मेरठ के हाशिमपुरा में 2 मई 1987 को 42 लोगों की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में तीस हजारी कोर्ट ने अपने फैसले में सभी 16 आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था.
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने मेरठ के हाशिमपुरा नरसंहार मामले में आरोपी सभी 16 पीएसी जवानों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. तीस हजारी कोर्ट के फैसले को पलटते हुए दिल्ली हाइकोर्ट ने सभी को हत्या, अपहरण, साक्ष्यों को मिटाने का दोषी मानते हुए सजा सुनाई है.
31 साल पहले मई 1987 में मेरठ के हाशिमपुरा में 42 लोगों की हत्या कर दी गई थी.
1987 Hashimpura mass murders case: Delhi High Court sets aside the trial court judgement that had acquitted 16 Provincial Armed Constabulary (PAC) officials. Convicts all the accused, sentences them to life imprisonment pic.twitter.com/dk9xxcXF7L
— ANI (@ANI) October 31, 2018
इस मामले में 21 मार्च 2015 को निचली अदालत ने अपने फैसले में सभी 16 आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था. अदालत ने कहा था कि अभियोजन पक्ष, आरोपियों की पहचान और उनके खिलाफ लगे आरोपों को बिना शक साबित नहीं कर पाया.
इससे पहले उत्तरप्रदेश राज्य, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और नरसंहार में बचे जुल्फिकार नासिर सहित कुछ निजी पक्षों की अपीलों पर उच्च न्यायालय ने छह सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
मामले में तत्कालीन गृह राज्य मंत्री पी चिदंबरम की कथित भूमिका का पता लगाने के लिए आगे जांच की मांग को लेकर भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी की याचिका पर भी फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. अदालत ने 17 फरवरी 2016 को स्वामी की याचिका को मामले में अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ दिया था.
मामले में 19 पीएसी जवानों को हत्या, हत्या का प्रयास, सबूतों से छेड़छाड़ और साजिश रचने की धाराओं में आरोपी बनाया था. 2006 में 17 लोगों पर आरोप तय किए गए. सुनवाई के दौरान तीन आरोपियों की मृत्यु हो गई थी.
पीड़ितों की हत्या मेरठ में एक दंगे के दौरान हुई. पीड़ितों को पीएसी की 41 बटालियन द्वारा हाशिमपुरा के पड़ोस से तलाशी अभियान के दौरान उठा लिया गया.
इस मामले में आरोपपत्र मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गाजियाबाद के समक्ष 1996 में दाखिल किया गया था.
नरसंहार पीड़ितों के परिवारों की एक याचिका के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने मामले को सितंबर 2002 में दिल्ली स्थानांतरित कर दिया था.