नई दिल्ली: प्रयागराज के महाकुंभ मेले में गंगा तट की ओर जा रहे राख से लिपटे एक नागा साधु की पीठ पर मोटे काले रंग में देवनागरी लिपि में हिंदी वर्णमाला के मौटे अक्षर उभरे जिसे देखने के लिए भक्तों का हुजूम रुक गया.
वे उन 50 नागा साधुओं में से एक हैं, जिन्होंने ‘अनदेखा आई टेस्ट’ नामक अभियान के तहत — अंधेपन को रोकने — के लिए खुद को एक सजीव बिलबोर्ड में बदल लिया है.
फोटोग्राफर रोहित चावला ने कहा, “कुंभ में आने वाले लोग दो काम कर रहे हैं — स्नान करना और नागाओं की तस्वीरें लेना. सबसे ज़्यादा देखे और तस्वीरों में कैद किए जाने वाले इन लोगों को हेल्थ के लिए एक फिजिकल चलते-फिरते बाहरी होर्डिंग में बदलने का हमारा यह क्रिएटिव आईडिया था.”
यह अभियान गोदरेज क्रिएटिव लैब की ग्लोबल हेड स्वाति भट्टाचार्य का आईडिया है, जिन्होंने चावला के साथ मिलकर आध्यात्मिकता और विज्ञान को मिलाने का काम किया.
24 फरवरी तक 15 दिनों तक चलने वाले इस कैंप में गोदरेज क्रिएटिव लैब और मुंबई के आई सर्जन डॉ. निशांत कुमार द्वारा संचालित एनजीओ आईबेट्स फाउंडेशन की मदद से श्रद्धालुओं और पुलिस कर्मियों के लिए आंखों और मधुमेह की जांच फ्री की जाएगी.

स्वाति भट्टाचार्य ने कहा, “इस अभियान की खूबसूरती इसकी सादगी और प्रभाव में है. किसी भी बिलबोर्ड या विज्ञापन से ज़्यादा, नागा हमारे सच्चे सेलिब्रिटी इन्फ्लुएंसर हैं. हमने देखने के काम को अवेयरनेस के काम से बदल दिया.”
इस अभियान का उद्देश्य 40,000 से ज़्यादा लोगों तक पहुंचना और नागा साधुओं की मदद से स्वास्थ्य पर बातचीत शुरू करना है.
चावला ने कहा, “मैं नागा साधुओं के विज़ुअल क्लिच से वाकई थक चुका था. शुरू में, यह सिर्फ अनिवार्य पश्चिमी फोटोग्राफर हुआ करते थे जो तथाकथित सपेरों और नागा साधुओं को भारतीय विदेशी चीज़ के रूप में प्रचारित करते थे, लेकिन अब यह एक तरह का राष्ट्रीय जुनून बन गया है.”
एक मौका
लेकिन एकांतप्रिय नागा साधुओं को साथ लाना आसान काम नहीं था. यही कारण है कि ‘अनदेखा आई टेस्ट’ पहले शुरू नहीं हुआ.
अखाड़ों से अनुमति लेनी पड़ी और वरिष्ठ साधुओं को राज़ी करना पड़ा.
भट्टाचार्य ने कहा, “हमने उन्हें समझाया कि अध्यात्म को विज्ञान से जोड़ा जा सकता है और वह सहमत हो गए. अब, नागा साधु कुंभ में लोगों से अपनी आंखों की जांच करवाने के लिए कह रहे हैं क्योंकि वह हमारे अभियान की गंभीरता को समझ गए हैं.”

पिछले 11 दिनों में, डॉ. निशांत कुमार और उनके 100 डॉक्टरों की टीम ने कोलेस्ट्रॉल, ब्लड शुगर और आंखों की रोशनी की मुफ्त जांच करके लगभग 20,000 लोगों तक पहुंच बनाई है. वह कुंभ मेले को ज़िंदगी में एक बार में आने वाले मौके की तरह देखते हैं, ताकि वह उन लोगों तक पहुंच सकें जो अक्सर स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों की खामियों से जूझते रहते हैं.
डॉ. कुमार ने कहा, “लोग नागाओं को बहुत सम्मान से देखते हैं. अब कुंभ के दौरान वह जहां भी जाएंगे, लोगों को हमारे अभियान के बारे में पता चलेगा और वह समझेंगे कि आंखें कितनी महत्वपूर्ण हैं.”
लेकिन जागरूकता अभियान कुंभ के साथ ही खत्म नहीं हो जाएगा. चावला ने पीठ पर विज़न टेस्ट चार्ट पहने नागा साधुओं की तस्वीरों को पोस्टर बना दिया है.
भट्टाचार्य ने कहा, “हम इन पोस्टरों को आश्रमों और मंदिरों में भेजेंगे. चूंकि, इसमें नागाओं की तस्वीरें होंगी, इसलिए लोग इन्हें फेंकेंगे नहीं.”
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