संभल: पिछले साल 12 दिन तक तालिब हुसैन हवालात में रहे थे. उत्तर प्रदेश के संभल में एक रेस्टोरेंट मालिक, हुसैन को हिंदू देवताओं की तस्वीरों वाले अखबारों में चिकन लपेटकर बेचने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इस साल, एक बार फिर, उन्हें सावन के हिंदू पवित्र महीनों के दौरान अपने शटर गिराने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
संभल में एक आक्रामक, सक्रिय यूपी पुलिस बल ने हुसैन और मांसाहारी भोजन बेचने वाले लगभग 40 अन्य रेस्टोरेंट को मानसून के दो महीनों में जब कांवरिया शहर से गुजरते हैं, दुकानें बंद करने का आदेश दिया है. लेकिन कोई लिखित आदेश नहीं है और न ही किसी अधिकारी को पता है कि निर्देश कहां से आये.
हुसैन ने उस महीने का जिक्र करते हुए कहा, जब शिव भक्त, अपनी कावड़ लेकर इस रास्ते से निकलते हैं, “मैंने मानसून की शुरुआत में ही केवल शाकाहारी [भोजन] बेचना शुरू कर दिया था.” उन्होंने मुंसिफ रोड पर अपने महक रेस्तरां में शाकाहारी व्यंजनों की तस्वीरों वाले नए फ्लेक्स बैनर लगाए थे. हुसैन ने कहा, “लेकिन पुलिस ने मुझे तब भी रेस्तरां चलाने की इजाजत नहीं दी.”
यूपी पुलिस के इस कदम ने रेस्टोरेंट मालिकों और उनके कर्मचारियों, जो ज्यादातर मुस्लिम हैं, पिछले एक महीने से बेरोजगार हैं.
बंद रेस्टोरेंट में से एक कर्मचारी मोहम्मद आसिफ ने कहा,“अगर वे (हिंदू) मानसून के दौरान मांस नहीं खाते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि हमें इस तरह से परेशान किया जाएगा . अगर यह एक धर्म की आस्था का मामला है, तो हम इसकी वजह से किसी दूसरे व्यक्ति का व्यवसाय बंद नहीं कर सकते.”
पुलिस के पास आदेश नहीं है
पिछले हफ्ते, जैसे ही हुसैन ने दिप्रिंट के लिए शटर उठाया, दो पुलिसकर्मी भी वहां आए. धूल से सनी मेजें, चारों ओर बिखरे हुए लैमिनेटेड शाकाहारी मेनू कार्ड और एक बंद रसोई कक्ष ने पुलिसकर्मियों को आश्वस्त नहीं किया कि महक रेस्तरां बंद कर दिया गया है. उन्होंने दुकान के अंदर एक फ्लेक्स बोर्ड की तस्वीरें लीं, जिस पर चिकन व्यंजनों की तस्वीरें थीं.
एक पुलिसकर्मी ने दिप्रिंट से कहा, “बाहर बोर्ड बदलने से क्या फर्क पड़ता है? रेस्टोरेंट के अंदर आज भी उनके पास नॉनवेज फोटो वाला बोर्ड लगा हुआ है. इसकी क्या गारंटी है कि वह चिकन नहीं बेच रहा है?”
संभल में पुलिस यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी निगरानी रख रही है कि मांसाहारी व्यंजन बेचने वाले रेस्टोरेंट बंद रहें. जबकि निरीक्षण करने वाले निरीक्षकों और कांस्टेबलों ने दावा किया कि दुकानें बंद करने को सुनिश्चित करने का आदेश है, लेकिन कोई भी इसे प्रस्तुत नहीं कर सका.
संभल पुलिस स्टेशन में, स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) ओंकार सिंह ने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने किसी भी अधिकारी को ऐसा कोई निर्देश जारी किया था. उन्होंने कहा, “हमने कोई होटल बंद नहीं किया है. हमारे पास कोई आदेश नहीं है.”
हालांकि, सिंह ने कहा कि सार्वजनिक सौहार्द बनाए रखने के लिए पुलिस को सीआरपीसी के तहत किसी भी वस्तु को अस्थायी रूप से रोकने या हटाने का अधिकार है.
