जालंधर: कथित तौर पर एक युवा लड़के को मृत अवस्था में मंच पर लाया गया. जींस और ब्लेज़र पहने एक व्यक्ति ने उसके माथे को छुआ और उसके कान में कुछ फुसफुसाया. लड़का फिर से ज़िंदा हो गया.
भीड़ एक साथ चिल्लाई “हालेलुयाह!”
चार साल पहले जालंधर के ताजपुर गांव में पादरी बजिंदर सिंह से सुनीता कुमारी की मुलाकात इसी तरह हुई थी. उत्तर प्रदेश की एक कबाड़ मजदूर, वे अपनी सहेली के साथ दर्शकों में खड़ी थीं और ध्यान से उन्हें देख रही थी.
अब, 5 मार्च को बुधवार की दोपहर को, कुमारी, उनके दो बच्चे और उनके परिवार की महिलाएं पादरी की मिनिस्ट्री की ओर दौड़ी — एक फुटबॉल मैदान जितना बड़ा मैदान जिसमें कुछ इमारतें थीं — एक बैठक के लिए. चार साल पहले जब से उन्होंने यह घटना देखी थी, तब से वे लगातार वहां जा रही हैं. उनके लिए सिंह सिर्फ एक पादरी नहीं हैं — वे उनके “पापा” हैं.
लेकिन अब, पापा मुश्किल में हैं.
42-वर्षीय पादरी बजिंदर सिंह पर यौन दुराचार के आरोप लगे हैं. कपूरथला की 22-वर्षीय एक महिला ने उन पर यौन उत्पीड़न और पीछा करने का आरोप लगाया है. उनका दावा है कि पादरी ने उन्हें अश्लील मैसेज भेजे और उन्हें गलत तरीके से छुआ. उनका परिवार 2017 से सिंह का पीछा कर रहा था. पीड़िता ने आरोप लगाया कि पादरी ने उनके मिनिस्ट्री में वर्शिप टीम (पूजा दल) में शामिल होने के बाद सीधे उनसे संपर्क करना शुरू कर दिया. पीड़िता ने 28 फरवरी को शिकायत दर्ज कराई.
विवाद के बाद, सिंह धार्मिक उपचार कार्यक्रम (रिलीजियस हीलिंग इवेंट) में शामिल होने नेपाल चले गए हैं. उनके मैनेजमेंट ने कहा कि वे 7 मार्च के बाद वापस आएंगे, लेकिन, सिंह के उत्थान को सालों से करीब से देखने वाले गांव वालों का कहना है कि चूंकि, मामला तूल पकड़ रहा है, इसलिए हो सकता है कि वे कभी वापस न आएं. पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक एफआईआर दर्ज की है और एक एसआईटी का भी गठन किया है.
पंजाब यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के सेवानिवृत्त प्रोफेसर मंजीत सिंह ने जोर देकर कहा कि अंधविश्वास फैलाने वालों के खिलाफ कानून होना चाहिए.
सिंह ने कहा, “मध्ययुगीन मानसिकता को बढ़ावा देने से केवल दलितों, गरीबों और समाज के अन्य कमजोर वर्गों का शोषण होता है — खासकर वे जो स्वास्थ्य और वित्तीय असुरक्षा से जूझ रहे हैं.”

यह पहली बार नहीं है जब सिंह पर इस तरह के आरोप लगे हैं. 2018 में ज़ीरकपुर की एक महिला ने उन पर बलात्कार का आरोप लगाया था, जिसमें आरोप था कि उन्होंने महिला को अपनी मिनिस्ट्री की सिक्योरिटी टीम में शामिल किया और मोहाली में अपने घर पर उनके साथ मारपीट की. सिंह को दिल्ली हवाई अड्डे पर कुछ समय के लिए गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उन्हें ज़मानत मिल गई. इस मामले में पादरी के खिलाफ 3 मार्च को गैर-ज़मानती वारंट जारी किया गया था.
