छुट्टी पर भेजे गए आलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, एम नागेश्वर राव नहीं करें कोई नीतिगत फैसला.
नई दिल्ली: सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा या पूर्व जज से करवाई जाएगी. समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव कोई भी नीति निर्धारण करने वाले निर्णय नहीं लेंगे.
आलोक वर्मा की तरफ से वरिष्ठ वकील फली एस नरीमन कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने कोर्ट से कहा कि वर्मा का कार्यकाल दो साल का है लेकिन उन्हें कभी भी पद से हटाये जाने की आशंका है.
सरकार की ओर से आधी रात को छुट्टी पर भेजे जाने के अगले दिन वर्मा के कोर्ट में याचिका दायर की थी. इसके बाद अच्छी खासी किरकिरी के बीच सरकार ने सफाई दी थी कि आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को सिर्फ छुट्टी पर भेजा गया है. वे अपने अपने पदों पर बने रहेंगे.
फली एस नरीमन ने कोर्ट में कहा, ‘केंद्र सरकार और केंद्रीय सतर्कता आयोगी की ओर से जो आदेश जारी हुए, वे कानून के तहत आने वाली किसी समर्थ संस्था की सहमति के बगैर जारी किए गए.’
मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा, ‘हम इस मामले को देखेंगे. हमें सिर्फ यह देखना है कि किस तरह का अंतरिम आदेश जारी किया गया.’
एएनआई के मुताबिक, ‘मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के किसी पदासीन या पूर्व न्यायाधीश द्वारा की जाएगी. अंतरिम निदेशक बने एम नागेश्वर राव कोई नीतिगत निर्णय नहीं ले सकेंगे.’
मुख्य न्यायाधीश ने आदेश दिया है कि नये सीबीआई निदेशक नागेश्वर राव अगली सुनवाई तक कोई भी नीतिगत निर्णय नहीं लेंगे.’
मुख्य न्यायाधीश गोगोई ने यह भी कहा कि आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के खिलाफ चल रही सतर्कता आयोग की जांच दो हफ्ते में पूरी की जाए.’
हालांकि, सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने जांच के लिए दस दिन के समय को बेहद अपर्याप्त बताया और सतर्कता आयोगी की जांच की देखरेख सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश से करवाने का विरोध किया.
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सतर्कता आयोग, केंद्र सरकार, सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को नोटिस जारी किया है. मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी.