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Monday, 18 November, 2024
होमफीचर'मैं जल्द ही घर वापस आऊंगा', नूंह हिंसा में अपने प्रियजनों को खोने वालों ने याद किया उनके आखरी शब्द

‘मैं जल्द ही घर वापस आऊंगा’, नूंह हिंसा में अपने प्रियजनों को खोने वालों ने याद किया उनके आखरी शब्द

हिंसा में मारे गए लोगों में दो होम गार्ड, दो बजरंग दल के सदस्य और एक हलवाई शामिल थे. परिवार अभी भी सदमे में हैं और अपने परिवार के सदस्य को खोने के दुख से उबरने की कोशिश कर रहे हैं.

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नूंह/हरियाणा: जैना देवी घूंघट से अपना चेहरा ढंककर बैठी हैं और लगातार रोए जा रही हैं. उनकी बड़ी बेटी ख़ुशी उन्हें सांत्वना देने की कोशिश करती है, लेकिन वह व्यर्थ है. 31 जुलाई को ब्रज मंडल यात्रा रैली के दौरान हरियाणा के नूंह में हुई सांप्रदायिक झड़प में जैना के पति शक्ति सिंह की मौत को 11 दिन हो गए हैं.

35 वर्षीय शक्ति, जो बड़कली चौक पर एक मुस्लिम व्यक्ति की मिठाई की दुकान पर हलवाई (मिठाई बनाने वाला) के रूप में काम करते थे, अपने घर से लगभग 1 किमी दूर भदास गांव और बड़कली चौक के बीच मृत पाए गए थे.

वह यह देखने के लिए बाहर निकले थे कि हंगामा किस बात को लेकर हो रहा था क्योंकि उस दिन नूंह से हिंसा फैली थी और वह अपने छोटे भाई ओमवीर को भी ढूंढना चाहते थे जो गुरुकुल में गणित पढ़ाते थे..

उन्हें ख़बर मिली थी कि भीड़ ने गुरुकुल को घेर लिया है और वह अपने भाई को वहां से बाहर निकालना चाहते थे, लेकिन वे कभी वहां पहुंच ही नहीं पाए. उनके पहुंचने से पहले ही कथित तौर पर उन पर रॉड और लाठियों से हमला किया गया और पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी गई.

शक्ति के बड़े भाई सोमवीर, जो एक फर्नीचर की दुकान पर काम करते हैं, ने कहा, “वह शाम करीब 5:30 बजे घर से निकला था. हम उसका फोन ट्राई करते रहे लेकिन संपर्क नहीं हो सका. उस क्षेत्र में कुछ लोगों ने हमारे गांव में पूछा कि क्या कोई आदमी लापता है और तब हमें पता चला कि वह मारा गया.”

Shakti Singh's wife Jaina Devi (centre) with daughters Khushi, Mehak and son Anmol | Praveen Jain | ThePrint
शक्ति सिंह की पत्नी जैना देवी (बीच में) बेटियां खुशी, महक और बेटे अनमोल के साथ | प्रवीण जैन | दिप्रिंट

उनकी पत्नी और बच्चों का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि वह उस दिन बाहर क्यों निकले. जैना ने कहा, “उन्होंने मुझसे कहा कि वह टहलने जा रहे है. मैंने सोचा कि यह एक सामान्य सैर है, मुझे नहीं पता था कि सांप्रदायिक हिंसा हुई थी. मुझे बाद में पता चला कि भीड़ ने उनकी हत्या कर दी. अब हमारे चार बच्चों की देखभाल कौन करेगा?”

जैसे ही हरियाणा के मेवात क्षेत्र के मुस्लिम बहुल जिले नूंह में तनाव फैल गया, पथराव और आगजनी के बाद हिंसा अंततः पड़ोसी नगीना और फिरोजपुर झिरका शहरों और फिर गुरुग्राम तक फैल गई.

इसके बाद क्षेत्र में हुई सांप्रदायिक झड़पों में नूंह में पांच और गुरुग्राम में एक व्यक्ति की जान चली गई. नूंह में 170 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम थे.

दिप्रिंट ने हरियाणा में शक्ति और होम गार्ड नीरज लाल के घर का दौरा किया, जो कथित तौर पर हिंसा में मारे गए थे.


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‘मैं जल्द ही वापस आऊंगा’

गढ़ी बाजिदपुर में नीरज लाल के घर पर उनके पिता चिरंजी लाल घर के पास पीर बाबा मजार के पास बैठकर रोते रहते हैं. लाल ने कहा, “उसने मुझे सुबह बताया कि वह ड्यूटी पर जा रहा है. इसके बाद पुलिस अधिकारी उसे ड्यूटी के लिए नूंह ले गए. वह कभी वापस नहीं आया. मुझे नहीं पता कि उसे किसने मारा, क्यों मारा और वह कैसे मारा गया. अंतिम संस्कार से पहले, जब हमने उसके शरीर को धोया, तो मैंने उसके सिर, कंधे और पेट पर चोटें देखीं.”

