नई दिल्ली: 62-वर्षीय सराफत अली जब अपना मोबाइल बैंकिंग ऐप हेलो उज्जीवन खोलते हैं, तो एक शांत, संवादी हिंदी आवाज़ उनका स्वागत करती है. सीमापुरी, दिल्ली के रहने वाले 10वीं पास इस ड्राइवर के लिए बैंकिंग अक्सर एक मुश्किल काम रहा है, लेकिन आवाज़ उन्हें EMI भरने, लोन स्टेटमेंट चेक करने और फिक्स्ड डिपॉज़िट खोलने जैसी जानकारी देती है. हर फंक्शन को बड़े, साइन-जैसे आइकन के साथ जोड़ा गया है, जिससे अली को ऐप को आसानी से नेविगेट करने में मदद मिलती है, जो आमतौर पर उनके लिए एक अजनबी क्षेत्र होता.
अली, जिनकी पत्नी राबिया ने अपने सिलाई के काम के लिए उज्जीवन स्मॉल फाइनेंस बैंक से ग्रुप लोन लिया था, उन्होंने कहा, “पहले हम नकद में ईएमआई भरते थे. मुझे मोबाइल ऐप को चलाना नहीं आता था, लेकिन अब, हम आराम से सबकुछ ऐप पर कर लेते हैं. मुझे कभी भी ब्रांच नहीं जाना पड़ा.”
एआई-सक्षम वॉयस ऐप बैंकिंग को बदल रहे हैं और लाखों भारतीयों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में ला रहे हैं.
भारत में अनुमानित 18 करोड़ कम साक्षर लोग हैं जिन्हें अपनी मूल भाषाओं में भी पढ़ने और लिखने में मुश्किलें आती हैं. स्मार्टफोन की पहुंच 650 मिलियन को पार कर गई है और रीजनल कंटेंट की खपत आसमान छू रही है, बैंक, स्टार्टअप और सरकारी संगठन वॉयस-आधारित तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से इस खाई को पाटने की दौड़ में हैं.
पहले हम नकद में ईएमआई भरते थे. मुझे मोबाइल ऐप को चलाना नहीं आता था, लेकिन अब, हम आराम से सबकुछ ऐप पर कर लेते हैं. मुझे कभी भी ब्रांच नहीं जाना पड़ा.
केंद्र सरकार भी इस फर्क को पहचानती है. मार्च 2023 में शुरू किए गए न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम (NILP) का टारगेट 15 साल और उससे अधिक आयु के पांच करोड़ निरक्षर व्यक्तियों तक पहुंचना है. 1,037.9 करोड़ रुपये के बजट के साथ, NILP भारत भर में स्वयंसेवकों को बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता प्रशिक्षण आयोजित करने के लिए प्रेरित करता है. वित्तीय साक्षरता इस योजना के प्रमुख घटकों में से एक है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अग्रणी बैंकों द्वारा वित्तीय साक्षरता केंद्र (FLC) स्थापित करने के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं. ‘RBI कहता है’ नामक एक जन जागरूकता अभियान कई माध्यमों और विभिन्न भाषाओं में वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देता है.
लेकिन आवाज़ ने स्थानीय भाषा को पीछे छोड़ दिया है.

उज्जीवन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष दिप्तराग देब ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा, “हमारा यह अनुमान गलत था कि रेगुलर स्थानीय भाषा ऐप (क्षेत्रीय भाषाओं में टेक्स्ट-आधारित) महत्वाकांक्षी मध्यम वर्ग के लिए कारगर साबित होगी. हमने लोगों से पूछा कि वह अपने स्मार्टफोन का यूज़ कैसे कर रहे हैं.”
रिसर्च करने और ऐप बनाने के लिए, उज्जीवन ने मुंबई स्थित कंपनी Navana.ai के साथ भागीदारी की, जो गैर-अंग्रेज़ी बोलने वालों के लिए डिजिटल सेवाओं को सुलभ बनाने के लिए बहुभाषी वॉयस AI चीज़ें बनाती है.
देब और उनकी टीम ने पाया कि उनकी टारगेट ऑडियंस, अनौपचारिक क्षेत्र के कर्मचारी – वीडियो, इमेज और ऑडियो कंटेंट के साथ सबसे अधिक सहज थे. YouTube और WhatsApp जैसे ऐप उनके सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले प्लेटफॉर्म में से थे.
देब ने कहा, “इन समुदायों में कोई भी मैसेज टाइप नहीं करता है. वॉयस नोट्स भेजना बातचीत का प्रमुख तरीका था. इसके चलते उज्जीवन ने स्थानीय भाषाओं को वॉयस-आधारित तकनीक के साथ जोड़कर 2022 में अपना ऐप लॉन्च किया.”