इन आरोपों के बावजूद, सिंह के समर्थक जस के तस हैं. सोमवार को, उनके समर्थकों ने लंभरा के पास नकोदर-जालंधर रोड को जाम कर दिया और अपने पादरी के खिलाफ लगाए गए आरोपों की गहन जांच की मांग की. उनके लिए वे एक चमत्कारी हीलर, यीशु का एक ज़रिया हैं — एक ऐसी इमेज जिसे वायरल YouTube वीडियो, सोशल मीडिया रील्स और लाइव इवेंट से बनाया गया है, जहां वे लोगों को चमत्कारिक रूप से ठीक करने का दावा करते हुए दिखाई देते हैं.
सिंह का प्रभाव उनके फॉलोअर्स से कहीं आगे तक फैला हुआ है. तुषार कपूर, चंकी पांडे, सुनील शेट्टी, अरबाज़ खान, महिमा चौधरी और राखी सावंत जैसी बॉलीवुड हस्तियां उनके इवेंट्स में गए हैं और उनका सपोर्ट भी किया है. 2024 में क्रिसमस के दौरान कई अभिनेता उनके ताजपुर चर्च गए, जहां सिंह ने उनके बारे में भविष्यवाणियां कीं. अभिनेता भीड़ का मनोरंजन करते हुए देखे गए, उनकी रील सोशल मीडिया पर वायरल हुई. उनके इसी प्रभाव के चलते राजनेताओं ने भी छत्तीसगढ़ में एक पुनरुद्धार कार्यक्रम के दौरान उनका स्वागत किया.
उनकी डिजिटल इमेज भी उतनी ही शक्तिशाली है. पादरी बजिंदर सिंह मिनिस्ट्री के YouTube चैनल के 3.12 मिलियन सब्सक्राइबर्स हैं. इंस्टाग्राम पर, इस पेज के 1.1 मिलियन फॉलोअर्स हैं.
सिंह की लोकप्रियता भारत में स्वयंभू धर्मगुरुओं के प्रति बड़े पंथ जैसी भक्ति का प्रतीक है. ताजपुर के लोग उनमें और डेरा सच्चा सौदा प्रमुख बाबा राम रहीम में समानता देखते हैं. उन्होंने कहा कि उनका भी यही हश्र होगा. पिछले कुछ साल में सिंह ने न केवल पंजाब से बल्कि यूपी और बिहार से भी फॉलोअर्स की एक कट्टर वफादार सेना खड़ी कर ली है. उनके समर्थक आरोपों को खारिज करते हैं और सोशल मीडिया पर उनके तथाकथित चमत्कारों के वीडियो भर देते हैं. वह किसी भी कीमत पर उनका बचाव करने के लिए मुस्तैद हैं.

सुनीता ने गोद में लिए अपने बच्चे की तरफ देखते हुए कहा, “पापा पर आरोप लगाने वाली महिला झूठ बोल रही है. मैं उनके पास बेटे के लिए प्रार्थना करने गई थी और उन्होंने मुझे बेटा दिया — तीन पीढ़ियों में पहला. पापा एक चमत्कारी व्यक्ति हैं, गरीबों के लिए एक उद्धारकर्ता. वे हमें खाना और कपड़े भी देते हैं.”
लेकिन इस बार सुनीता ‘पापा’ से मिलने के लिए जल्दी नहीं कर रही है, बल्कि उन्हें ताजपुर मिनिस्ट्री में बड़े पापा की सभा के लिए जाने के लिए देर हो रही थी.
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‘पापा’ की जगह ‘बड़े पापा’
गांववाले अब तक जैसा कुछ देखते आए हैं, उसके मुकाबले रविवार की यह एक मामूली सभा है. मिनिस्ट्री में एक टेंट के अंदर कुर्सियों पर करीब 300 लोग बैठे थे. एक सफेद लोहे की बैरिकेड उन्हें मंच से अलग करती है, जहां संगीतकार येशु (यीशु) के गीत बजाते हैं.
