गोरखपुर जेल से रिहा हुए कफील खान ने आरोप लगया है कि वह उन 150 कैदियों में से एक थे जिनको 50 लोगों की क्षमता वाली बैरक में बंद किया गया था। लेकिन यह कोई खास बात नहीं है, भारतीय जेलों में कैदियों की अत्यधिक संख्या एक बारहमासी समस्या है।
नई दिल्लीः कुछ दिन पहले डॉ. कफील खान को गोरखपुर अस्पताल त्रासदी मामले में जेल से रिहा कर दिया गया है। बच्चों को बचाने की कोशिश करने के कारण कई लोगों के द्वारा हीरो के रूप में सम्मानित डॉ. कफील को उत्तर प्रदेश की जेल में करीब आठ माह का समय बिताने के बाद जमानत दी गई थी। उन्हें जेल में फर्श पर सोना पड़ता और वह उन 150 कैदियों में से एक थे जिनको 50 कैदियों की समायोजन क्षमता वाली बैरक में बंद किया गया था।
खान जेल की इस समस्या का सामना करने वाले अकेले व्यक्ति नहीं हैं, इस साल सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किए गए आँकड़ों के अनुसार, भारत भर के जेलों में बंद कैदियों की संख्या जेलों की समायोजन क्षमता से अधिक है।
जटिल समस्या
भारत में 1,59,158 कैदियों की समाजोयन क्षमता वाली 134 केन्द्रीय जेल हैं। हालांकि, इनमें इनकी समायोजन क्षमता से अधिक 1,85,182 कैदी बंद हैं, जोकि 116.4 प्रतिशत है।
मुंबई, महाराष्ट्र में केंद्रीय जेल में कैदियों की अधिग्रहण दर सबसे अधिक 332 प्रतिशत है जबकि दिल्ली के तिहाड़ जेल में 243 प्रतिशत है।
देश भर के जिला जेल 1,37,972 कैदियों को समायोजित करने की क्षमता रखते हैं, हालांकि इनमें करीब 1,80,893 कैदियों (131.1 प्रतिशत) को बंद किया गया है।
बिहार के माधेपुरा जेल में कैदियों की अधिग्रहण दर उसकी क्षमता की 338 प्रतिशत है, जबकि हरियाणा के रेवाड़ी जिला जेल में यह दर 270 प्रतिशत है। जम्मू कश्मीर के अनंतनाग की जिला जेल में कैदियों की अधिग्रहण दर 248 प्रतिशत जबकि असम के हाइलाकान्ढि जेल में कैदियों की अत्यधिक संख्या के साथ यह दर 280 प्रतिशत है।छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में कैदियों की अधिकतम संख्या के साथ यह दर 280 प्रतिशत है।
वर्ड प्रीजन ब्रीफ के अनुसार,पूरे विश्व में 4,19,623 कैदियों के साथ भारत पांचवें स्थान पर है। चीन को पछाड़ते हुए, कैदियों की सबसे अधिक आबादी संयुक्त राज्य अमेरिका की जेलों में है।
अधिकांश हैं परीक्षण के अधीन
यह अच्छी तरह से ज्ञात है कि विभिन्न जेलों में बंद लगभग 75 प्रतिशत कैदी परीक्षण के अधीन हैं, जिनमें से कई काफी समय से जेल में हैं, जैसा कि उन्हें दोषी ठहराया गया था।
2015 के लिए राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आँकड़ों से पता चला कि जेल में दो तिहाई कैदी परीक्षण के अधीन हैं। बिहार और जम्मू-कश्मीर की स्थिति मासाअल्ला है, जिसमें80 प्रतिशत कैदियों की आबादी परीक्षण के अधीन है। परीक्षण के अधीन लगभग 25 प्रतिशत कैदियों ने सलाखों के पीछे एक साल से भी अधिक समय बिताया है।
सुप्रीम कोर्ट है आश्चर्यचकित
मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने इन आँकड़ों पर अपनी निराशा जताते हुए,अधिक भीड़-भाड़ वाली जेलों के लिए चिंता व्यक्त की थी।
देश भर में लगभग 1300 से अधिक कारागारों में कैदियों की संख्या बद से बदतर है, इस सूचना के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को आड़े हाथ लेते हुए कहा था कि “कैदियों को जेल में जानवरों की तरह नहीं रखा जा सकता है।”वास्तव में, अमीकस क्यूरी गौरव अग्रवाल द्वारा दायर की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, 150 प्रतिशत से अधिक और एक विशेष उदाहरण में 600 फीसदी से अधिक भारतीय बंदीगृह अधिक भीड़-भाड़ वाले हैं।