सेवानिवृत्त फौजी अब चाहते है कि सरकार उनकी बहू को नौकरी दिलाने में मदद करे ताकि वह बच्चों की देखभाल कर सके.

 Home Guard Neeraj's father Chiranji Lal outside his house | Praveen Jain | ThePrint
होम गार्ड नीरज के पिता चिरंजी लाल अपने घर के बाहर | प्रवीण जैन | दिप्रिंट

नीरज की पत्नी वकीला ने कहा, “अन्य सभी दिनों की तरह, वह सुबह 11 बजे के आसपास ड्यूटी के लिए निकले. मेरी उनसे बात नहीं हो पाई तो मुझे लगा शायद वह बिजी होंगे. अगले दिन ही मुझे पता चला कि उनकी मौत हो चुकी है. शुरुआत में परिजनों का कहना था कि उनके पैर में चोट लगी है. मुझे नहीं पता कि उनकी मौत कैसे हुई. उन्होंने मुझे सुबह बताया था कि वह उस दिन जल्द ही वापस आएंगे.”

Waqeela, wife of slain Home Guard Neeraj, at her Nuh home | Praveen Jain | ThePrint
मारे गए होम गार्ड नीरज की पत्नी वकीला अपने नूंह स्थित घर पर | प्रवीण जैन | दिप्रिंट

उनके छोटे से बैडरूम में 37 वर्षीय नीरज की परिवार के अन्य भाइयों के साथ वर्दी में तस्वीरें टंगी हैं. जैसे ही वकीला ने तस्वीरें दिखाईं, उसकी आंखों से आंसू बहने लगे.

नूंह पुलिस के अनुसार, फ़तेहपुरी के 32 वर्षीय एक अन्य होमगार्ड गुरसेव सिंह की भी कथित तौर पर सांप्रदायिक झड़प के दौरान भारी पथराव में नीरज की तरह मौत हो गई. उनके परिवार में उनकी पत्नी गुरविंदर कौर और दो बच्चे मंजय और अकमजोत हैं.

गुरसेव के चचेरे भाई इंजी सिंह ने कहा, “हमें अधिकारियों ने बताया है कि उनकी मौत पथराव के कारण हुई है. वह अपने परिवार का इकलौता बेटा और एकमात्र कमाने वाला था.”

पुलिस ने कहा कि नीरज और गुरसेव दोनों गुरुग्राम में तैनात थे, लेकिन उन्हें ड्यूटी के लिए बुलाया गया था.

हिंसा में मरने वालों में बजरंग दल के सदस्य प्रदीप शर्मा और अभिषेक चौहान भी शामिल हैं. 30 वर्षीय शर्मा गुरुग्राम में एक बर्तन की दुकान पर काम करते थे और अपने बड़े भाई दीपक के साथ वहीं रहते थे. दोनों भाई बजरंग दल के सदस्य रहे हैं.

उस मनहूस दिन पर प्रदीप ही रैली के लिए आये थे. दीपक ने कहा, “मुझे नहीं पता था कि वह रैली में गया था. हमें पुलिस से फोन आया कि वह घायल है. वह केवल एक तीर्थयात्री के रूप में वहां गये थे. उन्होंने उस पर रॉड और लाठियों से हमला किया.” “मैं उसे देखने नूंह गया था और उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल लाया, लेकिन वह नहीं बचा.”

प्रदीप के शव को अंतिम संस्कार के लिए उनके पैतृक गांव बागपत ले जाया गया. उनके परिवार में पत्नी दीपा, माता-पिता और तीन भाई हैं.

एक अन्य पीड़ित गुरुग्राम के सेक्टर 57 में अंजुमन मस्जिद के नायब इमाम मोहम्मद साद थे. 22 वर्षीय मौलवी पर नूंह में हिंसा के कुछ घंटों बाद कथित बदला लेने के लिए भीड़ ने हमला किया था.

उन पर कई बार चाकू से हमला किया गया, जिसके बाद भीड़ ने मस्जिद में आग लगा दी, जिसमें नायब इमाम की मौत हो गई और एक अन्य केयरटेकर घायल हो गया. उन्हें 1 जुलाई को अपने घर बिहार के सीतामढ़ी वापस जाना था. लेकिन, ऐसा कभी हो नहीं सका.

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(संपादन: अलमिना खातून)


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