“जब से तू मिल गया है मसीह नासरी और ख्वाहिश नहीं कुछ पाने की”
अचानक, काले ब्लेज़र और जींस में एक लंबा, दुबला-पतला आदमी मंच के पीछे से प्रकट होता है, जो बजिंदर सिंह जैसा दिखता है और उसकी चाल भी धीमी और संतुलित है. भीड़ खुशी से झूम उठती है. वे पादरी रविंदर सिंह हैं — बजिंदर के बड़े भाई, या जैसा कि फॉलोअर उन्हें प्यार से ‘बड़े पापा’ कहते हैं.
रविंदर सिंह सोशल मीडिया पर उतने लोकप्रिय नहीं हैं, लेकिन उन्हें बजिंदर सिंह के गुरु के रूप में सम्मानित किया जाता है. उनके समर्थकों का कहना है कि भले ही वे सुर्खियों से दूर रहते हैं, लेकिन वे भी उतने ही शक्तिशाली और चमत्कारी हैं.
वे माइक लेते हैं और चिल्लाते हैं, “हालेलुयाह!” फिर, वे चिल्लाते हैं, “तेरा विश्वास ही तेरे लिए चंगा करेगा”.

अचानक, भीड़ में से एक महिला साधक उन्हें (पादरी) अलग करने वाले बैरिकेड की ओर बढ़ती हैं, उनका शरीर हिंसक रूप से हिल रहा होता है. वे ज़मीन पर गिर जाती हैं और लोहे के गेट से आगे बढ़ते हुए लोटने लगती हैं. उनका चेहरा टेढ़ा पड़ गया है और आंखें ऊपर की ओर मुड़ी हुई हैं, वे अपने घुटनों पर बैठ जाती हैं और उनके हाथ सांप की तरह रेंगते हैं. उनकी फुफकार तेज़ होती जाती है.
महिला को देखते हुए रविंदर माइक में चिल्लाते हैं, “सारी बुराइयां बाहर आ जाएंगी. तुम्हारे अंदर का यह सांप बाहर आ जाएगा. बाहर आओ, सांप. बुराई.”
महिला फिर से हिंसक रूप से लोटने लगती हैं, बाल-बाल बिजली के खंभों से बच जाती हैं. हालांकि, यह ऐंठन तब रुक जाती है जब सिक्योरिटी टीम से एक महिला उनके पास दौड़ती हैं और उनके शरीर को छिपाने के लिए उन्हें दुपट्टे से ढक देती हैं. जैसे ही सुरक्षा महिला जाती है, महिला फिर से लोटने लगती हैं.
महिला नंगे पैर है. केवल रविंदर बैरिकेड वाले क्षेत्र के अंदर जूते पहनते हैं. फॉलोअर्स को जूते पहनकर आना मना है, जैसा मंदिरों में होता है.

अगले कुछ मिनटों में रविंदर भीड़ के बीच से सिर थपथपाते हुए आगे बढ़ते हैं. एक-एक करके, औरतें ऐंठने लगती हैं — कुछ ज़मीन पर लोटती हैं, कुछ हिलती हैं, अपने सिर को जोर से हिलाती हैं, या ज़ोर-ज़ोर से रोती हैं.
जबकि रविंदर बुधवार को सैकड़ों लोगों की एक छोटी सभा करते हैं, रविवार को एक अलग तमाशा होता है. उस समय मिनिस्ट्री में हज़ारों लोग आते हैं. हर रविवार को, बजिंदर सिंह खुद मण्डली का नेतृत्व करते हैं. पंजाब के अलग-अलग जिलों से बसें ताजपुर पहुंचती हैं और फॉलोअर संकीर्ण गांव की सड़कों पर उमड़ पड़ते हैं, मिनिस्ट्री तक पहुंचने के लिए धक्का-मुक्की करते हैं.
लेकिन ताजपुर के ग्रामीणों के लिए मिनिस्ट्री दो भाइयों द्वारा चलाए जा रहे पारिवारिक कारोबार से ज़्यादा कुछ नहीं है — जो आशा, इलाज और आराम की तलाश कर रहे मासूम लोगों की हताशा से मुनाफा कमाते हैं और इन सबके बीच, उनका गांव मूक पीड़ित दर्शकों की तरह खड़ा है.
