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Saturday, 16 November, 2024
होमदेशराजनीति ने पूर्व DSP को मुख्तार को पकड़ने से रोका, आज वह योगी राज में माफियाओं का अंत होते देख रहे हैं

राजनीति ने पूर्व DSP को मुख्तार को पकड़ने से रोका, आज वह योगी राज में माफियाओं का अंत होते देख रहे हैं

शैलेंद्र सिंह ने मुख्तार अंसारी का पूरी मजबूती के साथ पीछा किया, जिसके लिए उन्होंने जीवन भर जो कुछ भी काम किया था, सब खोना पड़ा. लेकिन 2004 में उनके इस्तीफे की वजह बनी घटनाएं अब सामने आ रही हैं.

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लखनऊ: शैलेंद्र सिंह लखनऊ के एक मैदान में साफ-सुथरी पंक्तियों में बिछाई गई ट्रेडमिल पर दर्जनों गायों को गर्व से देखते हैं. गैंगस्टर से राजनेता बने मुख्तार अंसारी के खिलाफ एक लंबी और साहसपूर्ण लड़ाई छेड़ने वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस उपाधीक्षक, जिसमें वो विफल रहे, ने अपने बैज और बंदूक को छोड़कर शांति की ओर कदम बढ़ा लिया है. लेकिन कभी भी अतीत पूरी तरह से मुक्त नहीं होता है.

पांच बार विधायक रहे मुख्तार अंसारी, जो कथित तौर पर गाजीपुर-मऊ-वाराणसी क्षेत्र में एक आपराधिक रैकेट चलाता था, के पीछे शैलेंद्र सिंह पूरी हठता से साथ पड़े रहे. इसके लिए उन्हें वह सब कुछ चुकाना पड़ा जो उन्होंने जीवन भर में कमाया था. शैलेंद्र सिंह कड़वाहट भड़ी आवाज से कहते हैं, ‘मैं आज एक आईजी होता अगर मैंने उस वक्त वह मामला छोड़ दिया होता. मैं ऐसी सरकार के लिए काम नहीं कर सकता था जो माफिया के हाथों की कठपुतली की तरह काम करती हो.’ 

लेकिन 2004 में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की सरकार गिरने और उनका इस्तीफे के दो दशक बाद अब सबकुछ पलट चुका है. सितंबर 2022 से मुख्तार अंसारी के खिलाफ दर्ज 61 मामलों में से चार में उसे सजा हो चुकी है. 29 अप्रैल को, गाजियाबाद की एक अदालत ने उन्हें 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय के अपहरण और हत्या के मामले में 10 साल की जेल की सजा सुनाई. 2009 के एक हत्या के प्रयास के मामले में उन्हें बुधवार को बरी कर दिया गया और एक अन्य मामले में फैसला शनिवार को आने की उम्मीद है. वह 2005 से जेल में है और उसे जेल से बाहर आने की बहुत कम ही संभावना है.

अंसारी उत्तर प्रदेश के गैंगस्टरों और माफियाओं की सूची में शामिल वैसे व्यक्ति हैं जो अपने ‘राज’ का अंत होते हुए देख रहे हैं. अंसारी से पहले विकास दुबे, अतीक अहमद और अनिल दुजाना थे जो मारे जा चुके हैं. सीएम आदित्यनाथ ने विधानसभा में कहा था कि वह यूपी के माफियाओं को मिट्टी में मिला देंगे. सीएम का यह बयान पूरे राज्य में एक नारा बन गया है. 

शैलेंद्र सिंह की विडंबना खत्म नहीं हुई है.

शैलेंद्र सिंह कहते हैं, ‘मैंने घाट-घाट का पानी पिया और महसूस किया कि यह किसी काम का नहीं है. सभी विभाग भ्रष्ट हैं.’ उनके साथ काम करने वाले पुलिस अधिकारी उनकी ईमानदारी की मिसाल देते हैं.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘जिस समय शैलेंद्र पुलिस में थे, उस समय सरकारें राजनेताओं के इशारे पर चलती थीं. और राजनेता क्षेत्र में पैर जमाने वाले गैंगस्टरों के इशारों पर चलते थे.’

एक तेज पुलिस अधिकारी से एक जैविक किसान तक का सफर

आज सिंह का अंसारी से कोई लेना-देना नहीं रह गया है. आज वह अपनी जैविक खेती, अपनी गायों और अपने आविष्कार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जो भविष्य में किसानों की मदद करेगा. 

