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Friday, 22 November, 2024
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साधारण कहलाए जाने से नाखुश आईएएस, योग्यता आधार पर चाहते हैं नियुक्ति

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आईएएस एसोसिएशन के नव नियुक्त अध्यक्ष का कहना है कि अधिकांश अधिकारी इंजीनियर, सीए और डॉक्टर हैं तथा उनके पास तकनीकी ज्ञान है।

नई दिल्लीः आईएएस एसोसिएशन मंत्रालयों और विभागों में योग्यता-आधारित नियुक्तियाँ करने के लिए जल्द ही सरकार के लिए एक मानदंड निर्धारित कर देगी, जो इस परिदृश्य को बदल देगी कि अधिकांश आईएएस अधिकारियों में तेजी से बदलते हुए इस तकनीकी से घिरे हुए समाज में काम करने के लिए प्रक्षेत्र विशेषज्ञता की कमी है।

एसोसिएशन के नव नियुक्त अध्यक्ष राकेश श्रीवास्तव ने एक विशेष साक्षात्कार में दिप्रिंट को बताया, “हम इस मामले को सरकार के साथ उठाएंगे और इस आरोप (प्रक्षेत्र विशेषज्ञता में कमीं) के बारे में बताएंगे जो अक्सर हम पर लगाया जाता है, इसलिए उनको यह देखना चाहिए कि क्या अधिकारियों की उनकी तकनीकी विशेषज्ञता के आधार पर नियुक्ति करना संभव है।”

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव श्रीवास्तव ने कहा, एसोसिएशन ने विभिन्न मंत्रालयों में डोमेन विशेषज्ञों के पार्श्व प्रवेश के मुद्दे पर कोई आधिकारिक कदम नहीं उठाया है, लेकिन वह इन आलोचनाओं से परिचित हैं कि ज्यादातर अधिकारी “सामान्यवादी” हैं।


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उन्होंने कहा, “यह मानना गलत है कि आईएएस अधिकारी तकनीकी रूप से योग्य नहीं हैं। अधिकांश आईएएस अधिकारी इंजीनियर, सीए और डॉक्टर वगैरह हैं।”

“वे केवल सामान्यवादी बन जाते हैं अगर उन्हें एक असंबंधित विभाग में नियुक्त कर दिया जाता है… लेकिन यह कहना गलत है कि वे तकनीकी रूप से योग्य नहीं हैं।”

उन्होंने कहा, हालांकि, इंप्रेशन खतम करने के लिए एसोसिएशन इस पर चर्चा करेगा कि क्या अधिकारियों की स्थानांतरण और नियुक्ति नीति को बदला जा सकता है।

राजस्थान कैडर के 1981 बैच के अधिकारी श्रीवास्तव को, पिछले शुक्रवार हुई एक सामान्य निकाय बैठक (जीबीएम) में एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।

जीबीएम में मौजूद एसोसिएशन के सदस्यों ने अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की जैसे कि जैसे कि संस्था को उन स्थितियों में हस्तक्षेप करना चाहिए जहां एक आईएएस अधिकारी पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाया जाता है।

श्रीवास्तव ने कहा, “हमने फैसला किया कि हम एक लोकपाल, एक वरिष्ठ सेवानिवृत्त अधिकारी, नियुक्त करेंगे और इस मुद्दे पर उनकी राय मांगेंगे। लोकपाल की सलाह के आधार पर, हम निर्णय ले सकते हैं कि प्रश्न में अधिकारी का समर्थन करना है या नहीं।”

उन्होंने भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम में नए संशोधन का भी स्वागत किया, जो जाँच एजेंसियों, नौकरशाहों की भारी मांग पर आजोजित, से ईमानदार अधिकारियों की रक्षा करेगा।

उन्होंने कहा, “हम पूरी तरह से इस कार्यवाही का स्वागत करते हैं क्योंकि कम से कम अब अधिकारी के दुर्भावनापूर्ण इरादे साबित किये जा सकेंगे।”

उन्होंने कहा, “इसके अलावा, बेकसूर अधिकारियों को असावधानी पूर्वक गलत निर्णय लेने के कारण आर्थिक नुकसान होने पर सरकार द्वारा दंडित नहीं किया जाएगा।”


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यह पूछे जाने पर, कि क्या उन्हें लगता है कि आईएएस अधिकारियों को महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपना दृष्टिकोण व्यक्त करने और आवश्यकता पड़ने पर सरकार की आलोचना करने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए, श्रीवास्तव ने तर्क दिया कि उन्हें उनके लिए लागू सेवा आचरण नियमों द्वारा निर्धारित सीमा में ऐसा करना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा, “आईएएस अधिकारी जब तक सेवारत हैं तब तक वे आचरण नियमों में उलझे रहते हैं। इसलिए एसोसिएशन का मानना है कि उन्हें नियमों का पालन करना होगा।” उन्होंने आगे बताया कि अधिकारी एसोसिएशन के साथ मामलों पर चर्चा करने के लिए स्वतंत्र हैं और एसोसिएशन इसका फॉलो-अप कर सकता है।

हाल ही में, जम्मू-कश्मीर-कैडर आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने सेवा आचरण नियमों को ‘कठोर नियम’ जैसी जटिल स्थिति की संज्ञा दी।

श्रीवास्तव ने पूछा, “अगर नियमों को कठोर माना जाता है, तो हम उनके बारे में बात कर सकते हैं … अगर सरकार एक अधिनियम (भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम) में संशोधन कर सकती है, तो नियमों में संशोधन क्यों नहीं किया जा सकता है?”

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