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Wednesday, 6 November, 2024
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भारतीय युवाओं के लिए भक्ति का नया केंद्र बन रहा खाटू श्याम, सरकार भी नए गलियारे के निर्माण में जुटी

वीकेंड पर दर्शन के लिए आने वाले 2 लाख भक्तों से लेकर 250 करोड़ रुपये वार्षिक दान तक, राजस्थान के सीकर में खाटू श्याम मंदिर में भारी भीड़ और पैसा आता है. सरकार बुनियादी ढांचे में 350 करोड़ रुपये से ज्यादा लगा रही है.

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खाटू, सीकर: अगर आप इंस्टाग्राम पर नहीं हैं, तो आजकल युवाओं के बीच आप भगवान नहीं हैं. भारत के 33 करोड़ देवी-देवताओं में से खाटू श्याम रील की दुनिया में प्रवेश करने वाले सबसे नए हैं.

उदयपुर की 22 वर्षीय श्रुति सैनी ने अपनी काली थार को तोरण द्वार के सामने पार्क किया- जो करीब 1.5 किलोमीटर की दूरी पर खाटू श्याम मंदिर का प्रवेश द्वार है. कार के ऊपर खड़ी होकर और हाथ ऊपर करके सैनी ने इस पल को वीडियो में कैद किया और बैकग्राउंड में श्याम संग प्रीत गाने के साथ इसे ऑनलाइन पोस्ट किया. उनके कैप्शन में लिखा था: तेरे बिना श्याम हमारा नहीं कोई रे.

तोरण द्वार सेल्फी और रील के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है, जहां दिल्ली, जयपुर, इंदौर, नासिक और रामपुर जैसे शहरों से युवा भक्त आते हैं. भक्तों की नई पीढ़ी के लिए ड्राइव, दर्शन, प्रदर्शन और प्रस्थान करना एक पैटर्न है. हर हफ्ते दो लाख से अधिक लोग आते हैं, जिससे खाटू श्याम मंदिर उत्तर भारत के सबसे तेजी से बढ़ते धार्मिक केंद्रों में से एक बन गया है. राजस्थान पर्यटन विभाग के अनुसार, पिछले तीन वर्षों से मार्च में वार्षिक लक्खी मेले के दौरान लगभग 50 लाख पर्यटक खाटू श्याम मंदिर में आते हैं.

मंदिर का वार्षिक दान 2020 में 13.5 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023 में 250 करोड़ रुपये हो गया है, जिसमें सोने और चांदी का चढ़ावा शामिल नहीं है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़, बॉलीवुड अभिनेता गोविंदा और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कुछ प्रमुख लोग हैं जिन्होंने मंदिर का दौरा किया है.

तोरण द्वार सेल्फी और रील के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है, ऊंट की सवारी और टैटू की दुकानें युवा आगंतुकों को आकर्षित कर रही हैं | फोटो: कृष्ण मुरारी/दप्रिंट
तोरण द्वार सेल्फी और रील के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है, ऊंट की सवारी और टैटू की दुकानें युवा आगंतुकों को आकर्षित कर रही हैं | फोटो: कृष्ण मुरारी/दप्रिंट

राजस्थान सरकार ने अपने नवीनतम बजट में मंदिर के लिए 100 करोड़ रुपये के गलियारे और एक नए पुलिस स्टेशन की घोषणा की है. एक नई रेल लाइन खाटू को रिंगस जंक्शन रेलवे स्टेशन से जोड़ेगी.

बर्बरीक के रूप में भी जाने जाने वाले, खाटू श्याम – हिंदू महाकाव्य महाभारत के अनुसार घटोत्कच के पुत्र – ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी लोकप्रियता में उछाल देखा है. गानों से लेकर सोशल मीडिया और तीर्थयात्रा तक, उनकी बढ़ती प्रसिद्धि ने राजस्थान के सीकर के छोटे से शहर खाटू को आस्था व वाणिज्य के केंद्र में बदल दिया है, जो सीकर के कोचिंग हब के रूप में उभरने के साथ काफी मेल खाता है. वीकेंड टूरिस्ट्स के लिए खाटू नया वृंदावन है. खाटू श्याम मंदिर की तीर्थयात्रा भी आध्यात्मिकता और डिजिटल इंडिया को एक साथ लाती है.

ग्राफिकः वासिफ खान | दिप्रिंट

मुख्य पुजारी और मंदिर प्रबंधन समिति के पूर्व अध्यक्ष महंत मोहनदास सिंह चौहान ने कहा, “खाटू श्याम आस्था का नया केंद्र बन गया है.” युवाओं में खास तौर पर इसका क्रेज बढ़ रहा है. खाटू श्याम कलियुग के देवता हैं और जैसे-जैसे कलियुग बढ़ता है, भक्त उनकी शरण में आते हैं.

