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Sunday, 17 November, 2024
होमफीचर‘दुख है कि हमने अपने भाई को मार डाला’ — फरीदाबाद के गौरक्षक को ब्राह्मण की हत्या का ‘अफसोस’

‘दुख है कि हमने अपने भाई को मार डाला’ — फरीदाबाद के गौरक्षक को ब्राह्मण की हत्या का ‘अफसोस’

फरीदाबाद में गौरक्षकों द्वारा मारे गए 12वीं के छात्र आर्यन मिश्रा के पिता ने कहा कि गौरक्षा के नाम पर अवैधता बंद होनी चाहिए. आरोपी अनिल कौशिक से मिलने के बाद उन्होंने कहा, ‘मैं इसका समर्थन नहीं करता’.

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फरीदाबाद: जब सियानंद मिश्रा फरीदाबाद की स्थानीय जेल में गए, तो उनके बेटे के हत्यारे ने उनके पैर छुए और माफी मांगी. मिश्रा ने 27 अगस्त को आरोपी अनिल कौशिक से हुई दर्दनाक मुलाकात को याद करते हुए कहा, “उसने कहा कि उसे लगा कि मेरा बेटा मुसलमान है. अब उसे एक ब्राह्मण की हत्या का पछतावा है.”

गुरुग्राम के कुख्यात बजरंग दल के सदस्य और ‘गौरक्षक’ कौशिक को स्थानीय तौर पर फरीदाबाद के मोनू मानेसर के नाम से जाना जाता है. कौशिक और चार अन्य को 19-वर्षीय आर्यन मिश्रा की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. शुरुआत में पुलिस को शक था कि यह गैंगवार का मामला है.

हालांकि, जांच से पता चला है कि कौशिक और उसके साथियों को लगा कि आर्यन और उसके दोस्त अपनी कार में गायों की तस्करी कर रहे हैं. यह घटना 24 अगस्त को सुबह 3 बजे के आसपास हुई, चरखी दादरी में एक मुस्लिम प्रवासी मजदूर की भीड़ द्वारा हत्या के बमुश्किल तीन दिन बाद, जिन्हें लगा कि उसने गोमांस खाया है.

फरीदाबाद में अपने दो कमरों वाले अपार्टमेंट की छत पर कुर्सी पर बैठे मिश्रा ने कहा, “मैंने कौशिक से पूछा, ‘तुम किसी मुसलमान को क्यों मारोगे? सिर्फ गाय की वजह से?’. उन्होंने आगे बताया, “तुम ​​कार के पहिये पर गोली चला सकते थे या पुलिस को बुला सकते थे. कानून को अपने हाथ में क्यों लिया? और कौशिक के पास कोई जवाब नहीं था.”

आर्यन के पिता सियानंद मिश्रा अपने सबसे छोटे बेटे के लिए न्याय की मांग करते हुए गुस्सा ज़ाहिर करते हैं | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट
आर्यन के पिता सियानंद मिश्रा अपने सबसे छोटे बेटे के लिए न्याय की मांग करते हुए गुस्सा ज़ाहिर करते हैं | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

मैंने कौशिक से पूछा, “मैंने कौशिक से पूछा, ‘तुम किसी मुसलमान को क्यों मारोगे? सिर्फ गाय की वजह से?’. तुम ​​कार के पहिये पर गोली चला सकते थे या पुलिस को बुला सकते थे. कानून को अपने हाथ में क्यों लिया? और कौशिक के पास कोई जवाब नहीं था.”

— सियानंद मिश्रा, पीड़ित आर्यन के पिता

इस घटना ने बजरंग दल के हलकों में सनसनी फैला दी है. पलवल और फरीदाबाद में ‘गौरक्षा’ गतिविधियों की देखरेख करने वाले एक सदस्य ने कहा कि सभी ‘गौरक्षकों’ से कहा गया है कि वो कानून को अपने हाथ में न लें, बल्कि अगर उन्हें कोई संदिग्ध गतिविधि दिखे या कोई सूचना मिले तो पुलिस को सूचित करें.

शैलेंद्र हिंदू ने कहा, “यह घटना हमारे लिए कलंक है. यह एक दशक में पहली बार हुआ है कि ऐसी घटना हुई है. यह एक दुखद सच्चाई है कि हमने अपने भाई को मार डाला.”

