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शनिवार, 24 मई, 2025
होमफीचरन तो डीन है, न पानी और न ही हॉस्टल: अरुणाचल प्रदेश के FTI में छात्र कंस्ट्रक्शन साइट में रह रहे हैं

न तो डीन है, न पानी और न ही हॉस्टल: अरुणाचल प्रदेश के FTI में छात्र कंस्ट्रक्शन साइट में रह रहे हैं

एक एफटीआई फैकल्टी मेंबर ने कहा, “छात्र सही मुद्दे उठा रहे हैं. हम शिक्षक होने के नाते सीधे देख रहे हैं कि इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी उनके सीखने के अनुभव को कैसे प्रभावित कर रही है.”

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नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश में पहली बार शुरू हुआ फ़िल्म और टेलीविज़न इंस्टीट्यूट इस साल मार्च में चालू हुआ था, लेकिन आज भी यह एक निर्माण स्थल (कंस्ट्रक्शन साइट) जैसा है. अधूरे बने लड़कियों के हॉस्टल, वाई-फाई की सुविधा नहीं, छात्रों के पास पहचान पत्र नहीं, साफ पीने का पानी नहीं, 24×7 बिजली बैकअप नहीं—यही है उन छात्रों की रोज़ की ज़िंदगी जो यहां बड़े परदे के सपने लेकर आए थे. अब यह संस्थान एक प्रदर्शन स्थल बन गया है.

छात्र पिछले एक हफ्ते से कैंपस में बुनियादी सुविधाओं की कमी को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने अपनी नाराजगी जताने के लिए सभी क्लासेस का बहिष्कार कर दिया है—सिर्फ संस्थान के प्रशासन से नहीं बल्कि सरकार से भी.

उनकी मांगों में अहम शैक्षणिक ढांचों जैसे क्लासरूम थिएटर और परफॉर्मिंग स्टूडियो का निर्माण, सुरक्षित रास्त और रिटेनिंग वॉल बनाना, सुरक्षा के लिए बाउंड्री वॉल और मुख्य गेट लगवाना शामिल हैं. इसके अलावा वे 24×7 बिजली बैकअप के लिए फ्यूल मैनेजमेंट और साफ पीने के पानी की मांग कर रहे हैं.

“हम यहां पढ़ाई के लिए आए थे, लेकिन यह जगह एक निर्माण स्थल जैसी लगती है. यहां एक भी इमारत ऐसी नहीं है जो एक अच्छे शैक्षणिक संस्थान जैसी दिखे और छात्रों के लिए पर्याप्त सुविधाएं हों,” एक 25 वर्षीय छात्र ने कहा जो पीजी डिप्लोमा (स्क्रीन एक्टिंग) कर रहे हैं. उन्होंने पहचान ना उजागर करने की शर्त पर यह बात कही.

The mess building stands without a signboard or proper maintenance | By special arrangement
मेस बिल्डिंग पर कोई साइनबोर्ड या उचित रखरखाव नहीं है | विशेष व्यवस्था

फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट, अरुणाचल प्रदेश, केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधीन एक शैक्षणिक संस्थान है. इसका संचालन प्रतिष्ठित सत्यजित रे फ़िल्म और टेलीविज़न संस्थान (SRFTI), कोलकाता द्वारा किया जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में अरुणाचल प्रदेश के जोटे में इस संस्थान की नींव रखी थी.

एक 32 वर्षीय महिला छात्रा ने कहा जो स्क्रीनराइटिंग की पढ़ाई कर रही हैं, “जहां लड़कियां रह रही हैं [स्टाफ क्वार्टर], वहां वाई-फाई तक नहीं है. हमें इंटरनेट चलाने के लिए रात में लड़कों के कमरों में जाना पड़ता है.”

जब 2024 में पहले बैच के छात्रों ने दाखिला लिया, तब संस्थान का निर्माण चल रहा था. अधिकारियों ने बताया कि निर्माण कार्य पढ़ाई के साथ-साथ चलेगा और दिसंबर तक कैंपस पूरी तरह से तैयार हो जाएगा.

लेकिन जनवरी आने पर छात्रों को ऑनलाइन क्लास करने के लिए कहा गया, जिसे उन्होंने मानने से इनकार कर दिया.

पहले जिक्र किए गए छात्र ने कहा, “हमें बताया गया था कि कुछ काम बाकी हैं, लेकिन जब मार्च 2025 में हम कैंपस पहुंचे, तो हमारे लिए बनाए गए हॉस्टल तक तैयार नहीं थे.”

