नई दिल्ली: दिल्ली की जामा मस्जिद के बड़े से गुंबद की ओर अपनी छोटी तर्जनी उंगली उठाते हुए 10 साल की एनाबिया ने पुर्तगाल से आए जिज्ञासु पर्यटकों के ग्रुप को इस शानदार लाल बलुआ पत्थर वाली इमारत और इसके इतिहास के बारे में बताना शुरू किया. उनकी फर्राटेदार अंग्रेज़ी ने जल्द ही लोगों को ध्यान अपनी ओर खींच लिया. खुद को बस ‘टूर गाइड एना’ बताते हुए उन्होंने न केवल विजिटर्स, बल्कि राहगीरों को भी मंत्रमुग्ध कर दिया.
आने-जाने वाले लोग रास्ते में रुककर फोन ऊपर उठाने लगे मस्जिद की तस्वीरें लेने के लिए नहीं बल्कि उन्हें कैमरे में करने के लिए. यहां तक कि पर्यटक, जो शुरू में मस्जिद की वास्तुकला को देख रहे थे उन्होंने भी अपने कैमरे एना की तरफ मोड़ दिए क्योंकि वह इस बात से मोहित थे कि कैसे उन्होंने सदियों पुराने इतिहास को एक सज़ीव कहानी में बदल दिया.
पुरानी दिल्ली की संकरी गलियों के बीच बने अपने घर से निकलते ही पिंक तो कभी बेज रंग की हैट पहनने वालीं एनाबिया एना बन जाती हैं, “मैं भारत में सबसे अच्छी और सबसे मशहूर महिला टूर गाइड बनना चाहती हूं.”
पुरानी दिल्ली के ऐतिहासिक दिल में, जहां हर गली, स्मारक और कोना अतीत की इबारतें सुनाता है, एक नई पीढ़ी शहर के कहानीकार बनकर आगे आ रही है. दिल्ली ने हमेशा दुनिया भर से जिज्ञासु यात्रियों को आकर्षित किया है, लेकिन यह रुचि अब हेरिटेज टूरिज़्म में उछाल ला रही है. जैसे-जैसे मांग बढ़ रही है, टूर गाइड की भूमिका विकसित हो रही है.
आज, अगर आप पुरानी दिल्ली की गलियों और समृद्ध इतिहास को जानना चाहते हैं, तो आप 10-वर्षीय एनाबिया, 16-वर्षीय काजल, 17-वर्षीय चांदनी या 21-वर्षीय हिना से जुड़ सकते हैं. ये युवा गाइड जामा मस्जिद, लाल किला, चांदनी चौक और दरियागंज जैसी जगहों पर विदेशी पर्यटकों से संपर्क करते हैं और अनौपचारिक, अक्सर अविस्मरणीय, पर्यटन की पेशकश करते हैं.

“सलाम बालक ट्रस्ट” और “पुरानी दिल्ली वालों की बातें” जैसे संगठन उनका सपोर्ट कर रहे हैं, जो वंचित युवाओं को हेरिटेज वॉक, फूड टूर और यहां तक कि पुरानी दिल्ली की नाइटलाइफ की खोज करने के लिए ट्रेनिंग देते हैं. नई आवाज़ों और लोकल जान-पहचान के साथ वह दिल्ली की कहानी कहने के तरीके को बदल रहे हैं.
सलाहकार मनोवैज्ञानिक और पूर्व स्ट्रीट किड्स को भोजन और शहर की सैर के लिए ट्रेनिंग देने वाली मयूरिमा काकाती ने कहा, “जैसे-जैसे दिल्ली के इतिहास को बताने का तरीका और हेरिटेज वॉक की अवधारणा विकसित हो रही है, वैसे-वैसे कहानीकार भी विकसित हो रहे हैं.”