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ताजपुर और रविवार का डर
ताजपुर गांव के प्रवेश द्वार पर आंबेडकर और भगत सिंह की तस्वीरें बनी हैं. बड़े मकानों से घिरी एक मध्यम आकार की सड़क, घरों के आकार में कमी आने के साथ कम चौड़ी होती जाती है. फिर गड्ढे और कच्चा रास्ता आता है, जिसके बीच-बीच में खुले मैदान हैं, जो मिनिस्ट्री तक पहुंचते हैं. एक अकेला फटा हुआ, लम्बा बोर्ड जिस पर बजिंदर सिंह माइक पर बोलते हुए दिखाई दे रहे हैं, एक खंभे से बंधा हुआ है.
रविवार की सुबह, गांव की सड़कों पर फॉलोअर्स की लंबी कतारें लगती हैं, जो आंबेडकर और भगत सिंह की तस्वीरों को ढक देती हैं. ग्रामीण रविवार से डरते हैं.
55-वर्षीय मदन लाल पंचों, सरपंच और पुलिस के पास जा चुके हैं, लेकिन पादरी या उनके भाई के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. अपने दोस्तों के साथ गांव में गुरुद्वारे के बाहर बैठे लाल ने कहा कि उन्हें रविवार को बाहर निकलने में भी डर लगता है.
लाल ने गुरुद्वारे के बाहर हाथ धोने और पीने के पानी के लिए बने क्षेत्र की ओर इशारा करते हुए कहा, “रविवार को यहां लगभग एक लाख लोग आते हैं. वह बसों, ऑटो और कारों में आते हैं. ऐसा लगता है जैसे हमारे गांव पर उनका कब्ज़ा हो गया है. हमारी चेतावनियों के बावजूद गुरुद्वारे के बाहर पानी के बेसिन में पेशाब भी करते हैं.”
बजिंदर को यह लोकप्रियता और फॉलोअर्स रातों-रात नहीं मिले. पादरी ने अपने धर्म को घर-घर तक पहुंचाया. बहुत से लोगों को नहीं पता था कि मिनिस्ट्री मौजूद है. ग्रामीणों को याद है कि बजिंदर ने खुद का परिचय दिया और यीशु के बारे में प्रचार किया.
चार महीने पहले सरपंच बनी महिला सरबजीत कौर ने कहा कि गांव में अनुसूचित जाति की आबादी ज़्यादा है जो आंबेडकर को मानते हैं.
“हमारे गांव से कोई भी चर्च में नहीं जाता है. हमारे गांव में बाहर से लोग ही मिनिस्ट्री में भाग लेने आते हैं.”
कौर ने एक पंच और अपने देवर के साथ कहा कि किसी बड़े कार्यक्रम से पहले, गांव में बॉलीवुड सितारों की तस्वीरों वाले पर्चे और पोस्टर लगे होते हैं, जो बजिंदर और उनके मिनिस्ट्री को सपोर्ट करते हैं. कौर के सरपंच बनने के बाद, सिंह और उनके मिनिस्ट्री ने उन्हें ट्रैक्टर देकर सम्मानित करना चाहा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया.
कौर के दूसरी ओर कुर्सी पर बैठे पंच ने कहा कि बजिंदर की मौजूदगी ने मिनिस्ट्री के पास के इलाके में एक छोटी सी स्थानीय अर्थव्यवस्था बनाई है. दूर-दराज के इलाकों से सिंह से मिलने आने वाले लोग यहीं रहते हैं और कमरे किराए पर लेते हैं. मिनिस्ट्री श्मशान के पास है, जो लंबे समय तक वीरान था, लेकिन बजिंदर और उनकी मिनिस्ट्री के लोकप्रिय होने के साथ ही सब कुछ बदल गया.

उन्होंने कहा, “पहले कमरे का किराया 100 रुपये प्रतिदिन था, अब यह बढ़कर 500 रुपये प्रतिदिन हो गया है और यह उन लोगों के घर हैं जो अब यहां नहीं रहते हैं, लेकिन इन फॉलोअर्स को अपना घर किराए पर दे रहे हैं.”
