नई दिल्ली: सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल ने युवाओं के लिए मनोरंजन के नए रास्ते तो खोले ही हैं लेकिन इसके साथ-साथ कंटेट क्रिएटिंग की दिशा में काम के अवसर भी पैदा किए हैं. मीम्स के बाद रील्स की दुनिया ने सोशल मीडिया पर अपना वर्चस्व स्थापित किया है और अभी के दौर में यह मनोरंजन का एक बड़ा माध्यम बना हुआ है. इन्हीं के ज़रिए कई लोगों को अपना टैलेंट दिखाने का मौका मिला है, जिन्हें लोगों से खूब प्यार भी मिला है. 27 साल की काजल चौहान भी उन्हीं में से एक हैं. काजल आज एक सफल कंटेट क्रिएटर हैं लेकिन उत्तर प्रदेश के कानपुर से दिल्ली और हिंदी मीडियम पढ़ाई से कंटेट क्रिएटर्स की दुनिया तक का उनका सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है.
काजल चौहान ने बीते 2-3 साल मेहनत करके सोशल मीडिया पर पॉपुलैरिटी हासिल की है. मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाली लड़कियों के लिए पढ़ाई और नौकरी करना ही बड़ी बात होती है, ऐसे में कंटेट क्रिएटर बनना और अपने आस-पास के लोगों को समाज रूढ़ियों के बारे में जागरुक करने का सफर चुनौतियों से भरा होता है.
बीते कुछ सालों में इंस्टाग्राम और यूट्यूब से कई कंटेंट क्रिएटर्स निकले हैं. इसे अब एक प्रोफेशन के तौर पर भी देखा जाता है, जिससे लोग अपना जीवन चलाते हैं. लेकिन आम समाज में इसे लेकर स्वीकार्यता थोड़ी कम है.
काजल बताती हैं, “जब पहली बार मेरे घर पर मेरी वीडियो के बारे में पता चला तो घरवालों ने बहुत डांटा और ताने दिए. जिसके बाद से मैंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स को बंद कर दिया.”
अपने इस वायरल वीडियो में काजल बताती हैं कि किस तरह आज भी पीरियड्स हमारे समाज में टैबू बने हुए हैं और माएं अपने घर के पुरुषों से सैनेटरी पैड्स का पैकेट लाने को कहने में हिचकिचाती हैं.
काजल बताती हैं, “घरवालों तक जब ये वीडियो पहुंचा तो उन्हें न इसकी भाषा पसंद आई और न कंटेट.”
यह भी पढ़ें: जातीय नफरत या गैंगवार? जाटों द्वारा दलित युवकों को कार से कुचलने के बाद राजस्थान में माहौल गर्म हो गया है
घरवालों से लड़ाई
इस वीडियो को अब तक 2 लाख से ज्यादा लोगों ने लाइक किया है. इसके बाद काजल के डेढ़ लाख फॉलोवर्स हो गए थे. लेकिन घरवालों के कारण उन्हें सोशल मीडिया बंद करना पड़ा जिसके बाद से उनके अकाउंट की रीच गिर गई.
काजल बताती हैं, “हम बाहरी दुनिया से तो लड़ सकते हैं लेकिन जब बात अपने घर की आती है तो वहां हम सब कमजोर पड़ जाते हैं क्योंकि उनसे हम लड़ नहीं सकते. मेरे पापा को मेरे कंटेंट क्रिएशन का काम बिल्कुल पसंद नहीं था. हालांकि, उसमें उनकी कोई गलती नहीं थी. तब लोगों में इतनी इन चीजों को लेकर उतनी जागरूकतन नहीं थी. बात इतनी बढ़ गई थी कि जब मेरी रीच पीक पर थी उसी समय मुझे अपना इंस्टाग्राम अकाउंट डिएक्टीवेट करना पड़ा.”
एक छोटे शहर से आने वाली काजल चौहान ने जीवन में आगे बढ़ने के लिए कई रास्ते बदले. हिंदी मीडियम से पढ़ाई करने के बाद जब उनके पिता ने इंजीनियरिंग में दाखिला करा दिया तो उन्होंने वहां भी मेहनत की लेकिन वहां सफलता नहीं मिली. फिर काजल ने बीबीए की पढ़ाई की. उसके बाद लखनऊ, चंडीगढ और दिल्ली में नौकरी की लेकिन नौकरी में दिल नहीं लगा.
अपने सफर को याद करते हुए काजल बताती हैं, “नौकरियां बदलीं, शहर भी बदलें, लेकिन ऐसा लगता रहा कि जो करना चाहती हूं वो नहीं कर पा रही हूं. डेढ़ साल की मेहनत के बाद कंटेट की दुनिया में अब जाकर अपना नाम बना लिया है.”
