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Sunday, 22 December, 2024
होमशासन3686 स्मारकों पर खर्चे से ज़्यादा 2017 में अपने आलीशान अॉफिस पर लुटाए एएसआई ने पैसे

3686 स्मारकों पर खर्चे से ज़्यादा 2017 में अपने आलीशान अॉफिस पर लुटाए एएसआई ने पैसे

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हालाँकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के एक अधिकारी ने कहा कि यह तुलना निष्पक्ष नहीं थी, क्योंकि इमारत का निर्माण एक बार होता है न कि बार-बार।

नई दिल्ली: जबकि भारत के अधिकांश विरासती स्मारक जर्जर हालत में हैं, लेकिन यह पता चला है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने पिछले दो वर्षों में अपने शानदार नए मुख्यालयों का निर्माण करने के लिए एक वर्ष में 3,600 से अधिक स्मारकों के संरक्षण पर किये गये खर्च की तुलना में ज्यादा पैसे खर्च किए हैं।

दिप्रिंट द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक एएसआई, स्मारकों की रक्षा और संरक्षण के लिए सर्वोच्च निकाय, ने 2016 से अपने मुख्यालय के निर्माण पर 305.3 करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि इसने 3,686 केंद्रीय संरक्षित स्मारकों के संरक्षण पर 2017-18 में 206.55 करोड़ रुपये से अधिक नहीं खर्च किए।

हाल ही में एएसआई का कार्यालय दिल्ली के जनपथ से तिलक मार्ग पर स्थानांतरित हो गया है।

एएसआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “पुरानी इमारत अब राष्ट्रीय संग्रहालय को दे दी जाएगी।“ अधिकारी ने यह भी बताया कि इस महीने के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई एएसआई इमारत का उद्घाटन करेंगे।

तिलक मार्ग पर नया एएसआई कार्यालय | सान्या ढिंगरा

हालांकि, अधिकारी ने कहा, संरक्षण व्यय के साथ नई इमारत पर खर्च किए गए पैसे की तुलना करना “अनुचित” था, क्योंकि यह एक “वन टाइम इनवेस्टमेंट” है।

अधिकारी ने कहा, “अब से, कार्यालय के लिए रखरखाव लागत न्यूनतम हो जाएगी, जबकि स्मारकों को उसी राशि के साथ संरक्षित रखा जाएगा।“

वित्त में होती कमी

केंन्द्र की ‘एडॉप्ट ए हेरिटेज’ योजना, जो महत्वपूर्ण स्थानों/स्मारकों को संरक्षित और विकसित करने के लिए सार्वजनिक और निजी संस्थाओं के सहयोग को प्रोत्साहन देती है, ने हाल ही में डालमिया भारत समूह द्वारा लाल किले के संरक्षण के समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने पर आलोचनाओं का सामना किया।

इस समझौते, जिसे कथित तौर पर तब से रोक दिया गया है, को कुछ लोगों द्वारा “भारत की विरासत को एक शुल्क के लिए निजी समूहों के साथ अनुबंधित करने” के रूप में पेश किया गया।

हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में देश के कुछ सबसे प्रसिद्ध स्मारकों के संरक्षण पर एएसआई द्वारा खर्च की गई कम राशि के लिए थोड़ी-बहुत आलोचना होती रही है।

एएसआई ने 2017-18 में सभी स्मारकों पर केवल 151.3 करोड़ रुपये ही खर्च किये, जो देश के शीर्ष 10 राजस्व पैदा करने वाले स्मारकों द्वारा अर्जित की गई राशि से भी कम है। इस व्यय में बागवानी गतिविधियों पर खर्च की गई राशि शामिल नहीं है।

और भी बुरा यह है कि पिछले कुछ सालों से व्यय में गिरावट होती रही है। 2014-15 में, एएसआई ने आगरा सर्कल के अंतर्गत आने वाले स्मारकों के संरक्षण पर 14 करोड़ रुपये खर्च किए, जिसमें केंद्र द्वारा संरक्षित पाँच अन्य स्मारकों के साथ ताजमहल, आगरा किला और फतेहपुर सीकरी जैसे विश्व धरोहर स्थल शामिल हैं।

2017-18 में, राशि घटकर 8.5 करोड़ रुपये रह गई। उसी वर्ष, केवल ताजमहल, आगरा किला और फतेहपुर सीकरी ने एक साथ 88.42 करोड़ तक राजस्व अर्जित किया।

2014-15 में चेन्नई सर्कल पर किया जाने वाला व्यय 10.70 करोड़ रुपए था जो 2017-18 में घटकर 4.6 करोड़ रुपये रह गया और वहीं हैदराबाद सर्कल पर किया जाने वाला व्यय 9.98 करोड़ रुपये से घटकर 3.5 करोड़ रुपये रह गया।

केंद्र और डालमिया भारत समूह के बीच समझौते के मुताबिक, कंपनी द्वारा केवल लाल किले के रख-रखाव और संरक्षण पर सालाना 5 करोड़ रुपये के औसत के साथ पाँच सालों में 25 करोड़ रुपये खर्च किए जाने की उम्मीद थी।

एएसआई ने अपनी देखरेख वाले विरासत स्थलों को उनकी भौगोलिक स्थिति के आधार पर 20 से ज्यादा सर्कलों में विभाजित किया है। एएसआई अधिकारी अलग-अलग स्मारकों पर किए गए व्यय का विवरण साझा नहीं कर सके क्योंकि उन्होंने कहा कि एजेंसी ने वह राशि केवल सर्कलों को वितरित की है और सर्कलों ने आगे अलग-अलग स्मारकों को।

अपवाद

व्यय में कमी की इस प्रवृत्ति के कुछ अपवाद हैं, लेकिन इनकी संख्या कम है।

उदाहरण के लिए, 2014-15 में दिल्ली सर्कल, जिसे 2016 में दो भागों में विभाजित किया गया था और एक ‘मिनी सर्कल’ बनाया गया था, पर किया गया व्यय 14.99 करोड़ रुपये था। 2017-18 में, राशि बढ़कर 15.41 करोड़ रुपये हो गई थी। दिल्ली सर्कल में कई अन्य स्मारकों, जिनमें से कई अति उपेक्षित हैं, के अलावा लाल किला, हुमायूँ का मकबरा और कुतुब मीनार जैसे विश्व धरोहर स्थल भी शामिल हैं।

अन्य अपवादों में महाराष्ट्र के मुंबई और नागपुर सर्कल, कर्नाटक का धारवाड़ सर्कल, ओडिशा का भुवनेश्वर सर्कल, असम का गुवाहाटी सर्कल और गुजरात का वड़ोदरा सर्कल शामिल है।

2014 से अन्य सभी सर्कलों पर व्यय कम हो गया है।

एक अधिकारी न कह, हालांकि, संस्कृति मंत्रालय द्वारा एएसआई को दिया गया बजट कोई मुद्दा नहीं है। उन्होंने कहा, “यहाँ धन पर्याप्त है और भविष्य में जब भी किसी स्मारक के लिए और पैसों की आवश्यकता होगी तो हम इसे खर्च करेंगे।“

दिप्रिंट ने व्यय में कमी के संबंध में एएसआई से औपचारिक प्रश्न पूछे, लेकिन प्रकाशन के समय तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी।

Read in English: ASI spent more on its swanky new office than it did on 3,686 monuments in 2017

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