scorecardresearch
Monday, 4 November, 2024
होमशासनरेलवे गैंगमेन के लिए करोड़ों पोस्ट-ग्रेजुएट और इंजीनियर कतार में

रेलवे गैंगमेन के लिए करोड़ों पोस्ट-ग्रेजुएट और इंजीनियर कतार में

Text Size:

रेलवे भर्ती बोर्ड के सूत्रों के अनुसार लेवल 1 नौकरी के लिए 1.9 करोड़ आवेदकों में से अधिकांश ओवरक्वालिफाइड है.

नई दिल्ली: 17 सितम्बर को 1.9 करोड़ आवेदक रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) ‘लेवल 1’ परीक्षा के लिए 62,907 रिक्तियों को भरने के लिए भाग लेंगे, जिसे पहले ‘ग्रुप डी’ कहा जाता था.

हर नौकरी के लिए 302 आवेदक है – रेलवे में निम्नतम स्तर पर नौकरियां, जिनमें गैंगमैन (जो ट्रैक का ध्यान रखते हैं), गेटमैन, पॉइंटमैन, सहायक,इलेक्ट्रिकल / मैकेनिकल / इंजीनियरिंग / सिग्नल / दूरसंचार, में पोर्टर इत्यादि शामिल हैं.

इनके लिए न्यूनतम योग्यता कक्षा 10 है, नेशनल कौंसिल ऑन वोकेशनल ट्रेनिंग या इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीटूट्स से प्रमाणपत्र या तो नेशनल अप्रेंटिसशिप सर्टिफिकेट्स हो.


यह भी पढ़ें : Restless, young India has no connection to IITs & IIMs, but Rahul Gandhi can’t see it


और ये कोई पहली बार हुआ हो,ऐसा भी नहीं है. आरआरबी ने 31 अगस्त को 1.27 लाख पदों के लिए भी परीक्षा आयोजित की थी. लगभग 2.35 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था, और उनमें से बड़ी संख्या में आवेदक ओवरक्वालिफाइड थे .

सरकारी अधिकारियों और स्वतंत्र विश्लेषकों का कहना है कि यह भारत में रोज़गार संकट का स्पष्ट संकेत है – योग्य लोगों के लिए नौकरियों की कमी है . 2014 के चुनाव से पहले यह समस्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एजेंडे पर थी.

मोदी ने सालाना 2 करोड़ नौकरियों को सृजन करने का वादा किया था. हालांकि, 2014 में सत्ता में आने के बाद उन्होंने कितनी नौकरिया सृजन कि इसकी वास्तविक संख्या पर कोई स्पष्टता नहीं है.


यह भी पढ़ें : Missing data on jobs may play key role in 2019 elections


जबकि सरकार का कहना है कि सितंबर 2017 और फरवरी 2018 के बीच 31.1 लाख नौकरियां दी गईं है, सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) जैसे शोधकर्ताओं ने कहा कि यह आंकड़ा 18 लाख के करीब था.

‘आपदा की ओर बढ़ना’

अर्थशास्त्री इस ट्रेंड को ‘फोर्स्ड एम्प्लॉयमेंट ‘कहते हैं, क्योंकि कुछ योग्यताओं के लिए कोई भी खास नौकरियां उपलब्ध नहीं हैं.

अर्थशास्त्री प्रसेनजीत बोस ने कहा कि नौकरियों का सृजन नहीं हो रहा है.

“उन्होंने दिप्रिंट को बताया “हालांकि निजी / कॉर्पोरेट क्षेत्र कई वर्षों से अच्छी स्थिति में नहीं है, सरकारी नौकरियों का अनुपात भी घट रहा है. उन्होंने उचित रोज़गार अनुबंध, उचित वेतन और सामाजिक सुरक्षा का कोई विस्तार नहीं किया गया है.

बोस ने कहा कि “सरकार ने दावा किया है कि वृद्धि दर बड़ी है, लेकिन विकास धीमा हो गया है.” विमुद्रीकरण होने से,वाणिज्य क्षेत्र सिकुड़ गया है और उसे ज़ोरदार झटका लगा है.”


यह भी पढ़ें : India, world’s fastest growing economy, isn’t growing fast enough to create enough jobs


“नौकरियों के मामले में हम आपदा की स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं. रोज़गार और बेरोज़गारी के मामले में कोई उचित डाटा उपलब्ध नहीं है, क्योंकि हमारे रोज़गार का डाटा रखने वाला सेल ही गड़बड़ स्थिति में है. ”

बोस ने इस वर्ष सीएमआईई द्वारा जारी आंकड़ों की भी बात की – उन्होंने बताया की 31 मिलियन भारतीय अभी भी नौकरियों की तलाश में हैं. उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने अपनी नीति नहीं बदली, यदि अर्थव्यवस्था का जल्द ही विस्तार नहीं किया जाता है, तो नई नौकरियां का कोई सृजन नहीं होगा.

एक सुरक्षित नौकरी

एक विशेषज्ञ स्टाफिंग फर्म, एक्सफेनो के सह-संस्थापक कमल करंथ ने कहा कि क्यों ओवरक्वालिफाइड लोग गैंगमैन की नौकरियों के लिए आवेदन कर रहे, क्योकि यह तथ्य है की रेलवे, अन्य सरकारी पदों की तरह, ‘नौकरी सुरक्षा’ प्रदान करता है.

उन्होंने कहा कि अगर “वर्तमान परिदृश्य को देखकर बात करे तो ,कई ग्रेजुएट और पोस्ट-ग्रेजुएट या यहां तक कि इंजीनियर वह जो कर रहे है उसमें स्थायी तरह से सेटल्ड नहीं है. ये उम्मीदवार नौकरियों की सुरक्षा और अतिरिक्त लाभ प्राप्त करने की तलाश में हैं, खासकर अगर चिकित्सा संबंधी आवश्यकताओं का ध्यान दे तो. इन दिनों यह कार्यस्थल गतिशील है.

आरआरबी के कार्यकारी निदेशक अमिताभ खरे ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि ‘लेवल 1’ पदों के लिए आवेदन करने वाले बहुत से लोग ओवरक्वालिफाइड है क्योंकि सरकारी नौकरी “एक सुरक्षित नौकरी” है.

नौकरियों की कोई कमी नहीं

हालांकि हर कोई इससे सहमत नहीं है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांती घोष ने एक रिपोर्ट तैयार की थी जिससे पता चलता है की नौकरियों की कोई कमी नहीं है.


यह भी पढ़ें : Railways lost out due to neglect, warped policies – Suresh Prabhu


रिपोर्ट के अनुसार, हर साल लेबर फ़ोर्स में जोड़े गए 1.5 करोड़ लोगों में से 66 लाख लोग ‘योग्य मानव शक्ति’ के रूप में हैं. 2016-17 के वित्तीय वर्ष में,190 उद्योगों में 45 लाख नए लोगों को वेतन निधि में जोड़ा गया था, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में यह संख्या 55 लाख तक पहुंच गई थी.

घोष ने कहा कि, यह “डाटा दर्शाता है कि राज्य और केंद्र सरकार में हर महीने 50,000 लोग ज्वाइन कर रहे हैं.”

Read in English : Where are the jobs? Crores of post-graduates and engineers apply to be railway gangmen

share & View comments