एना का टूर आगे बढ़ा — न केवल टाइमलाइन्स के ज़रिए बल्कि पुराने शहर के छिपे हुए इलाकों से. उन्होंने पर्यटकों को बताया कि कैसे जामा मस्जिद का निर्माण शाहजहां ने 1650 में करवाया था, जो लगभग 40 मीटर ऊंची है और लगभग 9,000 वर्ग मीटर में फैली हुई है, लेकिन अन्य गाइडों के विपरीत, वह उन्हें उन जगहों पर भी ले गई जो अक्सर हेरिटेज वॉक से बाहर रह जाती हैं.
उनका पहला चक्कर उर्दू बाज़ार से गुज़रना था, जो कभी सिर्फ अपनी किताबों की दुकानों के लिए जाना जाता था, जहां दुनिया भर का साहित्य बेचा जाता था. उनका अगला पड़ाव मीना बाज़ार था, जहां उन्होंने सड़क किनारे सबसे अच्छी चाय की दुकान दिखाई और उन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट के बारे में बताया.
फिर, एना ग्रुप को बाज़ार मटिया महल के बीच में ले गई, जहां उन्होंने उत्साहपूर्वक नूरी मसाले के स्मोकी कबाब, असलम चिकन में तरह-तरह के लज़ीज़ चिकन और अल यामिनी की मुंह में पानी लाने वाली बिरयानी के बारे में बात की.
“यह गली पुरानी दिल्ली की जान है — यहां खाना, कपड़े, जूते, एक्सेसरीज, सब कुछ मिलता है.” एना ने जर्मनी से आए लड़कों के एक ग्रुप से पूछा, जो इत्र की एक दुकान के पास रुके थे. “क्या आप इसे आज़माना चाहेंगे?”
एना के टूर सिर्फ भव्य स्मारकों के बारे में नहीं हैं. वह रोज़मर्रा की ज़िंदगी की लय — बाज़ार, खुशबू, स्वाद और क्षणभंगुर पलों को भी शामिल करती है, जिन्हें ज़्यादातर टूरिस्ट मिस कर सकते हैं.
उन्होंने ग्रुप को डीडीए पार्क की ओर ले जाते हुए कहा, “स्मारकों के अलावा, मैंने अपने पसंदीदा स्थान चुने हैं जहां मैं अपने मेहमानों को ले जाती हूं.”
वहां भीड़ नहीं थी, लेकिन खालीपन भी नहीं था…बीच में गीली मिट्टी थी. जल्द ही, कुछ लड़के दिखाई दिए — सिर्फ बॉक्सर पहने हुए. उनमें से दो ने कीचड़ में कदम रखा और कुश्ती मैच शुरू किया, जिस पर भीड़ जयकारे लगाने लगी.
एना ने भीड़ के साथ चीयर करते हुए कहा, “कोई और टूर गाइड आपको यह नहीं दिखाएगा, लेकिन मैं हमेशा अपने पर्यटकों को लाल किला या जामा मस्जिद के बाद अखाड़े में लाती हूं. उन्हें मेरे साथ कुश्ती देखना बहुत पसंद है.”

गली में इतिहास की पढ़ाई
जबकि सभी की नज़रें और कैमरे एना पर थी, एना कभी-कभी भीड़ में एक परिचित चेहरे की तलाश में भटकती थी: उनके पिता. 40 साल के फिरोज़ चुपचाप दूर से उनका पीछा करते हैं, इतना करीब कि वह नज़र रख सके, इतना दूर कि उन्हें आत्मविश्वास के साथ नेतृत्व करने की जगह मिल सके. एना जहां भी पर्यटकों को गाइड करती, वह उनके पीछे-पीछे चलते हैं, जैसे-जैसे वह लोगों को इतिहास से रूबरू करवाती हैं, वह (पिता) उनकी वीडियो बनाते हैं. बाद में वह इंस्टाग्राम पर क्लिप पोस्ट करते हैं और गर्व से उन्हें नए पर्यटकों के साथ शेयर करते हैं.
पुर्तगाल से आए एक टूरिस्ट ने कहा, “हमने कई जगहों की यात्रा की है, लेकिन 10 साल की बच्ची से इतिहास सुनना अलग और आकर्षक है. वे अपनी बोलने की कला में बहुत अच्छी हैं और अपनी बातों से मनोरंजक भी हैं.”
