सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में अपने आखिरी दिन पर न्यायमूर्ति जस्ती चेलमेश्वर न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ, उनके करियर के शिखर बिंदु और सीजेआई के रूप में न्यायमूर्ति गोगोई के बारे में बात करते हैं|
नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम में अपने समय के दौरान प्रशासन पर एक आखिरी दांव खेलते हुए न्यायमूर्ति जस्ती चेलमेश्वर ने शुक्रवार को कहा कि के.एम. जोसफ की फाइल को वापस करने को लेकर नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा प्रस्तुत किये गए कारण “पूरी तरह से अपुष्ट” थे|
न्यायाधीश, जिन्होंने अपने फैसलों के माध्यम से खुद के लिए एक जगह बनाई है, देश की शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में अपने अंतिम दिन दिप्रिंट से बात कर रहे थे।
चेलमेश्वर उन विरले न्यायाधीशों में से एक हैं जिन्होंने अपनी सेवानिवृत्ति के कुछ ही घंटों के भीतर अपना आधिकारिक आवास खाली कर दिया और यह स्पष्ट कर दिया कि वह सेवानिवृत्ति के बाद सरकार से कोई भी नौकरी स्वीकार नहीं करेंगे|
उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का नाम जनवरी में कॉलेजियम द्वारा शीर्ष अदालत के लिए उन्नयन हेतु अनुशंसित किया गया था| सरकार ने इसे चार महीने बाद खारिज कर दिया और पुनर्विचार के लिए जोसेफ की फाइल को कॉलेजियम को वापस कर दिया।
चेलमेश्वर ने कहा कि कॉलेजियम ने अपनी पसंद दोहराई थी और अब यह भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के हाथ में था जो इसे सरकार के पास जल्द से जल्द भेजते|
चेलमेश्वर ने कहा, “मैं चाहता हूँ और प्रार्थना करता हूँ कि वह सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनें| मैंने इसे अवरुद्ध नहीं किया है| मैं बार-बार इसके लिए पूछता रहा हूँ| कॉलेजियम ने सर्वसम्मति से इसकी सिफारिश दोहराई है|”
लेकिन कॉलेजियम की पुनरावृत्ति, जिसका निर्णय 11 मई को लिया गया था, सरकार को क्यों नहीं बताया गया है?
“मैं इसका जवाब नहीं दे सकता| जो मैं कह सकता हूँ वह यह है कि मैंने सीजेआई के सामने बहुत पहले 15 मई को लिखित में अपने विचार (जोसेफ के सम्बन्ध में और सरकार के मत के सम्बन्ध में कि क्यों उनका उन्नयन नहीं किया जाना चाहिए) रखे थे| मैंने पूरे कारण दिए हैं क्यों सरकार द्वारा उठायी गयी आपत्तियां दीर्घकालिक नहीं हैं| मैंने यह आठ-नौ पन्नों के दस्तावेज के रूप में दिया था|”
चेलमेश्वर ने अपने पत्र के ब्योरे को साझा करने से इनकार कर दिया लेकिन कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार ने जोसेफ की नियुक्ति को किसी न किसी तरह से रोकने के लिए कुछ कारण खोजने का प्रयास किया था|
उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता कि वे (सरकार) उनके नाम पर इतने प्रतिरोधी क्यों हैं। लेकिन मेरे विचार में उनके द्वारा दिए गए कारण पूरी तरह से अपुष्ट हैं। मेरे पत्र में मैंने सरकार द्वारा उठायी गयी हर आपत्ति का जवाब दिया है| वे पूरी तरह से अपुष्ट हैं|”
दिप्रिंट को दिए विशेष साक्षात्कार के दौरान चेलमेश्वर ने कई अन्य मुद्दों पर भी बात की|
प्रेस कांफ्रेंस
12 जनवरी, 2018 को चार वरिष्ठ न्यायाधीशों – न्यायमूर्ति चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, एम.बी. कौर और कुरियन जोसेफ ने एक प्रेस बैठक बुलाई थी जहाँ वे सीजेआई दीपक मिश्रा द्वारा कोर्ट के संचालन के ढंग पर आलोचनात्मक थे|
चेलेश्वर ने कहा कि उन्हें इस कदम पर खेद नहीं है।
“मैं इस बात पर टिप्पणी नहीं करना चाहता कि हमने उस प्रेस कांफ्रेंस को आयोजित करने का फैसला क्यों किया था| लोग जो भी निष्कर्ष निकालना चाहते हैं, निकाल सकते हैं| प्रत्येक व्यक्ति की प्रत्येक कार्यवाही की जांच और व्याख्या की जा सकती है| लोगों को ऐसा करने की आजादी है… लेकिन यदि आप मुझसे पूछना चाहते हैं कि क्या मुझे ऐसा (प्रेस कांफ्रेंस आयोजित करने पर) करने पर खेद है, क्षमा करें, मुझे खेद नहीं है|”
न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद पूर्व न्यायाधीशों से कई कॉल प्राप्त हुईं जिन्होंने समर्थन का प्रस्ताव दिया और कहा कि उन्होंने सही काम किया है, “लेकिन किसी ने भी आवाज नहीं उठाई”|
चेलमेश्वर ने कहा, “यह सही सोचने वाले लोगों की चुप्पी है जो अधिक नुकसान का कारण बनती है। एक बहुत सम्मानित न्यायाधीश, जिनका मैं नाम लेना नहीं चाहता, ने मुझे बताया कि मैं कामना करता हूँ की आपको और ताकत मिले| मैंने उनसे पूछा कि आप आवाज क्यों नहीं उठाते? उन्होंने कहा, मैं नहीं कर सकता| वे जानते हैं कि कुछ गलत है लेकिन कुछ उन्हें वापस खींचता है| मेरा मानना है कि यह साहस की कमी है|”
क्या गोगोई सीजेआई बनेंगे?