लड़कियों को स्टाफ क्वार्टर में और लड़कों को गेस्ट हाउस और ट्रांजिट ब्लॉक में रखा गया. दो महीने बाद भी वे इन्हीं अस्थायी जगहों में रह रहे हैं.

The incomplete boys’ hostel at FTI Arunachal | By special arrangement
एफटीआई अरुणाचल में अधूरा पड़ा लड़कों का छात्रावास | विशेष व्यवस्था

एक-दूसरे पर आरोप लगाने में उलझे

अप्रैल 2025 में, एसआरएफटीआई कोलकाता, फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पुणे और एफटीआई अरुणाचल प्रदेश को यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) एक्ट 1956 के तहत डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला. इस मान्यता के तहत ये संस्थान यूजीसी से मान्यता प्राप्त डिग्री, जैसे मास्टर्स प्रोग्राम, दे सकते हैं साथ ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के साथ क्रेडिट ट्रांसफर और एक्सचेंज प्रोग्राम शुरू कर सकते हैं, जिससे इनकी अकादमिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी.

हालांकि एफटीआई अरुणाचल प्रदेश स्वतंत्र रूप से काम करता है, यह एसआरएफटीआई द्वारा तय किए गए शैक्षणिक और संचालन से जुड़े नियमों का पालन करता है, जिससे दोनों संस्थानों में शिक्षा का एक जैसा स्तर बना रहे.

लेकिन छात्रों ने दिप्रिंट को बताया कि संस्थान में ना तो डीन है और ना ही कोई सही प्रशासनिक व्यवस्था.

स्क्रीन एक्टिंग में पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स कर रहे एक छात्र ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “संस्थान का पूरा संचालन कोलकाता के प्रशासन द्वारा किया जाता है, जिन्हें यहां की ज़मीनी सच्चाई की जानकारी नहीं है. वो बस हर बार निर्माण कार्य की नई डेडलाइन दे देते हैं.”

The library, which promised a wide variety of books, lacks even basic resources on filmmaking. | By special arrangement
लाइब्रेरी में तरह-तरह की किताबों का वादा किया गया था, लेकिन फिल्म बनाने से जुड़ी ज़रूरी चीज़ें भी नहीं हैं | विशेष व्यवस्था

उसने बुनियादी प्रशासनिक कमियों पर नाराज़गी जताते हुए कहा, “एक छात्र सबसे पहले अपनी पहचान पत्र की उम्मीद करता है, लेकिन अक्टूबर से लेकर अब तक हमें आईडी कार्ड तक नहीं मिला.”

एफटीआई कैंपस के निर्माण कार्य की देखरेख केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) कर रहा है. सीपीडब्ल्यूडी ने पहले तय की गई डेडलाइन को बढ़ाया है और हाल ही में कैंपस की कई इमारतों के काम के लिए नई समयसीमा बताई है.

छात्रों की शिकायत है कि जब वे कोलकाता स्थित निदेशक या प्रशासन से बात करते हैं, तो उन्हें बताया जाता है कि काम सीपीडब्ल्यूडी के तहत आता है. लेकिन जब वे सीपीडब्ल्यूडी के पास जाते हैं, तो उन्हें बताया जाता है कि देरी की वजह स्थानीय ठेकेदार हैं.

“हमारी समस्याएं सुलझाने और बुनियादी ढांचा मुहैया कराने के बजाय यहां बस दोषारोपण का खेल चल रहा है,” 25 वर्षीय एक छात्र ने कहा.

दिप्रिंट ने सीपीडब्ल्यूडी के चीफ़ इंजीनियर मुकेश कुमार से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

कैंपस में कम से कम 12 इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट अब भी अधूरे हैं, जिनमें गर्ल्स हॉस्टल भी शामिल है, जिसकी डेडलाइन 15 मई 2025 से बढ़ाकर 31 मई 2025 कर दी गई है.

दिप्रिंट से बात करते हुए एफटीआई के एक अधिकारी ने कहा कि संस्थान छात्रों की अधूरी सुविधाओं से जुड़ी मांगों का समर्थन करता है.

“हमें कभी उम्मीद नहीं थी कि निर्माण कार्य इतना लंबा खिंच जाएगा, या अधिकारी इसे इतना टालते रहेंगे,” उन्होंने कहा.