पर्यटकों को जोड़े रखना अक्सर टूर गाइड होने का सबसे कठिन हिस्सा होता है, लेकिन एना के लिए, यह स्वाभाविक है — उन्हें मिलने वाले ज़्यादातर सवाल स्मारकों के बारे में नहीं, बल्कि उनके बारे में होते हैं.
उन्होंने बताया, “टूरिस्ट ज़्यादातर मेरी उम्र और मैं इतना कुछ कैसे जानती हूं, इसके बारे में पूछते हैं. कुछ लोग मेरे परिवार, मुझे क्या पसंद है और मुझे आगे क्या करना है इस बारे में जानना चाहते हैं.”
पुर्तगाली ग्रुप के साथ जामा मस्जिद का टूर समाप्त करने के बाद, एना ने पूछा कि क्या वह पुरानी दिल्ली को और देखना चाहेंगे या खाने-पीने की सैर पर जाना चाहेंगे. उनका कार्यक्रम बहुत व्यस्त था, इसलिए उन्होंने उनका नंबर लिया और दूसरे दिन के लिए खाने का दौरा बुक कर लिया.

एना का दिन यहीं खत्म नहीं हुआ. जल्द ही, उन्होंने जर्मनी से दो और पर्यटकों — एनेल्का और नेरिसा को देखा.
एना ने जामा मस्जिद के बारे में अपना परिचय देते हुए पूछा, “आपकी अंग्रेज़ी वाकई बहुत अच्छी है, आपने इसे कहां से सीखा? ओह वाह, आप स्पेनिश भी जानती हैं? क्या मैं आपका इंस्टाग्राम अकाउंट देख सकती हूं?”
एनेल्का ने बाद में दिप्रिंट को बताया, “हम एना के साथ पुरानी दिल्ली ज़रूर घूमेंगे.”
उन्होंने कहा, “वह बहुत आत्मविश्वासी हैं और उनकी ताकत यह है कि वह सभी से जिस तरह से बातचीत करती है, वही उनकी खूबी है.”

एना इन यात्राओं के लिए पैसे नहीं लेती हैं, लेकिन मेहमान आमतौर पर उन्हें कुछ उपहार देते हैं या एक छोटी सी टिप देते हैं – जो उन्हें प्रेरित रखने के लिए काफी होती है.
एनाबिया के पिता ने उनकी यात्रा में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने उन्हें अंग्रेज़ी सिखाई और दिल्ली के स्मारकों से परिचित कराया. अब वह स्पेनिश सीख रही हैं. वह पहले से ही हिंदी, अंग्रेज़ी और उर्दू बोलती हैं और आगे फ्रेंच सीखना चाहती हैं.
एक नए स्कूल में क्लास 6 की स्टूडेंट एना पिछले छह महीनों से लीवर और पेट के इन्फेक्शन के कारण कई दिन स्कूल नहीं जा पाई हैं. उन्होंने अभी तक बहुत से दोस्त नहीं बनाए हैं और उनते क्लासमेट्स को नहीं पता कि वह एक टूर गाइड हैं. वे अपना ज़्यादातर वक्त घर पर अपने छोटे भाई और पालतू जानवरों — दो खरगोश, एक तोता और एक बिल्ली के साथ बिताती हैं.
उनके सबसे अच्छे दोस्त उनके दादा हैं, जो उन्हें उनके पसंदीदा विषय, इतिहास में मदद करते हैं. वे अक्सर उनके लिए इतिहास की किताबें और कहानियों की किताबें खरीदते हैं, हाल ही में उन्होंने ‘हजरत सरहद शहीद’ किताब खरीदी है. उनका छह साल का भाई उनका पसंदीदा खेल साथी है.
फिरोज़ ने कहा, “मैं नहीं चाहता कि एनाबिया सिर्फ टूर गाइड बने — मैं चाहता हूं कि वह अनोखी और मशहूर हों, जिसे दुनिया के इतिहास और भाषाओं का ज्ञान हो.”
