केन्द्रीय मंत्री का कहना है कि वैष्णो देवी यात्रा में घोड़ों के बजाय बैटरी द्वारा संचालित गाड़ियों का उपयोग किया जाना चाहिए, क्योंकि घोड़े ग्लैंडर्स (घोड़ों का एक रोग) नामक एक बेहद संक्रामक रोग का स्रोत हैं।
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने, वैष्णो देवी मंदिर में माल और लोगों के परिवहन के लिए उपयोग किए जाने वाले 5,000 से अधिक घोड़ों और टट्टुओं को चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिए, जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से आग्रह किया है।
गाँधी – जो पशु कल्याण के प्रति अपनी वचनबद्धता के लिए जानी जाती हैं – गुरुवार को एक पत्र में लिखते हुए कहा कि माता वैष्णो देवी के रास्तों पर चलने वाले इन घोड़ों को बैटरी-संचालित गाड़ियों के साथ प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए।
गाँधी ने लिखा है, कि कई तीर्थयात्री, पवित्र मंदिर तक पहुँचने से पहले 12-13 किलोमीटर की यात्रा, टट्टुओं, खच्चरों और गधों द्वारा तय करने का विकल्प चुनते हैं, जो ग्लैंडर्स नामक एक बेहद संक्रामक और सूचनीय जूनोटिक रोग का स्रोत हैं।
ग्लैंडर्स नामक एक बेहद संक्रामक रोग, जिसका दुनिया में कहीं भी कोई इलाज नहीं है, का सबसे बड़ा खतरा घोड़े के मालिकों को है। पत्र में पढ़ा गया कि, वह व्यक्ति जो घोड़ों / खच्चरों के संपर्क में रहता है वह फ्लू जैसे लक्षणों के कारण मर जाता है।
गाँधी ने कहा “कि पूरे रास्ते में पशु चिकित्सा सेवाएं प्रदान करना “असंभव” है इसलिए घोड़ों के मालिक जानवरों की मृत्यु दर के कारण भारी और बार-बार नुकसान उठाते हैं, जबकि इनकी आमदनी कम होती है।“
पिछले साल, राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने जम्मू-कश्मीर सरकार को घोड़ों और खच्चरों को धीरे-धीरे कम करने का आदेश दिया था। लेकिन बाद में, राज्य के मुख्य सचिव ने घोड़ों और खच्चरों के लिए ग्रीन पैनल के समक्ष एक पुनर्वास योजना मसौदा दर्ज किया, जिसे अभी तक लागू नहीं किया गया है।
पिछले महीने, अदालत ने अपने आदेश के गैर-अनुपालन के लिए कश्मीर सरकार पर 50 लाख रुपये जुर्माना लगाया था।
पुनर्वास योजना में घोड़ों के मालिकों के लिए वैकल्पिक आजीविका के प्रावधान हैं। गाँधी ने मुफ्ती को लिखे अपने पत्र में यह भी कहा है कि बैटरी संचालित गाड़ियों को लाने का मुख्य उद्देश्य – घोड़ों को हटाना है और जिन लोगों की आय का स्त्रोत ये घोड़े हैं, उन्हें बैटरी संचालित गाड़ियों से आय का वैकल्पिक स्रोत दिया जाना है।
इससे पहले, एनजीटी ने वैष्णो देवी में तीर्थयात्रियों की संख्या प्रति दिन 50,000 तक सीमित कर दी थी और किसी को भी क्षेत्र में सड़कों पर कूड़ा फेंकते हुए पकड़े जाने पर – अधिकारियों से “पर्यावरण मुआवजे” के रूप में 2,000 रुपये का जुर्माना लगाने के लिए कहा था। आलोचनाओं के साथ इसे न्यायिक अतिसंधान के रूप में देखा गया था।