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Saturday, 2 November, 2024
होमहेल्थ'एक हजार रुपये' में 3डी ग्लव्स, IISC टीम स्ट्रोक के मरीजों के लिए लेकर आई सस्ती वर्चुअल फिजियोथेरेपी

‘एक हजार रुपये’ में 3डी ग्लव्स, IISC टीम स्ट्रोक के मरीजों के लिए लेकर आई सस्ती वर्चुअल फिजियोथेरेपी

आईआईएससी टीम का कहना है कि 'उनका मकसद एक ऐसा डिवाइस बनाना था जिसे दस्ताने की तरह पहना जा सके और फिजियोथेरेपिस्ट इंटरनेट के जरिए दूर से ही इसे नियंत्रित कर सकता हो.'

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नई दिल्ली: भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक ऐसे 3डी- प्रिंटेड दस्ताने तैयार किए हैं जिसके जरिए स्ट्रोक के मरीजों को ऑनलाइन फिजियोथेरेपी की सुविधा दी जा सकती है.

स्ट्रोक दुनिया भर में विकलांगता का एक बड़ा कारण है.

आईआईएससी टीम के अनुसार, हालांकि फिजियोथेरेपी स्ट्रोक के मरीजों की दिनचर्या को सामान्य बनाने में मदद कर सकती है, लेकिन इसमें कुछ दिन से लेकर महीनों तक का समय लग सकता है.

वह अपने बयान में आगे कहते हैं, इन मरीजों के सामने एक और चुनौती है. उन्हें फिजियोथेरेपी के लिए रोजाना अस्पताल के चक्कर काटने की जरूरत होती है. अब ऐसे में या तो फिजियोथेरेपिस्ट को घर बुलाया जाए या फिर कुछ ऐसे उपकरण खरीदें जाएं जिनसे घर रहते हुए ही मरीज की निगरानी की जा सके. दोनों ही मामलों में ये एक महंगा सौदा साबित होता है.

भौतिकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर अवीक बिड ने कहा, ‘हम कुछ ऐसा बनाना चाहते थे जो सस्ता हो  और मरीज की सुविधानुसार हर समय उपलब्ध हो. एक ऐसा डिवाइस जिसे आसानी से इस्तेमाल में लाया जा सके और जिसका फीडबैक भी अच्छा हो.’  प्रोफेसर बिड की टीम ने इस डिवाइस को विकसित किया है.

शोधकर्ताओं ने कहा कि इसे पूरी तरह से भारत में डिजाइन और निर्मित किया गया है. इसकी कीमत एक हजार रुपये से भी कम हो सकती है. इस उपकरण के लिए एक पेटेंट दायर किया गया है और शोधकर्ताओं ने इसे जल्द ही बाजार में लॉन्च करने की उम्मीद व्यक्त की है.

उन्होंने आगे कहा कि इसका इस्तेमाल ऑगमेंटेड रियलिटी गेम्स और एप्लीकेशन में भी किया जा सकता है.

प्रकाश के गुण

ग्लव्स के बारे में समझाते हुए बिड कहते हैं कि डॉक्टरों के लिए दूर रहकर फिजियोथेरेपी मरीज की निगरानी में क्वांटिफिएबल (मात्रात्मक) फीडबैक -उदाहरण के लिए गेंद को दबाते समय दबाव की यूनिट या एक घुटने की चोट के दौरान पैर के झुकाव की डिग्री जैसे मापदंड- काफी महत्वपूर्ण होते हैं.

उन्होंने बताया कि टीम द्वारा विकसित यह उपकरण इन चुनौतियों का समाधान कर सकता है.

बिड ने कहा,  ‘इसे आप दस्ताने की तरह पहनते हैं. फिजियोथेरेपिस्ट इंटरनेट के जरिए दूरस्थ स्थान से इसे नियंत्रित करता है और आपके हाथों और उंगलियों को हिलाता है’

शोधकर्ताओं के अनुसार, डिवाइस हाथ और उंगलियों की विभिन्न गतिविधियों को महसूस कर सकता है और प्रेशर, बेंडिग एंगल, प्रिसिस शेप जैसे मापदंडों का सटीक पता लगा सकता है.

डिवाइस को चलाने वाली तकनीक ‘प्रकाश’ के मूलभूत गुणों पर आधारित है – खासकर, यह कैसे रिफ्लेक्ट और बेंड करता है.

एक पारदर्शी रबड़ जैसे इस मटेरियल के एक छोर पर एक लाइट(प्रकाश) सोर्स रखा जाता है और दूसरे छोर पर एक लाइट डिटेक्टर होता है.

मरीज की उंगली या बांह में कोई भी हलचल इस फ्लेक्सिबल मैटेरियल को डिफॉर्म कर देती है. और फिर ये डिफोरमेशन प्रकाश के मार्ग को बदलते हुए, इसके गुणों में भी बदलाव लेकर आता है. डिवाइस प्रकाश गुणों में इस परिवर्तन का क्वांटिफिएबल यूनिट्स में दिखाता है.

टीम के अनुसार, मरीज की उंगली या हाथ के किसी भी हिस्से में हुई हलचल को सटीक रूप से मापा जा सकता है.

शोधकर्ताओं में शामिल अभिजीत चंद्र रॉय ने कहा कि यह उपकरण इतना संवेदनशील है कि यह तितली के संपर्क में आने पर भी प्रतिक्रिया देने में सक्षम है.

उन्होंने कहा कि मौजूदा उपकरण केवल उंगली के मुड़ने पर ही प्रतिक्रिया कर सकता है लेकिन नया उपकरण उंगली के हर जोड़ पर होने वाली हलचल या बेंड होने की डिग्री को भी माप सकता है.

टीम ने एक इस डिवाइस को बनाने के लिए सिलिकॉन-आधारित ट्रांसपेरेंट पॉलीमर मटेरियल का इस्तेमाल किया गया है और सबसे महत्वपूर्ण है कि ये 3डी- प्रिंटेड है. इसलिए इसे प्रत्येक मरीज के हाथ और उंगलियों में फिट करने के लिए कस्टमाइज किया जा सकता है.

उपकरण डेटा को कैप्चर और स्टोर भी कर सकता है और इसे इंटरनेट पर प्रसारित कर सकता है. इससे चिकित्सकों या फिजियोथेरेपिस्ट को मरीज से दूर होने पर भी उसकी निगरानी करने की सुविधा मिल जाती है.

शोधकर्ताओं का कहना है कि इस डिवाइस की स्थिरता का परीक्षण 10 महीने से अधिक समय तक किया गया है,  जिसमें इसकी सेंसिटिविटी या एक्यूरेसी को प्रभावी पाया गया.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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