उनका ट्रेडमिल कॉन्ट्रासेप्शन 150rpm पर गाय या बैल के चलने से उत्पन्न ऊर्जा को बिजली में बदल सकता है. वह इसे नंदी रथ कहते हैं. अपने खाली समय में वे आवारा मवेशियों को बचाते हैं और उन्हें अपनी गौशाला (गाय आश्रय) में रखते हैं.

वह कहते हैं, ‘मैंने यह सब देखा है. और इसीलिए मैंने अपने इनोवेशन के जरिए किसानों की मदद करने का फैसला किया है. अगर इतनी आसानी से आवारा पशुओं से बिजली पैदा की जा सकती है तो किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं होगी. जैसे-जैसे गरीब शक्तिशाली होंगे, राजनीति भी बदलेगी.’

एक तेज-तर्रार पुलिस वाले से लेकर एक असफल राजनेता और अब एक जैविक किसान तथा स्वाभिमानी आविष्कारक तक के सफर में सिंह ने कई भूमिकाएं निभाई हैं. पुलिस से इस्तीफा देने के बाद राजनीति में शामिल होने का भी प्रयास किया, लेकिन वह खुद के एक नेता के रूप में स्थापित नहीं कर सके. यहां तक कि उन पर तोड़फोड़ का आरोप भी लगाया गया था लेकिन 17 साल बाद ही आदित्यनाथ सरकार ने 2021 में वह मामला वापस ले लिया था.

लखनऊ में उनके घर में चारो ओर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, स्टील का बड़ा सा दरवाजा लगा है और सतर्क गार्ड का पहरा है. आसपास के लोग उन्हें एक सख्त पुलिस वाला और स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के प्रमुख के रूप में जानते हैं, जिन्होंने अंसारी को आतंकवाद निरोधक अधिनियम (पोटा) के तहत गिरफ्तार करने की मांग की थी, जिसके बात उन्हें सितंबर 2004 में निरस्त कर दिया गया था.

शैलेंद्र सिंह ने गैंगस्टरों और माफियाओं पर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की कार्रवाई की सराहना की. उन्होंने कहा, ‘यह एक सुरक्षित और अधिक न्यायपूर्ण समाज बनाने की दिशा में एक कदम है. मुझे लगता है कि संगठित अपराध से निपटने के मेरे प्रयास व्यर्थ नहीं गए.’


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पुराने दिनों को याद 

2004 में मऊ से निर्दलीय विधायक अंसारी और मोहम्मदाबाद से बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय के बीच प्रतिद्वंद्विता बढ़ रही थी. अज्ञात व्यक्तियों ने लखनऊ में अंसारी के काफिले पर गोलियां चलाईं. जिससे बाद राय द्वारा यह कांड करवाने की अफवाह फैल गई, क्योंकि उनका काफिला वहां से गुजर रहा था.

सिंह बताते हैं, ‘यह सब 2004 में शुरू हुआ जब मैं लाइट मशीन गन (एलएमजी) का पता लगाने के लिए अंसारी का पीछा कर रहा था.’

घटना के बाद पुलिस को खुफिया जानकारी मिली कि अंसारी एलएमजी खरीदने की कोशिश कर रहा है. बसपा सरकार ने डीजीपी राजकुमार विश्वकर्मा के नेतृत्व वाली यूपी एसटीएफ को अलर्ट किया.

वाराणसी एसटीएफ इकाई के तत्कालीन प्रभारी शैलेंद्र सिंह ने एलएमजी हासिल करने के अंसारी के इरादे के बारे में बताते हुए कहते हैं, ‘अंसारी हताश था. उसने अपने आदमियों को वह बंदूक खरीदने का निर्देश दिया था जिससे वह राय को मारना चाहता था.’

खुफिया जानकारी पर कार्रवाई करते हुए सिंह की टीम ने 25 जनवरी को वाराणसी के चौबेपुर इलाके में छापा मारा और एक एलएमजी और 200 जिंदा कारतूस जब्त किए.

इसके बाद अंसारी को पोटा के तहत मुकदमा दर्ज किया. सिंह ने दावा किया कि उसके बाद उन्हें वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने ‘व्यावहारिक होने और मामले को वापस लेने’ के लिए कहा था.