भारत सरकार ने भी भाषा संबंधी बाधाओं को दूर करने की ज़रूरत को माना है, जिसके तहत राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन के तहत AI-आधारित अनुवाद प्लेटफॉर्म लॉन्च किया गया है.
अगस्त 2022 में लॉन्च की गई भाषिणी तमिल, तेलुगु, मराठी, कन्नड़ और बंगाली सहित 11 क्षेत्रीय भाषाओं में रीयल-टाइम अनुवाद को सक्षम बनाती है. वॉयस-आधारित UPI पेमेंट के लिए वित्तीय क्षेत्र में इस प्लेटफॉर्म का लाभ उठाया जा रहा है. एक समर्पित नंबर पर कॉल करके, यहां तक कि एक फीचर फोन से भी, यूज़र हिंदी, अंग्रेज़ी या तेलुगु में बोलकर पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं.
जैसे-जैसे तकनीक आगे बढ़ रही है, ऑपरेटरों का कहना है कि यह केवल वक्त की बात है जब क्षेत्रीय भाषाओं में पूर्ण-विकसित, स्वाभाविक बातचीत सभी बैंकिंग चैनलों में पूरी तरह से एकीकृत हो जाएगी.
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स्थानीय भाषा और वॉयस तकनीक
विज्ञान विहार की उज्जीवन ब्रांच में युवा, महिला ग्राहकों की भीड़ लगी हुई है — ज़्यादातर अनौपचारिक क्षेत्र में सिलाई, खाना पकाने या सफाई के काम से जुड़ी हैं. कई लोगों के लिए यह पहली बार है जब वह औपचारिक बैंकिंग प्रणाली से जुड़ रहे हैं.
कुछ लोग कागज़ की एक पीली शीट थामे हुए हैं, जिसे ग्राहक लोन स्टेटमेंट के तौर पर पहचानते हैं, जबकि डिजिटल अपनाने की दर कम है, बैंक ज़्यादा से ज़्यादा ग्राहकों को ऑनलाइन लाने की कोशिश कर रहा है. उज्जीवन मुख्य रूप से महिलाओं के समूहों को माइक्रोफाइनेंस प्रदान करता है और बाद में अनुकरणीय पुनर्भुगतान ट्रैक रिकॉर्ड वाले लोगों को पर्सनल लोन देता है.
नवना.एआई के सह-संस्थापक और सीईओ राउल नानावटी ने कहा, “जब हमने (कम साक्षरता दर वाले ग्राहकों तक बैंकिंग पहुंच की) समस्या पर काम करना शुरू किया, तो हमें पता था कि इसका हल इमेज-आधारित, टेक्स्ट और आवाज़-निर्भर होना चाहिए.”
2019 में, भाइयों राउल और जय नानावटी ने डिजिटल सेवाओं को अगले एक अरब यूज़र्स तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा — इससे बहुत पहले कि AI मुख्यधारा की बातचीत में शामिल हो. न्यूयॉर्क शहर में कॉर्नेल टेक में एमबीए करने के दौरान, दोनों ने मिलकर Navana.ai की स्थापना की, जिसका ध्यान सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं के लिए मूलभूत भाषण मॉडल विकसित करने पर था — यही वह काम है जिसके कारण हेलो उज्जीवन ऐप का वर्तमान संस्करण सामने आया.
ऐप के मेन्यू टैब पर, पीले रंग के कागज़ को एक आइकन के रूप में फिर से बनाया गया है, जो ग्राहकों को अपने लोन स्टेटमेंट की जांच करते समय विज़ुअल रिकॉल देता है. इसी तरह, EMI भरने के लिए आइकन में एक महिला को लोन अधिकारी को नकद देते हुए दिखाया गया है. भूरे रंग के मटके में 100 रुपये का नोट रखने वाला एक हाथ फिक्स्ड डिपॉजिट को दिखाता है.
हर इमेज को स्पीकर आइकन के साथ जोड़ा गया है, जिससे ग्राहक उस भाषा में फीचर को सुन सकते हैं जिसे उन्होंने शुरुआत में चुना था. ऐप वर्तमान में नौ भाषाओं में उपलब्ध है.
दिल्ली में साइबर क्राइम यूनिट की पेंट्री में काम करने वाले 41-वर्षीय संदीप ने कहा, “मेरा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में खाता है, लेकिन मैं इसका ज्यादा इस्तेमाल नहीं करता. उनकी पत्नी ने भी उज्जीवन से ग्रुप लोन लिया है, लेकिन वह इसे भरने का काम संभालते हैं. मैं ऐप को अच्छी तरह से नहीं समझ पाता, भले ही मैं हिंदी भाषा चुनूं.”

