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Tuesday, 19 November, 2024
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भारत के शीर्ष पैसा कमाने वाले 5 स्मारकों का मुसलमान शासकों द्वारा किया गया था निर्माण

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2016-17 में ताजमहल और अन्य 4 स्मारकों ने 146.05 करोड़ रुपये कमाए जो कि केंद्रीय संरक्षित स्मारकों द्वारा अर्जित कुल राजस्व के आधे से अधिक है।

नई दिल्ली: फ्रिंज हिंदू ग्रुप और यहां तक कि कुछ बीजेपी नेताओं ने भी स्मारकों की महत्ता को कम करने की कोशिश की होगी लेकिन आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि भारत के शीर्ष पांच राजस्व पैदा करने वाले स्मारक – ताजमहल, आगरा किला, कुतुब मीनार, फतेहपुर सीकरी और लाल किला सभी मुस्लिम शासकों द्वारा बनाए गए थे।

जबकि कुतुब मीनार दिल्ली सल्तनत के शासकों द्वारा बनाया गया था, बाकी सभी का निर्माण मुगलों द्वारा किया गया था।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के आंकड़ों के मुताबिक, इन पांच स्मारकों ने 2017-18 में 146.05 करोड़ रुपये अर्जित किये है। यह सभी केंद्रीय संरक्षित स्मारकों द्वारा अर्जित कुल राजस्व के 271.8 करोड़ रुपये के आधे से अधिक है।

tajmahal
द प्रिंट

ताजमहल, जो कि हाल के वर्षों में सभी गलत कारणों से सुर्ख़ियों में रहा, ने सबसे ज्यादा 56.83 करोड़ रुपये की कमाई की और पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के खराब संरक्षण को लेकर एएसआई को लताड़ा ।

जबकि कुछ नेताओं ने पिछले साल एक विवाद बनाते हुए कहा कि मुगल-युग के स्मारक भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व नहीं करते है उसके बावजूद 2016-17 के बाद से  भारतीय और विदेशी आगंतुकों की संख्या बढ़ती रही है।

2016-17 में 50.66 लाख पर्यटकों की तुलना में 2017-18 में 64.58 लाख पर्यटकों ने ताज महल की यात्रा की।

पिछले साल, यूपी पर्यटन विभाग ने यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल, ताजमहल को अपनी  विवरणिका में से हटा दिया था।

एक और यूनेस्को विश्व विरासत स्थल, मुगुल सम्राट अकबर द्वारा निर्मित आगरा का किला जो की पिछले वर्ष 30.55 करोड़ रुपये की कुल कमाई के साथ दूसरा सबसे अधिक राजस्व उत्पन्न करने वाला स्मारक रहा।

ओडिशा का कोणार्क सूर्य मंदिर ताजमहल के बाद दूसरे स्थान पर रहा ,32.3 लाख पर्यटकों के साथ इसने राजस्व के रूप में 10.06 करोड़ रुपये कमाए। अधिकारियों ने कहा, ऐसा इसलिए है क्योंकि यह मंदिर केवल भारतीय पर्यटकों में लोकप्रिय है और पिछले साल 32.21 लाख घरेलू पर्यटक यहाँ आये।

देश भर में विश्व धरोहर स्मारकों के लिए विदेशी पर्यटकों को 500 रुपये का भुगतान करना होता है जबकि भारतीय पर्यटकों को प्रवेश शुल्क के रूप में 30 रुपये प्रतिव्यक्ति का भुगतान करना होता है।

इतिहासकार एस इरफान हबीब ने ताज के आगंतुकों में हो रही वृद्धि की व्याख्या करते हुए कहा, “राजनीतिज्ञों द्वारा उगले गए अर्थहीन राजनीतिक विष के माध्यम से पूरी भारतीय आबादी को सांप्रदायिक बनाना असंभव है।”

उन्होंने कहा, “ताजमहल और लाल किले के बारे कोई कुछ भी कहें उससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि भारतीय वहां जाना जारी रखेंगे।”

Read in English : India’s top 5 revenue generating monuments were all built by Muslim rulers

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