सिंह ने इसके बजाय इस्तीफा देना चुना. एक पखवाड़े के भीतर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसटीएफ) राजकुमार विश्वकर्मा और वाराणसी क्षेत्र के महानिरीक्षक मनोज कुमार सिंह और डीआईजी (वाराणसी रेंज) का तबादला कर दिया गया.

उनके दोस्त और व्यवसायी सौरभ गुप्ता ने कहा, ‘कई बार उन्हें मामले को बंद करने के लिए पैसे की पेशकश की गई, लेकिन उन्होंने हमेशा मना कर दिया.’

उनके इस्तीफे के बाद भी, पुलिस बल के भीतर शैलेंद्र सिंह के साथियों ने उन्हें बहुत सम्मान दिया है.

एसपी साइबर (उत्तर प्रदेश) त्रिवेणी सिंह याद करते हैं, ‘वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने लोगों की सेवा करने के अपने मिशन पर काम किया. मैंने उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने अपना विचार नहीं बदला.’ 

हालांकि, सिंह को अपना सरकारी आवास छोड़ने के बाद नया घर खोजने के लिए काफी मुश्किल का सामना करना पड़ा था. मुख्तार द्वारा निशाना बनाए जाने के डर से कोई भी अपना घर उन्हें किराए पर देना नहीं चाहता था. 

वह अपनी पत्नी के द्वारा टीचिंग से कमाए गए पैसे, अपनी मां की पेंशन और अपने भाई के सपोर्ट से एक रिश्तेदार के निर्माणाधीन घर में रहते थे. 

चार साल बाद, सिंह को एक  मामले में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन एक महीने बाद ही उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया.

अपनी रिहाई पर के बाद उन्होंने अपने घर में चारो ओर सीसीटीवी कैमरे और एक मजबूत दरवाजा लगाकर अपने परिवार की सुरक्षा को प्राथमिकता दी. सिंह सीसीटीवी कैमरे की ओर इशारा करते हुए कहते हैं, ‘मेरी पत्नी और मेरा बेटा डरा हुआ था. मैंने उनकी आंखों में डर देखा. तभी मुझे एहसास हुआ कि मैं इसे दोबारा नहीं होने दे सकता.’

सिंह की राजनीतिक यात्रा में असफल स्वतंत्र उम्मीदवारी और 2006 में कांग्रेस के साथ शुरुआत और 2014 में बीजेपी  के साथ खत्म हो गई. अंततः उन्होंने राजनीति छोड़ दी. 

गोरक्षा के लिए कांग्रेस से भाजपा

राजनीति में प्रवेश करने में असमर्थ सिंह ने दो गाय खरीदी और दूध बेचना शुरू किया. फिर उन्होंने अपने काम का विस्तार किया और लखनऊ से 20 किलोमीटर दूर गोसाईगंज के सिद्धूपुरा गांव में जमीन खरीदकर आवारा पशुओं को आश्रय देना शुरू किया.

उन्होंने बिजली पैदा करने के लिए मवेशियों की ऊर्जा का उपयोग करने का विचार विकसित किया, जिससे ‘श्री ग्राम धाम’ का निर्माण हुआ.

सिंह ने अपने मवेशियों को गियरबॉक्स से जुड़े ट्रेडमिल पर चलने के लिए ट्रेन किया, जिससे उनकी गति को प्रयोग करके योग्य ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सके. इससे उनके खेत और स्थानीय समुदाय को बिजली देने के लिए पर्याप्त बिजली पैदा होने लगी.

श्री ग्राम धाम की सफलता चारो ओर फैल गई, और अन्य किसानों ने स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा के कारण सिंह के आईडिया को अपनाया.

पिछले दो दशकों में रैंकों में वृद्धि करने वाले पुलिस अधिकारियों का दावा है कि चीजें अब काफी बदल गई हैं. आज उनके पास अपराधियों को पकड़ने की पूरी स्वतंत्रता है, भले ही उनकी पावर कुछ भी हो. 

नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘अगर हमें अपराधी का पता चलता है, हम उसे गिरफ्तार करते हैं. हमें निर्देश के लिए इंतजार करने की जरूरत नहीं है.’

अगर सिंह को फोर्स छोड़ने का पछतावा होता है, तो वह इसे अपने पास ही रखते हैं.

(संपादनः ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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