संदीप मेन्यू टैब के बगल में नए लॉन्च किए गए वॉयस-बॉट फीचर पर टैप करते हैं. Navana.ai द्वारा विकसित बॉट ग्राहकों को ऐप में बोलने की अनुमति देता है. यह उनकी बात को समझता है और उन्हें संबंधित पेज पर ले जाता है.
एप में संदीप कहते हैं, “मुझे EMI भरना है. जब EMI भुगतान स्क्रीन पॉप अप होती है, तो वे मुस्कुराते हैं, इस बात पर गर्व करते हैं कि वे कितनी आसानी से प्लेटफॉर्म को यूज़ कर पा रहे हैं.” तकनीक विभिन्न भारतीय लहज़े और उच्चारण को पहचानती है.
आवाज़ और दृश्य संकेतों का संयोजन कारगर साबित हो रहा है. ग्राहक अब हर छह महीने में एक बार की तुलना में महीने में एक से दो बार ऐप में लॉग इन करते हैं — इस उपयोगकर्ता आधार के लिए यह एक महत्वपूर्ण सुधार है.
ग्राहकों को एआई-संचालित बॉट्स के साथ प्राकृतिक भाषा में बातचीत के माध्यम से खाते खोलने, ईएमआई का भुगतान करने और निवेश करने में सक्षम होने का ज़िक्र करते हुए देब ने कहा, “हमारा अंतिम लक्ष्य बातचीत-आधारित बैंकिंग है.”
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भाषिणी की कोशिश
भाषिणी ने भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) के साथ मिलकर वॉयस-बेस्ड UPI लेनदेन को सक्षम करके प्रगति की है. पूरी प्रक्रिया वॉयस कमांड से होती है.
डिजिटल इंडिया भाषिणी डिवीजन के सीईओ अमिताभ नाग ने कहा, “हमने एक ऐसे व्यक्ति के बारे में सोचा जो गांव से आता है और शायद रोज़ाना 100-200 रुपये कमाता है. अब वह इसे अपने परिवार को ट्रांसफर करना चाहता है.”
नाग के अनुसार, यूज़र को बस एक समर्पित नंबर पर कॉल करना है और अपनी स्थानीय भाषा में बोलना है. यह सेवा हिंदी, अंग्रेज़ी और तेलुगु में है. लक्ष्य पहले 10 भारतीय भाषाओं को कवर करना है, फिर 22 तक विस्तार करना है.
नाग ने कहा, “व्यक्ति पूरा लेनदेन वॉयस फीचर के ज़रिए करता है. केवल पिन की पुष्टि टाइप करनी होगी.” उससे पूछा जाएगा कि वह किस फोन नंबर पर कितने पैसे ट्रांसफर करना चाहता है और फिर लेनदेन की पुष्टि करने के लिए बैंक से कॉल बैक करता है.”
भाषिणी ने फ्रिक्शनलेस क्रेडिट के लिए एक पब्लिक टेक प्लेटफॉर्म लॉन्च करने के लिए रिजर्व बैंक इनोवेशन हब (RBIH) के साथ भी सहयोग किया है. यह सिस्टम कई भाषाओं को सपोर्ट करता है, जिससे क्रेडिट डिलीवरी आसान हो जाती है.
नाग ने कहा, “पहले किसानों को अपने लोन स्वीकृत करवाने के लिए भूमि रिकॉर्ड का अनुवाद करके बैंकों को सौंपना पड़ता था.” अब, रिकॉर्ड राज्य डेटाबेस से निकाले जाते हैं, लिप्यंतरित किए जाते हैं और बैंकों को दिए जाते हैं. नाग के अनुसार, पहले जिस काम में दो से तीन महीने लगते थे, अब उसमें एक दिन लगता है.
वॉयस-फर्स्ट बैंकिंग का भविष्य
बैंक आउटरीच प्रोग्राम भी AI-संचालित IVRS (इंटरैक्टिव वॉयस रिस्पॉन्स सिस्टम) के साथ विकसित हो रहे हैं, जो अब ग्राहक की क्षेत्रीय भाषा को पहचान सकते हैं और उसमें जवाब दे सकते हैं.
1990 के दशक में भारत के आर्थिक उदारीकरण से पहले, बैंक मुख्य रूप से अंग्रेज़ी और हिंदी में कम्युनिकेट करते थे. जैसे-जैसे वित्तीय समावेशन नीतियां उभरीं, बैंकों ने क्षेत्रीय भाषाओं का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, लेकिन फॉर्म और सेवाओं को समझने के लिए बुनियादी साक्षरता की अभी भी दरकार थी.
2006 में, RBI ने बिना ईंट और मोर्टार ब्रांच वाले क्षेत्रों में सेवाओं का विस्तार करने के लिए बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट (BC) मॉडल लॉन्च किया. BC ने गैर-साक्षर ग्राहकों के दरवाजे तक बैंकिंग सेवाएं पहुंचाने में मदद की.
