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Wednesday, 20 November, 2024
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यौन अपराधियों का अमेरिका जैसा डेटाबेस बनाने के प्रस्ताव ने विशेषज्ञों के खड़े कर दिए कान

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बीजेपी सरकार ने बाल बलात्कारियों को मौत की सजा देने के लिए एक अध्यादेश जारी किया है जिसके चलते यह कदम उठाया गया है।

नई दिल्ली: नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) ने यौन अपराधियों की राष्ट्रीय रजिस्ट्री विकसित करने और कार्यान्वित करने के लिए निविदाएं आमंत्रित की हैं, यह एक ऐसा डेटाबेस है जो यौन अपराधों के दोषी (वयस्कों और किशोरों) व्यक्तियों को ट्रैक करेगा और निगरानी करेगा।

बीजेपी की अगुआई वाली केंद्रीय सरकार ने बाल बलात्कारियों को मौत की सजा देने के लिए एक अध्यादेश जारी करते हुए एक आवश्यक कदम उठाया है और एनसीआरबी से यौन उत्पीड़कों के राष्ट्रीय डेटाबेस और प्रोफाइल को बनाए रखने के लिए कहा।

प्रस्ताव (आरएफपी) के अनुरोध के मुताबिक, एक देशव्यापी डेटाबेस जिसमें “गिरफ्तार दोषी और जिनकी चार्जशीट बनी है” उनके रिकॉर्ड शामिल होंगे साथ-साथ उनके भी जो  यौन अपराधियों  के रूप में सजा काट चुके हैं।

यह मुहीम के द्वारा, “गिरफ्तार व्यक्तियों और उनकी चार्जशीट की जानकारी केवल कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए उपलब्ध होगी, जबकि दोषी अपराधियों का डेटा जनता के लिए भी सुलभ कराया जायेगा।”

अपराध से सम्बंधित जानकारी राज्य, जिला, पुलिस स्टेशन जैसे मानकों का उपयोग करके खोजी जा सकती है.

उपर्युक्त श्रेणियों को दो अपराधियों की सूची में विभाजित किया जाएगा- किशोर अपराधियों की सूची और वयस्क अपराधियों की सूची।

इसके अंतर्गत आने वाले अपराध

जबकि यौन अपराधों को विशेष रूप से किसी भी मौजूदा दंड कानून के तहत परिभाषित नहीं किया जाता है, लेकिन आरएफपी में व्यापक रूप से लिखा है कि “अपराध, जो यौन सम्बन्धी प्रकृति के हैं और महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध किए जाते हैं, को इस डेटाबेस में शामिल किया जाना है|”

डेटा का समावेश दो चरणों में होगा| जहाँ प्रथम चरण में बलात्कार के मामले और पोक्सो अधिनियम के कुछ अनुभागों को शामिल किया जायेगा वहीं दूसरे चरण में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, पोक्सो के सभी, अनैतिक यातायात रोकथाम अधिनियम और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार रोकथाम अधिनियम के अनुभागों को शामिल किया जायेगा|

आरएफपी में यह भी कहा गया है कि अपराधी भले ही दोषी नहीं हैं, लेकिन इस डेटाबेस का हिस्सा बन जाएंगे।

हितधारक

आरएफपी के मुताबिक एनसीआरबी प्राथमिक एजेंसी होगी, लेकिन दिन-प्रतिदिन के मुद्दों का समाधान संचालन और रखरखाव के लिए चुनी गई विक्रेता एजेंसी द्वारा किया जाएगा।

अन्य हितधारकों में राज्य पुलिस, जनता और अन्य एजेंसियां शामिल होंगी। पुलिस “यह सुनिश्चित करेगी कि यौन अपराधों के मामले में डेटा दर्ज करने के लिए एसओपी सही तरीके से पालन किए जाते हैं और यह डेटा सही तकनीकी रूप से आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (सीसीटीएनएस) से जुड़ जायेगा।

नागरिक पुलिस स्टेशन, क्षेत्र और अन्य मानकों के आधार पर यौन अपराधियों के रिकॉर्ड पुन: प्राप्त करने में सक्षम होंगे।

एक अतिरिक्त न्यायिक मंजूरी

हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम न्याय की पुनर्स्थापना के पहलू से एक कदम आगे है, खासकर किशोरों के लिए, जिन्हें सिस्टम द्वारा सुधार के लिए उचित अवसर दिया जाना चाहिए।

ह्यूमन राइट्स वॉच की सलाहकार जयश्री बाजोरिया का तर्क है, “बाल बलात्कारियों के लिए मौत की सजा के बाद, अभी तक यह सरकार द्वारा उठाया गया एक और लोकप्रिय कदम है।”

वह पूछती है, “मूल वास्तविकता की पहचान नहीं हो पाती है कि भारत में सबसे ज्यादा बलात्कार और बाल यौन शोषण विशेष रूप से पीड़ितों के जानने वाले लोगों द्वारा किया जाता है … फिर एक अध्यादेश या कानून कैसे काम करेगा?”

इसके अलावा कुछ विशेषज्ञों का तर्क है कि जो लोग पहले से ही अपनी सजा पूरी कर चुके हैं, उनके निरंतर सामाजिक बहिष्कार से अपराधियों का समाकलन और सुधार रुक जाएगा।

वकील अपार गुप्ता ने कहा, “ऐसा डेटाबेस सुनिश्चित करता है कि अपराधी के रूप में किसी की पहचान का अस्तित्व कभी समाप्त न हो।”

प्रभावी रूप से बहस करते हुए उन्होंने आगे कहा, “जिस व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाती है, लगभग हमेशा उसकी चार्जशीट भी दाखिल होती है”, किसी व्यक्ति के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी डेटाबेस में उसका नाम शामिल करवा सकती है।

इसके अलावा, सूची में उन लोगों के सामाजिक बहिष्कार की ओर इशारा करते हुए गुप्ता ने कहा कि प्रणाली यह सुनिश्चित करेगी कि न्यायिक फैसले की घोषणा होने से पहले भी इन लोगों पर अतिरिक्त न्यायिक स्वीकृति है।

गोपनीयता का प्रश्न

10 से कम देश ऐसे हैं जिनके पास ऐसा डेटाबेस है। वास्तव में भारत इस तरह के डेटाबेस को सार्वजनिक करने वाला अमेरिका के बाद दुनिया में दूसरा देश होगा।

गुप्ता का तर्क है कि आरोपपत्र दर्ज और गिरफ्तार अपराधियों के मामले में जब तक डेटा सार्वजनिक नहीं किया जाएगा, डेटा उल्लंघन का जोखिम बना रहेगा।

“भारत में मजबूत डेटा संरक्षण कानून नहीं है। इसलिए अगर कोई एजेंसी डेटा का दुरुपयोग करना चाहेगी तो सरकार नुकसान का दावा नहीं कर पाएगी।”

इसके अलावा, ये डेटा बहुत आसानी से संस्थाओं के आग्रह पर कानूनी संस्थाओं द्वारा साझा किया जा सकता है जो कि इसके दुरूपयोग को और बढ़ावा देगा।

Read in English: Govt moves to build sex offenders’ database like in US but experts are wary of idea

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