कुचामन (डीडवाना): राजस्थान के डीडवाना जिले के बर्डिया गांव में अपने माता-पिता के घर पर शारदा मेघवाल ने प्यार से राखी के त्यौहार के लिए थाली तैयार की और साथी महिलाओं के साथ मिलकर लोक गीत गाए. थाली में उसने अपने भाई राजू और चचेरे भाई चुन्नी के लिए कच्चे चावल, हल्दी, सिन्दूर, चॉकलेट का एक पैकेट और दो राखियां रखीं. राखी से एक दिन पहले वह अपने पड़ोसी गांव में एक मेले में जाने के लिए तैयार हुई थी. वह कहती हैं, “मेरे भाइयों ने मुझसे कहा कि वे मुझे अगले दिन राखी बांधने देंगे.” हालांकि, शारदा उन्हें कभी राखी नहीं बांध पाई. घर में रखी वह राखियां अब अछूती रह गईं.
चुन्नी (21) और राजू (22) दोनों की 28 अगस्त को देर रात कथित तौर पर जाट समुदाय के लोगों के एक समूह द्वारा बेरहमी से हत्या कर दी गई. दोनों दलित थे. उनके दोस्त, कृष्ण लाल इस हमले में बच गए और अभी जयपुर के चिरायु अस्पताल में उनका इलाज किया जा रहा है.
यह भयावह घटना राजस्थान में दलितों के खिलाफ दर्ज अत्याचारों की श्रृंखला में सबसे नया मामला है. अभी एक सप्ताह पहले कोटपूतली में एक 15 वर्षीय दलित छात्र मृत पाया गया था. कथित तौर पर उसके खिलाफ उसके स्कूल में जाति-आधारित अपशब्दों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया था. केंद्र सरकार ने मार्च में संसद को बताया था कि 2018 के बाद से देश में दलितों के खिलाफ रिपोर्ट किए गए अपराधों में राजस्थान उत्तर प्रदेश और बिहार के बाद तीसरे स्थान पर है. राजस्थान में इस अवधि के दौरान दलितों के खिलाफ हमलों और अत्याचार के 25,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए.
इन हत्याओं ने दलित समाज में एक व्यापक विरोध प्रदर्शन और गुस्से को जन्म दिया है. दलित समाज के दैनिक जीवन का ताना-बाना जाति से संचालित होता है. और यह राजस्थान में एक राजनीतिक तूफान बनने का खतरा पैदा कर रहा है, जहां नवंबर में चुनाव होने वाले हैं. जाति-संबंधी अपराधों और बलात्कार की बढ़ती घटनाओं के लिए बीजेपी ने अशोक गहलोत सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.
न्याय के लिए ग्रामीण पास के कोचुमन शहर के पुलिस स्टेशन के सामने पांच दिनों से धरने पर बैठे हैं. पहले ही सभी पार्टियों के नेता और प्रमुख राजनीतिक हस्तियां मामले में गिरफ्तारी की कमी पर सवाल उठाने के लिए मृतक के गांव पहुंच चुके हैं.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने घटना की निगरानी करने और पार्टी आलाकमान को एक रिपोर्ट सौंपने के लिए चार संसद सदस्यों की एक टीम गठित की है. भीम आर्मी, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने भी प्रदर्शनकारियों के साथ धरने पर बैठने के लिए अपने-अपने प्रतिनिधि भेजे हैं. भीम आर्मी के कुछ सदस्य भूख हड़ताल पर जाने की धमकी भी दे रहे हैं.
इस बीच, पुलिस का कहना है कि अब तक उनकी जांच से यह नहीं पता चला है कि यह जाति-संबंधी अपराध था या फिर कुछ और. अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है लेकिन चार लोगों को हिरासत में लिया गया है.
भीम आर्मी प्रमुख चंद्र शेखर आज़ाद ने ट्वीट किया, “पुलिस जानबूझकर अपराधियों को गिरफ्तार नहीं कर रही है क्योंकि वह राजस्थान सरकार के दबाव में है. राजस्थान सरकार आरोपियों को बचा रही है.” कैबिनेट मंत्री गोविंद राम मेघवाल शुक्रवार को धरना स्थल पर पहुंचे जहां उन्होंने इन आरोपों से इनकार किया.
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घटनास्थल पर मौजूद सभी दलों के सदस्यों की एक कोर कमेटी बनाई गई है जिसके सदस्य धरना स्थल पर काफी उग्र भाषण देते हैं और जातिगत अपराधों को नियंत्रित करने में असमर्थता के लिए गहलोत सरकार की निंदा करते हैं.