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अब डर नहीं लगता
सिर्फ 10 साल की उम्र में एना अपनी अंग्रेज़ी बोलने की कला का इस्तेमाल करके पुरानी दिल्ली की सबसे कम उम्र की टूर गाइड बन चुकी हैं. कुछ ही समय बाद दूसरे लोग भी उनके साथ हो लिए. अब वे सभी अपने शहर के बारे में उसकी गलियों में जाकर सीख रहे हैं और उस ज्ञान को कहानी कहने में बदल रहे हैं.
चांदनी चार साल पहले “पुरानी दिल्ली वालों की बातें” में शामिल हुई थीं, जब वह सिर्फ 13 साल की थीं. शुरू में वह बस थोड़ा कमाना चाहती थीं और उस इलाके को बेहतर तरीके से समझना चाहती थीं, जिसमें वह हमेशा से रहती आई थीं.
केरल के एक ग्रुप के साथ अपनी पहली फूड वॉक का नेतृत्व करने वाली चांदनी ने कहा, “मटिया महल और चांदनी चौक की गलियों में ट्रेनिंग सेशन के दौरान, मैंने ऐसी चीज़ें सीखीं, जिनके बारे में मुझे इतने सालों में पता नहीं था.”
सामुदायिक पहल वंचित लड़कियों को फूड और हेरिटेज वॉक का नेतृत्व करने के लिए ट्रेनिंग देती है, स्मारकों, पाक इतिहास और चहल-पहल भरे बाज़ारों के इर्द-गिर्द कहानियां बुनती है.
पुरानी दिल्ली वालों की बातें में कार्यक्रम प्रमुख फरहीन नाज़ ने कहा, “हमने उन्हें क्लास में नहीं पढ़ाया. ये लड़कियां यहीं जन्मी और यहीं पली-बढ़ी हैं. वह पहले से ही ज़्यादातर चीज़ें जानती हैं. हम उन्हें सिर्फ यह बताते हैं कि वह अपने पास पहले से मौजूद इतिहास और ज्ञान को कैसे पेश करें.”
ट्रेनिंग के हिस्से के रूप में लड़कियां खाने-पीने की जगहों, स्थानीय व्यंजनों और रास्ते में पड़ने वाले स्थलों के महत्व के बारे में सीखती हैं. उन्हें हर वॉक के लिए 1,000 रुपये दिए जाते हैं.
चांदनी ने कहा, “मुझे नहीं पता था कि यह एक असली काम हो सकता है. शुरुआत में, मैं घबराई हुई थी और हमेशा इस बात को लेकर परेशान रहती थी कि अगर मैं कुछ भूल गई तो क्या होगा.”
उन्होंने कहा, “अब यह एक जुनून बन गया है. ऐसा लगता ही नहीं कि चार साल हो गए हैं. मैंने 20 से 30 टूर किए हैं. मुझे लोगों को अपनी जगह दिखाना वाकई बहुत अच्छा लगता है.”
असंभावित टूर गाइड
एना अपने माता-पिता, छोटे भाई और दादा-दादी के साथ चांदनी चौक के पास एक साधारण घर में रहती हैं. एनाबिया से एना तक का उनका सफ़र सिर्फ एक साल पहले शुरू हुआ, ठीक पुरानी दिल्ली की चहल-पहल भरी सड़कों पर. एक शाम, अपने पिता फिरोज़ के साथ एक बेंच पर बैठे हुए उन्होंने देखा कि विदेशी पर्यटकों का एक ग्रुप चल रहा है, जिनके पास एक उत्साही आदमी है जो लैंडमार्क दिखा रहा है और बहुत जोश से बात कर रहा है.
उन्होंने उत्सुकता से पूछा, “अब्बू, वह आदमी उन्हें क्या बता रहा है? वह गली और गुरुद्वारे की ओर क्यों इशारा कर रहा है?”
