरे टीके भी लग चुके थे.

फिर शुक्रवार शाम, बेंगलुरू शहरी के एक आवासीय स्कूल के 33 छात्र और एक स्टाफ मेम्बर कोविड-19 टेस्ट में पॉज़िटिव पाए गए. ख़तरे की बात ये है कि सभी 33 छात्र 18 वर्ष से कम आयु के हैं, इसलिए उन्हें टीके नहीं लगे हैं, लेकिन उनमें लक्षण नहीं हैं जबकि स्टाफ मेम्बर को पूरे टीके लग चुके हैं.

ज़िला स्वास्थ्य अधिकारी की ओर से एक बयान में कहा गया, ‘अभी तक 497 लोगों की जांच की जा चुकी है, जिनमें क्लास 8, 9, 10, 11, और 12 के 33 छात्र, तथा एक स्टाफ मेम्बर पॉज़िटिव पाए गए हैं. स्कूल परिसर को सील कर दिया गया है, और सभी मरीज़ों को आइसोलेशन में रखा गया है’.

एक अन्य क्लस्टर में, बेंगलुरू ग्रामीण के अनेकल में एक नर्सिंग कॉलेज में शुक्रवार दोपहर तक, 12 छात्रों के टेस्ट पॉज़िटिव आ चुके थे. सभी मरीज़ों को टीके लगे हुए थे, और नौ में लक्षण पाए गए.


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राज्य ने अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के लिए गाइडलाइन्स जारी कीं

शनिवार को मीडिया के साथ इस ख़तरनाक प्रवृत्ति पर बात करते हुए स्वास्थ्य मंत्री डॉ के सुधाकर ने उन 45 लाख लोगों से अपील की जिन्हें वैक्सीन का दूसरा डोज़ लगना है कि जल्द से जल्द प्रक्रिया को पूरा कर लें.

सुधाकर ने शनिवार सुबह बेंगलुरू में पत्रकारों से कहा, ‘बोत्सवाना, दक्षिण अफ्रीका, इज़राइल आदि देशों में एक नया वेरिएंट ओमिक्रॉन बी 1.1.529 पाया गया है, जिसे डेल्टा वेरिएंट से ज़्यादा संक्रामक माना जाता है. हमने क्लस्टर्स से लिए गए नमूनों को जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेज दिया है और 1 दिसंबर तक नतीजों की अपेक्षा कर रहे हैं. तब तक हम निश्चित रूप से नहीं कह सकते कि क्या नया वेरिएंट क्लस्टर के लोगों को संक्रमित कर रहा है’.

नए वेरिएंट के कारण कर्नाटक ने प्रभावित देशों से आने वाले यात्रियों के लिए नई गाइडलाइन्स परिभाषित की हैं.

सुधाकर ने कहा, ‘अभी हमें मालूम नहीं है कि क्या नया वेरिएंट ज़्यादा ज़हरीला है, लेकिन प्रभावित देशों से आने वाले यात्रियों की जांच के लिए, हमने नई गाइडलाइन्स जारी की हैं. उनके टेस्ट परिणामों की रिपोर्ट के बावजूद, उन्हें एयरपोर्ट पर आरटी-पीसीआर टेस्ट कराना होगा, और उसकी रिपोर्ट आने तक वहीं इंतज़ार करना होगा. उन्हें एक हफ्ते तक घर पर क्वारंटीन करना होगा, और फिर से टेस्ट कराना होगा’. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है, चूंकि ज़्यादातर नए मामले बिना लक्षण वाले हैं.

लेकिन, कर्नाटक सरकार की एक्सपर्ट कमेटी के सदस्य, और मणिपाल हॉस्पिटल्स के चिकित्सा सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष, डॉ सुदर्शन बल्लाल ने दिप्रिंट से कहा, कि इन क्लस्टर्स में संक्रमण का शिकार हो रहे लोगों की संख्या चिंता का विषय है. उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि उन्हें संक्रमित कर रहा वायरस तेज़ी से फैल रहा है. हमें जिनोम सीक्वेंसिंग कराने की ज़रूरत है, ताकि जल्दी से पता चल सके कि ये कौन सा वेरिएंट है’.

बल्लाल ने आगे कहा, ‘एक और चिंता ये है कि नए ओमिक्रॉन बी 1.1.529 वेरिएंट के कई म्यूटेंट्स हैं और इसमें वही प्रोटीन है जिसे हम वैक्सीन बनाने में इस्तेमाल करते हैं, जिससे डर पैदा हो गया है कि वैक्सीन्स वायरस से निपटने में कारगर नहीं रहेंगे. लेकिन एक अच्छी बात ये है कि अधिकतर मरीज़ बिना लक्षण वाले हैं और उनके टीके लग चुके हैं’.

उन्होंने आगे कहा, ‘जितना जल्दी हो सके, हमें संवेदनशील समूहों के लिए, बूस्टर डोज़ की संभावना को देखना होगा. हम में से ज़्यादातर फ्रंटलाइन वर्कर्स ने अपना पहला डोज़ सात से आठ महीने पहले लिया था और हमें एक बूस्टर डोज़ तथा साथ ही साथ उन लोगों के लिए दूसरा डोज़ सुनिश्चित करना होगा, जो उसके इंतज़ार में है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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