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Sunday, 3 November, 2024
होमशासनश्रम बल में लिंग समानता में भारत फिसड्डी, सबसे बुरे प्रदर्शन वाले देशों में बारहवें स्थान पर

श्रम बल में लिंग समानता में भारत फिसड्डी, सबसे बुरे प्रदर्शन वाले देशों में बारहवें स्थान पर

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शीर्ष 20 में भारत एकमात्र गैर-इस्लामी देश है, लेकिन दक्षिण एशियाई पड़ोसियों में से, पाकिस्तान को छोड़कर हर कोई बेहतर प्रदर्शन करता है.

नई दिल्ली: यूनाइटेड नेशंस ह्यूमन डेव्लपमेंट रिपोर्ट (यूएनएचडीआर) के आंकड़ों के मुताबिक जहाँ श्रम बल भागीदारी में लिंग समानता की बात आती है वहां भारत खराब प्रदर्शन करता है.

महिला और पुरुष श्रम बल भागीदारी दरों में व्यापक अंतर वाले 20 देशों में से भारत – जोकि बारहवें स्थान पर है – एकमात्र गैर इस्लामी देश है.

संयुक्त राष्ट्र श्रम बल भागीदारी दर को “कामकाजी उम्र की आबादी (15 वर्ष और उससे अधिक आयु) के उस अनुपात
के रूप में परिभाषित करता है जो मज़दूर बाज़ार में संलग्न होता है, या तो काम करके या सक्रिय रूप से काम की तलाश करके, और फिर उसे कामकाजी आयु की आबादी के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है”.


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भारत में पुरुषों की श्रमबल में भागीदारी दर 78.8 प्रतिशत है जबकि महिलाओं के लिए यह संख्या केवल 27.2 प्रतिशत है. दोनों में 51.6 प्रतिशत का अंतर है.

यही नहीं, भारत श्रमबल में महिलाओं की औसत हिस्सेदारी के मामले में वैश्विक औसत, जोकि 48.7 प्रतिशत है, से भी काफी नीचे है.

लिंग असमानता के मामले में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला देश अफगानिस्तान है, जहां यह अंतर 67.2 प्रतिशत है, इसके बाद यमन और सीरियाई अरब गणराज्य है.

भारत के पड़ोसियों की बात करें तो पाकिस्तान को छोड़कर सभी देश भारत से बेहतर प्रदर्शन करते हैं.

57.8 प्रतिशत के अंतर के साथ पाकिस्तान का सूची में चौथा स्थान है, जबकि बांग्लादेश (46.8) 18 वां और श्रीलंका (39) 25 वां है. नेपाल सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला दक्षिण एशियाई देश है – यह केवल 3.2 प्रतिशत के अंतर के साथ 169 वें स्थान पर है.

 

 

आर्थिक महाशक्तियां अमेरिका और चीन इस सूची के शीर्ष 100 में नहीं हैं – चीन 14.6 प्रतिशत के अंतर के साथ 104 वें स्थान पर है, जबकि अमेरिका 12.6 प्रतिशत के अंतर के साथ 114 वें स्थान पर है.

दुनिया के केवल दो देश जहां पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाएं श्रमबल का हिस्सा हैं, वे हैं अफ्रीकी राष्ट्र बुरुंडी (-2.7 प्रतिशत का अंतर) और मोज़ाम्बिक (-7.9 प्रतिशत).

मोज़ाम्बिक में 82.5 प्रतिशत कामकाजी महिलाएं श्रम बाज़ार का हिस्सा हैं, जबकि पुरुषों के लिए यह आंकड़ा 74.6 प्रतिशत है. बुरुंडी के लिए संबंधित आंकड़े 80.2 प्रतिशत और 77.5 प्रतिशत हैं.

विशेषज्ञ की राय

दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की प्रोफेसर अश्विनी देशपांडे, जो भेदभाव, लिंग और सकारात्मक कार्रवाई में
विशेषज्ञता रखती हैं , ने कहा कि यह भारत के लिए एक चिंताजनक स्थिति थी.

“भारत में महिला श्रम बल भागीदारी दर में, जो पहले से ही कम है,पिछले दशक में गिरावट आई है. ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि महिलाएं काम नहीं करना चाहती हैं.

उन्होंने कहा कि काम की बहुत मांग है, लेकिन सही काम उपलब्ध नहीं है.


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देशपांडे ने महिलाओं द्वारा उठाये जानेवाले घरेलू अवैतनिक काम के बोझ की ओर भी इशारा किया.

“घरेलू मोर्चे पर, यह घरेलू काम का बोझ है जो महिलाओं को औपचारिक श्रम बल से बाहर रखता है. वे घरेलू कामकाज में भाग लेती हैं जो आर्थिक तो हैं, लेकिन अवैतनिक हैं,”उन्होंने कहा.

देशपांडे ने यह मानने से इंकार कर दिया कि इस्लाम महिलाओं के काम करने की आज़ादी में बाधा था – आखिरकार, सिएरा लियोन, अज़रबैजान और नाइजीरिया जैसे मुस्लिम बहुमत वाले देशों का सूची में स्थान 140 से नीचे हैं.

“इस्लाम पर महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी में बाधा के रूप में ध्यान देना गलत है. बांग्लादेश एक मुस्लिम देश है, लेकिन वहां भारत की तुलना में महिला भागीदारी की दर ऊंची है.

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