राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने 506 ‘दुर्घटना बहुल क्षेत्रों’ की पहचान की जो लोगों की जान लेने के लिए कुख्यात हैं.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजमार्ग लंबे समय से भारत के कमजोर सड़क परिवहन नेटवर्क पर ‘चमकीले धब्बे’ की तरह रहे हैं.
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने इन राजमार्गों पर दुर्घटनाबहुल क्षेत्रों की पहचान की है जिनपर भारत को लंबे समय से गर्व रहा है लेकिन अब वे दुर्घटनाओं के लिए कुख्यात हो गए हैं या जहां दुर्घटनाएं ऐतिहासिक रूप से केंद्रित हैं.
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरे देश में 506 ऐसे गड्डे हैं, जिनमें से अकेले तमिलनाडु में 78 गड्डे (यानि 15.4 प्रतिशत) है, जो किसी भी राज्य में सबसे ज्यादा है.
चौंकाने वाले आंकड़े
सड़क दुर्घटनाओं की संख्या की बात आने पर दक्षिणी के राज्य देश में सबसे ऊपर हैं. केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा संकलित ‘सड़क दुर्घटना रिपोर्ट 2017’ के अनुसार पिछले साल देश में 65,562 सड़क दुर्घटना के मामले पाए गए.
इन दुर्घटनाओं में कुल 16,157 लोग मारे गए थे.
हालांकि, ये दुर्घटनाएं और मौतें सिर्फ ‘दुर्घटनाबहुल क्षेत्रों’ तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि सभी राज्यों से हैं.
68 ‘दुर्घटनाबहुल क्षेत्रों’ के साथ, उत्तर प्रदेश सूची में दूसरे स्थान पर है. लेकिन सभी प्रकार की सड़क दुर्घटना में मारे गये लोगों की सूची में उत्तर प्रदेश ने पहला स्थान प्राप्त किया है. उत्तर प्रदेश में पिछले साल कुल 24,124 लोगों की मृत्यु हुई थी.
सड़क दुर्घटनाओं की कुल संख्या के मामले में, तमिलनाडु के साथ मध्य प्रदेश 53,399 दुर्घटनाओं के साथ दूसरे स्थान पर है. इनमें 10,177 मौतें हुईं. जबकि कर्नाटक 42,542 दुर्घटनाओं (10,609 मौतों) के साथ तीसरे स्थान पर था.
खराब रखरखाव, यातायात अनुशासन की व्यापक कमी ने भारत की सड़कों को विशेष रूप से खतरनाक बना दिया है, जिसके कारण पिछले साल सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 1.5 लाख लोगों ने अपनी जान गंवा दी है.
आधिकारिक आंकड़ों से यह पता चलता है कि 2017 में देश की सभी सड़क दुर्घटनाओं में से 30.4 प्रतिशत दुर्घटनाएं राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुईं. इन दुर्घटनाओं में कुल मौतों की 36 प्रतिशत यानी 53,181 लोगों की मौत हुई.
इसके पिछले साल यानी 2016 में देश की सभी सड़क दुर्घटनाओं में से राष्ट्रीय राजमार्गों पर 29.6 प्रतिशत दुर्घटनाएं हुईं. इन दुर्घटनाओं में 52,075 लोगों की मौत हुई जो कि सड़क दुर्घटना में हुई कुल मौतों का 34.5 प्रतिशत है.
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण सचिव युधिर सिंह मलिक ने दिप्रिंट को बताया कि एजेंसी ने ‘दुर्घटना बहुल’ क्षेत्र में से आधा (250) को सही कर लिया गया है, लेकिन तमिलनाडु में चिन्हित किए गए 78 गड्ढों में से केवल तीन को सही किया गया है.
सड़क इंजीनियरिंग में कमी
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की रिपोर्ट में कहा गया है कि “सड़क इंजीनियरिंग में कमी” के कारण सड़क दुर्घटना में अधिक मौत हुई हैं.
अधिकारियों ने कहा कि “सड़क इंजीनियरिंग में कमी” की कोई विशिष्ट परिभाषा नहीं है. आमतौर पर विवरण का उपयोग तब किया जाता है जब देख रेख करने वाला विभाग की अनदेखी करता है. जैसे सड़क के गड्डों को लेकर खराब योजना बनायीं जाती हैं.
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में एक कॉन्फ्रेंस में कहा था कि भारत अपने नागरिकों के लिए सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने में सफल नहीं रहा है, और भारत में बताए गए दुर्घटनाग्रस्त आंकड़े अन्य देशों की तुलना में ‘शर्मनाक’ थे.
“यह भी बहुत शर्मनाक होता है कि जब भी हम विश्व के दूसरे मंच पर जाते हैं तो यह पता चलता है कि जिन देशों में वास्तव में बड़ी संख्या में दुर्घटनाएं होती थीं, उन देशों ने सुधार कर लिया है, पर हम जस के तस बने हुए हैं.”
“मैं दक्षिण कोरिया गया था और कुछ समय पहले उनके पास 35,000 सड़क दुर्घटना के मामले थे, जो अब 700-800 हो गये हैं. मैं मानता हूं कि हम लोगों को सड़क सुरक्षा प्रदान करने में असमर्थ रहे हैं.”
गडकरी ने आश्वासन दिया और कहा कि उनका मंत्रालय “युद्ध स्तर पर काम कर रहा है और प्रयास कर रहा है कि (सड़क इंजीनियरिंग) सड़क बनाने की तकनीक में कोई गलती नहीं होगी.”
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