वह बताती हैं, “मैंने जब दूसरे शहर शिफ्ट किया तो मुझे कई आर्थिक परेशानियां भी झेलनी पड़ी. एक समय तो ऐसा था जब हमारे पास राशन मंगाने के लिए भी पैसे नहीं हुआ करते थे. लेकिन जैसे तैसे वो समय गुजार गयी. धीरे -धीरे फिर चीज़ें सुधरती गई.”
यह भी पढ़ें: उपदेश, किस्से और किताब: पूर्व IAS का नया संस्मरण केवल पूर्व सिविल सेवकों को आकर्षित करता है
कई किरदार
घर पर झगड़ा होने के बाद वापस अपनी रीच पाने के लिए काजल को डेढ़ साल का समय लगा. अब काजल सास, मां के किरदारों के साथ-साथ रिश्तेदार, कॉर्परेट जॉब और युवाओं की समस्याओं पर वीडियोज़ बनाती हैं जिन्हें लाखों लोग देखते हैं. काजल के हर दूसरे वीडियोज़ पर मिलियन से ज्यादा व्यूज़ पार हो जाते हैं.
एक वीडियो में काजल बताती दिखती हैं कि किस तरह मम्मियां फैमिली फंग्शन में हड़ाबड़ाती और चिल्लाती हैं, वहीं एक दूसरे वीडियो में वो बताती हैं कि पैरलर यूनिवर्स, यानी इस दुनिया के उलट कोई दुनिया होगी तो उसमें एक सास कैसे अपनी बहू के साथ बर्ताव करेगी.
कुछ वीडियोज़ में मम्मी अपना दुख बताती हैं तो किसी वीडियोज़ में युवा अपने जीवन की समस्याएं बताते हैं.
सोशल मीडिया यूजर्स को काजल की एक्टिंग खूब पसंद आती है. मनोरंजन के साथ-साथ वीडियो में मैसेज भी दिखता है. आज के समय में कंटेट को एक करियर के रूप में देखा जाता है और कंटेंट क्रिएटर्स की एक अलग दुनिया है जिसमें काजल अपनी जगह बना रही हैं. लेकिन छोटे शहर से आने के कारण उन्हें आस-पास के लोगों की कई बातें सुननी पड़ती हैं. बड़े शहरों के कंटेट क्रिएटर्स को वो समस्याएं नहीं झेलनी पड़ती हैं.
काजल बताती हैं, “मुझे लगता है कि छोटे शहरों के पैरेंट्स की सोच एक विकसित शहर के पैरेंट्स के मुकाबले काफ़ी रूढ़ीवादी होती है. लड़कियां चाहे जितना पढ़-लिख ले लेकिन लड़के और लड़की के बीच कहीं ना कहीं एक भेद अभी भी है.”
वह कहती हैं, “ऐसे में जब आपका कंटेंट चार लोग देखते हैं और उसके बारे में बात करते हैं कि फलाने की लड़की गाना गाती है, डांस करती है, एक्टिंग करती है या कॉमेडी वीडियो बनाती है तो छोटे शहर के लोग उसे गर्व की बात नहीं मानते हैं. वो इसे काम नहीं मानते हैं. छोटे शहरों के हिसाब से एक अच्छी और संस्कारी लड़की वही है जो पढ़ने लिखने के बाद घरवालों की पसंद से शादी कर ले और उनके मुताबिक जिए.”
काजल बीते दिनों कई बड़ी कंटेट मीटिंग्स का हिस्सा रही हैं, जहां और भी दूसरे बड़े-बड़े कंटेट क्रिएटर्स आए. काजल ने एक छोटे से शहर से निकलकर न ही सिर्फ सोशल मीडिया पर बल्कि लोगों के बीच भी अपना नाम बना लिया है. भविष्य में काजल सिर्फ एक अच्छा कंटेट क्रिएटर बनना चाहती हैं.
वो कहती हैं, “अभी मैं बस यही चाहती हूँ कि जो कर रही हूं उसको और पॉलिश करती जाऊं. सोशल मीडिया की इस फील्ड में नंबर्स यानि कितने फ़ॉलोवर्स हैं, ये बहुत मैटर करता है. लेकिन मेरा हमेशा प्राइम फोकस मेरा कंटेंट रहता है. कंटेंट बेहतर होता जाएगा तो आप खुद ब खुद आगे बढ़ते जाएंगे और आपका भविष्य सुरक्षित होता जाएगा. मैं बस ख़ुद को पॉलिश करने में लगी हुई हूं.”
यह भी पढ़ें-व्हाट्सएप ग्रुप्स, डिनर के दौरान, ऑप-एड, UCC की बात हर पारसी घर में हो रही है