सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ सीबीआई ने रिश्वत एक रिश्वत मामले में केस दर्ज किया है.
नई दिल्ली: जांच एजेंसी सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ सीबीआई ने एक घूसकांड के सिलसिले में केस दर्ज किया है. दिप्रिंट को जानकारी मिली है कि केस दर्ज होने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय अस्थाना को हटाने पर विचार कर रहा है. इस बारे में अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेना है.
अस्थाना 1984 बैच के गुजरात कैडर के अधिकारी हैं. अस्थाना बिजनेसमैन मोइन कुरैशी से कथित तौर पर रिश्वत की मांग करने और लेने के मुख्य आरोपी हैं. मोइन कुरैशी से जुड़े एक भ्रष्टाचार के मामले की जांच चल रही है. कुरैशी के खिलाफ जो एसआईटी जांच कर रही है, अस्थाना उसकी अगुआई कर रहे हैं.
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सीबीआई ने केंद्रीय सर्तकता आयोग (सीबीसी) को सितंबर में सूचित किया था कि वह अस्थाना के खिलाफ छह भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कर रही है. इस मामलों में दो एफआईआर स्टर्लिंग बायोटेक मामले से जुड़े हैं. दो एफआईआर पत्रकार उपेंद्र राय की गिरफ्तारी से जुड़े हैं और एक एफआईआर चाणक्यपुरी के पालिका सर्विसेज आॅफिसर्स इंस्टीट्यूट से जुड़ी है.
उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि इंटेलीजेंस एजेंसी रॉ के भारत में स्पेशल डायरेक्टर सामंत कुमार गोयल का भी एफआईआर में नाम है, लेकिन वे आरोपी नहीं हैं. गोयल भी 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और ऐसा माना जाता है कि वे अपने बैचमेट राकेश अस्थाना के करीबी हैं.
क्या है मामला?
मोइन कुरैशी एक मीट कारोबारी हैं जो कि अगस्त, 2016 में गिरफ्तार हुए थे. उन पर आरोप था कि वे संदिग्ध लोगों को राहत दिलाने के नाम पर उनसे सीबीआई डायरेक्टर के नाम पर पैसा वसूलते थे. एक मामले में कुरैशी ने सीबीआई डायरेक्टर से मदद दिलाने के नाम पर एक बिजनेसमैन से 5.75 करोड़ रुपये वसूल किए थे.
फरवरी, 2014 में कुरैशी के यहां आयकर विभाग का छापा पड़ा. कुरैशी के ब्लैकबेरी फोन में उस समय के सीबीआई डायरेक्टर एपी सिंह को भेजे गए मैसेज प्राप्त हुए थे. एपी सिंह सीबीआई से रिटायर होने के बाद यूपीएससी में सदस्य नियुक्त हुए थे. लेकिन इस मामले के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था.
तीन साल बाद फरवरी, 2017 में सीबीआई ने केस दर्ज किया. सतर्कता आयोग ने कुरैशी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जिसमें उनपर सीबीआई डायरेक्टर रंजीत सिन्हा और एपी सिंह के नाम पर पैसा वसूलने का आरोप लगाया गया था.
मुख्य प्रमाण
4 अक्टूबर को हैदराबाद के बिजनेसमैन सना सतीश को पकड़ा गया जिसने कथित तौर पर कुरैशी को रुपये दिए थे. मजिस्ट्रेट के समक्ष अपने बयान में सतीश ने अस्थाना, दुबई में रहने वाले बिजनेसमैन मनोज प्रसाद और उनके एक रिश्तेदार सोमेश का नाम लिया था.
सतीश ने आरोप लगाया था कि उसने पिछले 10 महीने में सीबीआई के रडार से बचने के लिए तीन लोगों को तीन करोड़ रुपये दिए. उसने यह भी कहा था कि सीबीआई की पूछताछ से बचने के लिए प्रसाद के कहने पर उसने एक बिचौलिये को 25 लाख रुपये दिए.
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24 अगस्त को अस्थाना ने कैबिनेट सचिव से शिकायत की जिसमें उन्होंने सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाये. इसमें एक आरोप यह भी था कि कुरैशी मामले की जांच को निपटाने के लिए सतीश ने वर्मा को दो करोड़ रुपये दिए.
सूत्रों का कहना है कि अस्थाना की निशानदेही पर सतीश को सितंबर में पूछताछ के लिए बुलाया गया. वह दुबई जाने की कोशिश कर रहा था लेकिन उसके खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी था इसलिए उसे रोक लिया गया.
सतीश ने तब कुरैशी मामले के जांच अधिकारियों से संपर्क किया और पूछा कि डायरेक्टर को पैसा देने के बावजूद ऐसा नोटिस क्यों जारी किया गया. इसके बाद उसे सतर्कता आयोग ने भी पूछताछ के लिए बुलाया.
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इसके बाद 16 अक्टूबर को प्रसाद 1.75 करोड़ रुपये के साथ दुबई से दिल्ली आया और सीबीआई ने उसे पकड़ लिया. सीबीआई को कुछ कॉल रिकॉर्ड, बैंक अकाउंट स्टेटमेंट, ईमेल और मैसेज मिले जो इस मामले में अस्थाना की संलिप्तता को साबित करते हैं.
इस बीच रॉ के गोयल भी सीबीआई की निगाह में थे जो मनोज प्रसाद और सोमेश के लगातार संपर्क में थे. हालांकि, अभी तक उनकी कोई भूमिका सिद्ध नहीं हो सकी है.
वर्मा और अस्थाना का झगड़ा
सीबीआई के उच्च अधिकारी वर्मा और नंबर दो अधिकारी अस्थाना के बीच घनघोर झगड़ा चल रहा है. अस्थाना सत्ता के काफी करीबी हैं और माना जाता है कि एक मजबूत लॉबी उन्हें बचाने में लगी है. यह भी कहा जाता है कि मौजूदा सतर्कता आयोग के प्रमुख कर्नल सिंह से भी उनकी नजदीकी है.
अस्थाना यह भी आरोप लगा चुके हैं कि उनके द्वारा की जा रही विभिन्न मामलों की जांच में वर्मा और एडिशनल डायरेक्टर एके शर्मा दखल दे रहे थे. इसके जवाब में सीबीआई का कहना है कि अस्थाना वर्मा की छवि को धूमिल कर रहे थे और वर्मा के खिलाफ सतर्कता आयोग में शिकायत भेज कर अधिकारियों को धमकाने की कोशिश कर रहे थे.
अस्थाना ने सरकार को वर्मा की शिकायत भेजी थी जिसमें लिखा था कि सीबीआई के निदेशक उनके कार्यों में बाधा डाल रहे हैं, जांच में दखल दे रहे हैं और उनकी छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
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21 सितंबर को सीबीआई ने सतर्कता आयोग को बताया कि वह अस्थाना के खिलाफ छह मामलों की जांच कर रही है. जुलाई में सीबीआई ने सतर्कता आयोग को लिखा कि अस्थाना के पास वर्मा का प्रतिनिधित्व करने के लिए बहुमत नहीं है. सीबीआई ने यह भी लिखा कि कई ऐसे अधिकारियों को सीबीआई में नियुक्त करने पर विचार हो रहा है जिन पर सीबीआई की निगाह है. वे आपराधिक मामलों में संदिग्ध हैं अथवा आरोपी हैं.
यह भी कहा गया कि अस्थाना खुद सीबीआई की जांच के दायरे में हैं और संस्थानिक गरिमा को बनाए रखने के लिए उनको सीबीआई में नियुक्ति नहीं दी जा सकती.
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