दलित निकायों की गरिमा के लिए लड़ने वाले प्रदर्शनकारी इस बात पर जोर देते हैं कि ऐसा जघन्य अपराध केवल ऊंची जातियों द्वारा निचली जाति के पीड़ितों पर ही किया जा सकता है. धरना पर बैठे लोगों की तीन मांगें हैं: 1 करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि और साथ ही लाल के परिवार के लिए मुआवजा, घटना की सीबीआई जांच और परिवार के सदस्यों के लिए सरकारी नौकरी.
अपने भाइयों के क्षत-विक्षत शरीरों और बार-बार कारों से कुचले जाने की तस्वीरों से बेहद आहत हुई शारदा कहती है कि उसके भाई को इतनी बुरी तरह कुचला गया था कि उसका हाथ उसके शरीर से 20 मीटर दूर पाया गया था. वह कहती हैं कि उन्हें सिर्फ “खून के बदले खून” चाहिए.
यूपी पुलिस के पूर्व डीजीपी और राज्यसभा सांसद बृज लाल ने कहा, “मैंने अपना सारा जीवन पुलिस सेवाओं में काम किया और मैंने इतनी क्रूर हत्या कभी नहीं देखी.” उन्होंने कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से राजस्थान में महिलाओं और दलितों के खिलाफ अपराधों के आंकड़े पढ़े और राजस्थान को देश का ‘सबसे खतरनाक राज्य’ और ‘बलात्कार की राजधानी’ करार दिया.
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क्रूरता को लेकर लोगों में गुस्सा
चुन्नी की हत्या के बारे में शारदा को तीन दिनों तक नहीं बताया गया. उसके इसके बारे में तब पता चला जब उसने अपने एक दोस्त का फोन लिया और उसमें रेत में पड़े अपने भाई के क्षत-विक्षत शरीर की भयानक छवि देखी.
चुन्नी और राजू की भाभी पूजा मेघवाल कहती हैं, “जिस तरह से उन्हें मारा गया. जिस तरह से उन्हें कई बार कुचला गया, कोई भी ऊंची जाति लोगों को इस तरह छूने की हिम्मत भी नहीं करेगा.”
राजस्थान के नवगठित डीडवाना जिले में स्थित मेघवाल के गांव बिदियाद में हर कोई शोक में है. दुकानें बंद हैं और गांव बिल्कुल शांत पड़ा है.
प्रदर्शनकारियों ने सरकार को शवों का पोस्टमार्टम करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है और इस बात पर जोर दिया है कि सरकार को उनके बेटों को छूने से पहले न्याय देना चाहिए.
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जिस हिसाब से दो युवाओं की हत्या की गई है, उसे लेकर समुदाय के भीतर काफी गुस्सा बढ़ गया है. कृष्ण के चाचा और घटनास्थल पर पहुंचने वाले पहले लोगों में से एक बाबूलाल कहते हैं, “उन्होंने उनके शवों को जमीन में कुचल दिया था. चुन्नी का शव इधर-उधर पड़ा हुआ था. उसके हाथ और पैर अलग हो गए थे.”
अपराध स्थल की वीभत्स तस्वीरें व्हाट्सएप ग्रुपों पर काफी तेजी से शेयर हुई. समुदाय के कुछ लोगों ने कथित तौर शव को देखने के बाद उल्टी कर दी, जबकि कई लोग बेहोश हो गए. राजू और चुन्नी की एक चाची कहती हैं, “मैं चार दिनों से सोई नहीं हूं, जिस हालत में वे पाए गए थे, उसकी तस्वीर मेरे दिमाग में घूम रही है.”
चुनाव प्रचार शुरू हो गया है
डीडवाना एक राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जिला है, जिसे हाल ही में नागौर से अलग कर नया जिला बनाया गया है. 5 जनवरी 2023 को जारी मतदाता सूची के अनुसार इसमें दस विधानसभा सीटें और 26 लाख मतदाता हैं. राजस्थान में चुनाव नवंबर में होने वाले हैं.
चल रहे धरने ने राजस्थान के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों का ध्यान खींचा है. चार बीजेपी सांसदों- बृज लाल, कांता कर्दम, रंजीता कोहली और सिकंदर कुमार का एक प्रतिनिधिमंडल पीड़ित परिवार के लोगों को सांत्वना देने के लिए 1 सितंबर को धरना स्थल पर पहुंचा. जब महिला सांसद राजू और चुन्नी की चचेरी बहन आशा मेघवाल को सांत्वना दे रही थीं तो चारों ओर से कैमरे और मीडियावालों ने उन्हें घेर लिया था.