“यह कांवरियों का मार्ग है. पुलिस के पास कानून एवं व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रण में रखने की शक्ति है. अभी तक कोई मुद्दा नहीं है, ”सिंह ने कहा.
रेस्तरां मालिकों को कोई पूर्व लिखित सूचना नहीं दी गई कि उन्हें अपना व्यवसाय दो महीने के लिए बंद करना होगा. कई पुलिस अधिकारियों ने कहा कि एक आदेश था लेकिन किसी ने इसे नहीं देखा था या इसे प्रस्तुत नहीं कर सका.
इस बीच, संभल के जिलाधिकारी मनीष बंसल ने स्पष्ट किया कि उनके कार्यालय से नॉन-वेज रेस्तरां बंद करने का कोई आदेश नहीं दिया गया है.
बंसल ने कहा, “मांस के खुले प्रदर्शन की अनुमति नहीं है. मालिकों से कहा गया है कि खुले में चल रही मांस की दुकानों को ढ़क कर रखें. सरकार का भी यही निर्देश है. वे इसे दुकानों के अंदर बेच सकते हैं. लेकिन दुकानें बंद करने का कोई आदेश नहीं है. ”
लेकिन यदि बात करें संभल की तो मोटरसाइकिल पर सवार पुलिसकर्मी मांस बेचने वाले सभी रेस्टोरेंट पर कड़ी निगरानी रख रहे हैं.
एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “यह संभल है. यहां किसी भी क्षण हालात (और भी बदतर) हो सकते हैं. अगर एक भी कांवरिया कह दे कि कोई मांस खा रहा है, तो भांडा फूट जायेगा. यहां साम्प्रदायिक दंगा भड़कना आम बात है. कुछ ही मिनटों में सब कुछ नष्ट हो जाएगा. हमें सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ये उपाय करने होंगे.”
छह महीने पहले हाजी असलम ने मुख्य सड़क से दूर अपने घर के ग्राउंड फ्लोर पर एक छोटा सा रेस्टोरेंट खोला था. छोटा सा करीम ढाबा उनके घर का खर्च चलाता है.
इस महीने की शुरुआत में, जब पुलिस ने उन्हें दुकान बंद करने का आदेश दिया, तो उन्हें प्रतिदिन 10 से 40 ग्राहकों से मिलने वाली मामूली आय शून्य हो गई.
हाजी ने कहा, “मेरा रेस्टोरेंट कांवरियों के निर्धारित मार्ग में भी नहीं है. फिर भी चौकी से पुलिसकर्मी आए और मेरी दुकान बंद कर दी. उन्होंने मुझे कोई कारण नहीं बताया.”
कुछ दिनों बाद, उनके दो कर्मचारी यह पूछने के लिए पुलिस के पास गए कि वे व्यवसाय कब फिर से शुरू कर सकते हैं. हाजी ने कहा कि पुलिस ने उनसे कहा कि “घर जाओ और धैर्य रखो”.
संभल में 250 से अधिक परिवाररेस्टोरेंट व्यवसाय पर निर्भर हैं, और उनमें से कई अनौपचारिक प्रतिबंध के कारण पीड़ित हैं. उनकी आय का मुख्य स्रोत बंद हो जाने के कारण, वे दुकान का किराया, या अपने कर्मचारियों को वेतन, या अपने घरेलू खर्चों को पूरा करने में असमर्थ हैं.