यह भक्ति सोशल मीडिया से आगे तक फैली हुई है और इसने एक संपन्न व्यापारिक उद्योग को जन्म दिया है- कार सजावट के स्मृति चिन्ह, स्टिकर, खाटू श्याम की छवि से सजी टी-शर्ट, चाबी के छल्ले, बैज आदि. कारों के स्टिकर पर लिखा है “हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा” और “मैं लाडला खाटू वाले का.” युवा भक्त इन संदेशों से खूब जुड़ रहे हैं. खाटू उनका वॉलपेपर है, खाटू के गीत उनकी रिंगटोन हैं और वे कॉल का जवाब देते समय जय श्री खाटू कहकर अभिवादन करते हैं.

खाटू श्याम अब हिंदी पट्टी के उत्साही भारतीयों के लिए चमत्कार करने वाले देवता बन गए हैं.

गर्भगृह में खाटू श्याम को देखकर एक युवा भक्त की आंखों में आंसू आ गए | फोटो: कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट
गर्भगृह से 1.5 किमी दूर तोरण द्वार पर श्रद्धालु माथा टेकते हुए | फोटो: कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट
गर्भगृह से 1.5 किमी दूर तोरण द्वार पर श्रद्धालु माथा टेकते हुए | फोटो: कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट
मंदिर परिसर में गुलाब की पंखुड़ियां और मोर पंख लिए भक्तगण “जय श्री श्याम” और “खाटू नरेश की जय” का नारा लगा रहे हैं. फोटो: कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट
मंदिर परिसर में गुलाब की पंखुड़ियां और मोर पंख लिए भक्तगण “जय श्री श्याम” और “खाटू नरेश की जय” का नारा लगा रहे हैं. फोटो: कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट

इंफ्रास्ट्रक्चर में उछाल, रियल एस्टेट में उछाल

खाटू की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए राज्य और केंद्र दोनों सरकारों ने महत्वाकांक्षी विकास योजनाओं के साथ कदम बढ़ाया है. नरेंद्र मोदी सरकार ने खाटू को रिंगस जंक्शन रेलवे स्टेशन से जोड़ने वाली 254 करोड़ रुपये की रेल लाइन परियोजना की घोषणा की.

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पिछले साल एएनआई से कहा था, “दुनिया भर से बड़ी संख्या में लोग खाटू मंदिर में दर्शन करने आते हैं. तीर्थ स्थल को रेलवे नेटवर्क से जोड़ने से यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी.”

खाटू अब एक विशाल निर्माण स्थल जैसा दिखता है, जहां धूल के बादल नए होटल, गेस्ट हाउस और आवासीय परिसरों के आने की घोषणा करते हैं. रियल एस्टेट की इस होड़ की वजह से ज़मीन की कीमतें आसमान छू रही हैं जो कि चार साल पहले 15,000-20,000 रुपये प्रति गज से बढ़कर आज 1 लाख रुपये तक हो गई है. जिला राजस्व अधिकारियों के अनुसार, खाटू में रियल एस्टेट निवेश पिछले पांच वर्षों में 1,000 करोड़ रुपये को पार कर गया है. इस नवरात्रि में अकेले खाटू में 100 से अधिक नए होटल और गेस्ट हाउस का उद्घाटन हुआ, जिनमें से अधिकांश मंदिर से 2 किमी के भीतर हैं.

यह मंदिर 2015 में शुरू की गई मोदी सरकार की स्वदेश दर्शन योजना का भी हिस्सा है. कृष्ण सर्किट पहल के तहत, जयपुर के गोविंद देव जी मंदिर और राजसमंद नाथद्वारा के साथ खाटू श्याम मंदिर को विकास के लिए 75.80 करोड़ रुपये का बजट आवंटन मिला.

खाटू में कारोबार बढ़ने से रियल एस्टेट की कीमतें आसमान छू रही हैं | फोटो: कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट
मंदिर के पास एक क्रेन पर स्टिकर लगा है: “हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा” | फोटो: कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट

दांतारामगढ़ के विधायक वीरेंद्र सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि 2018-23 के बीच कनेक्टिविटी, पावर ग्रिड और अपशिष्ट संयंत्रों के लिए राज्य सरकार के फंड से 200 करोड़ रुपये का निवेश किया गया.

