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Monday, 23 December, 2024
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स्मृति ईरानी का सूचना व प्रसारण मंत्रालय आरएफआईडी से पत्रकारों की करना चाहता है निगरानी

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प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो ने जनवरी में गृह मंत्रालय को लिख कर पूछा था कि क्या सुरक्षा बढ़ाने के लिए मीडिया प्रमाणन कार्ड आरएफआईडी कार्ड से बदला जा सकता है।

नई दिल्लीः दिप्रिंट  को पता चला है कि प्रेस इन्फार्मेशन ब्यूरो, आधिकारिक संचार के लिए केंद्र सरकार की मुख्य संस्था , सरकारी आवृत्तियों और कार्यालयों में पत्रकारों के आवागमन को रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान पत्र (आरएफआईडी कार्ड) के माध्यम से ट्रैक करने के प्रस्ताव पर काम कर रही है।

स्मृति ईरानी की अगुवई वाले सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत पीआईबी सरकार की मीडिया विंग है। सोमवार को मंत्रालय द्वारा “फेक न्यूज” को प्रकाशित करने या प्रचार करने वाले पत्रकारों को सजा सुनाने का आदेश दिया गया, जिसके बाद बहुत बड़ा बखेड़ा खड़ा हो गया। इस कदम के खिलाफ हंगामें की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 घंटे से कम समय में स्मृति ईरानी के उस फैसले को पलट दिया था।

एक अन्य प्रस्ताव जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में पत्रकारों की आवाज उठ रही है उसमें पीआईबी ने जनवरी में यूनियन गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर पूछा कि यदि यह मान्यता पत्र, पत्रकारों के लिए जारी होता है तो इसे आरएफआईडी कार्ड से बदला जा सकता है।

गृह मंत्रालय इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है, हालांकि शीर्ष मंत्रालय के सूत्रों ने द प्रिन्ट से कहा कि यह कार्यान्वयन के लिए अव्यावहारिक हो सकता है।

पीआईबी के महानिदेशक जनरल फ्रैंक नरोन्हा ने इस आदेश की पुष्टि की। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि प्रस्ताव पर कोई प्रगति नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि पीआईबी केवल मौजूदा मान्यता पत्र की सुरक्षा, उपयोग, आकृति और अन्य सुविधाओं में सुधार के लिए उपलब्ध विकल्पों की तलाश कर रहा है।

नरोन्हा ने द प्रिन्ट के सवालों का उत्तर देते हुए बताया, “हम नियमित रूप से यह पता लगते रहते हैं कि विभिन्न तकनीकी विकास के आधार पर सरकारी भवनों में मुफ्त और आसानी से प्रवेश करने और बाहर निकलने के लिए कार्ड में सुधार करने के लिए कौन से विकल्प उपलब्ध हैं। “हालांकि, अभी तक इस तरह का कुछ भी नहीं किया गया है।”

इस रिपोर्ट के प्रकाशन के समय तक गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने किसी भी प्रश्न का जबाब नहीं दिया।

आरएफआईडी क्या है और इसके द्वारा किस तरह से पत्रकारों को ट्रैक किया जा सकता है?

प्रेस मान्यता कार्ड सरकार द्वारा नियुक्त केंद्रीय प्रेस मान्यता समिति द्वारा जारी किए जाते हैं, जिसकी अध्यक्षता पीआईबी के महानिदेशक करते हैं। बहुत ही कठोर जाँच प्रक्रिया के बाद पत्रकारों, फोटोग्राफरों, टीवी कैमरामैन और संपादकों को लगभग 3,000 कार्ड जारी किए जाते हैं।

वर्तमान में, सरकारी भवनों में मुलाकात के लिए आने वाले पत्रकारों को अपने मान्यता कार्ड को सुरक्षा गार्डों को दिखाना होता है। लेकिन अगर आरएफआईडी लागू कर दिया जाता है, तब उन्हें प्रवेश द्वार पर कार्ड को स्वाइप/पंच करना होगा, जिसके तहत सरकार उनके प्रवेश करने और बाहर निकलने को ट्रैक कर सकती है और शायद यह भी के वे किस व्यक्ति से मिलते हैं।

आरएफआईडी तकनीक वस्तुओं से जुड़े टैग और पहचान को ट्रैक करने के लिए विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र का उपयोग करती है। टैग में इलेक्ट्रॉनिक-संग्रहीत जानकारी होती है। इस तकनीक का उपयोग स्मार्ट कार्ड में करने के साथ आधुनिक वाहन पंजीकरण प्रमाणपत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, मेट्रो रेल कार्ड और टोल टैग जैसे टैग्स में भी किया जाता है।

2015 में पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा कई गोपनीय दस्तावेजों को खो देने के बाद वह भी पीआईबी कार्ड की सुरक्षा सुविधाओं को बढ़ाने पर विचार कर रहा है।

आरएफआईडी प्रस्ताव को कार्यान्वित करने में समस्याएं

गृह मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि इस तरह के प्रयोग की शुरूआत के लिए बड़े पैमाने पर नए बुनियादी ढांचे और विशाल बजट की आवश्यकता पड़ेगी। हजारों पत्रकारों के लिए आरएफआईडी कार्ड खरीदने के अलावा गृहमंत्रालय के दायरे में आने वाले सभी 56 भवनों के लिए सुरक्षा की दृष्टि से घूमने वाले दरवाजे और अन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण की आवश्यकता होगी।

सूत्रों के अनुसार, इसमें अन्य तंत्र संबंधी समस्याएं भी होगी जैसे कि लाखों अन्य सरकारी कर्मचारियों जो कि प्रत्येक दिन भवनों तक आते हैं उनसे पत्रकारों को अलग करना।

आरएफआईडी प्रस्ताव या फेक न्यूज को नियंत्रित करने हेतु अब रद्द करने के लिए उठाए गए कदम सरकार की पहली कोशिश नहीं है जिससे वह मीडिया को नियंत्रित करना चाहती है।

इससे पहले, 2017 के पीआईबी के सूचना प्रसार कार्यक्रम का हवाला देते हुए आई एंड बी मंत्रालय ने एक चेतावनी पत्र जारी किया था कि बिना उनकी अनुमति के न ही कोई उनसे बात कर सकता है और न ही उनके सामने आ सकता है।

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