उनके पिता ने धीरे से मुस्कुराते हुए टूर गाइडिंग के विचार को समझाया — कैसे कुछ लोगों को कहानियां और इतिहास साझा करके साधारण सड़कों को जीवंत संग्रहालयों में बदलने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है, लेकिन एनाबिया का अगला सवाल था जिसने उन्हें क्षण भर के लिए चौंका दिया — और चुपचाप भावुक कर दिया.
उन्होंने कहा, “मैं भी एक टूर गाइड बनना चाहती हूं…मैं इस जगह के बारे में सब कुछ जानती हूं और मैं अंग्रेज़ी बोल सकती हूं. क्या मैं यह कर सकती हूं, अब्बू?”
फिरोज़, एक होम ट्यूटर, जिन्होंने हाल ही में एक रिश्तेदार की मदद करने की कोशिश में अपनी बचत की कमाई खो दी, पैसों की दिक्कत और नए काम की तलाश से जूझ रहे थे, लेकिन एना के एक सवाल ने उन्हें नई उम्मीद दी.
फिरोज़ ने कहा, “मेरी बेटी ने न केवल अपने भविष्य के लिए बल्कि पूरे परिवार के लिए एक रास्ता तलाश लिया.”

अधिकांश टूर गाइडों के विपरीत, एना पर्यटकों को पुरानी दिल्ली की शांत, कम जानी-पहचानी गलियों में ले जाती है — ऐसी जगहें जो भले ही शानदार न हों, लेकिन हमेशा कुछ खास पेश करती हैं. उनका पसंदीदा पड़ाव जामा मस्जिद के पीछे एक संकरी गली है, जो मीना बाज़ार में एक छोटी सी चाय की दुकान पर निकलती है, जहां वह अपने मेहमानों को चाय परोसती हैं और उनकी कहानियां सुनती हैं.
कभी-कभी, एना का पर्यटकों के साथ रिश्ता टूर से कहीं आगे निकल जाता है. वह उन्हें अपने दो कमरों वाले घर में आमंत्रित करती है, उन्हें चाय पिलाती है, अपने परिवार से मिलवाती है और कभी-कभी उनके साथ खाना भी खाती हैं.
एना ने उन मेहमानों की तस्वीरें दिखाते हुए जिन्हें उन्होंने होस्ट किया था, बताया, “जिन पर्यटकों को मैंने छह महीने या एक साल पहले गाइड किया था, वह अब भी मुझसे मैसेज भेजकर पूछते हैं कि मैं कैसी हूं.”
सपनों के साकार होने तक
हिना अपनी मां के साथ सड़क किनारे रहती थीं और दुनिया को अपने पास से गुज़रते हुए देखती थीं. उनका कोई पक्का ठिकाना नहीं था, लेकिन उनकी ज़िंदगी में एक चीज़ लगातार बनी रही, वह थी पुरानी दिल्ली में विदेशी पर्यटकों का आना-जाना.
उन्होंने याद किया, “जब भी मैं किसी विदेशी को बस से उतरते देखती, तो मैं यह देखकर हैरान रह जाती कि वह कितने अलग दिखते हैं — उनके कपड़े, उनकी भाषा, सब कुछ. मेरा हमेशा से यह सपना था कि एक दिन मैं उनसे बात करूंगी. मुझे नहीं पता था कि मैं क्यों या क्या कहूंगी — मैं बस यही चाहती थी.”
बचपन का वह सपना अब एक लक्ष्य में बदल गया है: एक टूर गाइड बनना. अब 21 साल की हिना औपचारिक ट्रेनिंग ले रही हैं और खुद ही टूर का नेतृत्व करने के लिए लगभग तैयार हैं.
हिना ने कहा, “दुनिया भर के लोगों से मिलना, उनसे बात करना और साथ में जगहों को एक्सप्लोर करना हमेशा से मेरा सपना रहा है. ट्रेनिंग के अलावा, मैं वीडियो भी देखती हूं और किताबें भी पढ़ती हूं ताकि मैं सटीक और सार्थक टूर दे सकूं.”

