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Monday, 4 November, 2024
होमफीचर'सफ़ाई से लेकर पानी तक हर तरह से करूंगी लोगों की मदद,' बिहार के गया में गलियों में झाड़ू लगाने वाली बनी डिप्टी मेयर

‘सफ़ाई से लेकर पानी तक हर तरह से करूंगी लोगों की मदद,’ बिहार के गया में गलियों में झाड़ू लगाने वाली बनी डिप्टी मेयर

चिंता देवी गलियों में झाड़ू लगाने और कचड़ा उठाने का काम करती थी. लेकिन 2022 में हुए बिहार के नगर निगम चुनाव में जीत हासिल कर, देवी गया की डिप्टी मेयर बन गयी.

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नई दिल्ली: बिहार के नगर निगम चुनाव में गया की गलियों में झाड़ू लगाने वाली निगम चुनाव में जीतने के बाद वहां की डिप्टी मेयर बनाई गईं हैं. चिंता देवी ने लगभग चालीस वर्षों तक नगर निगम में सफाई कर्मचारी के रूप में काम किया है.

चिंता देवी गलियों में झाड़ू लगाने और कचड़ा उठाने का काम करती थीं. यही नहीं उन्होंने शुरुआती दिनों में मैला ढोने का भी काम किया है. रिटायरमेंट के बाद देवी ने सब्जियां बेचना शुरू कर दिया था लेकिन लोगों को सफाई के प्रति जागरूक करना और लोगों की मदद करना उन्होंने कभी नहीं छोड़ा.

जनता को देवी द्वारा की गई सफाई की पहल और जागरूकता ने इतना प्रभावित किया कि लोगों ने उन्हें सड़क से सीधा डिप्टी मेयर की कुर्सी पर बैठा दिया.

गया की नयी डिप्टी मेयर चिंता देवी | फोटो: विशेष प्रबंधन द्वारा

सहयोग और जीत

दिप्रिंट से टेलीफोन पर हुई बात-चीत के दौरान चिंता देवी ने बताया कि ‘लोगों के समर्थन और सहयोग के कारण ही मुझे ये जीत हासिल हुई है. मेरे आस पास के लोगों ने मेरा काम देखा है इसलिए उन्होंने मेरा समर्थन किया और मैं ये पद जीत पाई हूं.’

देवी आगे बताती है कि उनके इस सफर में उनके परिवार ने भी उनका पूरा साथ दिया है और पूरा परिवार उनकी जीत से बहुत खुश हैं.

‘मेरे परिवार के लोगों ने मेरा पूरा साथ दिया है. मेरे सारे पड़ोसी भी मेरी जीत से बहुत खुश है.’

चिंता देवी ने कभी नहीं सोचा था कि वह कभी राजनीति में आएंगी लेकिन अचानक लोगों ने सहयोग औैर साथ दिया और ये होता चला गया.

वो कहती है, ‘मैंने पहले से कुछ सोच नहीं रखा था. मैं ड्यूटी कर रही थी फिर 2020 में मैं रिटायर हो गयी. लोगों ने अपनी परेशानियां बताई और कहा अगर चिंता देवी चुनाव में खड़ी होगी तो बहुत ही बढ़िया हो जाएगा. इसलिए मैं चुनाव में खड़ी हो गयी और मेरे पूरे गया के जनता ने मेरा साथ दिया.’

बिहार में 18 दिसंबर 2022 को 17 सीटों पर नगर निगम चुनाव हुआ था जिसमे से मेयर की 16 सीटों पर महिलाएं विजयी रहीं और डिप्टी मेयर की 11 पदों पर महिलाओं ने जीत दर्ज की.

चिंता देवी ने लगभग 27 हज़ार वोटों से नितिका रजक को हराकर इस पद को हासिल किया है.

देवी ने अब तक जिन गलियों में झाड़ू लगाया वहां का कचड़ा उठाया अब वो खुद वहां की स्वच्छता सुनिश्चित करेंगी एवं इलाको के सफाई कर्मचारियों के लिए काम करेगी.


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गया की गलियों का दौरा

देवी ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने अभी से गया की गलियों और सड़को का दौरा करना शुरू कर दिया है ताकि उन्हें पता चले कहां-कहां लोगों को क्या-क्या परेशानियां हैं, एवं लोगों की कौन-सी परेशानियों को पहले हल करना है.

जीत के बाद गया की गलियों का दौरा करती चिंता देवी | फोटो: विशेष प्रबंधन द्वारा

देवी कहती है, ‘हमने अभी से पूरा गया घूम लिया है. यहां के बदलाव के लिए काम करेंगे क्योंकि कहीं पानी नहीं है, तो कहीं नल नहीं है. मैंने देखा कि कहीं-कहीं लोगों के पास पीने का पानी भी नहीं है तो उन सबकी मदद करूंगी.’

वो आगे बताती है कि ‘कहीं-कहीं लोगों की स्तिथि बहुत ही ख़राब है तो उनके लिए पहले काम करूंगी. जो मंदिर-मस्जिद टूट गए है हम उनके लिए भी काम करेंगे.’

‘मैं पहले से गरीबों की मदद करती थी. जब हमारे पास कुछ नहीं था तब भी लोगो को आठ आना दे देते थे, अब और ज्यादा मदद करेंगे लोगो की. जिसका कुछ नहीं है उसकी ज्यादा मदद करेंगे.’

दिप्रिंट से बात-चीत के दौरान चिंता देवी ने अपने परिवार के बारे में भी बताया. उन्होंने बताया कि उनके पति को गुज़रे पंद्रह-सोलह साल हो चुके है. उनके तीन बेटे और दो बेटियां हैं. देवी की बेटियों की शादी हो चुकी है, वो अपने बेटे बहुओं और पांच नातियों के साथ रहती हैं. उनका पूरा परिवार उनकी इस जीत से बहुत खुश है और सब उनका पूरा साथ दे रहे हैं. उनके तीनों बेटे भी नगर निगम में ही काम करते हैं.

चिंता देवी 6 जनवरी को डिप्टी मेयर की शपत ली. चुनाव में जीत के बाद देवी उसी तरह पैदल ऑफिस तक जाती हैं जैसे वो उस वक़्त जाती थीं जब वह एक सफाई कर्मचारी थीं. देवी कहती है ‘उन्हें लोगों की भीड़ से होते हुए ऑफिस जाने में बहुत ख़ुशी होती है.’

देवी के पास अपना फ़ोन भी नहीं है और इस बात पर वह कहती है, ‘अभी मेरे पास कोई साधन नहीं है. मैं हर जगह पैदल ही जाती हूं. मैं जहां भी जाती हूं लोग मेरी पूरी मदद करते है.’

अपनी बात खत्म करते हुए देवी कहती है, ‘मैं इस जीत से बहुत ही खुश हूं, मैं अभी भी मंदिर ही जा रही हूं प्रार्थना करने. मैं हमेशा लोगों के लिए काम करती रहूंगी.’


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