scorecardresearch
Tuesday, 24 December, 2024
होमएजुकेशनक्या आईआईटी में बंद हो जाएंगे बी.टेक कोर्स? 21 अगस्त को आईआईटी परिषद् करेगी चर्चा

क्या आईआईटी में बंद हो जाएंगे बी.टेक कोर्स? 21 अगस्त को आईआईटी परिषद् करेगी चर्चा

Text Size:

यह विचार जेईई प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए चलने वाले बिलियन-डॉलर के निजी कोचिंग उद्योग पर लगाम लगाने तरीकों की खोज करते समय आया।

नई दिल्लीः भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के अध्यापकों और पूर्व छात्रों के एक वर्ग ने एक बड़ा सुझाव दिया है जो उनकी प्रकृति को बदल सकता है – मुख्य इंजीनियरिंग कॉलेजों को आईआईएम कॉलेजों की तरह परास्नातक और शोध-केन्द्रित संस्थान बनाया जाये, बजाय इसके कि वे स्नातकों पर अधिक ध्यान केन्द्रित करें जैसा कि वे वर्तमान में करते हैं।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि इस विचार पर नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों द्वारा चर्चा की गई थी, जब वे निजी कोचिंग कक्षाओं की भूमिका को नियंत्रित करने के तरीकों को खोजने का प्रयास कर रहे थे। निजी कोचिंग कक्षाएं संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) के लिए छात्रों को तैयारी कराती हैं। कुछ मामलों में छात्र कक्षा 5 से ही जेईई की तैयार करना प्रारंभ कर देते हैं, इससे बिलियन-डॉलर का निजी कोचिंग उद्योग पनपा है।


यह भी पढ़े : Thanks to IITs, India to see a lot more women in civil and mechanical engineering


21 अगस्त को आईआईटी परिषद की एक बैठक में इसपर चर्चा के लिए प्रस्ताव तैयार किया जाना है। इस परिषद में आईआईटी के सभी निदेशक शामिल होते हैं और केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री द्वारा इसकी अध्यक्षता की जाती है। यह परिषद संस्थानों से संबंधित सभी महत्वपूर्ण निर्णय लेता है।

एक बड़ा बदलाव

आईआईटी पारंपरिक रूप से अपने स्नातक पाठ्यक्रमों और प्लेसमेंट के लिए जाने जाते हैं। लेकिन नए प्रस्ताव में शामिल है कि बी.टेक. कॉलेजों को आईआईटी से परामर्श मिले।

मंत्रालय के एक सूत्र ने प्रस्ताव को समझाते हुए कहा कि “स्नातक स्तर पर एक आईआईटी अपने आसपास के 100 संस्थानों को परामर्श दे सकता है। फिर, उन संस्थानों में से प्रत्येक संस्थान से चुने हुए करीब 10 छात्र अपना आखिरी सेमेस्टर आईआईटी में पूरा कर सकते हैं।”

“इस प्रकार, प्रत्येक आईआईटी चुने हुए कम से कम 1000 छात्रों को आवास और अन्य सुविधाएं मुहैया करने में सक्षम होगी?

इन संस्थानों के लिए अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम भी राजस्व का एक प्रमुख स्रोत हैं, बी.टेक पाठ्यक्रम के लिए शुल्क 1 लाख रुपये प्रति सेमेस्टर से भी अधिक है। हालांकि मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इस बदलाव पर विचार करते हुए यह (शुल्क) चिंता का मुख्य विषय नहीं होना चाहिए।


यह भी पढ़े : IITs, IIMs, NITs have just 3% of total students but get 50% of government funds


मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “उनके लिए फंड चिंता का सबसे बड़ा कारण नहीं होना चाहिए। वे संस्थानों को परामर्श देकर शायद उनसे उतनी ही फीस ले सकते हैं। बड़ी चिंता यह है कि क्या आईआईटी संस्थान ऐसा कुछ छोड़ने के लिए सहमत होंगे जिसने लंबे समय से इनकी प्रतिष्ठा को खड़ा किया है।”

मिली-जुली प्रतिक्रियाएं

क्या भारत की इंजीनियरिंग शिक्षा प्रणाली या आईआईटी ने स्वयं को इस तरह के एक बड़े बदलाव के लिए तैयार किया है? इस बारे में विशेषज्ञों की मिली-जुली राय है।

आईआईटी के एक निदेशक, जो चाहते थे कि उनका नाम गुप्त रहे, ने कहा: “हालांकि यह अच्छा होगा यदि आईआईटी मास्टर और पीएचडी डिग्री को महत्व देते हुए और अधिक शोध-आधारित दृष्टिकोण की तरफ बढ़ें। ऐसा उस समय तक नहीं हो सकता है जब तक कि हमारे पास आला दर्जे के संस्थान नहीं होंगे जो स्नातक स्तर पर आईआईटी की भी शिक्षा दे सकें। हमें सबसे पहले आईआईटी जैसे अच्छे संस्थानों का निर्माण करना होगा, और फिर धीरे-धीरे स्नातक स्तर के छात्रों की भर्ती में कमी करनी होगी।”

निदेशक ने कहा कि यह एक सराहनीय बात है कि सरकार कम से कम इस मुद्दे पर चर्चा पर ध्यान दे रही है, क्योंकि इससे आईआईटी में अधिक शोधों के लिए मार्ग प्रशस्त होगा, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि जो भी किया जाना है वह धीरे धीरे होना चाहिए।

हालांकि, आईआईटी कानपुर के एक प्रोफेसर धीरज संघी ने कहा कि यह परिवर्तन “विनाशकारी” होगा, और उनका मानना है कि इसे परिषद द्वारा खारिज कर दिया जाएगा।

उन्होंने कहा, “अगर ऐसा कुछ होता है तो हम अच्छी तरह से चल रही एक प्रणाली को नष्ट कर देंगे। हमारे भारत में शोध या परास्नातक स्तर की जो शिक्षा प्रणाली चल रही है वह अच्छी नहीं है, लेकिन कम से कम स्नातक स्तर की जो शिक्षा प्रणाली अच्छी चल रही है हमें उसे तो नष्ट नहीं करना चाहिए।”

Read in English : Will IITs become post-graduate-only? IIT Council to discuss on 21 August

share & View comments