योजना अभी शुरुआती चरण में है लेकिन अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को उम्मीद है कि यह प्रोजेक्ट मदरसा शिक्षकों को “आधुनिक” बनाने में सफल होगा.
नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू), आईआईएम, और जामिया मिलिया इस्लामिया के साथ बातचीत में लगी है. इसका उद्देश्य देश भर के मदरसा शिक्षकों के लिए एक कार्यकारी विकास प्रोग्राम (ईडीपी) शुरू करना है.
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले मौलाना आज़ाद एजुकेशन फाउंडेशन के सचिव रिज़वानुर रहमान ने दिप्रिंट को बताया, “मदरसा शिक्षकों के बीच मुख्यधारा से जुड़ाव और आधुनिकता की भावना पैदा करने के लिए हम इन प्रमुख संस्थानों के साथ बातचीत कर रहे हैं ताकि शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा सके.”
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हालाँकि वार्ता अभी “शुरूआती चरण” में है फिर भी उम्मीद है कि आनेवाले दिनों में इस फाउंडेशन को स्वीकृति मिल जाएगी.
रहमान ने कहा कि ईडीपी में शिक्षण पद्धति, मूल्यांकन कौशल और नेतृत्व कौशल का प्रशिक्षण शामिल होगा. “मदरसा शिक्षकों को नेतृत्व कौशल में प्रशिक्षित करने के लिए आईआईएम से बेहतर और कौन हो सकता है?”
यद्यपि कार्यक्रम अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा लेकिन रहमान ने विशवास जताया कि इसमें अधिक लागत नहीं आएगी.
रहमान ने कहा, “यह बहुत महत्वपूर्ण है कि मदरसे के शिक्षक आधुनिकता को अपनाएं और और खुद को भेद-भाव वाली मानसिकता से बाहर निकालें. यह महत्वपूर्ण है क्योंकि अब भी, मुस्लिम समुदाय के लिए मदरसे शिक्षा का प्राथमिक स्रोत हैं.”
संस्थानों द्वारा अगले कुछ दिनों में ड्राफ्ट पाठ्यक्रमों को अंतिम रूप देने की उम्मीद है, जिसके बाद अन्य तरीकों पर चर्चा की जाएगी.
रहमान ने कहा, “आदर्श रूप से, प्रशिक्षण लगभग 15 दिनों का होना चाहिए, लेकिन हमने अभी इस बारे में अंतिम फैसला नहीं किया है.”
विवादस्पद प्रस्ताव के जवाब में आया यह कदम
यह कदम ऐसे समय में आया है जब मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने मदरसों को नियंत्रित करने के लिए एक विवादास्पद प्रस्ताव जारी किया है.
रिपोर्टों के अनुसार, अल्पसंख्यक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय निगरानी समिति (एनसीएमई) के सदस्य पूरे देश में अपंजीकृत मदरसों के विवरण एकत्र करने और राष्ट्रीय स्तर का एक मदरसा बोर्ड बनाने पर विचार कर रहे हैं. प्रस्ताव के मुताबिक, बोर्ड “अकादमिक मानकों को बनाए रखने के लिए” इन्हें मान्यता प्रदान करेगा.
हालांकि, रहमान ने इन ख़बरों का खंडन करते हुए फाउंडेशन को इससे दूर रखा.
उन्होंने कहा, “यह परियोजना पूरी तरह से अलग है, और इसका उद्देश्य केवल मदरसा शिक्षकों के प्रबंधन, टीम निर्माण और नेतृत्व कौशल पर ध्यान केंद्रित करना है.”
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हाल में ही मदरसा शिक्षक अपने विरोध प्रदर्शनों के कारण समाचार में भी रहे हैं. उनका आरोप है कि केंद्र सरकार की स्कीम टू प्रोवाइड क्वालिटी एजुकेशन इन मदरसाज़ (एसपीक्यूईएम) के तहत उन्हें मिलनेवाली तनख्वाह 30 महीने से अटकी पड़ी है.
इस योजना के तहत, जिसे मदरसा आधुनिकीकरण कार्यक्रम के नाम से जाना जाता है, स्नातकोत्तर और स्नातक शिक्षकों को क्रमशः 12,000 रुपये और 6,000 रुपये वेतन दिया जाता है
Read in English : Modi govt wants IIMs, AMU and Jamia to train and modernise madarsa teachers