17वीं सदी की भव्य जामा मस्जिद में अकेली महिलाओं की एंट्री पर प्रशासन ने रोक लगा दी. जिसने कुछ समय के लिए सभी भारतीयों को चौंका दिया था, हालांकि उस आदेश को बाद में वापस ले लिया गया. इस तरह के आदेशों में रुढ़िवादी सोच नजर आती है. लेकिन जामा मस्जिद के पास खुला एक नया कैफे, जामा मस्जिद ही नहीं बल्कि पुरानी दिल्ली के लिए भी एक अनूठी जगह के रूप में उभर रहा है.
पुरानी दिल्ली में जामा मस्जिद के पास मौजूद गुंबद कैफे वहां साउथ दिल्ली की वाइब देता है. कुछ लोग इसे ‘मिनी दुबई’ और ‘मिनी तुर्की’ भी कहते हैं. यहां बैठकर जामा मस्जिद का मजेदार नजारा दिखता है. इस रूफ कैफे से मस्जिद के बरामदे, मीनारें सब दिखती हैं. ऐसा लगता है मानों आप मस्जिद के दिल में झांक रहे हों.
फ्रांसीसी राजदूत के परिवार से लेकर लोकप्रिय YouTubers, Instagram इन्फ्ल्यूंसर्स और ब्लॉगर्स तक, सभी इस कैफे में घूमने के लिए आते हैं. आप यहां आने वालों को लोकप्रिय ‘सेनोरिटा’ मॉकटेल और कबाब खाते देख सकते हैं. यहां आने वाले लोग व्यू को सबसे ज्यादा पसंद करते हैं. लोग जामा मस्जिद के बैकग्राउंड के साथ तस्वीरें लेते हैं और रील्स बनाते हैं.
क्रोएशिया से आए एक टूरिस्ट आदमीर बताते हैं, ‘मैंने इस्तांबुल में मस्जिद के पास इस तरह के कई कैफे देखे हैं, लेकिन इस मशहूर मस्जिद के पास बैठना बहुत अच्छा लग रहा है.’
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नया स्पॉट
गुंबद कैफे से पहले, चांदनी चौक की भीड़भाड़ वाली गलियों में हील्स पहनकर घूमना मुश्किल माना जाता था लेकिन अब यह रोमांटिक मुलाकातों, पार्टियों और समारोहों के लिए एक जगह बन गया है. कैफे अपने आगंतुकों को पार्किंग की सुविधा भी प्रदान करता है, जो पुरानी दिल्ली में लगभग असंभव लग्जरी है.
पुराने ऐवान-ए-शाही होटल की छत पर बना कैफे जामा मस्जिद का पोस्टकार्ड दृश्य पेश करने के लिए दिन पर दिन लोकप्रिय होता जा रहा है. मीनारों और गुंबद से लेकर अंदर के बरामदों तक, आपको मस्जिद के बीचोबीच एक गुप्त झलक मिलती है.
चार महीनों के भीतर गुंबद कैफे ने अभूतपूर्व लोकप्रियता देखी है. शुरुआत में कुछ लोगों ने कैफे को लेकर भद्दे कमेंट्स भी किए थे.
कैफे की मालिक जैनब बुखारी कहती हैं, ‘पुरानी दिल्ली अपने स्ट्रीट फूड और भीड़ के लिए जानी जाती है. गुंबद कैफे में न तो शराब और न ही ऐसी कोई चीज परोसी जाती है जिससे मस्जिद जाने वालों की भावनाओं को ठेस पहुंचे. लोगों ने हुक्का सर्विस पर भी सवाल उठाए हैं लेकिन यह हर्बल हुक्का है.’
‘नमाज के समय कैफे में संगीत भी बंद कर दिया जाता है. हम ऐसा कोई काम नहीं करते जिससे जामा मस्जिद की शान को ठेस पहुंचे. बल्कि हम ऐसी जगह उपलब्ध करा रहे हैं जहां आप आकर मस्जिद को शांति से देख सकें और सनसेट या यहां तक कि चांद का आनंद उठा सकें.’
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सबके लिए एंट्री नहीं
हालांकि स्थानीय लोगों की शिकायत है.
जामा मस्जिद के सामने सूखे मेवों की दुकान में काम करने वाले एक स्थानीय लड़के का कहना है, ‘वे दिल्ली-6 से किसी को भी कैफे में प्रवेश करने की अनुमति नहीं देते हैं. ऐसा लगता है कि वे हमें एंट्री नहीं देना चाहते हैं. पता नहीं वे वहां क्या करते हैं. यह सही नहीं है. यह इबादत की जगह है.’