हाल ही में जुलाई में मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकारों ने उज्जैन के महाकाल को खाटू श्याम से जोड़ने वाले धार्मिक सर्किट को विकसित करने के लिए भोपाल में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिसमें वंदे भारत ट्रेनें और इलेक्ट्रिक बसें भी शामिल हैं.

कोलकाता, दिल्ली, पंजाब और छत्तीसगढ़ के प्रमुख व्यवसायियों ने धर्मशालाएं बनवाई हैं, जबकि राधे की हवेली और लखदातार होटल जैसे आलीशान प्रतिष्ठान, जिन्हें मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष प्रताप सिंह चौहान चलाते हैं, उच्च श्रेणी के पर्यटकों को सेवा प्रदान करते हैं.

सीकर के पर्यटन विभाग की सहायक निदेशक अनु शर्मा ने कहा, “वर्तमान में, [सरकारी] 100 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं.”

डिजिटल डिवाइन: आधुनिक भगवान का बनना

बीआर चोपड़ा ने महाभारत में खाटू श्याम की कथा को छोटे पर्दे पर उतारा. फिर हाल के वर्षों में खाटू श्याम के इंटरनेट पर छा जाने से पहले लंबे समय तक इनके बारे में ज्यादा बातें नहीं होती थीं.

नवीन गिरी ने 2020 में इंस्टाग्राम पर शायरी पोस्ट करना शुरू किया, लेकिन उनके शुरुआती वीडियो पर किसी का ध्यान नहीं गया. इस साल जनवरी में खाटू श्याम की पहली यात्रा के बाद सब कुछ बदल गया. तब से, उन्होंने देवता को समर्पित 185 वीडियो साझा किए हैं, और उनके 14,200 से अधिक अनुयायियों के लिए, अब उन्हें “श्याम का दीवाना” के रूप में जाना जाता है.

इस डिजिटल भक्ति ने भजन जगत में भी नए सितारे पैदा किए हैं. बरेली के 34 वर्षीय भजन गायक राम पहले माता रानी की चौकी और उत्तर प्रदेश में हनुमान भजनों में माहिर थे. लेकिन अब वे पूरी तरह से खाटू श्याम भजन गाने लगे हैं और उन्हें पश्चिम बंगाल, पंजाब, गुजरात, राजस्थान और असम से बुकिंग के अनुरोध मिल रहे हैं. “राम श्याम बंधु” के बैनर तले वे और उनके भाई श्याम इन राज्यों में जाते हैं और “एक शाम श्याम के नाम” – शाम का कीर्तन जो सामुदायिक सभा स्थल बन गया है – करते हैं.

35 डिग्री की गर्मी में नंगे पांव भक्त खाटू श्याम के लंबे झंडे को लेकर रींगस से मंदिर तक 17 किलोमीटर पैदल चलते हैं | फोटो: कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट
35 डिग्री की गर्मी में नंगे पांव भक्त खाटू श्याम के लंबे झंडे को लेकर रींगस से मंदिर तक 17 किलोमीटर पैदल चलते हैं | फोटो: कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट
सीकर में खाटू श्याम मंदिर के पास एक दुकान | फोटो: कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट
सीकर में खाटू श्याम मंदिर के पास एक दुकान | फोटो: कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट

उन्होंने देश के अन्य हिस्सों में मंदिर को लोकप्रिय बनाने का श्रेय गायकों, सोशल मीडिया और इंस्टाग्राम रील्स को दिया, साथ ही कहा कि अकेले बरेली में चार खाटू श्याम मंदिर बने हैं.

संगीत उद्योग ने भी इस पर ध्यान दिया है. दिल्ली स्थित लखदातार म्यूजिक एंड फिल्म्स ने पिछले महीने खाटू श्याम के छह गाने रिलीज़ किए हैं. टी-सीरीज़ के भक्ति चैनल ने खाटू श्याम को समर्पित दर्जनों गाने बनाए हैं, जिनमें कन्हैया मित्तल का 2020 का हिट गाना “गज़ब मेरे खाटू वाले” यूट्यूब पर लगभग 7 करोड़ बार देखा गया, जबकि उनका 2023 का गाना “मैं तो खाटू धाम को चला” 30 लाख से ज़्यादा बार देखा गया.

