बांदा जिले के कोलावल रायपुर गांव के तीन सौ से ज्यादा महिला-पुरुष किसान केन नदी की सांकेतिक अर्थी बनाकर बीच जलधारा में ‘जल सत्याग्रह’ कर रहे हैं.
बांदा: उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की कोलावल रायपुर बालू खदान के खिलाफ केन नदी की जलधारा में गुरुवार सुबह शुरू हुआ किसानों का ‘जल सत्याग्रह’ पूरी रात चलता रहा. हालांकि देर शाम अपर जिलाधिकारी ने कथित तौर पर आंदोलन स्थगित होने की सूचना मीडिया को दी थी.
जल सत्याग्रह की अगुआई कर रहे सामाजिक संगठन विद्याधाम समिति के मुखिया राजाभईया सिंह ने शुक्रवार को बताया, ‘कोलावल रायपुर बालू खदान में अवैध खनन और किसानों की फसल चौपट किए जाने के विरोध में केन नदी की जलधारा में किसानों का ‘जल सत्याग्रह’ पुलिस के पहरे में पूरी रात चलता रहा. अपर जिलाधिकारी (वित्त/राजस्व) और अन्य अधिकारियों के साथ किसानों की सुलह वार्ता देर शाम बेनतीजा रही.’
उन्होंने बताया कि किसान लिखित रूप से कार्रवाई का आश्वासन चाहते थे, जबकि अधिकारी मौखिक आश्वासन के जरिए आंदोलन स्थगित कराने पर अडिग थे.
राजाभईया सिंह ने बताया, ‘अधिकारी और किसानों के बीच बात नहीं बनी थी. इसी दौरान अपर जिलाधिकारी ने मीडिया को आंदोलन स्थगित होने की झूठी खबर दे दी थी.’
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उन्होंने बताया, ‘जल सत्याग्रह आंदोलन अब भी (दूसरे दिन) केन नदी में चल रहा है. शुक्रवार दोपहर विरोध स्वरूप सैकड़ों किसान केन नदी के आंदोलन स्थल पर ही ‘कुकर भोज’ (कुत्ता भोज) कराएंगे और इसके बाद केन नदी की सांकेतिक अर्थी के साथ आस-पास के गांवों में भ्रमण के बाद भाजपा विधायक राजकरन कबीर के पैतृक आवास (मुरवां गांव) में धरना देकर अर्थी का अंतिम संस्कार किया जाएगा.’
इस पूरे घटनाक्रम में शुक्रवार को अपर जिलाधिकारी (वित्त/राजस्व) संतोष बहादुर सिंह ने कहा, ‘तीन दिन के भीतर कार्रवाई करने के मौखिक आश्वासन पर किसानों ने अपना जल सत्याग्रह स्थगित कर दिया था, लेकिन कुछ लोगों के बहकावे में आकर देर रात फिर से आंदोलन शुरू किए जाने की सूचना मिली है.’
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘अब किसान जिलाधिकारी से वार्ता करने की इच्छा जता रहे हैं. जिलाधिकारी अभी जिले से बाहर हैं. उनके आने के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है.’