गुंबद कैफे में कौन जा सकता है, इसके बारे में कुछ सख्त नियम हैं. परिवारों और जोड़ों को प्राथमिकता दी जाती है. कैफे के मालिक के मुताबिक सिंगल पुरुषों के अंदर जाने से पहले पूरी तरह से जांच पड़ताल की जाती है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि अंदर मौजूद महिलाएं और परिवार असहज महसूस न करें. कैफे के बाउंसर कहते हैं, ‘पहले फुकरे, फुकरा टाइप आदमी आते थे. हम नहीं चाहते कि हमारे मेहमान असहज महसूस करें, इसलिए अब हम लोगों को देखकर ही एंट्री देते हैं.’
फूड लवर्स के पास चुनने के लिए बहुत सारे विकल्प हैं.
कैफे के मैनेजर नदीम खान कहते हैं, ‘मुगलई के साथ, हम चीनी और इतालवी भोजन भी परोसते हैं. लोग हमारे पिज्जा को बहुत पसंद करते हैं- इनकी बहुत मांग है.’
नदीम बताते हैं कि कभी-कभी भीड़ इतनी हो जाती है कि उसे संभालना मुश्किल हो जाता है. वह अपने हाथ में वॉकी-टॉकी लिए बाकी काम करते हैं. जिससे नीचे से ऊपर जाने वाले लोगों की जानकारी मिल सके व दूसरे काम भी सहजता से हो सकें.
चंडीगढ़ की रहने वाली अमनप्रीत अपने दोस्त के साथ नोएडा से 1 घंटे की ड्राइव करके आई हैं. वो कहती हैं, ‘मैं एक कैफे प्रेमी हूं. मैं नोएडा से यहां आई हूं. एक घंटे की ड्राइव करके, बस इस दृश्य के लिए.’
उनके बगल वाली टेबल पर एक जोड़ा बैठा था. ‘मैं जामा मस्जिद देखना चाहती थी लेकिन भीड़ के बीच नहीं चलना चाहती थी. तो, मेरे दोस्त ने मुझे इस कैफे के बारे में बताया. अब हम यहां आराम से बैठ सकते हैं, मस्जिद देख सकते हैं और आनंद ले सकते हैं,’ रूपाली हाथ में हुक्का लिए कहती हैं.
नदीम कहते हैं, ‘हमें रोजाना 100 से 120 कॉल आते हैं. कभी-कभी मैं परेशान हो जाता हूं और अपना फोन बंद कर देता हूं. जो लोग सीधे आते हैं उन्हें अंदर जाने दिया जाता है, लेकिन जोड़ों और परिवारों को पहले अनुमति दी जाती है.’
कई लोगों को टेबल रिजर्व करने के लिए इंस्टाग्राम पर कैफे को डीएम करना पड़ता है.
ज्यादातर लोग शाम को आते हैं और हर वीकेंड पर लंबी वेटिंग लाइन होती है. गेट पर मौजूद एक बाउंसर ने कहा कि वह नदीम को वॉकी-टॉकी पर बिना रिजर्वेशन करके आने वाले लोगों के बारे में जानकारी देता है. नदीम के ओके करने पर ही वह उन्हें अंदर जाने देता है.
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पर्यटन और इतिहास
कैफे में सब कुछ पुरानी दिल्ली की तरह महकता है. काले और हरे मेनू में लाल किले और जामा मस्जिद के इतिहास का विवरण है. आप खाने से प्रभावित होंगे और इतिहास से भी रूबरू होंगे.
लेकिन कुछ इतिहास प्रेमी इसे पूरी तरह से स्वीकार नहीं करते हैं. अबू सूफ़ियान, जो पुरानी दिल्ली में हेरिटेज वॉक का आयोजन करते हैं और इंस्टाग्राम पर पुरानीदिल्लीवाले पेज चलाते हैं, कहते हैं कि कैफे के बारे में कुछ बातें पुराने शहर की थीम के अनुरूप नहीं हैं.
‘पुरानी दिल्ली मुगलई खाने के लिए जानी जाती है. लेकिन यह कैफे कॉन्टीनेंटल खाना भी देता है.’ हालांकि, सूफ़ियान इस बात से सहमत हैं कि इस तरह के कैफे पर्यटकों के लिए स्पॉट के रूप में भी काम करते हैं.
‘कुछ वर्षों में, इस तरह के और भी कैफे होंगे. पुरानी दिल्ली में बाजार और खाने-पीने की दुकानों का प्रबंध नहीं है. आपको बैठने और गपशप करने के लिए उचित जगह नहीं मिलेगी, इसलिए ये चीजें स्थानीय पर्यटन हैं.’
लेकिन गुंबद के नजारे के लिए कुछ लोग नीचे होटल में कमरा बुक करने को भी तैयार हैं. ‘मैंने इस कैफे को इंटरनेट पर देखा और केवल देखने के लिए हमने एक रात के लिए एक कमरा बुक किया. यह अद्भुत है. एक दोस्त के साथ यात्रा कर रही एक ऑस्ट्रेलियाई पर्यटक जूलिया कहती हैं.
सूफ़ियान कहते हैं, ‘हर कोई फोटो लेना चाहता है या बैकग्राउंड में जामा मस्जिद के साथ एक रील शूट करना चाहता है.’
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