ग्रुप के एक अन्य ग्रामीण प्रदीप सिंह ने कहा कि चर्च-कम-मिनिस्ट्री 10 साल पहले बने थे. यह ज़मीन कनाडा में एक एनआरआई की थी और जब इसे बेचा गया, तो गांव में किसी को नहीं पता था कि यहां चर्च बना दिया जाएगा. एक पूर्व सरपंच, जिन्होंने प्रतिशोध के डर से नाम न बताने की शर्त पर कहा कि गांव के लोग चुप हैं क्योंकि बजिंदर के पास बहुत पैसा, लोग और ताकत है.
एक पूर्व सरपंच ने कहा, “जब भी हम उनसे भिड़ते हैं, तो वे हमें धमकाते हैं, कि हम उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते क्योंकि उनके पास ताकत और पैसा है और वे किसी को भी खरीद सकते हैं.”
2023 में आयकर विभाग ने जालंधर और मोहाली में बजिंदर के चर्च ऑफ विजडम एंड ग्लोरी, मिनिस्ट्री और घर पर छापा मारा. छापे वित्तीय गड़बड़ियों और धोखाधड़ी की जांच का हिस्सा थे. ग्रामीणों का दावा है कि रविवार का तमाशा वही वक्त है जब उनकी टीम लोगों से सिंह की प्रेयर्स के बदले पैसे इकट्ठा करती है.
पंच ने कहा, “हमने कई लोगों से बात की है जो हमारे दरवाजे खटखटाते हुए कहते हैं कि उन्होंने पैसे ले लिए लेकिन उन्हें कभी ठीक नहीं किया.”
एक अन्य ग्रामीण ने आरोप लगाया कि मिनिस्ट्री में दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित लोगों की मृत्यु हुई है. उन्होंने कहा, “उन्हें चुपचाप भोजन, राशन और कुछ पैसे देने के वादे के साथ शव ले जाने के लिए कहा जाता है. अन्य शवों का क्या होता है, कोई नहीं जानता.”
बजिंदर को यह लोकप्रियता और फॉलोअर्स रातों-रात नहीं मिले. पादरी ने अपने धर्म को घर-घर तक पहुंचाया. बहुत से लोगों को नहीं पता था कि मिनिस्ट्री मौजूद है. ग्रामीणों को याद है कि बजिंदर ने खुद का परिचय दिया और यीशु के बारे में प्रचार किया. इसी तरह उन्होंने अपने फॉलोअर्स की फौज खड़ी की. सोशल मीडिया ने भी अहम भूमिका निभाई. जैसे-जैसे ज़्यादा लोग आने लगे, बजिंदर ने अपने चमत्कारी इलाजों के वीडियो पोस्ट करना शुरू कर दिया, जिससे देश भर से उनके फॉलोअर्स की संख्या बढ़ने लगी.
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सोशल मीडिया और ‘चमत्कार’ का मैसेज
ताजपुर से 15,00 किलोमीटर दूर, बिहार की राजधानी पटना में पैर की दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे एक युवा को यूट्यूब पर बजिंद्र की रील देखकर मोटिवेशन प्रोत्साहन मिला और वे मिनिसट्री में आ गया. अप्रैल 2024 की बात है, जब 27-वर्षीय धीरज कुमार के बड़े भाई सोनू कुमार ने बजिंदर सिंह की यूट्यूब पर एक रील देखी. आधी रात को सोनू लंगड़ाते हुए धीरज के पास पहुंचा और हताशा भरी गुहार लगाई.
मिनिस्ट्री के पास एक खोखे पर चाय की चुस्की लेते हुए धीरज ने बताया, “उन्होंने कहा, ‘मुझे एक बार बजिंदर के पास ले चलो. वैसे भी, मैं मरने वाला हूं. अगर वे मुझे ठीक नहीं करता है, तो मैं और कुछ नहीं मांगूंगा’.”
उनके भाई के बाएं पैर में बीमारी हो गई थी और डॉक्टरों ने पहले ही उम्मीद छोड़ दी थी.