हरियाणा के पलवल जिले में एनएच-19 पर लगभग 50 किलोमीटर तक कौशिक द्वारा आर्यन का पीछा किए जाने के बाद गदपुरी टोल प्लाजा के पास उसके सिर और दाहिने कंधे में गोली मारी गई.

यह घटना हमारे लिए एक कलंक है. एक दशक में पहली बार हुआ है कि ऐसी घटना हुई है. यह दुखद सच्चाई है कि हमने अपने भाई को मार डाला

— शैलेंद्र हिंदू, बजरंग दल सदस्य

कौशिक से तीन मिनट की मुलाकात के बाद मिश्रा ने कहा, “उसने कहा कि कार की खिड़कियों पर काली फिल्म लगी हुई थी और फिर उसने हाथ जोड़कर मेरी तरफ देखा.”

उनके अपार्टमेंट के दरवाजे पर हिंदू भगवान राम की तस्वीर वाला भगवा झंडा लगा है.

पीड़ित आर्यन मिश्रा के घर के बाहर लगा भगवा झंडा | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट
पीड़ित आर्यन मिश्रा के घर के बाहर लगा भगवा झंडा | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

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‘एक कट्टर हिंदू’

27 अगस्त को जब मिश्रा परिवार आर्यन के अंतिम संस्कार के लिए प्रयागराज में था, तब पिता को पुलिस से एक कॉल आया. उन्होंने कहा, “उन्हें संदेह था कि हत्या में गौरक्षकों का हाथ है. “अयोध्या के एक कट्टर हिंदू” मिश्रा ने इस पर विश्वास करने से इनकार कर दिया और पुलिस से जानकारी छिपाने का अनुरोध किया.

सच जानने की इच्छा से प्रेरित होकर, उत्तेजित मिश्रा ने पुलिस से कौशिक से मिलने की व्यवस्था करने का अनुरोध किया. तब से, वे उस ‘स्वीकारोक्ति’ को समझ नहीं पा रहे हैं.

मिश्रा ने कहा, “कौशिक ने मुझे बताया कि सुनसान सड़क के बीच में काले शीशे वाली कार आमतौर पर पलवल या नूंह में गायों को ले जाने वाले तस्कर की होती है.” स्पष्टीकरण के तौर पर, कौशिक ने कथित तौर पर पिता को बताया कि काली शीशे वाली कार की वजह से वो यह नहीं देख पाया कि कार के अंदर कौन है और उसने गाड़ी पर अंधाधुंध गोली चला दी.

(आरोपी) कौशिक ने मुझे बताया कि सुनसान सड़क के बीच में काले शीशे वाली कार आमतौर पर तस्करों की होती है जो पलवल या नूंह में गायों को ले जा रहे होते हैं

— सियानंद मिश्रा, पीड़ित के पिता

आर्यन के अलावा, कार में चार लोग थे. उसका दोस्त हर्षित गुलाटी (23) जो गाड़ी चला रहा था, उसका भाई शैंकी (26), उनकी मां सुजाता (45) और उनकी दोस्त कीर्ति (49). पुलिस के अनुसार, कौशिक के समूह को गायों की तस्करी के लिए एसयूवी के इस्तेमाल के बारे में सूचना मिली थी. आर्यन और अन्य लोग डस्टर एसयूवी में यात्रा कर रहे थे.

आर्यन मिश्रा 12वीं कक्षा का छात्र था | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट
आर्यन मिश्रा 12वीं कक्षा का छात्र था | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

मिश्रा ने कहा, “बस इसलिए कि हमने इन गौरक्षकों को स्वतंत्रता दी है, वो लोगों पर गोली चलाने के लिए अवैध बंदूकें रख पा रहे हैं.”

लेकिन वो लगभग तुरंत ही खुद का खंडन करते हैं जैसे कि वे अचंभित हों. उन्होंने आरोप लगाया, “हर्षित और उसके परिवार की इसमें भूमिका थी” उन्हें चिंता थी कि मौत के बाद उनके बेटे को गौ तस्कर माना जाएगा.

उन्होंने बुदबुदाया, “मेरा बेटा गौ तस्कर नहीं है. वो कट्टर हिंदू था.”

