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Saturday, 20 April, 2024
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छत्तीसगढ़ के अधिकारी का कश्मीर में तबादला कर मोदी सरकार ने दिखाए अपने बाहुबल के सिग्नल

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छत्तीसगढ़ के अतिरिक्त मुख्य गृह सचिव के रूप में बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने माओवादी विद्रोह के खिलाफ राज्य पुलिस के सबसे कठिन युद्धका निरीक्षण किया।

नई दिल्लीः राज्य की खराब सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए जम्मू-कश्मीर में मेहबूबा मुफ्ती की अगुवाई वाली पीडीपी-भाजपा सरकार से भाजपा के निकलने के एक दिन बाद, नरेंद्र मोदी सरकार ने इस मामले से निपटने की योजना बनाने का पहला संकेत दिया होगा।

छत्तीसगढ़ के गृह सचिव बी.वी.आर. सुब्रमण्यम, जो पुराने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में कार्य कर चुके हैं, को तत्काल प्रभाव से नियुक्त कर  जम्मू-कश्मीर भेजा गया है।

आतंकवाद प्रभावित स्थिति में सुब्रह्मण्यम का तबादला स्पष्ट रूप से जम्मू-कश्मीर में आक्रामक शक्तिपूर्ण नीति पर वापसी का संकेत देता है।

नक्सलवाद प्रभावित छत्तीसगढ़ में अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) के रूप में, सुब्रह्मण्यम को माओवादी विद्रोह के खिलाफ राज्य पुलिस के “सबसे कठिन युद्ध” की रूपरेखा तैयार करने और पर्यवेक्षण के लिए श्रेय दिया जाता है। उन्होंने मनमोहन सिंह के साथ ही नरेंद्र मोदी के कार्यालय में भी काम किया है और उन्हें एक सख्त कार्यकर्ता के रूप में देखा जाता है।

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एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि “उन्हें एक विशेष उद्देश्य के साथ कश्मीर भेजा जा रहा है। अगले कुछ दिनों में कुछ और नियुक्तियों के कार्य को पूरा किया जाएगा”।

वरिष्ठ अधिकारी ने कहा “मुझे नहीं पता कि आप इसे शक्तिपूर्ण नीति की वापसी कह सकते हैं या नहीं। लेकिन, हां, आतंकवाद विरोधी अभियानों में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी और पत्थरबाजों तथा अलगाववादियों पर सख्ती से कार्यवाही की जाएगी।”

सुब्रमण्यम के सामने आने वाली पहली चुनौतियों में से एक आगामी अमरनाथ यात्रा है, जो हमेशा सुरक्षा के लिहाज से एक बड़ा सिरदर्द है। केंद्र यह सुनिश्चित करने के लिए चिंतित होगा कि यात्रा के लिए सुरक्षा में कोई कमीं न हो जिससे कुछ भी गलत न हो। पिछले साल आठ तीर्थयात्रियों की मौत हो गई जब आतंकवादियों ने मंदिर से वापस आती एक बस पर हमला किया था।

इस साल किसी भी घटना, भले ही वह कोई छोटी ही घटना क्यों न हो, को केंद्र की विफल नीति के रूप में देखा जाएगा।

ऐसे संकेत भी हैं कि वरिष्ठ जम्मू-कश्मीर के आईपीएस अधिकारी एस.एम. सहाई, वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (एनएससीएस) में तैनात हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल के करीबी मानते हैं, उन्हें जल्द ही राज्य में वापस ले जाया जा सकता है।

2016 में हिजबुल मुजाहिदीन आतंकवादी बुरहान वानी की मौत के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों के चलते सहाई को जम्मू-कश्मीर से हटा लिया गया था। उनका स्थानांतरण कश्मीरियों को एक संदेश भेजने के लिए मेहबूबा के प्रयास के रूप में देखा गया था कि प्रशासनिक रूप से वह स्थिति से निपटने के इच्छुक थीं बल के उपयोग के माध्यम से नहीं।

जम्मू-कश्मीर में गठबंधन को समाप्त करने के बीजेपी के फैसले को बहुत प्रचारित ईद सीजफायर की विफलता के बाद लिया गया था, जो की घाटी में हिंसा को रोकने में सफल नहीं रहा था।

Read in English : With Chhattisgarh officer’s transfer to Kashmir, Modi govt signals return to muscular policy

 

 

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