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Saturday, 27 April, 2024
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अपने गानों से गन और गैंगस्टर को ख़त्म करो नहीं तो जेल जाओ- पंजाब सरकार की गायकों को चेतावनी

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राज्य पुलिस का दावा है कि युवाओं के हिंसक होने में पंजाबी गीतों की एक अहम भूमिका है

चंडीगढ़: पंजाब ने हाल ही में गन और गैंगस्टर की तारीफ में गाए जाने वाले गानों की होड़ को देखा है। इन सभी परिस्थितियों ने बेलगाम होते गायकों और गीतकारों पर लगाम कसने के लिए राज्य संस्कृति आयोग के गठन को तैयार कर दिया है।

पर्यटन और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने पिछले महीने पंजाब संस्कृति आयोग के निर्माण की बात की थी, जो गन और गैंगस्टरों के समर्थन में गीत गाने वाले गायकों की निगरानी और उनके खिलाफ कार्यवाई करेगा।
आयोग के अध्यक्ष प्रसिद्ध पंजाबी कवि और लेखक डॉ. सुरजीत पातर का कहना है कि “आयोग के क्रियान्वयन के लिए एक अधिनियम का प्रारूप तैयार हो जाने और उसके विधानसभा से पारित हो जाने के बाद आयोग क्रियाशील हो जाएगा।“

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह इसके मुख्य संरक्षक होंगे। आयोग के पास पंजाबी गीतों को विनियमित करने के अलावा इस प्रकार के मामलों के दोहराव पर अपराधियों के खिलाफ पुलिस कार्यवाई करवाने की शक्ति होगी।

पातर ने कहा कि, “हालांकि, राज्य में एक अंतरिम सलाहकार बोर्ड समान उद्देश्य से कार्य करना प्रारंभ कर देगा। इस बोर्ड में गायकों, कवियों, गीतकारों, बुद्धिजीवियों, लेखकों और इसी क्षेत्र से संबंधित अन्य लोगों को शामिल किया जाएगा। पातर पंजाब कला परिषद के अध्यक्ष भी हैं।

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4 मई को इस बोर्ड की पहली बैठक का आयोजन किया जाएगा।

पातर ने कहा कि, “हम एक सेंसर बोर्ड बनाने के पक्ष में नहीं हैं। एक सलाहकार बोर्ड के साथ इस प्रक्रिया को प्रारंभ करना अधिक स्वीकार्य होगा।“ आगे उन्होंने कहा कि, “बोर्ड सार्थक अर्थ वाले गीतों को प्रोत्साहित करने के लिए काम करेगा। जो कुछ भी हो रहा है हम उससे निपटने के लिए एक समुचित प्रक्रिया अपनाने का इरादा रखते हैं।“

अश्लील गानों पर कसा सिकंजा

सबसे पहले बोर्ड सार्वजनिक स्थानों पर अश्लील और आपत्तिजनक गीतों पर संज्ञान लेगा। पातर ने कहा कि लोगों ने अक्सर निजी और सरकारी बसों में गंदे गीतों के चलाए जाने की शिकायत की है।

अश्लीलता के अलावा पंजाबी गानों में बंदूकों और गुंडागर्दी वाले गानों की होड़ लगी हुई है। इस प्रकार के गीत सोशल मीडिया पर लगातार लोकप्रिय हो रहे हैं और जल्द से जल्द सफलता, लोकप्रियता और ग्लैमर की तलाश करने वाले युवा इसका शिकार हो रहे हैं।

27 वर्षीय मनकीरत औलख का मामला भी कुछ इसी प्रकार का मामला है। पिछले साल मई में रिलीज हुए इनके गीत और वीडियो “पिंड सारा गैंगलैंड बणयां” को 87 मिलियन व्यू मिले थे। इस गीत को स्पीड रिकार्ड द्वारा रिलीज किया गया था। इसी प्रकार पिछले साल अगस्त में रिलीज हुए उनके एक और गीत “जैलां चों फोन आंगे” को 28 मिलियन लोगों द्वारा देखा गया था, इसके बाद उनका अगला गीत “बदनाम” रिलीज हुआ था जिसको 125 मिलियन से अधिक लोगों के द्वारा देखा गया था।

पातर ने कहा कि, “सोशल मीडिया में जो फैलाया जा रहा है उस पर कोई नियन्त्रण नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए केवल गायक या गीतकार ही नहीं बल्कि निर्माता भी बराबर के जिम्मेदार होंगे।“
पातर ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि, “निर्माता इसका तुरंत रिटर्न चाहते हैं और गायकों को ऐसे गीत गाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं जिसको वे तेजी से बेच सकें।“

सिद्धू की पहल

सिद्धू, जो कि स्वयं एक क्रिकेटर और शोमैन हैं, ने इस मामले पर कठोर रवैया अपनाने का फैसला किया है। आयोग के गठन के समय उन्होंने कहा कि, “संस्कृति आयोग उन गायकों और कलाकारों के खिलाफ कठोर कार्यवाई करने के लिए अधिकृत है जो राज्य के सांस्कृति परिदृश्य को अश्लील, दोहरे अर्थों वाले और उत्तेजक गीतों के माध्यम से प्रदूषित करते हैं।“

सिद्धू का कहना है कि, “आयोग पहले कारण बताओ नोटिस जारी करेगा, फिर गायकों को बातचीत करने के लिए बुलाया जाएगा। इसके बाद भी यदि वे इसको नहीं रोकते हैं तो गायक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अंतिम विकल्प भी आयोग के पास खुला होगा।“

आगे उन्होंने कहा कि,“सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 में इस संबंध में कार्रवाई करने के लिए प्रासंगिक प्रावधान रखे गए हैं।“

कुछ गायक इस कदम का समर्थन करते हैं। एक पंजाबी गायक जसबीर जस्सी ने कहा कि, “जो भी गीत लोगों तक पहुँचे उसे पहले एक जाँच प्रक्रिया के माध्यम से गुजरना चाहिए। लेकिन सेंसरसिप का काम करना कोई आसान बात नहीं है।”
उन्होंने कहा कि, “एक ही शब्द को एक ही गीत में कुछ अलग तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है और इसका अर्थ कुछ गंदा भी हो सकता है। जो लोग इस प्रकार का कार्य करते हैं उनको अपने दृष्टिकोण में व्यक्तिपरक (मन की भावनाओं) और उद्देश्य दोनों रखने होंगे।“

गायकों को पुलिस की नसीहत

राज्य पुलिस का दावा है कि युवाओं के हिंसक होने में पंजाबी गीतों की एक अहम भूमिका है। फरवरी में जिला पुलिस प्रमुखों को गायकों के साथ एक-एक करके बैठक करने और उनको साफ-सुथरे गीत गाने के लिए कहने हेतु निर्देशित किया गया था।

पंजाबी गीतों और वीडियो को नियंत्रित करने हेतु एक सेंसर बोर्ड के गठन का पहली बार तत्कालीन संस्कृति मंत्री सरवान सिंह फिल्लौर ने अगस्त 2012 में प्रस्ताव दिया था, लेकिन तब इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया था।
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय पंजाबी गीतों में अश्लील गीतों को रोकने और विवाह और अन्य समारोहों में जोरदार तथाउत्तेजक गानों के बारे में एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं। 17 मई को इस मामले में अगली सुनवाई की जाएगी।

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