12वीं कक्षा का छात्र आर्यन एक पार्टी से घर लौटा था, जब 24 अगस्त को रात करीब 1:20 बजे उसे हर्षित का फोन आया. मिश्रा परिवार ने हर्षित के पिता से अपना अपार्टमेंट किराए पर लिया हुआ है. आर्यन सोने जा रहा था, लेकिन आधी रात को वो चला गया.

आर्यन की मां उमा ने बताया, “उसने कहा कि मां मुझे एक दोस्त से मिलने नीचे जाना है और मैं जल्दी वापस आ जाऊंगा. वो अपना फोन भी अपने साथ नहीं ले गया.”

आर्यन की मां दीवार पर टंगी उसकी तस्वीर दिखाती हैं | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट
आर्यन की मां दीवार पर टंगी उसकी तस्वीर दिखाती हैं | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

दो घंटे बीत गए, लेकिन आर्यन वापस नहीं आया. इसके बजाय, हर्षित के पिता कृष्ण गुलाटी ने उनके दरवाजे पर दस्तक दी और परिवार से उनके साथ आने का अनुरोध किया, उन्होंने कहा कि आर्यन मुसीबत में है. गुलाटी मिश्रा और उनके दूसरे बेटे को फरीदाबाद के एसएसबी अस्पताल ले गए, जहां उन्हें स्ट्रेचर पर आर्यन का शव मिला.

मिश्रा ने कहा, “मैंने हर्षित और उसकी मां सुजाता से पूछा कि मेरे बेटे के साथ क्या हुआ. वो कहानियां गढ़ते रहे, कहते रहे कि सेक्टर-1 के कुछ गुंडों ने गोलियां चलाईं, लेकिन किसी ने मुझे सच नहीं बताया.”


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गुलाटी परिवार की भूमिका

गुलाटी ने पुलिस को बताया कि वो उस रात मैगी खाने के लिए बाहर गए थे, तभी एक सफेद स्विफ्ट कार ने उनका पीछा किया.

नाम न बताने की शर्त पर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुलाटी के बारे में कहा, “लेकिन उन्होंने हमें गुमराह किया.”

पुलिस ने कौशिक की गिरफ्तारी में देरी के लिए उन्हें दोषी ठहराया. अधिकारी ने कहा, “उन्होंने हमें उन लोगों के पास भेजा, जिनसे उनकी दुश्मनी थी, लेकिन जब हमने उनका पीछा किया, तो पाया कि वो लोग तो घटनास्थल पर थे ही नहीं. तभी हमें एहसास हुआ कि कुछ गड़बड़ है और हमने गदपुर टोल प्लाजा के सीसीटीवी फुटेज की जांच की, जिससे हमें कौशिक और अन्य लोगों के बारे में पता चला.”

हर कोई जानता है कि कौशिक गायों को बचाकर भगवान का काम करता है. वो किसी निर्दोष व्यक्ति को क्यों मारेगा?

— फरीदाबाद में एक दुकानदार

अधिकारी ने कहा कि शैंकी गुलाटी हत्या का आरोपी है और उनके परिवार को लगा कि वे आर्यन की मौत का दोष उसके दुश्मनों पर डाल सकते हैं.

मिश्रा को खुद शैंकी की कथित आपराधिक पृष्ठभूमि के बारे में छह महीने पहले पता चला था, जब वह पुलिस मुखबिर के तौर पर काम कर रहा था. उनके अनुसार, शैंकी अवैध हथियारों की आपूर्ति में भी शामिल था. मिश्रा ने कहा कि तब से वो अपार्टमेंट छोड़कर बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन गुलाटी परिवार ने अभी तक लीज डिपॉजिट वापस नहीं किया है.

छत पर लटका पोस्टर “हमें न्याय चाहिए” | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट
छत पर लटका पोस्टर “हमें न्याय चाहिए” | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

एसीपी अमन यादव ने कहा, “अभी तक हमें आरोपी और मिश्रा के मकान मालिक (गुलाटी परिवार) के बीच कोई संबंध नहीं मिला है. मामले की जांच की जा रही है.”

अनिल कौशिक, वरुण कुमार, कृष्ण कुमार, आदेश सिंह और सौरव कुमार के रूप में पहचाने गए आरोपियों को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 की धारा 103(1) (हत्या) , 190 (अवैध रूप से एकत्र होना) और 191(3) (घातक हथियारों से लैस होना) के तहत गिरफ्तार किया गया है.