उन्होंने माना कि सीपीडब्ल्यूडी ने संस्थान को आश्वस्त किया था कि इमारतें चरणों में सौंप दी जाएंगी और पूरा कैंपस दिसंबर 2025 तक तैयार हो जाएगा.

उन्होंने जोड़ा, “हमें आश्वासन मिला है कि प्रोजेक्ट दिसंबर 2025 तक पूरा हो जाएगा. हम बस उम्मीद कर रहे हैं कि डेडलाइन और न बढ़े, और हम छात्रों को क्लास में लौटने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं.”

शिकायतों का सिलसिला

लगातार एक हफ्ते से चल रहे विरोध के बाद भी छात्रों को प्रशासन की तरफ़ से सिर्फ़ ज़ुबानी आश्वासन ही मिले हैं. इस बीच सोशल मीडिया, फ़िल्म इंडस्ट्री और पुणे के FTII और कोलकाता के SRFTI के छात्रों का समर्थन लगातार मिल रहा है.

छात्रों के समर्थन में भारतीय फ़िल्ममेकर हंसल मेहता ने इंस्टाग्राम स्टोरी में लिखा: “इंस्टीट्यूट बनाओ, शोर मचाओ, श्रेय लो और फिर उसे सड़ने दो. यही है भारत में ‘नेशन बिल्डिंग’ का महान तरीका.”

फ़िल्ममेकर पायल कपाड़िया, आनंद पटवर्धन और विक्रमादित्य मोटवाने ने भी छात्रों के विरोध की तस्वीरें और अधूरी बिल्डिंग की फोटो इंस्टाग्राम स्टोरी में शेयर कीं और इसे निराशाजनक बताया.

एक छात्र ने कहा, “हम कोई शानो-शौकत नहीं मांग रहे, हम रोशनी, सुरक्षा और सम्मान मांग रहे हैं.”

छात्रों की शिकायतों में साफ़ पीने के पानी की कमी, 24×7 बिजली, पावर बैकअप, कैंपस सुरक्षा, ठीक से काम करने वाले क्लासरूम और डिजिटल सुविधाओं की कमी शामिल है. जरूरी अकादमिक ढांचे जैसे क्लासरूम थिएटर (CRT) और पोस्ट-प्रोडक्शन ब्लॉक अभी भी अधूरे हैं. गंदा पानी पीने से छात्र बीमार हो रहे हैं, इंटरनेट बार-बार बंद हो जाता है और उन्हें अधूरे या असुरक्षित कमरों में क्लास करनी पड़ती है.

एक फैकल्टी सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “छात्रों की चिंताएं बिल्कुल जायज़ हैं. बतौर शिक्षक हम देखते हैं कि इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी उनके सीखने के अनुभव को कैसे प्रभावित कर रही है. पढ़ाई कभी भी सरकारी लेटलतीफी का शिकार नहीं होनी चाहिए. समय पर जवाब देना सिस्टम की सबसे छोटी ज़िम्मेदारी होनी चाहिए.”

छात्र अपनी शिकायतें पीडीएफ दस्तावेज़ों में इकट्ठा कर रहे हैं और उन्होंने साफ़ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे क्लास में नहीं लौटेंगे. वे चाहते हैं कि प्रशासन उन्हें निर्माण कार्य की समाप्ति को लेकर एक लिखित टाइमलाइन दे.

“हमारी मांगें कोई लग्ज़री नहीं हैं—ये एक राष्ट्रीय फ़िल्म संस्थान में पढ़ाई के लिए ज़रूरी बुनियादी ज़रूरतें हैं, जिनके लिए हमने फ़ीस भरी है,” एक 25 वर्षीय छात्र ने कहा, जिसका दो साल का स्क्रीन एक्टिंग कोर्स करीब 3 लाख रुपये का है.

छात्रों की सबसे अहम मांगों में संस्थान को औपचारिक मान्यता, एक ऑफिशियल वेबसाइट, छात्र पहचान-पत्र, कैंपस में एक स्थायी निदेशक और प्रशिक्षित प्रशासनिक स्टाफ़ की नियुक्ति शामिल है.

उस छात्र ने कहा, “हमें लग रहा है जैसे हम यहां बेवकूफ बन गए हैं। यह सिर्फ़ हमारी पढ़ाई और करियर को नहीं, बल्कि हमारी सेहत को भी नुकसान पहुंचा रहा है.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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