इस पहल को चलाने में मदद करने वाली मयूरिमा काकाती के अनुसार, पिछले चार-पांच सालों में इस प्रोग्राम का विस्तार हुआ है. “हम एक बार में पांच या छह बच्चों को ट्रेनिंग देते थे. अब हम 10 से 15 के ग्रुप्स को ट्रेनिंग देते हैं. पर्यटकों की रुचि बढ़ी है और गाइड अब क्रिएटिव आईडिया के साथ आ रहे हैं.”
जबकि कई युवा गाइड पर्यटन इंडस्ट्री में अपना भविष्य बनाना चाहते हैं, 16-वर्षीय काजल जैसे लोग इसे एक कदम के रूप में देखते हैं.
उन्होंने कहा, “मैं एक एयर होस्टेस बनना चाहती हूं. मैं अपनी अंग्रेज़ी सुधारने और आत्मविश्वास हासिल करने के लिए सिटी वॉक प्रोग्राम में शामिल हुई.”
नन्हें हाथों में शहर का भविष्य
चाहे वह एना हो जो पर्यटकों को छिपी हुई गलियों में ले जाती है, हिना अपनी पहली वॉक की तैयारी कर रही हों, या काजल अपने अनुभव का इस्तेमाल करके एक अलग सपना पूरा कर रही हों — यह सब उतना आसान नहीं है जितना लगता है. ये युवा गाइड सिर्फ इतिहास नहीं बता रहे हैं — वह अपने इतिहास से गुज़र रहे हैं. टूर गाइड बनना सिर्फ नौकरी से कहीं बढ़कर है.
चमकदार मुस्कान और प्रैक्टिस से भरे अभिवादन के पीछे गहरे संघर्ष छिपे हैं: स्कूल की पढ़ाई, परिवारों का भरण-पोषण और टूर बुक करने के लिए रोज़ाना का संघर्ष.
एना लगातार सुधार करने की कोशिश कर रही है. जब वह गाइड नहीं होतीं, तो वह YouTube के ज़रिए स्पेनिश सीख रही होती हैं या इतिहास की किताबें पलट रही होती हैं.
उन्होंने कहा, “स्कूल के बाद, मैं स्पेनिश या फ्रेंच में ‘हाय, आप कैसे हैं? मेरा नाम एनाबिया है’ जैसी बातें कहना सीखती हूं. मैं ज़्यादा से ज़्यादा पर्यटकों को आकर्षित करना चाहती हूं और उन्हें मेहमान नवाज़ी का एहसास कराना चाहती हूं.”

लेकिन उनकी सबसे बड़ी चुनौती भाषा नहीं — बल्कि भरोसा जीतना है. कई पर्यटक किसी बच्चे का पीछा करने में हिचकिचाते हैं और कुछ पेशेवर गाइड उन्हें प्रतिस्पर्धा के रूप में देखते हैं.
एना ने बताया, “कभी-कभी मुझे एहसास ही नहीं होता कि किसी पर्यटक के पास पहले से ही कोई गाइड है. मैं बात करना शुरू करती हूं, और फिर गाइड नाराज़ हो जाता है. कुछ तो मुझ पर चिल्लाए भी हैं.”
सीज़न की गिरावट और दबाव लाती है. गर्मियां खासतौर से मुश्किल रहती हैं क्योंकि बहुत कम पर्यटक दिल्ली की गर्मी का सामना कर पाते हैं.
काकाती ने कहा, “ऑफ-सीज़न के दौरान, हम ट्रेनिंग पर फोकस करते हैं. हमारे बच्चों को तब ज़्यादा काम नहीं मिलता. इसलिए हम उन्हें भविष्य के टूर और बड़े मौकों के लिए तैयार करते हैं.”

काजल अपनी कमाई से मदद लेकर अपनी पढ़ाई जारी रख रही हैं. एना अपने परिवार के लिए ताकत का स्रोत बन गई हैं.
एना ने कहा, “इम्पॉसिबल का मतलब है ‘आई एम पॉसिबल’. इसलिए हर चीज़ के लिए हमेशा एक संभावना होती है. — एक मंत्र जिसे वह तब अपनाती है जब चीज़ें मुश्किल लगने लगती हैं.
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