दक्षिण गोवा के एक नागरिक निकाय ने पहले ही सभी धर्मों के लिए इस प्रकार की भूमि का निर्माण कार्य पूरा कर लिया हैः मंत्री का कहना है कि यह विचार गोवा के महानगरीय चरित्र के अनुरूप है।
पणजीः गोवा सरकार नगरपालिका निकायों को एक ऐसा सार्वजनिक स्थल बनाने के लिए प्रेरित कर रही है जहाँ लोगों को एक साथ दफनाया और जलाया जा सके तथा सभी धर्मों के लोग एक साथ आराम से शून्य में विलीन हो सकें। यह भारत में इस प्रकार का पहला स्थान होगा।
अधिकारियों ने बताया कि दक्षिण गोवा के एक शहर पोंडा की नगर पालिका ने पहले ही इस प्रकार की जमीन (सार्वजनिक कब्रिस्तान) के निर्माण का कार्य पूरा कर लिया था।
इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए उत्तरी गोवा के बर्डेज तालुका के पास एक शहर मापुसा में एक जमीन है। जिसके लिए हाल ही में राज्य शहरी विकास विभाग ने 20,000 वर्ग मीटर के एक क्षेत्र की पहचान की है, इसके लिए सरकार को 8 करोड़ रूपये खर्च करने होंगे।
गोवा के महानगरीय चरित्र के अनुरूप
2011 की जनगणना के अनुसार गोवा में 14.58 लाख की आबादी थी। जिसमें लगभग 66 प्रतिशत हिंदू,25 प्रतिशत ईसाई,लगभग 8 प्रतिशत मुस्लिम और कुछ हजार की संख्या में बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग हैं।
“गोवा एक बहुत ही महानगरीय राज्य है, इसलिए यह सभी समुदायों को संतुष्ट करने के लिए इसकी अपनी तरह की पहली पहल है। गोवा के शहरी विकास मंत्री फ्रांसिस डिसूजा ने दिप्रिंट को बताया कि “हमारे पास एक ही अंतिम संस्कार स्थल में विभिन्न धर्मों के लिए अलग-अलग स्लॉट होंगे।“
लगभग 20 सालों से मापुसा के विधायक रहे डीसूज़ा का कहना है कि यह अंतिम संस्कार के सार्वजनिक स्थल उन लोगों के लिए काफी सहायक सिद्ध होगा जिनके किसी विशेष धर्म की पहचान नहीं हो पाती है।
भाजपा के विधायक का कहना है कि, “मेरे राजनीतिक करियर में मैंने कई बार देखा है कि लोग मेरे पास आते हैं और शिकायत करते हैं कि किसी विशेष धार्मिक समुदाय के लोग उनके मृतकों को अपने अंतिम संस्कार स्थल में अंतिम संस्कार करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं।“
उन्होंने आगे कहा कि, “अधिकतर चर्च और शमशान अपने से बाहर के समुदाय के लोगों को अपने अंतिम संस्कार स्थलों में समायोजित करने से इंकार कर देते हैं। फिर ईसाई, हिंदुओं और मुसलमानों के बीच विभिन्न संप्रदाय और जातियाँ हैं।यह सार्वजनिक अंतिम संस्कार स्थल इस समस्या को हल करने में काफी सहायता प्रदान करेगा।“
डीसूज़ा के अनुसार,यह सभी नगर पालिकाओं की जिम्मेदारी है कि वे मृत्यु के बाद सभी नागरिकों को समान और पर्याप्त अंतिम विश्राम स्थल प्रदान करके उनकी सेवा करे और सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह सभी नागरिक निकायों को अधिक संख्या में ऐसे सार्वजनिक अंतिम संस्कार स्थलों का निर्माण करने की दिशा में निर्देशित करे।
गोवा मानवाधिकार आयोग भी राज्य के स्थानीय नागरिक निकायों पर सभी धर्मों और संप्रदायों के लोगों के लिए अंतिम संस्कार स्थल प्रदान करने का दबाव डाल रहा है।
पहला सार्वजनिक कब्रिस्तान
गोवा का पहला सार्वजनिक कब्रिस्तान, जिसे पांडा नगर परिषद ने हिंदू श्मशान घाट के परिसर में बनवाया है, में 42 मृत शरीरो को समायोजित करने की क्षमता है।
नगरपालिका परिषद के मुख्य अधिकारी नवनाथ नायक ने कहा, “हम यहाँ किसी भी चिन्ह को किसी भी समुदाय के लिए आरक्षित नहीं कर रहे हैं। पांडा के अन्तर्गत कोई भी कब्रिस्तान की सुविधाओं का उपयोग कर सकता है।”
नायक ने कहा, “सभी नागरिक समुदाय अब इसी तरह की व्यवस्था करने पर काम कर रहे हैं।”
हालांकि, उन्होंने गोवा में लंबे समय से रह रहे सदस्यों द्वारा इस तरह के एक सार्वजनिक कब्रिस्तान के उपयोग करने पर संदेह व्यक्त किया है।
नायक ने कहा, “आमतौर पर, सभी समुदायों में दफन करने और अंतिम संस्कार करने के लिए अपनी निजी सुविधाएं होती हैं और परंपराओं के अनुसार इन समुदायों के द्वारा विकल्प चुनने की आवश्यकता होती है।“ उन्होंने कहा कि सार्वजनिक कब्रिस्तान उन लोगों के लिए अधिक उपयोगी होंगे जिनके पास कोई विकल्प नहीं होते।
I do not know when this casteism will end with India, and they are not allowing any angle?