मित्तल के एक और वायरल हिट, “लेने आजा रींगस के मोड़ पर” ने स्थानीय व्यापार को भी प्रभावित किया है – इस गाने में मंदिर में तीन बोतल इत्र चढ़ाने का जिक्र है, जिससे स्थानीय इत्र की दुकानों पर बिक्री बढ़ गई है. वीडियो में, मित्तल एक विस्तृत अनुष्ठान के बारे में बताते हैं: “दो बोतल इत्र चढ़ाएं, फिर अपनी इच्छा को मन में दोहराते हुए तीसरी बोतल का ढक्कन खोलें. इसके बाद बोतल को तुरंत बंद कर दें, और अगर बाबा पूछें कि आपने क्या किया, तो कहें कि आपकी इच्छा पूरी होने पर आप तीसरी बोतल चढ़ाएंगे.”

आस्था, भाग्य और बड़ा उद्देश्य

भीम के पोते और विभिन्न नामों से पूजे जाने वाले खाटू श्याम को शिव से तीन शक्तिशाली बाण मिले थे. उन्होंने कृष्ण के अनुरोध पर अपना सिर बलिदान कर दिया, जिससे उन्हें “शीश के दानी” की उपाधि मिली. प्रसिद्ध सीकर मंदिर, जिसे मूल रूप से 1027 ईस्वी में राजा रूप सिंह चौहान ने बनवाया था, का जीर्णोद्धार 1720 ईस्वी में मारवाड़ शासक के अधीन किया गया था.

लेकिन आधुनिक भारत की नवीनतम आध्यात्मिक सफलता की कहानी चुनौतियों और दोषों से रहित नहीं है.

2000 के दशक की शुरुआत में खाटू श्याम पंचायत समिति के प्रमुख रहे विधायक वीरेंद्र सिंह ने कहा, “2022 में भगदड़ [जिसमें तीन महिला भक्तों की मौत हो गई] के बाद, हमें 14 पिछले दरवाज़े बंद करने पड़े, जिनका इस्तेमाल मंदिर समिति के सदस्य वीआईपी दर्शन के लिए कर रहे थे.” उन्होंने कहा कि उन दिनों भीड़ को नियंत्रित किया जा सकता था.

खाटू श्याम मंदिर के मुख्य पुजारी महंत मोहनदास सिंह चौहान ने मंदिर समिति की जांच की मांग की | फोटो: कृष्ण
खाटू श्याम मंदिर के मुख्य पुजारी महंत मोहनदास सिंह चौहान ने मंदिर समिति की जांच की मांग की | फोटो: कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट

मंदिर ने भीड़ प्रबंधन के लिए अतिरिक्त भूमि का अधिग्रहण किया है, जिसमें केवल 200 मीटर की दूरी पर स्थित विशाल लखदातार मैदान भी शामिल है. लेकिन रींगस के डीएसपी संजय बोथरा ने लगातार इससे जुड़ी चिंताओं की ओर इशारा किया.

अधिकारी ने कहा, “सबसे बड़ी समस्या यह है कि प्रवेश द्वार तो बहुत बड़ा है, लेकिन निकास द्वार बहुत छोटा है, जिससे दुर्घटनाएं हो सकती हैं. खाटू श्याम जाने वालों का दबाव लगातार बढ़ रहा है.”

बोथरा ने कहा कि खाटू की बढ़ती लोकप्रियता के लिए “हमें मौजूदा 40 पुलिसकर्मियों से ज़्यादा की ज़रूरत है.” मार्च में मेले के दौरान भीड़ को नियंत्रित करने के लिए 5,000 की संख्या में पुलिस बल तैनात करना पड़ा. इसके अलावा, चार लेन वाली सड़कें न होने का मतलब है कि सड़क दुर्घटनाओं की संभावना हमेशा बनी रहती है.

फिर भी, 22 वर्षीय अमन पंवार जैसे भक्तों के लिए यह यात्रा अपने आप में आस्था से जुड़ा एक कार्य है.

गाजियाबाद स्थित अपने कार्यालय से उन्होंने शामली में अपने 18 वर्षीय भाई हिमांशु को फोन किया और खाटू श्याम मंदिर की यात्रा की योजना बनाई. उनकी मां ने पिछले दो वर्षों से खाटू श्याम को समर्पित एक अखंड ज्योति जलाई हुई थी.

एक निजी फर्म में काम करने वाले अमन ने कहा, “मेरी मां कभी यहां नहीं आई. हमने उनके लिए खाटू की मूर्ति खरीदी है.”

लेकिन भाइयों के मंदिर की यात्रा का एक बड़ा उद्देश्य है. बड़े भाई ने पूछा, “जब तक हिंदू तीर्थ स्थलों पर नहीं जाएंगे, तब तक भारत हिंदू राष्ट्र कैसे बनेगा?”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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