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बीजेपी प्रतिनिधिमंडल का धरना स्थल पर स्वागत मुख्य दूत के रूप में कार्य कर रहे भीम आर्मी के एक सदस्य ने किया. मतभेदों के बावजूद धरना स्थल पर उनके समर्थन को स्वीकार किया. उन्होंने नाराजगी के साथ बीजेपी नेताओं से कहा, “हम आपके बहुत बड़े प्रशंसक नहीं हैं. लेकिन चूंकि आप यहां हमारे खून के आंसू पोंछने आए हैं, इसलिए हम आपके समर्थन का स्वागत करते हैं.”
जैसे ही चन्द्रशेखर आज़ाद के आने की की खबर फैली, धरना स्थल पर मौजूद भीड़ के बीज खलबली मच गई. हालांकि, वह आए नहीं और वहां मौजूद लोगों को ‘रावण’ के ट्वीट से संतुष्ट होना पड़ा.
आरएलपी के नारायण बेनीवाल, एक जाट नेता, तीन दिनों से धरना स्थल पर मौजूद हैं. हालांकि, बाकी नेता आते हैं, भाषण देते हैं और चले जाते हैं. उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता कि राजस्थान को क्या हो गया है कि जातीय अत्याचार बढ़ गए हैं, लेकिन सभी 36 जातियों के लोग यहां परिवार के समर्थन में बैठे हैं. हम सब एक साथ हैं.”
बीएसपी और भीम आर्मी के वक्ताओं ने जोश के साथ अपनी दलित पहचान को मजबूत किया और अपने साथी समुदाय के लोगों से जातिवाद की बुराइयों को न भूलने का आग्रह किया. भीम आर्मी के प्रवक्ता शोएब खान ने माइक पर गरजते हुए कहा, “तुम दलित हो. तुम गरीब हो. इसी कारण तुम्हारों पुत्रों के साथ ऐसा अत्याचार होता है. क्या किसी अमीर बच्चे के साथ ऐसा होगा? क्या उसे कभी न्याय के लिए इंतजार करना होगा? नहीं न. इसे याद रखों. और याद रखों कि बाबा साहब का संविधान खतरे में है.”
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‘कोई जातिगत एंगल नहीं’
पुलिस का कहना है कि अब तक उन्हें अपनी जांच में कोई व्यक्तिगत दुश्मनी या जाति-आधारित घृणा के अपराध का कोई सबूत नहीं मिला है. जिला पुलिस ने सोलह लोगों की पहचान की है, जिनमें से चार को हिरासत में लिया गया है. घटना से जुड़ी तीन कारों को भी जब्त कर लिया गया है और खून के धब्बों को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है. हालांकि, पुलिस का कहना है कि परिवार द्वारा पोस्टमार्टम की इजाजत देने से इनकार करने के कारण वे गिरफ्तारी करने में असमर्थ हैं.
पुलिस अधीक्षक प्रवीण नायक ने कहा कि राजू, चुन्नी और कृष्ण तीनों पर उन गुंडों ने हमला किया, जो एक अन्य व्यक्ति पर हमला करने की कोशिश कर रहे थे, जो सुरेश रणवा नामक व्यक्ति से 80,000 रुपये की मांग कर रहा था.
एफआईआर के अनुसार, 28 अगस्त को तीनों पीड़ित सभी बचपन के दोस्त, जो लंबे समय के बाद मिल रहे थे, ने पास के मौलासर नामक गांव के एक मेले में जाने की योजना बनाई. तीनों देश के अलग-अलग हिस्सों में मार्बल सेट करने का काम करते थे और राखी मनाने के लिए घर आए थे.
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इस बीच, रणवा और उनका ग्रुप लखनऊ से लौट रहे थे और उन्हें एक अन्य रिश्तेदार का फोन आया और पैसे की मांग की गई और धमकी दी गई. लगभग उसी समय, तीन मेघवाल लोग कुचावन शहर से 8 किमी दूर अपनी बाइक पर होटल लायन नामक एक स्थानीय ढाबे पर पहुंचे. रणवा और उनके समूह को यह लगा कि ये लोग उनके लिए काम कर रहे हैं जिन्होंने उनसे पैसे की मांग की.
एसपी ने दिप्रिंट को बताया, “ऐसा लग रहा है कि अपराधी जाट समुदाय के हैं जबकि पीड़ित हैं, तो यह जातिगत लड़ाई है. जबकि, वे एक-दूसरे को नहीं जानते भी थे.”