संभल में एक रेस्टोरेंट के मालिक मोहसिन अब्बास ने कहा,“हमारे इन दो महीनों के लिए बहुत खर्चे हैं. मुझे नहीं पता कि सरकार इसकी अनदेखी क्यों कर रही है.’ हम बमुश्किल कोविड लॉकडाउन से उबर रहे थे. यह हमारे लिए एक और कोविड है. ”
जिस दिन पुलिस मांस बेचने वाले रेस्टोरेंट बंद करने आई, कई मालिकों ने पुलिस से अनुरोध किया कि उन्हें शाकाहारी व्यंजन बेचने की अनुमति दी जाए. लेकिन उनका दावा है कि पुलिस ने उन्हें अपनी दुकानें खुली रखने की इजाजत ही नहीं दी. 17 जुलाई को, रेस्टोरेंट मालिक इसी अनुरोध के साथ पुलिस के पास पहुंचे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
अब्बास ने कहा, “हमने अपील की कि हम केवल शाकाहारी भोजन बेचेंगे और नए फ्लेक्स बैनर बनवाएंगे. हमने प्रशासन से कहा कि हमें अपनी दुकानों के सामने पर्दे लगाने की अनुमति दी जानी चाहि, या हमें केवल डिलीवरी करने की अनुमति दी जानी चाहिए, लेकिन हमें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. ”
वहीं पुलिस ने रेस्टोरेंट मालिकों को धमकी दी कि अगर उन्होंने दुकानें खोलीं तो उनके खिलाफ जांच शुरू कर दी जाएगी.
आसिफ ने कहा, “पुलिस का तर्क था कि हम शाकाहारी खाना बनाने के लिए उन्हीं बर्तनों का इस्तेमाल करेंगे जिनमें हम नॉन-वेज खाना बनाते हैं.”
भाजपा के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष राजेश सिंघल ने दावा किया कि मांस बेचने वाले रेस्टोरेंट मालिकों ने अपनी मर्जी से दुकानें बंद कर दीं.
सिंघल ने कहा, “हर साल मानसून के दौरान, मांस की दुकान मालिकों द्वारा स्वयं बंद कर दी जाती हैं. वे अपने घरों में मांस खा सकते हैं. यह प्रतिबंधित नहीं है,” उन्होंने कहा कि दुकानें बंद करना मालिकों पर वित्तीय दबाव नहीं है.
सिंघल ने कहा, “मालिक साल के 11 महीनों में इतना कमा लेते हैं कि अगर उन्हें एक महीने के लिए दुकान बंद रखनी पड़े तो वे अच्छी तरह से काम चला सकते हैं. वे रमज़ान के दौरान भी अपने होटल बंद रखते हैं. और वे इसे मानसून के दौरान बंद कर देते हैं. इस कदम से किसी भी समुदाय को निशाना नहीं बनाया गया है.”
थोड़ा बदलाव आया है
पिछले साल, दिप्रिंट ने बताया था कि कैसे तालिब हुसैन को यूपी पुलिस ने हिंदू देवताओं की तस्वीरों वाले अखबारों में चिकन लपेटकर बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया था. उस पर पुलिसकर्मियों पर चाकू से हमला करने का भी आरोप था.
भगवान कल्कि के जुलूस के कारण उन्हें अगस्त में चार दिनों के लिए अपनी मांस की दुकान बंद करने के लिए कहा गया था, जो उस गली से गुजरने वाली थी जहां उनका रेस्टोरेंट स्थित है. संभल को भगवान कल्कि का जन्मस्थान माना जाता है, जिन्हें भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना जाता है. शहर उनके जन्म का जश्न वार्षिक जुलूस के साथ मनाता है.
उनके परिवार ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि वे केवल पुराने अखबारों में सूखी रोटियां पैक करते हैं. हुसैन पर धारा 295ए (किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य), 153ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 307 (हत्या करने का प्रयास) के तहत मामला दर्ज किया गया था. 353 (किसी लोक सेवक को उनके कर्तव्यों के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल).
पुलिस ने अभी तक मामले में आरोपपत्र दाखिल नहीं किया है. हुसैन फिलहाल सदमे से उबरकर जमानत पर बाहर हैं.
जून में उनके बेटे ताबिश ने भी महक रेस्टोरेंट से कुछ मीटर की दूरी पर एक नया रेस्टोरेंट खोला. अपने पिता के नाम पर, तालिब ढाबा पर पिता-पुत्र की तस्वीरों वाला एक बैनर लगा हुआ है. अपने पिता की तरह, ताबिश भी अपनी एक मंजिला दुकान पर विशेष चिकन व्यंजन बेचते हैं.
लेकिन इससे पहले कि उनका नया बिजनेस आगे बढ़ता, इसका भी शटर गिर गया.
(अनुवाद/ संपादन- पूजा मेहरोत्रा)
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