अनुमान लगाया जाता रहा है कि गोगोई, उन चार न्यायाधीशों में से एक जिन्होंने उच्च न्यायपालिका के काम पर सवाल उठाया था, को अक्टूबर में मिश्रा के सेवानिवृत्त होने पर शायद सीजेआई के रूप में नियुक्त नहीं किया जायेगा लेकिन चेलमेश्वर इन अटकलों को ख़ारिज करते हैं|
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “मुझे नहीं पता| आप सरकार में किसी से पूछिए कि वे क्या करेंगे| लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह होगा (कि सरकार गोगोई की जगह किसी और को देगी, सीजेआई बनने के लिए पंक्ति में अगला कौन है)|”
न्यायपालिका खतरे में है?
चेलमेश्वर ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि न्यायपालिका खतरे में है और उन्होंने अपनी बात पर जोर देने के लिए आपातकाल के दौरान कानून के एक छात्र के रूप में अपने समय को याद किया|
उन्होंने कहा, “इतिहास में ये सभी चीजें और चरण अस्थायी हैं… आपातकाल के चरम पर मैं कानून के विद्यालय में था| किसी भी अन्य युवा व्यक्ति की तरह, मैं बहुत क्षुब्ध था, विशेष रूप से कानून का एक विद्यार्थी होने के नाते, मैं इसके प्रभावों पर चिंतित था| मैं अपने प्रोफेसर गोपाल कृष्ण शास्त्री के पास गया, जिन्होंने मुझे संवैधानिक कानून पढ़ाया था, और उनसे अपनी पीड़ा व्यक्त की| वह मुझ पर मुस्कुराए और मुझे बताया, जवान लड़के, मैं समझता हूँ कि ये कठिन दिन हैं लेकिन इतिहास में चरण रहे हैं, आपने हिटलर जैसा समय नहीं देखा है| मैं हिटलर की मृत्यु के बहुत समय बाद पैदा हुआ था जबकि वह उस पीढ़ी से सम्बंधित थे जिसने इतिहास में उस चरण को देखा था| कुछ भी स्थायी नहीं है| निश्चित रूप से कुछ समस्याएं हैं, कुछ परेशान करने वाले लक्षण हैं लेकिन ये सब स्थायी नहीं हैं| चीजें बदल जाएँगी|”
लेकिन क्या बेहतर के लिए बदलाव होगा?
उन्होंने कहा, “यह बेहतर के लिए होगा, सिर्फ यदि लोग इसे बेहतर के लिए बदलते हैं| यदि आप चुप रहते हैं तो कुछ भी नहीं होगा| कोई भी स्वर्ग से नहीं आएगा और आपके लिए चीजें बदल देगा। आपको यह स्वयं करना है|”
चेलमेश्वर ने यह कहते हुए अपनी बात को विराम दिया कि उनके करियर का चरम बिंदु यह था कि जब वह सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश थे|
“मुझे लगता है, मैं सुप्रीम कोर्ट का 231वां या 232वां न्यायाधीश था| बहुत सारे आयेंगे| मैंने अपना कार्य किया, मैं अपनी शपथ के प्रति ईमानदार था| वह उच्च बिंदु है|”
Read in English : Hitler wasn’t permanent & neither is this phase in Indian Supreme Court: Jasti Chelameswar