एक वायरल सीसीटीवी फुटेज में तीनों को ढाबे पर लगभग 20 लोगों के साथ मुठभेड़ करते हुए दिखाया गया है, जो सभी रणवा के समूह से जुड़े हैं. वह अपनी बाइक को यू-टर्न लेकर वहां से निकलने की कोशिश करते हैं, लेकिन समूह द्वारा उन्हें रोक दिया जाता है, और उनसे उनकी पहचान बताने की बात कही जाती है.
पुलिस में शिकायत दर्ज कराने वाले बाबूलाल ने दिप्रिंट को बताया, “कृष्ण ने मुझे बताया कि उन्होंने गुंडों को अपने नाम बताए और फिर डर के चलते घटनास्थल से भागने की कोशिश की. लेकिन, तीन कारों से हम लोगों का पीछा किया गया और होटल लायन से सिर्फ एक किलोमीटर दूर एक रेतीले भूखंड पर हमें कुचल दिया गया.”
एफआईआर में अपराधियों द्वारा घटनास्थल छोड़ने से पहले बाइक पर सवार तीन लोगों को बार-बार कुचलने का मामला दर्ज किया गया है. एफआईआर अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज की गई है, जिन पर आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), और 143 (गैरकानूनी सभा) के तहत मामला दर्ज किया गया है. एसपी नायक ने कहा कि गिरफ्तारी होने के बाद एससी/एसटी अधिनियम के तहत प्रावधान भी इसमें जोड़े जा सकते हैं.
भीम आर्मी के मेंबर विक्रम जोया ने पुलिस पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया. उन्होंने पूछा, “अगर गुंडे ढाबों के बाहर गैंगवार के लिए तैयार होकर डराने-धमकाने वाले अंदाज में खड़े थे तो वे क्या कर रहे थे?”
जब कृष्ण रेत पर लेटे हुए थे, तो उन्होंने मदद के लिए फोन किया और सड़क से गुजरने वाले लोगों को जानकारी देने के लिए अपने फोन के टॉर्च का इस्तेमाल किया. जिन प्रत्यक्षदर्शी ने उनके परिवार से घटनास्थल से सबसे पहले संपर्क किया था, उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि उनके परिवार से बात करने के लिए उन्होंने लगभग 15 फोन लगाए.
एसपी ने खुलासा किया कि एक को छोड़कर किसी भी संदिग्ध का आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था. पूर्व दुश्मनी या आपराधिक इतिहास न होने के कारण ग्रामीणों को अपराध की क्रूरता पर और सवाल उठाने पर मजबूर कर दिया.
अब तक, पुलिस ने इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं की है, जिससे लोगों में यह संदेह बढ़ गया है कि अपराधियों को सरकार द्वारा बचाया जा रहा है.
एसपी नायक ने कहा, “हम मौतों के कारण की पहचान किए बिना गिरफ्तारी नहीं कर सकते. यह एक कानूनी प्रक्रिया है.”
पोस्टमार्टम की इजाजत देने के लिए प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत करने के कैबिनेट मंत्री का प्रयास भी असफल रहा है.
परिवार के सदस्यों और ग्रामीणों का कहना है कि तीनों पीड़ित बहुत छोटे थे और उनके कोई दुश्मन नहीं थे और फिलहाल क्षेत्र में जाटों और मेघवालों के बीच कोई तनाव नहीं है. बाबूलाल ने कहा, “हमें किसी खास समुदाय से कोई शिकायत नहीं है, हम सिर्फ न्याय चाहते हैं.”
गांव में राजू की मां को अभी भी नहीं पता कि उनका बेटा मर चुका है. वह अपने छोटे बेटे की मौत से अनजान होकर कहती हैं, “हमें पैसे की ज़रूरत है. हम उसे एक बेहतर अस्पताल में ट्रांसपफर कर सकते हैं. उसके घर से करीब एक किलोमीटर दूर उसकी भाभी का परिवार दोनों बेटों का विलाप कर रहा है. कांपती और रोती हुई शारदा कहती हैं, “आप मेरे भाइयों को वापस नहीं ला सकते. कम से कम उन्हें न्याय दिलाएं. जैसे ही उसके परिवार के रिश्तेदार उसके कमरे से पूरी तरह से पैक की गई राखियां लाते हैं, वह अपना सिर अपने हाथों में रख लेती है और जोर-जोर से रोने लगती है.
(अनुवाद+संपादन: ऋषभ राज)
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