अगली सुबह धीरज ने पटना से ट्रेन बुक की. 24 घंटे की यात्रा के बाद, भाई ताजपुर पहुंचे. उन्होंने एक छोटा सा कमरा किराए पर लिया, प्रतिदिन 100 रुपये का किराया दिया और मिनिस्ट्री द्वारा दिए जाने वाले मुफ्त भोजन पर गुज़ारा किया. हर दिन, वे चमत्कार की उम्मीद में प्रेयर के लिए जाते थे.

और फिर, यह हुआ. मिनिस्ट्री में बिकने वाला मलहम जिसे कि एक साधारण प्लास्टिक की बोतल में पैक किया गया, सोनू ने रोज़ाना लगाया. धीरे-धीरे उनकी हालत में सुधार हुआ.
धीरज ने कहा, “यह एक चमत्कार था. मैंने अपने भाई को दिन-ब-दिन बेहतर होते देखा. मैं 20 दिनों के बाद पटना चला गया और मेरा भाई 40 दिनों के बाद वापस लौटा — अपने आप चलकर.”
पिछले एक साल में धीरज पटना में अपने गांव से छह परिवारों को बजिंदर सिंह के पास ला चुके हैं. उन्होंने कहा, —नाम और धर्म से मैं हिंदू हूं.”
उनके फोन पर ईसा मसीह की तस्वीर वाला वॉलपेपर भी था.
“लेकिन दिल से मैं ईसा मसीह का फॉलोअर हूं.”

बजिंदर सिंह के फॉलोअर्स सिर्फ गरीब ही नहीं हैं; मध्यम वर्ग के बीच भी उनके काफी फॉलोअर्स हैं. मिनिस्ट्री के बाहर पंजाब पुलिस का एक अधिकारी पहरा देता है. उन्होंने कहा, “बजिंदर सिंह के चमत्कार ने मुझे ज़िंदगी भर के लिए उनके प्रति प्रतिबद्ध बना दिया.”
पंजाब प्रशासन के एक सरकारी अधिकारी, एक अन्य फॉलोअर ने उद्घाटन समारोह में बजिंदर और उनके भाई के साथ अपनी पहली मुलाकात को याद किया. उन्होंने कहा, “दोनों ने मुझे बताया कि मेरे पेट में खून का थक्का है, जिसके लिए अगले दिन सर्जरी करनी पड़ेगी.”
पहले तो उन्होंने इसे बकवास बताया, लेकिन उस शाम, उन्होंने अपने मूत्र में खून देखा. अगली सुबह तक, उनकी हालत खराब हो गई थी, और उन्हें सर्जरी के लिए ले जाया गया. उन्होंने कहा, “तब से, मैं हर रविवार को उनकी मिनिस्ट्री में जाता हूं.”
इसे सामाजिक-राजनीतिक विफलता बताते हुए मंजीत सिंह ने वैज्ञानिक सोच विकसित करने के महत्व पर जोर दिया. हालांकि, उन्होंने सवाल किया कि जब राजनीतिक नेता खुद ऐसी मान्यताओं को मजबूत करते हैं, तो यह कैसे हासिल किया जा सकता है.
“जब राजनीतिक नेता लोगों से अपने पापों को धोने के लिए कुंभ जैसे धार्मिक आयोजनों में भाग लेने का आग्रह करते हैं, तो ऐसे समाज में वैज्ञानिक सोच कैसे विकसित की जा सकती है?”
पादरी बजिंदर सिंह के इंस्टाग्राम पेज पर 1.1 मिलियन फॉलोअर्स हैं और यह पहले और बाद की गवाहियों से भरा पड़ा है. एक वीडियो की शुरुआत एक ऐसे व्यक्ति से होती है जो बैसाखी के सहारे चलने के लिए संघर्ष कर रहा है, जैसे ही सिंह उसे छूते हैं, बैकग्राउंड में बिजली चमकने लगती है और अचानक व्यक्ति बैसाखी के बिना चलने लगता है. फिर वह गवाही देता है और खुद को ठीक होने की घोषणा करता है. इंस्टाग्राम पर उनके चमत्कारी इलाज की रील्स भरी पड़ी हैं, जिसके बैकग्राउंड में “मेरा येशु, येशु” की धुन बजती है.
