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Saturday, 21 December, 2024
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राजस्थान के कलेक्टर ने जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए पैराट्रूपर की 5 महीने की बच्ची को क्यों लिखा पत्र

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झालावाड़ के कलेक्टर जितेंद्र कुमार सोनी अंतिम संस्कार में बच्चे के दृश्य से इतना हिल गए कि उन्हें तुरंत उस बच्ची के लिए लिखना पड़ा।

नई दिल्ली: तिरंगे से ढके हुए अपने पिता के ताबूत पर लेटी पाँच महीने की बच्ची ने राजस्थान के कलेक्टर को इतना हिलाकर रख दिया कि उन्होंने उस बच्ची को एक पत्र लिखने के लिए स्वयं को मजबूर महसूस किया।

सेना के पैराट्रूपर मुकुट बिहारी मीना 11 जुलाई को कश्मीर में विद्रोह विरोधी अभियान के दौरान कार्रवाई में शहीद हो गए थे। इसके तीन दिन बाद 14 जुलाई को उनके अंतिम संस्कार के दौरान उनकी बेटी आरु का उनके ताबूत पर लेटे हुए फोटो लिया गया था।

इस दृश्य ने झालावाड़ के कलेक्टर जितेंद्र कुमार सोनी, जो अंतिम संस्कार में उपस्थित थे, को उस बच्ची तक पहुँचने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद उनका लिखा हुआ पत्र तब से वायरल हो गया।

सोनी ने दिप्रिंट को बताया, “उनका पार्थिव शरीर नीचे रखे जाने के आधे घंटे के भीतर, मैंने देखा कि आरू उनके ऊपर लेट गई। मुझे नहीं पता कि उसके मासूम दिमाग में क्या चल रहा था या क्या वह समझ गई कि क्या हुआ था।”

यहाँ पर पत्र पढ़ें।

उन्होंने कहा, “जब मैं इस छोटी सी बच्ची को देखते हुए वहाँ बैठा हुआ था, तो मैं कोई मदद तो नहीं कर सकता था लेकिन उस असहनीय दर्द को महसूस जरूर कर सकता था जिसका हमारे सैनिकों के परिवार वाले सामना करते हैं। हम कभी भी उनके नुकसान को नहीं समझ सकते हैं।”

इसके बाद उन्होंने अपनी भावनाओं को जाहिर करने के लिए एक फेसबुक पोस्ट लिखी, और इसे व्हाट्सएप पर मीना के परिवार को टेक्स्ट भेजकर “शहीद की बेटी आरू” को संबोधित किया।

सोनी ने कहा, “मैं बस इस छोटी सी बच्ची को स्थिति के बारे में समझाना चाहता था। मुझे पता था कि मैं उसके बड़े होने की प्रतीक्षा नहीं कर सकता था, क्योंकि तब शायद मैं इस बात को इतनी अच्छी तरीके से कहने में सक्षम नहीं होता। इस समय, मैं यह भी जानता हूँ कि मैं उसे मौखिक रूप से नहीं बता सकता था क्योंकि वह महज पाँच महीने की छोटी बच्ची है। इसलिए मैंने उसे लिखने का फैसला किया।”

सोनी ने पत्र में लिखा, “प्रिय आरू, जब आप आपने शहीद पिता के ताबूत पर बैठी हुई थी और बिना रोये ताबूत को छू रही थीं, तो मैं समझ नहीं सका कि आपके दिल और दिमाग पर क्या चल रहा था, लेकिन यह बहुत भावनात्मक था।

अंतिम संस्कार के दौरान मौजूद मैं और कई सेना अधिकारी आपको देख रहे थे और मैं कह सकता हूँ कि यह आपकी मासूमियत और आपके पिता का सर्वोच्च त्याग था जो हर किसी के दिमाग में बैठ गया था।”

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दिप्रिंट.इन

आरू के पिता के त्याग के बारे में पत्र में और भी जिक्र किया गया। आगे उन्होंने लिखा, “उन्होंने आपसे वादा किया था कि वह ‘रक्षाबंधन’ तक वापस आ जाएंगे, लेकिन उनकी मातृभूमि के प्रति किया गया उनका वादा अधिक मजबूत था।”
बाद में सोनी ने आरू से उसके पिता के बलिदान पर गर्व करने के लिए लिखा। उन्होंने लिखा, “आपके साथ पूरा देश शोकाकुल है।”

कथित तौर पर, सरकार इस क्षेत्र के एक वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय को ‘मीना’ नाम देने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है और उम्मीद है कि सरकार उनके परिवार की मदद करेगी।

हालांकि, परिवार को अभी तक सरकार से कोई आधिकारिक संदेश नहीं मिला है। फिर भी, वे कहते हैं कि कलेक्टर के पत्र ने उन्हें द्रवित कर दिया।

मीना के बड़े भाई शंभूदयाल ने दिप्रिंट को बताया, “यह बहुत बड़ी बात है कि उन्होंने हमारी छोटी सी बच्ची के लिए समय निकाला। दिल को छू लेने वाले उनके पत्र ने हमें भी द्रवित कर दिया। हमें उम्मीद है कि जब आरू बड़ी हो जाएगी तो वह भी ऐसा ही महसूस करेगी।”

Read in English : Why Rajasthan collector wrote to 5-month-old child of paratrooper killed in J&K

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