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Saturday, 21 December, 2024
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चेंगलपट्टू अस्पताल में 13 मौतों पर डीन की दलील, ऑक्सीजन प्रेशर घटा था लेकिन कोई कमी नहीं हुई थी

तमिलनाडु के चेंगलपट्टू सरकारी अस्पताल में मंगलवार रात 13 कोविड मरीजों की मौत के मामले को भी देश के अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी कमी से जुड़ी घटना बताया जा रहा है.

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चेंगलपट्टू/चेन्नई: चेंगलपट्टू सरकारी अस्पताल के डीन ने इस आशय की रिपोर्टों को गलत बताया है कि इसी हफ्ते एक रात में 13 कोविड-19 रोगियों की मौत ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई थी. इसी साल मार्च में बतौर डीन कार्यभार संभालने वाले जे. मुथुकुमारन ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि उस रात यह जरूर हुआ था कि अस्पताल में ऑक्सीजन प्रेशर में गिरावट देखी गई थी. साथ ही दावा किया कि सवालों में घिरी मरीजों की मौत कोविड की ही वजह से हुई है, ऑक्सीजन की कमी के कारण नहीं.

चेन्नई के बाहरी इलाके में स्थित चेंगलपट्टू के अस्पताल में भर्ती कोविड के 13 मरीजों की मंगलवार रात मौत हो गई थी, जिस घटना को देश के अन्य अस्पतालों में दूसरी कोविड लहर के बीच ऑक्सीजन की भारी कमी के कारण हुई एक और घटना माना जा रहा है. ऐसी घटनाएं दिल्ली और कर्नाटक में भी सामने आई हैं.

अस्पताल के एक डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि मौतें अस्पताल में ऑक्सीजन की स्थिति स्थिर न होने के कारण हुईं. तमिलनाडु के नए मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में चेंगलपट्टू की ‘दुर्भाग्यपूर्ण घटना’ का हवाला देते हुए राज्य में ऑक्सीजन प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार की मदद मांगी है.

हालांकि, डीन और जिला प्रशासन दोनों से इस बात से इनकार किया है कि ये मौतें ऑक्सीजन की कमी से जुड़ी हैं.

जिला कलेक्टर ए. जॉन लुइस ने बुधवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं थी. दिप्रिंट ने कॉल और टेस्क्ट मैसेज के जरिये उनकी प्रतिक्रिया के लिए संपर्क साधा लेकिन रिपोर्ट प्रकाशित होने के समय तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी.

लुइस ने क्षेत्र के राजस्व मंडल अधिकारी (आरडीओ) द्वारा घटना की जांच किए जाने का आदेश दिया है.

उस रात क्या हुआ था?

मुथुकुमार ने इस बारे में बताते हुए कि मंगलवार को क्या हुआ था, 10 दिन पूर्व की एक घटना का जिक्र किया जब ‘अस्पताल के तरल ऑक्सीजन टैंकों में से एक के प्रेशर में गिरावट दर्ज की गई थी.’

प्रेशर में कमी पाइपों में रिसाव के कारण हो सकती है, यदि टैंकों में कम ऑक्सीजन है, या फिर एक आउटलेट से कई मरीजों को ऑक्सीजन दी जा रही हो.


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उन्होंने कहा, ‘वाल्व में कुछ तकनीकी गलती थी…उपकरणों की जांच के लिए टेक्नीशियन बुलाए गए थे. चूंकि टैंक को ठीक करने की स्थिति नहीं थी, इसलिए प्रेशर बनाए रखने के लिए अलग से एक वाल्व लगाया गया था.’

उन्होंने कहा, ‘यह समस्या मंगलवार रात को फिर हुई तो हम तुरंत अस्पताल पहुंचे.’

मुथुकुमारन ने बताया कि चूंकि रात का समय हो गया था ऑक्सीजन संयंत्र कंपनी ‘आवश्यक पार्ट भेजने की स्थिति में नहीं थी.’

उन्होंने कहा, ‘प्रेशर शून्य पर पहुंचने से रोकने के लिए हमने तरल ऑक्सीजन टैंक का कनेक्शन काट दिया और अपने पास रिजर्व में रखे गए 180 ऑक्सीजन सिलेंडरों की मदद से इसकी आपूर्ति शुरू कर दी. उस समय जो मौतें हुईं वे कोविड के कारणों के कारण हुई थीं, न कि ऑक्सीजन की कमी के कारण.’

उन्होंने कहा कि अस्पताल उसका ‘प्रेशर उच्च स्तर पर रखने के लिए यह सुनिश्चित करता है कि ‘यह चौथी मंजिल तक भी पहुंचता हो.’ साथ ही जोड़ा, ‘प्रेशर में कमी का मतलब आपूर्ति बाधित होना नहीं है.’

चेंगलपट्टू सरकारी अस्पताल में कुल 480 बेड हैं, जिनमें से 325 ऑक्सीजन बेड हैं. मुथुकुमारन ने कहा, ‘हमारे पास 10 किलोलीटर, 10 किलोलीटर और 3 किलोलीटर क्षमता के तीन टैंक हैं. हमारे पास जितने मामले आ रहे हैं, उनके इलाज के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन की आपूर्ति मिलती है.’

हालांकि, मीडिया को दिए पूर्व के एक बयान में मुथुकुमारन ने अस्पताल में कोविड मामले बढ़ने के बीच ऑक्सीजन संबंधी चुनौतियों को स्वीकार किया था.

चेंगलपट्टू जिले के एक कस्बे मदुराथंकम स्थित एक सरकारी मेडिकल अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि उन्होंने ‘अपने पांच ऑक्सीजन सिलेंडर चेंगलपट्टू अस्पताल भेजे थे, जिस रात वहां ऑक्सीजन की कमी हुई थी.’ डॉक्टर ने अपना नाम जाहिर करने से इनकार कर दिया.

चेंगलपट्टू अस्पताल के कोविड वार्ड में काम करने वाले एक डॉक्टर ने कहा, ‘मंगलवार को मरीजों की मौत का प्राथमिक कारण’ ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी थी. उन्होंने आगे कहा, ‘जैसे ही ऑक्सीजन प्रेशर घटा, छह गंभीर मरीजों की मौत हो गई और फिर जिन रोगियों की हालत स्थिर थी, 1-2 घंटे की अवधि में ऑक्सीजन प्रेशर कम होने के कारण उनकी भी जान चली गई.’

उन्होंने कहा, ‘ऑक्सीजन आपूर्ति में काफी कमी है. पहले, हमें 3-5 किलोलीटर ऑक्सीजन की आपूर्ति मिलती थी, जो 2-3 दिनों के इस्तेमाल के लिए पर्याप्त होती थी. अब मांग 5-6 किलोलीटर हो गई है. बढ़े केसलोड के कारण यह भी ज्यादा देर नहीं चलती. रीफिलिंग के बीच अंतर पहले की तरह ही है लेकिन मांग बढ़ गई है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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