कोविड-19 महामारी ने डिजिटल बैंकिंग को अपनाने में और तेज़ी ला दी. वक्त के साथ, प्लेटफॉर्म में क्षेत्रीय भाषा विकल्प शामिल किए गए. IVRS सिस्टम ने बैंकिंग सेवाओं को बढ़ावा दिय, लेकिन ज़्यादातर एकतरफा और टच प्रतिक्रियाओं तक सीमित थे.
Awaaz.De के चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर आदित्य सेठी ने कहा, “ग्रामीण क्षेत्रों में, आवाज़ एक बहुत शक्तिशाली माध्यम है. यह वित्तीय संस्थानों को कम सेवा वाले यूज़र्स के साथ बातचीत करने में मदद करता है. ग्रामीण दर्शक अंग्रेज़ी डिजिटल इंटरफेस पर नेविगेट करने की तुलना में अपनी स्थानीय भाषाओं में बात करना पसंद करते हैं – चाहे वे किसान हों या छोटे व्यवसाय के मालिक.”
IVRS की सीमाएं थीं – यह वास्तव में सुन नहीं सकता था. AI के साथ यह बदल गया.
अब, यूज़र्स विशिष्ट कार्यों के लिए तैयार किए गए बहुभाषी वॉयस AI एजेंटों के साथ बातचीत कर सकते हैं: इनेक्टिव खातों को फिर से एक्टिव करना, लीड को योग्य बनाना, या नवीनीकरण को स्वचालित करना.
सेठी ने कहा, “माइक्रोफाइनेंस में, फील्ड स्टाफ मुख्य रूप से पुरुष होते हैं क्योंकि उन्हें लंबे समय तक काम करना पड़ता है और बहुत यात्रा करनी पड़ती है. हालांकि, स्वयं सहायता समूहों में ग्राहक ज़्यादातर महिलाएं होती हैं. सहानुभूतिपूर्ण, धैर्यवान, व्यक्तिगत और उत्तरदायी होने के लिए डिज़ाइन की गई महिला वॉयस-आधारित AI एजेंट, महिला ग्राहकों को आराम और परिचितता का एहसास कराती हैं.”
Navana.ai ने बजाज फिनसर्व के साथ साझेदारी की है, जहां इसका बॉट छह भाषाएं बोलता है और हर महीने 150 करोड़ रुपये के पर्सनल लोन देता है.
नानावती ने कहा, “वॉयस-आधारित बैंकिंग सेवाएं यूज़र्स के लिए उनके काम के इतिहास और उनकी क्षेत्रीय भाषा में बातचीत दोनों के संदर्भ में अत्यधिक वैयक्तिकृत होंगी.”
भाषिणी के सीईओ अमिताभ नाग ने कहा कि टेस्टिंग सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है.
उन्होंने कहा, “जब आप बैंकिंग संगठनों के साथ साझेदारी कर रहे होते हैं, तो आपको सामान्य रूप से ज़्यादा टेस्टिंग करने की ज़रूरत होती है क्योंकि यह वित्तीय लेनदेन को प्रभावित करता है. इसलिए अपनाने में अधिक समय लग रहा है.”
लेकिन बड़े बैंक इस पर ध्यान दे रहे हैं. एचडीएफसी के गौतम आनंद, एसवीपी और मोबाइल और नेट बैंकिंग के प्रमुख, ने कहा कि पहनने योग्य उपकरण और आवाज़ बैंकिंग के संचालन के तरीके को बदल देंगे.
मार्च 2024 में फिनटेक न्यूज़ नेटवर्क को दिए एक इंटरव्यू में, आनंद ने कहा कि छोटे शहरों और गांवों में कई लोग टाइपिंग से जूझते हैं.
उन्होंने कहा, “जिस पल हम अपने मोबाइल ऐप में वॉयस सक्षम करते हैं, यह पूरी चीज़ को बदल देगा. बिजली बिल भरना या मोबाइल रिचार्ज करने के लिए, आपको बस अपने फोन में बोलना होगा.”
हालांकि,वॉयस तकनीक पारंपरिक बैंकिंग की जगह पूरी तरह से नहीं ले सकती, लेकिन उद्योग जगत के नेता इस बात पर सहमत हैं: यह नई राह खोल रही है.
और भारत के कम पढ़े-लिखे ग्राहकों के लिए, इसका मतलब आखिरकार बैंकिंग सिस्टम में अपनी आवाज़ बुलंद करना हो सकता है.
उदित हिंदुजा दिप्रिंट स्कूल ऑफ जर्नलिज्म के पहले बैच से ग्रेजुएट हैं.
(इस ग्राउंड रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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