यह वीडियो एक हफ्ते पहले पोस्ट किया गया था और इसे 3,000 से ज़्यादा लाइक और 146 कमेंट मिल चुके हैं. कमेंट सेक्शन में “हालेलुयाह” और “आमीन” की भरमार है, जिसमें फॉलोअर्स सिंह के कथित चमत्कार की तारीफ कर रहे हैं.
ये तथाकथित चमत्कार बाद में आए. इससे पहले, बजिंदर सिंह लोगों के साथ तालमेल बनाने के लिए अपने बदलाव की कहानी के बारे में बात करते थे.
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जेल में पादरी और ‘बुरी ताकतें’
पादरी बजिंदर सिंह मिनिस्ट्री नाम की वेबसाइट पर माइक पर बोलते हुए उनकी एक तस्वीर और “मेरे बारे में” सेक्शन खुलता है. सिंह का दावा है कि उनका जन्म 1982 में एक किसान पिता के घर हुआ था, जो सरकारी नौकरी भी करते थे. आठवीं क्लास में उन्होंने कहा कि उन्हें “कुछ बुरी ताकतों ने परेशान किया था,” जिससे वे चिड़चिड़े हो गए. हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि ये ताकतें कौन सी थीं.
उनकी वेबसाइट का दावा है कि उन्हें 18 महीने तक जेल में रहना पड़ा और उन्होंने आत्महत्या की भी कोशिश की. हालांकि, समाचार रिपोर्टों में कहा गया है कि पादरी को हत्या के आरोप में जेल में रखा गया था.
वेबसाइट पर लिखा है, “मैं जेल में डिप्रेशन के कारण मरने के बारे में सोचता था और रात में मुझे बहुत डर लगता था. मैंने सभी देवताओं का नाम लिया, लेकिन फिर भी बुरी ताकतें मुझे परेशान करती थीं. फिर किसी ने मुझे बाइबिल दी.”
सिंह का दावा है कि जेल में उनकी मुलाकात एक पादरी से हुई, जिन्होंने उनके लिए प्रेयर की, जिसके बाद उन्होंने विश्वास करना, प्रेयर करना और व्रत रखना शुरू कर दिया.

वेबसाइट पर लिखा है, “भगवान मेरे सामने प्रकट हुए और कहा कि तुम बरी हो गए हो और अब से तुम मेरी सेवा करोगे और मैं बरी हो गया.”
अमृतसर के भाजपा जिला कार्यकारिणी सदस्य बलजीत सिंह के लिए ये आरोप उनके पादरी सिंह को बदनाम करने की कोशिश है. बलजीत की भी कई अन्य लोगों जैसी ही कहानी है. सिख धर्म से ताल्लुक रखने वाले बलजीत को जापान से डिपोर्ट किया गया था. उन्होंने अपना सारा पैसा गंवा दिया है और उन पर 25 लाख रुपये का कर्ज़ है. तभी उनकी मुलाकात बजिंदर से हुई जिसने बलजीत की किस्मत बदलने की भविष्यवाणी की. दो साल में बलजीत ने अपना कर्ज़ चुका दिया और अमृतसर में बेहतर ज़िंदगी जी रहे हैं.
जब बलजीत को यौन उत्पीड़न मामले के बारे में पता चला, तो उन्होंने पार्टी का काम छोड़ दिया और मिनिस्ट्री में चले गए, लेकिन तब तक सिंह जा चुके थे. इसके बजाय, वे सिंह के बड़े भाई रविंदर से मिले. अब बलजीत सिंह के लौटने का इंतज़ार कर रहे हैं ताकि वे अपनी सहानुभूति व्यक्त कर सके.
खुद को अब ईसाई बताते हुए बलजीत ने कहा कि वे अभी भी पार्टी के प्रचार के दौरान “जय श्री राम” का नारा लगाते हैं.
उन्होंने जोर से हंसते हुए कहा, “मेरे मुंह में तो राम है, लेकिन मेरे दिल में तो यीशु है.”
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