पुलिस के अनुसार, शैंकी फरार था और 24 अगस्त को अपने परिवार के साथ समय बिताने के लिए वापस लौटा था. जब वो गाड़ी चला रहा था और उसे छिपाने के लिए जगह की तलाश कर रहे थे, तो उन्होंने कौशिक की लाल और नीली बत्ती वाली सफेद स्विफ्ट देखी और उसे पुलिस की गाड़ी समझ लिया.

डस्टर को तेज़ रफ्तार से आते देख, कौशिक ने उनका पीछा किया और तीन राउंड फायरिंग की, जिसमें आर्यन की मौत हो गई. जब सुजाता और कृति कार से उतरीं, तो आरोपी भाग गए.

 

‘अवैधता बंद होनी चाहिए’

एनआईटी फरीदाबाद का आम तौर पर चहल-पहल वाला बाज़ार मंगलवार दोपहर को शांत था. महिलाओं के कपड़े और कुर्ते बेचने वाली एक दुकान के बाहर थोड़ी भीड़ जमा थी, जहां मैनिक्विन ने नए तरह के डिजाइन के कपड़े पहने थे. बातचीत का विषय आर्यन मिश्रा की हत्या थी.

एक दुकानदार ने अनिल कौशिक की गिरफ्तारी पर निराशा जताई.

उन्होंने कहा, “हर कोई जानता है कि कौशिक गायों को बचाकर भगवान का काम करता है. वो किसी निर्दोष व्यक्ति को क्यों मारेगा?”

समूह के एक अन्य व्यक्ति ने हत्या को संभावित ‘व्यक्तिगत प्रतिद्वंद्विता’ का कारण बताया. कोई भी यह मानने को तैयार नहीं था कि कौशिक जैसे लोकप्रिय गौरक्षक और उनकी टीम किसी हिंदू को मार सकती है. दुकान पर एकत्रित लोग एक के बाद एक षड्यंत्र के सिद्धांत प्रस्तुत कर रहे थे.

गौरक्षा के नाम पर यह अवैधता बंद होनी चाहिए. मैं इसका समर्थन नहीं करता

— सियानंद मिश्रा, पीड़ित के पिता

इस बीच, आर्यन के घर पर, उसकी मां उमा घर आए लोगों को आर्यन की माथे पर तिलक लगी फ्रेम फोटो दिखा रही थीं. उन्होंने धीरे से कहा, “उसके माथे पर हमेशा तिलक लगा रहता था.”

पिछले महीने ही आर्यन नंगे पैर हरिद्वार की कांवड़ यात्रा पर गया था और नागपुर में ज्योतिर्लिंग के दर्शन किए थे. जब वो लौटा, तो उसके माता-पिता ने दर्द से उबरने के लिए 20 दिनों तक उसके पैरों की मालिश की.

उमा ने हल्की आवाज़ में याद किया, “वो बहुत धार्मिक था और सभी श्लोकों को जानता था. उसके सभी पड़ोसी उससे प्यार करते थे.”

आर्यन के बड़े भाई ने बताया कि आर्यन एक मोबाइल शॉप खोलना चाहता था और उसने गाजियाबाद में एक कोर्स के लिए दाखिला लिया था. हालांकि, मां ने जोर दिया कि वो पहले अपनी पढ़ाई पूरी करे.

बाहर, उनके चौथी मंजिल के अपार्टमेंट की छत पर ‘न्याय’ की मांग करते हुए एक पोस्टर लटका हुआ है, जिसमें लोगों को कैंडल मार्च में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है.

अपने सिर को सफेद स्टोल से ढंके मिश्रा अपने घर आने वाले पत्रकारों से बात करते हैं. पिता ने कुछ नहीं खाया है, लेकिन वो थके नहीं हैं, उनका कहना है कि वे अपने बेटे को न्याय दिलाना चाहते हैं.

वे रुंधते गले के साथ बड़बड़ाते हैं, “मैंने अपने सबसे छोटे बेटे के शव को अपने कंधों पर ढोया. गौ रक्षा के नाम पर यह अवैधता बंद होनी चाहिए. मैं इसका समर्थन नहीं करता.”

(इस ग्राउंड रिपोर्ट को अंग्रज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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